उत्तराखण्ड का जनपद अल्मोड़ा/Almora district of Uttarakhand |
अल्मोड़ा जनपद का इतिहास
- अल्मोड़ा में कुणिन्दों का शासन रहा, इसकी जानकारी अल्मोड़ा सिक्कों से मिलती है
- अल्मोड़ा की स्थापना से पहले यह नगर कत्यूरी राजा बालिक देव के अधीन रहा और राजा ने यह क्षेत्र गुजराती ब्राहमण चांद तिवारी को दान दिया था
- चंद शासक भीष्मचंद ने अपनी राजधानी चम्पावत से आलमनगर स्थानान्तरित की, जो कल्याण चंद चतुर्थ 1563 तक राजधानी पूर्ण रूप से बनकर तैयार हुयी,
- अल्मोड़ा नगर का नाम आलमनगर मुगल प्रभाव के कारण पड़ा
- अल्मोड़ा नगर की स्थापना 1568 ई० में कल्याण चंद के समय हुयी। चंद राजाओं के समय अल्मोड़ा को राजापुर कहा जाता था 1790 ई0 में अल्मोडा पर गोरखों का अधिकार हो गया था
- 1815 ई0 में अल्मोडा ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया
- अल्मोड़ा जनपद का नाम वहां उगने वाली घास के कारण पड़ा
- वर्तमान में सैनिक छावनी को पहले लालमंडी कहा जाता था
- वर्तमान में जहां जिला अस्पताल है, वहां पहले चंद राजाओं का तल्ला महल था
- वर्तमान में जहां जनपद कार्यालय है वहां पहले मल्ला महल था
- अल्मोड़ा को राजाओं की घाटी कहा जाता है
- 1864 ई0 में अल्मोड़ा नगरपालिका का गठन हुआ
- 1891 ई० में अल्मोड़ा को जिला बनाया गया
- पाली परगना अल्मोडा में जिसका पुराना नाम पाली पछांऊ है
- पाली पछांऊ क्षेत्र में लखनपुर बैराट है, जिसे कत्यूरी शासक अंसातिदेव ने बसाया
अल्मोड़ा जनपद की भौगोलिक स्थिति
- अल्मोड़ा जनपद का मुख्य नगर कोसी व सुयाल नदियों के मध्य में स्थित है ।
- अल्मोड़ा जिले का क्षेत्रफल 3139 वर्ग किमी है
- अल्मोड़ा शहर पहाड पर घोड़े की काठीनुमा आकार में बसा प्रतीत होता है,
- अल्मोडा पर्वत चोटी पर बसा हुआ है, जिसके सामने वाले भाग को तेलीफाट और पीछे वाले भाग को सेलीफाट कहा जाता है।
- अल्मोड़ा जनपद की सीमाएं 6 जनपदों से मिलती हैं
- अल्मोड़ा जिला राज्य के 4 आंतरिक जिलों में से एक है अल्मोड़ा जिले के 50 प्रतिशत भाग पर वन क्षेत्र पाया जाता है
- अल्मोड़ा को ताम्र नगरी कहा जाता है।
- अल्मोड़ा के मरचूला को पीतल नगरी कहा जाता है।
- अल्मोड़ा क्षेत्र को राम क्षेत्र व आलमनगर कहा जाता है
- अल्मोड़ा को बाल मिठाई का घर कहा जाता है
अल्मोड़ा जनपद का प्रशासन
- अल्मोड़ा जनपद में विधानसभा क्षेत्र- 06
- अल्मोड़ा जनपद में विकासखंड - 11
- अल्मोंडा जनपद में तहसील - 12
- अल्मोड़ा जिले की जनसंख्या- 6,22,506
- अल्मोड़ा जिले की दशकीय वृद्धि दर -1.28%
- कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है
- अल्मोड़ा जिले का जनघनत्व- 198
- अल्मोड़ा जिले का लिंगानुपात- 1139
- अल्मोड़ा राज्य में सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला है राज्य का दूसरा न्यूनतम दशकीय वृद्धि वाला जिला अल्मोड़ा है।
