Folk and Music in Uttrakhand |
जागर (जागरण-देवगाथाएँ)-जागर देवताओं के गीत होते हैं. विभिन्न सम्प्रदायों (नाथ, वज्रयानी, सिद्ध तथा बौद्ध) का प्रभाव भी जागरों में मिलता है. गढ़वाल में इन गीतों के गायन के साथ देवता नचाने की प्रथा है. अध्ययन की दृष्टि से जागरों के भी तीन भाग हैं-
(i) प्रवन्ध गीत रूप में राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, रुक्मिणी-चद्रावल, कृष्ण-रुक्मिणी तथा देवी के अनेक रूप.
(ii) चरित गीत रूप में विनसर (शिव), नागजा (कृष्ण), नरसिंह (विष्णु), भैरों (भैरवनाथ) तथा अंछरी (अप्सरा).
(iii) वार्ता रूप में पाण्डवों को देवता रूप में मानकर समस्त पाण्डवों की कथा को जागर के रूप में गाना. पर्वतीय
प्रदेश का 'पाण्डव नृत्य' विशेष आकर्षण का विषय है.
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