उत्तराखण्ड का चमोली जनपद |
चमोली जनपद का इतिहास
- पौड़ी से अलग होकर 24 फरवरी 1960 को चमोली का गठन किया गया था, चमोली का प्राचीन नाम लाल सांगा था
- जुलाई 1970 को अलकनंदा में बाढ़ आने के कारण चमोली बहुत नुकसान हुआ जिस कारण चमोली से मुख्यालय गोपेश्वर | बनाया गया तब से अभी तक चमोली जनपद का मुख्यालय गोपेश्वर में है
- गोपेश्वर का प्राचीन नाम गोपाला, गोथला, गोस्थल, बद्रीनाथ के पास गंधमादन पर्वत कश्यप ऋषि की कर्म भूमि थी पुराणों के अनुसार बद्रीनाथ के पास व्यास गुफा में वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना की थी गोपेश्वर के रूद्रशिव मंदिर में 6वीं शताब्दी के नाग राजाओं के त्रिशूल लेख मिले
- गोपेश्वर मंदिर विदिशा के नागवंशी राजा गणपति नाथ ने हिमाद्री शैली बनवाया था जिसका प्राचीन नाम रुद्रमहालय था गढ़वाल के 52 गढ़ों में चांदपुर गढ़ चमोली के गैरसैंण में था
- चांदपुर गढ़ से ही गढ़वाल के परमार वंश की नीव पड़ी चमोली जिले के जोशीमठ के पास कार्तिकेयपुर नामक स्थान पर कत्यूरियों की राजधानी थी
- चमोली जनपद की भौगोलिक स्थिति चमोली जिले का क्षेत्रफल 7625 वर्ग किमी० है जिले की वेबसाइट (8030 वर्ग किमी) अनुसार चमोली जनपद क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य में दूसरा बड़ा जनपद है (आयोग अनुसार) चमोली जिले से 6 जिलों की सीमाएं स्पर्श करती है, कुमाऊँ मंडल तीन जिलों की सीमाएं चमोली जिले से स्पर्श करती है।
- चमोली राज्य का सर्वाधिक ऊसर भूमि वाला जिला है
- प्रतिशत की दृष्टि से चमोली राज्य का सबसे कम सिंचित क्षेत्रफल वाला जिला है
चमोली जनपद आपदा प्रबन्धन
- चमोली जनपद में 29 मार्च 1999 में 6.8 रिएक्टर स्केल का भूकम्प आया जिससे यहाँ बहुत नुकसान हुआ था 1803 में बद्रीनाथ में 8 से 9 रिएक्टर स्केल का भूकम्प आया था, जो राज्य का सबसे बड़ा भूकम्प था
चमोली जनपद का प्रशासन
- चमोली जिले की जनसंख्या- 3,91,605
- चमोली जिले की दशकीय वृद्धि दर- 5.74%
- चमोली जिले का जनघनत्व- 49
- चमोली जिले का लिंगानुपात- 1019
- चमोली की साक्षरता- 82.65%
- पुरुष साक्षरता दर - 93.40 %
- महिला साक्षरता दर -72.32%
- चमोली जनपद में विधानसभा क्षेत्र - 03
- चमोली में विकासखण्ड- 09
- चमोली जनपद में तहसील- 12
चमोली जनपद में पर्वत
- राज्य में अधिकांश पर्वत चोटियां चमोली जिले में स्थित हैं
- राज्य की सबसे ऊँची चोटी नंदादेवी है 7,817 मी० है,
- राज्य की दूसरी सबसे ऊँची चोटी कामेट 7,756 मी0
- माणा चोटी (7,272मी0), बद्रीनाथ चोटी (7,140मी0), चौख चोटी, त्रिशुल पर्वत (7,120मी) सभी चमोली जिले में है
- संतोपथ पर्वत (7,084मी0) चमोली जिले में है दूनागिरी पर्वत या द्रोणगिरी पर्वत चमोली जिले में है
- नीलकंठ पर्वत चमोली में है जिसकी ऊँचाई 6,597 मी0 है २ नंदाघुंघटी पर्वत भी चमोली में है जिसकी ऊँचाई 6,309 मी है
- हाथी पर्वत चमोली में है जिसकी ऊँचाई 6,727 मी है।
- देवस्थान पर्वत और मुकुट पर्वत चमोली में स्थित है
- गुन्नी पर्वत चमोली व पिथौरागढ़ के बीच है
- नन्दाकोट पर्वत चमोली व पिथौरागढ़ के बीच है।
- नर पर्वत की ऊँचाई 5,831 मी0 है
- नारायण मंदिर ऊँचाई 5,965 मी० है
- गौरी पर्वत की ऊँचाई 6,250 मी0 है