अल्मोडा जनपद में नदी तंत्र
- सुयाल नदी अल्मोड़ा के लाखु उडयार के पास बहती है, जो कोसी की सहायक नदी है,
- खैराना नामक स्थान पर कोसी नदी से शिप्रा नदी मिलती है अल्मोडा के सोमेश्वर घाटी को कुमाऊँ में धान का कटोरा कहा जाता है सोमेश्वर कोसी नदी के तट पर स्थित है
- गगास व बिनो नदी अल्मोड़ा में रामगंगा नदी से मिलती है।
- अल्मोड़ा के भिकियासैंण में रामगंगा में गगास नदी मिलती है
- पनार नदी अल्मोड़ा चम्पावत व पिथौरागढ़ जिलों सीमा बनाती है।
- जिसकी सहायक नदी सिमगाड़ व गाड़गिल गाड है तड़ाग ताल अल्मोड़ा जिले में है तड़ाग ताल पर 5 सुरंगे बनी है
अल्मोड़ा जनपद में पर्वत या फॉल
- हरिया पर्वत अल्मोड़ा जिले में स्थित है रानी पर्वत अल्मोडा जिले में स्थित है ● भटकोट पर्वत श्रेणियां अल्मोड़ा में स्थित है
- झांडी धार पहाडी विनसर अल्मोड़ा में स्थित है रूद्रधारी झरना कौसानी-अल्मोड़ा रोड़ पर स्थित है • धोकाने वॉटर फॉल अल्मोड़ा व नैनीताल के बीच में है
अल्मोड़ा जनपद की घाटियाँ एवं गुफा
- कारोमंडल घाटी अल्मोड़ा में स्थित है
- सोमेश्वर घाटी कोसी नदी द्वारा बनाई जाती है
- सिमलखेत घाटी अल्मोड़ा में स्थित है
- अपनार व मनान घाटी अल्मोड़ा में स्थित है
- पाण्डुखोली गुफा अल्मोड़ा के द्वाराहाट में है पाण्डुखोली गुफा को त्रयम्बक गुफा भी कहा जाता है
अल्मोड़ा जनपद खनिज सम्पदा
- अल्मोड़ा जिला राज्य का एकमात्र जिला जहां चांदी मिलती है अल्मोडा का झिरौली क्षेत्र तांबा व मैग्नेसाइट उत्पादक क्षेत्र है अल्मोड़ा के राई व चैनापानी क्षेत्र सीसा उत्पादन क्षेत्र है अल्मोडा के दानापानी व चौखुटिया क्षेत्र में चूना भंडार हैं
- बिनसर वन्य जीव विहार
- विनसर वन्य जीव विहार की स्थापना 1988 ई0 में अल्मोंडा जिले में की गयी यह 47 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है, जिसके मध्य में जीरो प्वांइट नामक स्थान है
अल्मोड़ा जनपद में पर्यटक स्थल
- ब्राइट और कॉर्नर दर्शनीय स्थल अल्मोडा में हैं
- अल्मोडा के जालना में फलों के अनेक वृक्ष है
- द्वाराहाट में विभाण्डेश्वर को उतर का काशी कहते हैं
- रायलाकोट का किला अल्मोड़ा जिले में है
- सिमतोला व मारतोला अल्मोंडा में एक पिकनिक स्पॉट है
- मटेला अल्मोड़ा में स्थित पर्यटक स्थल है
- लाल बाजार, मल्ली बाजार, थाना बाजार अल्मोड़ा में स्थित है
- मानिला नामक पर्यटक स्थल रानीखेत स्थित है
- बिनसर नामक पर्यटक स्थल अल्मोंडा में स्थित है
- गरमपानी नामक पर्यटक स्थल हल्द्वानी व अल्मोंडा के बीच में है
- खैराना में भुवालीगाड़ व शिप्रा नदी मिलती है
- सोमेश्वर कोसी व शाल्मली नदी के संगम पर बसा हुआ है
- सोमेश्वर को चंद राजा सोमचंद ने बसाया था
पर्यटक स्थल द्वाराहाट
- द्वाराहाट का पुराना नाम लखनपुर है द्वाराहाट को मंदिरों की नगरी कहा जाता है