- गंधमादन पर्वत ऊँचाई 6,984 मी0 है
- स्लीपिंग लेडी पर्वत जोशीमठ में स्थित है
- चमोली जनपद में प्रसिद्ध कुण्ड भाप कुंड तपोवन में गर्म जल कुंड है
- गर्म पानी वाला तप्त कुंड बद्रीनाथ के पास है
- ऋषि कुंड चमोली जिले में स्थित है
- वैतरणी कुंड गोपेश्वर के पास स्थित है नन्दीकुंड चमोली में ठण्डे पानी का कुंड है यह मधुगंगा नदी पर है।
- चमोली जनपद में जल प्रपात
- बसुन्धरा जल प्रपात- चमोली के माणा के पास अलकनंदा नदी पर है, जिसकी ऊँचाई 112 मी0 है
- बसुन्धरा प्रपात के आस-पास लक्ष्मीवन पाये जाते है
चमोली जनपद की प्रसिद्ध झीले
- गौना झील विरही गंगा पर 1893-94 में बनी और 1894 में प्रथम बार फूटी थी जिससे श्रीनगर को क्षति पहुँची थी और 1970 में यह झील पूर्ण रूप से टूट गयी थी।
- होमकुंड ताल नंदाराजजात यात्रा का अंतिम पड़ाव है
- संतोपंथ ताल को क्षीर सागर भी कहा जाता है लिंगा ताल चमोली में फूलों की घाटी के बीच है जिसे आछरी । ताल भी कहा जाता है
- विरही ताल, सुखताल एव झलताल भी चमोली में स्थित है
- बेनीताल चमोली के आदि बदरी में है
- काकभुशुंडी ताल चमोली के हाथी पर्वत के पास है
- मणिभद्र ताल, सिद्ध ताल, नरसिंह ताल, एवं आदि मातृका
- ताल, चमोली जिले में स्थित है
चमोली जनपद में नदी तंत्र
अलकनंदा
- राज्य में सबसे अधिक जल प्रवाह वाली नदी अलकनंदा है अलकनंदा नदी चमोली के संतोपथ शिखर के अल्कापुरी बांक हिमनद से निकलती है, अलकनंदा नदी का दूसरा नाम विष्णुगंगा है
- अलकनंदा संतोपंथ ताल से देवप्रयाग तक की ल0 195 किमी० है अलकनंदा नदी में सर्वप्रथम लक्ष्मण गंगा या पुष्पावती नदी | मिलती है, माणा के पास अलकनंदा नदी में सरस्वती नदी मिलती है इनके संगम को केशवप्रयाग कहते है
- सरस्वती नदी कामेट चोटी के रतकोना नामक स्थान पर देवताल से निकलती है
- पश्चिमी धौलीगंगा धौलगिरी की कुनलुन श्रेणी से निकलती है • पश्चिमी धौलीगंगा की सहायक नदी गिरथी व ऋषिगंगा नदी है अलकनंदा नदी में विरही गंगा या बिरथी नदी और गरुड़गंगा मिलती है
- राज्य के पंच प्रयागों में तीन प्रयाग चमोली जिले में है
- विष्णुप्रयाग- अलकनंदा और पश्चिमी धौलीगंगा का संगम होता है
- नंदप्रयाग में अलकनंदा व नंदाकिनी नदी मिलती है, नंदप्रयाग का मूल नाम कंडासू था
- नंदाकिनी नदी त्रिशूल पर्वत के नंदाघुंघटी से निकलती है कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी एवं पिण्डर नदी मिलती है
- रूद्रप्रयाग- जनपद में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी का संगम है
- देवप्रयाग- जिसमें अलकनंदा नदी व भागीरथी नदी का संगम है.. जो टिहरी जनपद में है
चमोली जनपद में प्रसिद्ध गुफाएं
- टिम्मरसैंण गुफा चमोली के नीति घाटी में है
- हनुमान गुफा लंगासू चमोली में स्थित है।
- राम गुफा बद्रीनाथ के पास स्थित है
- मानेश्वर महादेव गुफा देवाल विकासखण्ड में रहस्यमयी गुफा है गरूड़, गणेश, व्यास, स्कन्द व मुचकुन्द गुफा बद्रीनाथ के आस पास स्थित है
चमोली जनपद में ग्लेशियर
- दूनागिरी ग्लेशियर, हिराबमक ग्लेशियर चमोली में स्थित है
- टिपराबमक ग्लेशियर गोविन्द घाट चमोली में है
- संतोपथ एवं भागीरथी ग्लेशियर चमोली में आराम कुर्सी की