- द्वाराहाट को हिमालय की द्वारिका भी कहा जाता है
- कुमाऊँ का खजुराहो द्वाराहाट को कहा जाता है • कत्यूरी राजाओं ने यहां 30 मंदिरों के समूह का निर्माण कराया
- द्वाराहाट में तीन वर्ग के मंदिर है, कचहरी, मनिया व रत्नदेव
- द्वाराहाट मंदिर समूह में सबसे उत्कृष्ट गूजरदेव मंदिर है
- द्वाराहाट में भी बद्रीनाथ मंदिर है, जो गढ़वाल शैली का है
- द्वाराहाट में लखनपुर मंदिर स्थित है महावतार बाबा जी गुफा द्वाराहाट में है।
पर्यटक स्थल रानीखेत
- रानीखेत अल्मोडा जिले में एक पर्यटक स्थल है यह झूलादेवी पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित है,
- रानीखेत को पहले झूलादेव और आकलैंड हिल्स के नाम से जाना जाता था
- रानीखेत गगास गाड के तट पर स्थित है
- 1948 से कुमाऊँ रेजीमेन्ट का मुख्यालय रानीखेत में रानीखेत समुद्रतल से 6000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है
- कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई जियारानी ने रानीखेत में कुछ दिन प्रवास किया, जिसके कारण यहां का नाम रानीखेत पड़ा था
- आधुनिक रानीखेत की स्थापना 1869 में हेनरी रेम्जे ने की
- अमेरिकी न्यायाधीश विलियम दोग्लस ने रानीखेत को विश्व का सर्वोत्तम हिल स्टेशन कहा
- अंग्रेजी वायसराय लार्ड मेयो को रानीखेत बहुत प्रिय लगता था
- मनकामेश्वर मंदिर व हैंडाखान मंदिर रानीखेत में है
- झूलादेवी का मंदिर भी रानीखेत में है, यह निर्माण 1935 में हुआ
- रानीखेत के चौबटिया में फल संरक्षण एवं शोध केंद्र है
- चौबटिया को ऑरचर्ड कंट्री कहा जाता है।
- रानीखेत के ताड़ीखेत में गांधी कुटी है रानीखेत कें ताड़ीखेत में गुलु देवता (गोलू) का मंदिर है
- रानीखेत चौखुटिया में कत्यूरी राजवंश के किले के अवशेष मिले
- कालिका पर्यटक स्थल एवं नैथाणा देवी मंदिर रानीखेत में है
- मजखाली नामक पर्यटक स्थल अल्मोडा के रानीखेत में है
- अल्मोड़ा जनपद में प्रसिद्ध मंदिर वीरणेश्वर मंदिर अल्मोडा के बिनसर पहाड़ी पर स्थित है
- अल्मोडा में अष्टमहल दुर्ग है जिसके मध्य में रूपचंद्र द्वारा | रामशिला मंदिर बनाया गया
- नंदादेवी मंदिर अल्मोडा में स्थित है
- अल्मोडा में गणनाथ शिव का एक गुफा मंदिर है
- अल्मोडा के शीतलाखेत में स्याही देवी का मंदिर है
- अल्मोड़ा में ज्ञानचंद ने भैरव के 8 मंदिरो का निर्माण कराया बानड़ी देवी का मंदिर अल्मोडा जिले में स्थित है।
- रामपादुका तीर्थ अल्मोडा के चौखटिया में है
- शीतलादेवी का मंदिर अल्मोडा में स्थित है
- अल्मोडा में घर-घर पूजा जाने वाला चंद राजकुमार गंगनाथ था भगवान शंकर के दूत माने जाने वाले पड़िया देव का मंदिर | अल्मोड़ा में है
- त्रिपुरा देवी का मंदिर अल्मोडा में स्थित है।
- मनीला देवी का मंदिर अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र में स्थित है पुश्ती माता का मंदिर जागेश्वर में स्थित है
- जागेश्वर नटराज मंदिर में शिव की नृत्य करते हुयी मूर्ति है दूनागिरी माता मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासक सुधारदेव ने बनवाया था
- ऊंटेश्वर मंदिर समूह अल्मोड़ा में 11 मंदिरो का समूह है
- एडाद्यो पर्वत पर बिन्देश्वर महादेव व ऐंडा देवी का मंदिर स्थित है। कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखण्ड़ शैली में बना हुआ है जो जाट गंगा नदी के किनारे स्थित है विभाण्डेश्वर मंदिर
- द्वाराहाट में स्थित इस मंदिर को उत्तर का काशी कहते हैं। विषुवत संक्राति को यहां स्यालदे बिखौती का मेला लगता है
अल्मोड़ा जनपद में त्योहार एवं मेले
- श्रावणी मेला अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में लगता है
- सोमनाथ मेला अल्मोड़ा के पाली-पछांऊ क्षेत्र में रामगंगा नदी के
- तटपर लगता है, यह मेला पशुओं के क्रय-विक्रय के लिए प्रसिद्ध है गणनाथ मेला अल्मोडा में लगता है, इस मेले में लोग संतान प्राप्ति की कामना के लिए पूजा करते है अनेरी या अग्नेरी का मेला चौखटिया में लगता है
- दूनागिरी का मेला अल्मोडा जिले के द्वाराहाट में लगता है • बग्वाली-पोखर का मेला अल्मोड़ा में लगता है
- सालम रंग महोत्सव अल्मोंडा में मनाया जाता है
- मासी मेला अल्मोड़ा के चौखटिया में लगता है
- स्याल्दे बिखौती का मेला
- विभाण्डेश्वर में स्याल्दे बिखौती का मेला बैशाख संक्राति को लगता है, यह मेला द्वाराहाट बाजार में लगता है जिसमें भगनौललोकगीत गाया जाता है इसे स्याल्दे पोखर भी कहा जाता है
अल्मोडा जनपद खेल/परिवहन/स्वास्थ्य
- हिल मोटर ट्रांसपोर्ट कम्पनी की स्थापना 1920 को हुयी, जिसके संस्थापक ललिता प्रसाद टम्टा थे
- आठ मंजिला पार्किंग स्थल अल्मोड़ा में स्थित है
- मोहन जोशी पार्क अल्मोडा में स्थित है
- एच. एन. बी. स्टेडियम अल्मोड़ा में स्थित है उपट अल्मोड़ा में नो कोनों वाला गोल्फ का मैदान है गगास नदी के तट पर गोल्फ मैदान का निर्माण 1920 में हुआ
- अल्मोडा में पहला महिला चिकित्सालय 1927 में खोला गया
अल्मोड़ा जनपद में संस्थान एवं विभाग
- उदय शंकर नृत्य एवं नाटक अकादमी की स्थापना 2003 में अल्मोड़ा में हुयी
- नाट्य एवं संगीत अकादमी की स्थापना 2002 में फलसीमा, अल्मोडा में की गयी
- लोक कला संस्थान की स्थापना अल्मोड़ा मे की गयी
- राज्य में 2 आकाशवाणी केन्द्र है अल्मोड़ा तथा पौडी में है
- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधानशाला अल्मोंडा में कटारमल्ल | के पास स्थित है इसकी स्थापना 1924 में डॉ बोसी सेन ने की
- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधानशाला, भारतीय कृषि अनुसंधान पूसा की पर्वतीय इकाई है
- विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधानशाला द्वारा खोजे गए मटर की किस्म बी0एल 03, और सोयाबीन की बी0एल 52 है
- पं गोविन्द बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय अल्मोडा में 1979 से है
- गोविन्द बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी नदी के तट पर अल्मोड़ा में स्थित है उत्तराखण्ड सेवा निधि एवं पर्यावरण शिक्षा संस्थान अल्मोडा में है
- रक्षा कृषि शोध संस्थान अल्मोड़ा के कटारमल में स्थित है भालू बांध रानीखेत में एक कृत्रिम डैम है, जो 1903 में बना है
अल्मोड़ा में उद्योग/ औद्योगिक क्षेत्र
- इंडियन मेंडिसीन फार्मास्यूटिकल लि० मोहान अल्मोड़ा में है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फॉर ड्रग्स रिसर्च ताड़ीखेत अल्मोड़ा में स्थित है
- कोऑपरेटिव ड्रग्स फैक्ट्री रानीखेत, अल्मोड़ा में स्थित है। अल्मोड़ा के टम्टा समुदाय के लोग धातु बरतन व्यवसाय से जुड़े है।
- अल्मोड़ा नगर को ताम्र नगरी भी कहा जाता है
- अल्मोड़ा के बाड़े छीना गांव में पुष्प उद्योग फैला हुआ है
अल्मोड़ा में शिक्षा/साहित्य/समाचार पत्र
- 1871 में रैम्जे कॉलेज अल्मोडा में खोला गया
- दनपुरिया बोली अल्मोड़ा में बोली जाती है।
- पछाई बोली अल्मोड़ा के पाली-पछाऊं क्षेत्र में बोली जाती है खसपर्जिया बोली- अल्मोड़ा के बारामंण्डल परगने में बोली जाती है
- हिलांस नामक समाचार पत्र अल्मोडा से प्रकाशित होता है पुरवासी एवं कुमाऊँ की आवाज समाचार पत्र अल्मोड़ा में प्रकाशित होता है
- बद्रीनाथ समाचार पत्र रानीखेत से प्रकाशित होता है
अल्मोड़ा जनपद की विभूतियां
- शैलेश मटियानी कथा शिल्पी का जन्म 1931 में अल्मोडा में हुआ
- गौरा पंत शिवानी का जन्म 1923 में गुजरात के राजकोट में हुआ, लेकिन वह मूलरूप से अल्मोडा की थी उत्तराखण्ड के प्रथम आई.सी.एस. भैरव दत पांडे का सम्बन्ध अल्मोडा से है
- आइरिन पंत पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खां की पत्नी थी
- देवकीनंदन पांडे का सम्बन्ध अल्मोडा के रानीखेत से है
- देवकीनंदन पांडे को कुमाऊँ का गांधी कहा जाता है वैज्ञानिक घनानंद पांडे राज्य के प्रथम पद्म विभूषण प्राप्त कर्ता का सम्बन्ध अल्मोडा जिले से है।
- हरगोविन्द पंत को अल्मोड़ा कांग्रेस की रीढ कहा जाता है।
- हरगोविन्द पंत ने 1928 को बागेश्वर में स्वयं हल चलाकर
- ब्राहमणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा तोड़ी
- बद्रीदत पांडे का जन्म कनखल हरिद्वार में हुआ था
- इन्द्रसिह नयाल ने 'स्वतन्त्रता संग्राम में कुमाऊँ का योगदान' पुस्तक लिखी है इनका सम्बन्ध भी अल्मोडा जनपद से हैं
- सोबन सिह जीना ने 1988 में उत्तरांचल उत्थान परिषद् का
- गठन किया इन्होंने पताका नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया एड गुरू ऑफ इंडिया प्रसून जोशी का सम्बन्ध अल्मोड़ा से है