- भांति दिखाई देते हैं इसके पास के क्षेत्र को अल्कापुरी कहते है बद्रीनाथ ग्लेशियर चमोली जिले में है, जो 10 किमी लम्बा है
- नंदादेवी ग्रुप ऑफ ग्लेशियर के अन्तर्गत 7 हिमनद आते है,
- जिसमें प्रमुख बारटोली, रमानी हिमनद, नंदकाना हिमनद है बर्मा ग्लेशियर चमोली जिले में स्थित है
- कल्पानी ग्लेशियर चमोली में है जो दूधगंगा का जल स्रोत है।
चमोली जनपद में दर्रे व घाटियाँ
- नीति, किंगरी-विंगरी, माणा डुंगरी ला दर्रा, चमोली जनपद में है बालचा, चोरहोती, शलशला दर्रा, चमोली व तिब्बत के बीच में है
- लमलंग, तन्जुन, भ्यूंडार दर्रा भी चमोली व तिब्बत के बीच में हैं बाराहोती, मार्चयोक, लातुधुरा, टोपीधुंगा दर्रा चमोली और पिथौरागढ के बीच स्थित हैं कांलिदी दर्रा- उत्तरकाशी व चमोली जिले के बीच स्थित है
- चिनाप घाटी चमोली में दूसरी फूलों की घाटी है इसके आस पास नंदू ताल व स्वानू ताल है
- चमोली के नीति घाटी में टिम्मरसैंण नामक धार्मिक स्थल हैं
- सोल घाटी चमोली जिलें में स्थित है।
- निजमुला घाटी चमोली के दशोली ब्लॉक पागल नाला नीति घाटी चमोली में है
चमोली जनपद में खनिज सम्पदा
- राज्य में टिन केवल चमोली जनपद में मिलती है
- चमोली जनपद में मोहन खाल, धनपुर, पोखरी क्षेत्र में तांबा पाया जाता है
- अलकनंदा नदी व पिण्डर नदी के बालू में सोना मिलता है
- राज्य में सर्वोतम श्रेणी का चूना पत्थर व डोलामाइट चमोली के पीपलकोटी में पाया जाता है
- चमोली के पोखरी व मंदाकिनी घाटी में मैग्नेसाइट के भंडार पाए जाते है,
- राज्य में सर्वप्रथम गंधक की खोज 1957 में चमोली के रूपगंगा घाटी में की गयी
राष्ट्रीय उद्यान / वन्यजीव अभ्यारण्य
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान चमोली में नर एवं गंधमादन पर्वतो के मध्य स्थित है यहां पुष्पावती नदी बहती है
- फूलों की घाटी की खोज 1931 में फ्रैंक स्माइथ द्वारा की गयी • फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान 87.5 वर्ग किमी० में फैला है
- फ्रैंक स्माइथ की पुस्तक द वैली आफ फ्लावर में फूलों की घाटी की चर्चा की गई
- फ्रैंक स्माइथ फूलों की घाटी से 250 किस्म पुष्प के बीज अपने साथ आस्ट्रेलिया ले गए
- फूलों की घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- फूलों की घाटी को 14 जुलाई 2005 को यूनिस्को में विश्व धरोहर में घोषित किया
- फूलों की घाटी को स्कन्दपुराण में नंदकानन कहा गया महाकवि कालीदास ने मेघदूत में फूलों की घाटी को अलका कहा फूलों की घाटी का उपनाम केदार-जू, बैंकुठ, भ्यूंडार, पुष्पावली
- फ्रैंक स्माइथ घाटी है फ्रैंक स्माइथ के साथ कामेट पर्वत चढ़ने वाला होल्ड्सवर्थ था 1939 ई0 में लन्दन से मारग्रेट लेग फूलो की प्रजातियों का अध्ययन करने आई
- फूलों की घाटी में फूलों के खिलने का समय जुलाई-अक्टूबर तक है, जिसकी समुद्रतल से 3600 मी0 ऊँचाई है अमेला या पोलीगोन नामक खरपतवार वृक्ष फूलों की घाटी में लगातार फैल रहा है जो इस घाटी का विनाशक बन गया है
नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान
- डब्लयू गार्डन 1883 ई० में नंदादेवी क्षेत्र में आने वाला प्रथम व्यक्ति था ।
- नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982ई0 मे हुयी जिसका क्षेत्रफल 624 वर्ग किमी० क्षेत्र में फैला हुआ है
- नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान को पहले नाम सजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान नाम पर स्थापना की गई थी नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान का मुख्यालय जोशीमठ में है।
- नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान को 1988 ई० में यूनिस्को के विश्व धरोहर में शामिल किया गया था
केदारनाथ वन्यजीव विहार
- केदार नाथ वन्यजीव विहार चमोली व रूद्रप्रयाग जनपदो में है
- केदार नाथ वन्यजीव विहार की स्थापना 1972 ई0 में हुयी
- केदार नाथ वन्यजीव विहार राज्य का सबसे बड़ा वन्य जीव विहार है जिसका क्षेत्रफल 967 वर्ग किमी० है
चमोली जनपद में बुग्याल
- पुंग बुग्याल, चौमासी बुग्याल, और पन्नार बुग्याल चमोली में है, राज्य का सबसे बड़ा बुग्याल बेदनी है जो रूपकुंड के पास स्थित है।
- औली-गुरसों बुग्याल हाथी पर्वत पर है
- लक्ष्मीबन बुग्याल, रता कोण व घसतोली बुग्याल माणा से ऊपर स्थित हैं, तथा हुण्या बुग्याल बसुन्धरा प्रपात के पास स्थित है चित्रकांठा, क्वारी, कल्पनाथ बुग्याल, बगजी बुग्याल, चमोली में है
- मलारी के पास चौफिट शिखर पर चौफिट बुग्याल है
- रूद्रनाथ बुग्याल गोपेश्वर के पास स्थित है
- जलीसेरा बुग्याल तपोवन चमोली में स्थित है
- भेटी बुग्याल व कोरा खर्क भी चमोली में है
- बद्रीनाथ के चारों ओर कैला बुग्याल है
- चमोली जनपद में परिवहन सुविधाएं
- राज्य का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग N.H.7 है जिसकी लम्बाई 379 किमी0 है,
- राष्ट्रीय राजमार्ग 7 रूड़की से ऋषिकेश होते हुए माणा तक जाता है, N.H-58 का नया नाम (N.H-7) रख गया है
- गौचर में राष्ट्रीय हवाई पट्टी है
चमोली जनपद में वन आन्दोलन
- डूंगी-पैंतोली आन्दोलन- चमोली जनपद में बांज के जंगल काटे जाने के विरोध में चलाया गया है।
झपटो छीनों आन्दोलन
- झपटो छीनों आन्दोलन 21 जून 1998 ई० में चलाया गया इसका उद्देश्य नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क प्रबन्धन ग्रामीणों को दिलाना था यह आन्दोलन लाता गांव में हुआ जिसमें ग्रामीण लोगों ने अपने पशुओं को नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क में छोड़ दिया था
मैती आन्दोलन
- मैती आन्दोलन 1996 में शुरू हुआ, इस आन्दोलन के प्रवर्तक ग्वालदम इंटर कालेज के शिक्षक कल्याण सिह रावत थे इस आन्दोलन के तहत विवाह अवसर पर वर-वधू पौधा रोपते है, जिसकी रक्षा लड़की के मायके वाले करते है
- मैती आन्दोलन को मूर्त रूप हिमालय वन्य जीव संस्थान द्वारा दिया गया।
चिपको आन्दोलन
- चिपको आन्दोलन 1974 ई० में चमोली जनपद के रैंणी गांव से
- प्रारम्भ हुआ था जिसके प्रणेता गौरा देवी थी
- चिपको आन्दोलन में गौरा देवी के साथ 21 महिलाओं ने भाग लिया था। इस आन्दोलन को शिखर तक पहुँचाने का श्रेय सुन्दर लाल बहुगुणा एवं चंडी प्रसाद भट्ट को जाता है
- बहुगुणा जी ने हिमालय बचाओ देश बचाओ का नारा दिया, चिपको आन्दोलन का उद्देश्य वनों की अवैध कटाई पर रोक लगाना था
- चिपको आन्दोलन की महिलाओं ने 1977 ई0 में एक नारा दिया क्या हैं इस जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी, और बयार, जिंदा रहने का आधार,