- राम सिंह धौनी ने 'जय हिन्द' का नारा दिया था विक्टर मोहन जोशी का सम्बन्ध अल्मोड़ा जिले से है, इन्होंने 1930 मे स्वाधीन प्रजा पत्रिका का सम्पादन किया
- अल्मोंडा के किशनचद्र जोशी ने विश्व का सबसे ऊँचा मिर्च का पौधा उगाकर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया अंतरिक्ष विज्ञानी नीलाम्बर दत जोशी का सम्बन्ध अल्मोड़ा जिले से है, ये राज्य के पहले पद्म श्री प्राप्तकर्ता वैज्ञानिक है
गिरीश तिवारी गिर्दा
- गिरीश तिवारी गिर्दा का जन्म 1945 में अल्मोंडा में हुआ
- साहित्यकार गिरीश तिवारी ने नगाड़े खामोश है, थैंक्यू मिस्टर ग्लाड व धनुष यज्ञ आदि नाटको की रचना की, इनकी अन्य रचनाएं हमारी कविता के आखर, व शिखरो के स्वर आदि है
- उत्तराखण्ड मेरी मातृभूमि व हम लडतैं रंया भुलो आदि लोकगीत
- गिर्दा जी द्वारा लिखत है गिर्दा ने लोकगायिका झुसिया दमाई पर शोध प्रबन्ध लिखा, गिर्दा जी संगीतज्ञ वृजेन्द्र लाल शाह से प्रेरित थे
इलाचंद जोशी
- साहित्य कार इलाचंद जोशी का जन्म 1902 को अल्मोडा में हुआ
- इलाचंद जोशी को मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार कहा जाता है इलाचंद ने बचपन में सुधाकर नामक हस्तलिखित पत्रिका अल्मोड़ा में निकाली, इलाचंद जोशी के उपन्यास जहाज का पंछी, सन्यासी, प्रेत और छाया, सुबह के भूले, जिप्सी, पर्दे की रानी, आदि है
स्वतन्त्रता संग्राम मे कमाऊँ की भूमिका
- 1870 मे डिबेटिंग क्लब की स्थापना अल्मोड़ा में भीम सिंह की अध्यक्षता में हुयी
- 1871 में अल्मोड़ा अखबार के प्रथम सम्पादक बुद्धिबल्लभ पंत थे
- 30 सितम्बर 1916 को कुमाऊँ परिषद् का गठन अल्मोड़ा के मझेड़ा में हुआ
- कुमाऊँ परिषद् का प्रथम अधिवेशन सितम्बर 1917 को अल्मोड़ा में जयदत जोशी की अध्यक्षता में हुआ
- नमक सत्याग्रह 1930 के समय बिशनी देवी शाह के नेतृत्व में अल्मोडा नगरपालिका भवन पर तिरंगा फहराया गया
- 1937 में सोमेश्वर के चनौदा के पास शांतिलाल त्रिवेदी ने गांधी आश्रम की स्थापना की
- अगस्त 1942 को देघाट गोलीकांड में हीरामणि, बद्रीदत व कांडपाल शहीद हुए
- 25 अगस्त 1942 में सालम क्षेत्र में पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुयी, सालम क्रांति का नेतृत्व प्रताप सिंह कर रहे थे।
- 5 सितम्बर 1942 को सल्ट क्षेत्र के खुमाड़ में कांग्रेस मुख्यालय में गोली बारी हुयी, गांधी जी ने सल्ट क्षेत्र की घटना को कुमाऊँ बारदोली की संज्ञा दी 1942 को अल्मोड़ा में मालती देवी के नेतृत्व में देश सेवक संगठन की स्थापना हुई।
- 1942 ई में देवकी नंदन और भागीरथ पांडे द्वारा ताड़ीखेत में प्रेम विद्यालय खोला गया
कुमाऊँ रेजीमेंट- 1945
- कुमाऊँ रेजीमेंट की स्थापना 27 अक्टूबर 1945 में हुयी कुमाऊँ रेजीमेंट का मुख्यालय मई, 1948 में आगरा से रानीखेत लाया गया, 1917 में कर्नल लांगर ने प्रथम कुमाऊँ राइफल की स्थापना की, जिसे अब बटालियन 3 कुमाऊँ कहा जाता है