चमोली जनपद में प्रसिद्ध मंदिर
- बद्रीनाथ धाम में कपाट बंद के दिन कढाई उत्सव मनाया जाता है
- बद्रीनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार दौलत राव सिंधिया ने किया लव-कुश मंदिर चमोली में स्थित है
- अनुसूइया माता का मंदिर चमोली में स्थित है बधाणगढ़ी मंदिर चमोली के चिल्ला घाटी क्षेत्र में है
- गोपीनाथ मंदिर चमोली के गोपेश्वर में है लाटू देवता और अंजली माता मंदिर चमोली जनपद में स्थित है
- पनेश्वर देवालय चमोली के गोचर में स्थित है
चमोली जनपद में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल
ग्वालदम
- ग्वालदम चमोली व बागेश्वर की सीमा पर स्थित पर्यटक स्थल है ग्वालदम प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध है
- ग्वालदम में सेब एवं चाय का उत्पादन होता है
- ग्वालदम में S.S.B का प्रशिक्षण केन्द्र भी है
जोशीमठ
- जोशीमठ कत्यूरी राजाओं की राजधानी थी, जिसका पुराना नाम कार्तिकेयपुर था इसे शिव का ज्योर्तिलिंग स्थल भी कहते हैं
- जोशीमठ में आदि गुरू शंकराचार्य ने पूर्णागिरी देवी पीठ की।
- स्थापना की, यहीं पर भगवान नरसिंह का एक मंदिर है।
- शीतकाल में बद्रीनाथ भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में होती है।
- जोशीमठ में शहतूत वृक्ष के नीचे शंकराचार्य जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी यहां 200 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष भी है
- आदि गुरू शंकराचार्य के बाद ज्योतिर्मठ के प्रथम शंकराचार्य ट्रोटकाचार्य बने
- जोशीमठ के पास क्वारी पास है जिसे कर्जन ट्रेल मार्ग भी कहा जाता है यहीं पर शंकराचार्य व ट्रोटकाचार्य की गुफा है
- जोशीमठ में प्रवेश करते ही जोगी झरना दिखाई देता है जोशीमठ के कुछ दूरी पर सलधर गरम झरना है
- मणिकर्णिका कुंड जोशीमठ में है।
गौचर शहर
- गौचर चमोली जिले का एक कस्बा है जो सात पहाड़ियो से घिरा है, गौचर अलकनंदा नदी तट पर बसा हिलस्टेशन है
- 1920 ई0 में लेडी विलंग्टन यहां हवाई मार्ग से उतरी थी, तब इस शहर को पहचान मिली
- लेडी वेलिंगटन ने गौचर में चारागाह निर्माण के लिए किसानों को प्रेरित किया था ।
- 1938 ई० में पं० नेहरु गौचर आए थे नेहरु जी के जन्म दिन 14 नवम्बर 1943 ई0 से गोचर औद्योगिक मेले का प्रारम्भ कमिश्नर बड़ी द्वारा शुरु किया गया
- 2019 में गौचर को स्वच्छ गंगा टाउन का पुरस्कार दिया गया।
पर्यटक स्थल औली
- औली चमोली जिले में एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, यह स्कीइंग खेलों के लिए सबसे लोकप्रिय स्थल है स्कीइंग हेतु उपयुक्त समय दिसम्बर मार्च में होता है
- औली नंदादेवी, कामेट, माणा हाथी व गौरी पर्वतों से घिरा है गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा औली में 1987 ई0 से स्कीइंग महोत्सव मनाया जाता है
- औली परियोजना का शुभारम्भ जुलाई 1983 ई० को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया
- अक्टूबर 1993 ई0 को औली में शीतकालीन हिमक्रीड़ा स्थल एवं रज्जू मार्ग का कार्य पूर्ण हुआ यह एशिया का सबसे लम्बा व ऊँचा रोपवे है जिसकी लम्बाई 4.15 किमी० है
- 2004 में सैफ खेलो का आयोजन औली में हुआ था
- औली के पास गुरसो बुग्याल और चिनाब झील स्थित है दयाली सेरा नामक स्थान औली चमोली में है
पर्यटक स्थल माणा गांव
- माणा गांव चमोली जिले में स्थित राज्य का अंतिम गाँव है पुराणों में माणा का नाम मणिभद्रपुरी है,
- माणा के पास केशव प्रयाग में सरस्वती और अलकनंदा नदी का "संगम है
- माणा के पास सरस्वती नदी पर पाषाण शिला पुल (भीम पुल) है माणा में मारछा जनजाति का ग्रीष्मकालीन आवास होता है
- माणा गांव में मातामूर्ति का मंदिर है, जिन्हें बद्रीनाथ की माता कहा जाता है और यहां घंटाकर्ण का मंदिर भी है माणा के पास नीलकंठ चोटी है, जिसे गढ़वाल की रानी के नाम से जाना जाता है
रूपकुंड
- रूपकुंड चमोली में रहस्यमयी ताल है जिसे कंकाली ताल भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ हजारों कंकाल पाये गये हैं
- रूपकुंड में आज भी राजा यशधवल एवं रानी बल्पा और उनके सैनिको के कंकाल विद्यमान है
- रूपकुंड को दुनिया की नजर में लाने का श्रेय स्वामी प्रणवानंद को जाता है
चमोली जनपद में प्रमुख त्योहार/मेले
- हरियाली पूडा मेला चमोली में लगता है,
- अठवाड़ का मेला चमोली के चोपता में लगता है बैरासकुंड मेला चमोली जिले के नन्दप्रयाग में महा शिवरात्रि के दिन लगता है, जहां रावण ने भगवान शिव की पूजा की थी
- बसंत बुंरास मेला चमोली में लगता है कुलसारी का मेला चमोली जिले में लगता है, नंदादेवी राजजात्रा का सातवां पड़ाव है
- नौटी मेला चमोली जिले में लगता है, जो नंदाराजजात यात्रा की आरम्भिक पूजा यहीं होती है उमा कर्ण महोत्सव चमोली के कर्णप्रयाग में होता है।
नंदा राजजात यात्रा
- नंदा राजजात यात्रा गढ़वाल व कुमाऊँ की सांस्कृतिक एकता का
- प्रतीक है, यह विश्व की अनोखी पदयात्रा 12 वर्षों में एक बार होती है
- 20वीं सदी की प्रथम नंदा राजजात यात्रा 1905 में हुयी थी नंदा राजजात यात्रा चमोली के कांसवा गांव के पास नौटी नामक स्थान में नंदादेवी देवी मंदिर एवं नंदानगर ब्लॉक के कुरुड़ से होमकुंड तक जाती है।
- नंदा राजजात यात्रा 280 किमी0 की पद यात्रा है, जो 19-20 दिन में पूरी होती है
- नंदा राजजात यात्रा चांदपुर गढ़ के राजकुँवरों द्वारा सम्पन्न नंदा देवी राजजात यात्रा में सबसे आगे चार सींगो वाला मेढ़ा (खाडू) तथा पीछे रिंगाल से निर्मित सुन्दर छतोली लिए लोग चलते है
- नंदादेवी के ससुराल क्षेत्र का पहला पड़ाव कुलसारी है जो पूरी यात्रा का 9वां पड़ाव है, यात्रा 10वां पड़ाव नंदकेसरी जहाँ पर कुमाऊँ के लोग अपनी-अपनी कुल देवी के साथ यात्रा में शामिल होते है
- यात्रा का 11 वां पड़ाव देवाल, 13वां पड़ाव बाण है जिसके बाद कोई बस्ती नहीं है, बाण गांव मे नंदादेवी का भारवाहक देवता (लाटू) यात्रा में शामिल होता है
- बेदनी कुंड में माँ नन्दादेवी की पूजा ब्रहमकमल से होती है नंदादेवी राजजात यात्रा का अंतिम पड़ाव होमकुंड है, जो त्रिशूल पर्वत के तलहटी पर है
- नंदा देवी राजजात यात्रा 18 अगस्त से 6 सितम्बर 2014 को हुयी और इससे पहले सन् 2000 में यह यात्रा सम्पन्न हुयी थी। नंदादेवी राजजात यात्रा को हिमालय का महाकुंभ भी कहते हैं
नौठा कौथीग
- नौठा कौथीग उत्सव चमोली के आदि बदरी धाम में मनाया जाता है जो पाषाण युद्ध के लिए प्रसिद्ध है आदि बदरी धाम में नौठा कौथीग उत्सव को हिमालय महोत्सव के नाम से जाना जाता है