- कुमाऊँ रेजीमेंट कें थलसेना में तीन सेनाध्यक्ष हुए
- श्री नागेश, एम थिमैय्या और एन रैना कुमाऊँ रेजीमेंट के 4 बटालियन के मेजर सोमनाथ शर्मा को भारत का प्रथम परमवीर चक्र दिया गया
- 1962 चीन युद्ध के समय मेजर शैतान सिंह को परमवीर चक्र मिला और शैतान सिंह 13 वीं बटालियन में थे
- कुमाऊँ रेजीमेंट में 13 वीं व 15 वीं बटालियन को भारतीय सेना में वीरों में वीर कहा जाता है
- कुमाऊँ रेजीमेंट प्रथम रेजीमेंट जिसे 1961 में राष्ट्रपति द्वारा कलर प्रदान किया गया
- कुमाऊँ रेजीमेंट के ले० कर्नल नरेन्द्र कुमार ने नंदादेवी पर्वत का सफल आरोहण किया
- कुमाऊँ रेजीमेंट के नाम पर 1988 को डाक टिकट जारी हुआ कुमाऊँ रेजीमेंट की दो छावनी हैं- अल्मोड़ा छावनी है, अल्मोड़ा छावनी 1815 में जब गार्डनर ने लालमंडी किला जीता, तब इसे फोर्ट मोयरा नाम दिया। और दूसरी रानीखेत छावनी 1871 में बनी
अल्मोड़ा जनपद अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु
- अल्मोड़ा में कुमाऊँ रामलीला की शुरूआत 1860 में देवीदत जोशी |
- ने की, कुमाऊँ में होने वाली रामलीला अल्मोड़ा शैली की है
- अल्मोड़ा जू की स्थापना 1978 में हुयी
- डोल कल्याणी आश्रम अल्मोड़ा जिले में है, जो योगा के लिए जाना जाता है, डोल आश्रम की स्थापना परम योगी कल्याण दास ने 1990 में की बाबा हैड़ाखान अल्मोडा के रानी पर्वत के पास चिलियानौला में बाबा का आश्रम है
- गेवाड़ क्षेत्र व गेवाड घाटी अल्मोड़ा में है
- चौगर्खा परगना के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले का जागेश्वर व बिनसर क्षेत्र आता है
- विवेकानंद तीन बार अल्मोड़ा आए, प्रथम बार 1890 में आये थेऔर अल्मोडा कसार देवी गुफा में तपस्या की।
- फाल्दाकोट दुर्ग अल्मोडा जिले में है
- शुद्ध साहित्य समिति की शुरूआत 1913 में परिवार्जक सत्यदेव | ने अल्मोड़ा में की
- उत्तराखण्ड में 1815 को स्थापित प्रथम डाक प्रणाली अल्मोड़ा से श्रीनगर के बीच स्थापित किया गया
- 4 जून 1945 को अल्मोड़ा में 6.5 रिएक्टर का भूकम्प आया था भूकम्प की दृष्टि से अल्मोड़ा को संवेदनशील जोन 5 के अन्तर्गत रखा गया है
अल्मोड़ा जनपद
• विधानसभा क्षेत्र - 6
- सल्ट
- रानीखेत
- द्वाराहाट
- जागेश्वर
- अल्मोड़ा
- सोमेश्वर अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र है
तहसील - 12
- लमगड़ा
- जैंती
- भनौली
- चौखुटिया
- भिकियासैंण
- रानीखेत
- अल्मोड़ा
- सोमेश्वर
- सल्ट
- द्वाराहाट
- स्याल्दे
- धौलछीना
विकासखण्ड- 11
- ताकुला
- हवालबाग
- भैंसियाछाना
- लमगड़ा
- सल्ट
- ताड़ीखेत
- चौखुटिया
- भिकियासैंण
- धौलादेवी
- द्वाराहाट
- स्याल्दे
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