रम्माण उत्सव
- रम्माण उत्सव चमोली के जोशीमठ ब्लाक के सलूड गाँव में अप्रैल महीने में होता है
- रम्माण उत्सव 11 से 13 दिनों तक मनाया जाता है इस उत्सव में पात्र18 मुखौटे लगाकर रामायण के प्रसंगों पर नृत्य करते हैं
- रम्माण उत्सव में ढोल दमांऊ वाद्ययंत्र का प्रयोग होता है
- रम्माण उत्सव में माल-मल्ल युद्ध नृत्य होता है जो स्थानीय लोगो व गोरखो के बीच युद्ध का वर्णन करता है
- रम्माण उत्सव में कुरू जोगी एक हास्य नृत्य है 2 अक्टूबर 2009 को रम्माण उत्सव यूनिस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया ।
- रम्माण उत्सव को कुशल सिह भण्डारी ने विश्व प्रसिद्धि दिलाई है
चमोली जनपद में प्रमुख संस्थान
- जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान गोपेश्वर चमोली में है
- राज्य विधि कालेज गोपेश्वर चमोली में है
- उत्तराखण्ड बोली भाषा संस्थान का गठन 2016 में चमोली के गौचर में किया गया
- विवेकानंद युवा केन्द्र जोशीमठ में एक गैर सरकारी संगठन है जय नंदादेवी स्वरोजगार शिक्षण संस्थान पीपलकोटी में गैर सरकारी संगठन है.
- इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी गोपेश्वर में है।
चमोली जनपद भाषा बोलियाँ/समाचार पत्र
- नगपुरिया बोली चमोली जिले में बोली जाती है
- दसौल्या बोली चमोली के दशोली पट्टी में बोली जाती है
- लोहब्या बोली गैरसैंण के आसपास बोली जाती है
- बधाण बोली नंदाकिनी नदी के आसपास क्षेत्रों में बोली जाती है
- शैलजा दर्शन समाचार पत्र जोशीमठ से प्रकाशित होता है
- देवभूमि समाचार पत्र नंदप्रयाग से प्रकाशित होता है।
- चमोली जनपद में ऊर्जा संसाधन राजवक्ती परियोजना नंदाकिनी नदी पर है
- विष्णुगाड़ पीपल कोटी जलविद्युत परियोजना अलकनंदा नदी पर जो चमोली में है, यह परियोजना 444 मेगावाट की है।
- ऋषिगंगा परियोजना चमोली में है
- बगौली डैम पिण्डर नदी पर चमोली में है
- मेलखेत डैम व पाडुली डैम चमोली में पिण्डर नदी पर है देवसारी जल विद्युत परियोजना 252 मेगावाट की पिण्डर नदी पर है, जो सतलुज जल विद्युत निगम लि० द्वारा संचालित है
- देवसारी परियोजना को रन ऑफ रीवर तकनीक या सुरंग प्रणाली से विकसित किया जा रहा है।
- लाटा तपोवन परियोजना अलकनंदा नदी पर है
- उर्गम परियोजना कल्पगंगा पर चमोली जिले में है
- तपोवन विष्णुगाड परियोजना 520 मेगावाट की धौलीगंगा पर है। गोहनाताल जल विद्युत परियोजना 60 मेगावाट की विरहीगंगा पर है।
- झेलम-तमक जल विद्युत परि० चमोली के धौलीगंगा नदी पर है
- मलेरी-झेलम परियोजना धौलीगंगा पर 144 मेगावाट की है
- चमोली जनपद में खेल/खिलाड़ी/व्यक्ति चंडी प्रसाद भट्ट पर्यावरण विद का जन्म 1934 में चमोली जनपद के गोपेश्वर गाँव में हुआ था
- रूपा देवी को बुग्यालों की मदर टेरेसा कहा जाता है यह भी चमोली जनपद के मूल निवासी हैं
- चिपको वूमन गौरा देवी का सम्बन्ध चमोली के रेणी गाँव से है
- दरबान सिंह नेगी प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस में तैनात प्रथम उत्तराखण्डी थे जिन्हें विक्टोरिया क्रास मिला है
- श्रीधर किमोठी आजाद उपनाम से जाने जाते थे ये भी चमोली के मूल निवासी हैं
- भवानी दत जोशी 9 गढ़वाल राइफल में सैनिक जो 1984ई० के ऑपरेशन ब्लूस्टार अमृतसर में शहीद हुये जिसके लिये इन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है परिमार्जन नेगी
- परिमार्जन नेगी शतरंज खिलाड़ी का सम्बन्ध चमोली जनपद से हैं परिमार्जन नेगी सबसे कम उम्र के ग्रैंड इंटरनेशनल मास्टर बने
- परिमार्जन नेगी को 2010 को अर्जुन पुरस्कार दिया गया
बैरिस्टर मुकुन्दी लाल
- इनका जन्म 1885 में चमोली जिले में हुआ। मोलाराम के चित्रों को प्रसिद्धि दिलाने में मुख्य भूमिका रही है।
- गढ़वाल पेटिंग पुस्तक का प्रकाशन 1969 में हुआ
- 1922ई0 में लैंसडाउन से तरूण कुमाऊँ मासिक पत्रिका का सम्पादन किया, जो मेजनी के यंग इटली के तर्ज पर था
- 1938ई0 में नरेन्द्र शाह ने मुकुन्दी लाल को टिहरी राज्य हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया,
- वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की ओर से मुकुन्दी लाल ने केस लड़ा।
- 1923 व 1926 में स्वराज दल के टिकट पर गढ़वाल से चुनाव जीता कोटद्वार में स्थित मुकुन्दी लाल के घर को भारती भवन के नाम से जाना जाता है, जो एक पक्षियों व फूलों का संग्रहालय है
अनुसूया प्रसाद बहुगुणा
- अनुसूया प्रसाद बहुगुणा जिन्हें गढ़केसरी के नाम से जाना जाता। है, इनका जन्म 1864 ई० को चमोली जिले में हुआ
- 1918 ई0 में गढ़वाल कांग्रेस की स्थापना में मुख्य योगदान दिया 1919 ई0 अमृतसर वार्षिक कांग्रेस सम्मेलन में बैरिस्टर मुकुन्दी लाल के साथ भाग लिया था।
- श्रीनगर में 1921 में गढ़वाल सम्मेलन नामक संगठन की स्थापना की
जनपद चमोली
विधानसभा क्षेत्र- 3
- बद्रीनाथ
- कर्णप्रयाग
- थराली- अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र है
तहसील - 12
- जिलासू
- नंदानगर (पूर्व नाम घाट )
- पोखरी
- थराली
- गैरसैंण
- कर्णप्रयाग
- जोशीमठ
- नारायण बगड़
- नंदप्रयाग
- आदिब्रदरी
- देवाल
- चमोली
विकासखण्ड - 8
- देवाल
- नारायण बगड़
- दसौली
- घाट
- जोशीमठ
- गैरसैंण
- थराली
- कर्णप्रयाग
ये भी पढ़ें
- उत्तराखण्ड का जनपद उत्तरकाशी/District Uttarkashi of Uttrakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद देहरादून/Dehradun District of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद टिहरी गढ़वाल/Tehri Garhwal district of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद रुद्रप्रयाग /Rudraprayag district of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद पौड़ी गढ़वाल/District Pauri Garhwal of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद हरिद्वार / Haridwar district of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद अल्मोड़ा/Almora district of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद नैनीताल /Nainital district of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद पिथौरागढ/Pithoragarh district of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद बागेश्वर/District Bageshwar of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद चम्पावत/District Champawat of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का जनपद ऊधमसिंह नगर/Udham Singh Nagar district of Uttarakhand
Follow Us