Total Count

उत्तराखण्ड का जनपद बागेश्वर/District Bageshwar of Uttarakhand

उत्तराखण्ड का जनपद  बागेश्वर/District Bageshwar of Uttarakhand


बागेश्वर जनपद का इतिहास

  • बागेश्वर को उतर का वाराणसी कहा जाता है बागेश्वर को बागनाथ व ब्याघ्रेश्वर नाम से भी जाना जाता है
  • बागीश-बागेश्वर-वाणीश्वर को शिव-नाभि के रूप में भी जाना जाता है, भगवान शिव के कारण बागेश्वर को तीर्थराज भी कहा जाता है। 
  • बागेश्वर का पौराणिक नाम अग्नितीर्थ है
  • ऐतिहासिक रूप में वर्तमान बागेश्वर क्षेत्र को दानपुर कहा जाता था, 
  • बागेश्वर में स्थित बागनाथ के मंदिर का पुर्ननिर्माण 1602ई0 में लक्ष्मीचंद ने किया था
  • बागेश्वर सरयू व गोमती नदी के संगम पर स्थित है, मानसखण्ड में बागेश्वर को नीलगिरी कहा गया है।
  • मानसखण्ड में सरयू को गंगा व गोमती को यमुना कहा गया है। 14 जनवरी 1921 ई0 उतरायणी मेले के अवसर पर बद्रीदत पांडे व हरगोविन्द पंत आदि के सहयोग से 40 हजार प्रदर्शन कारियों ने कुली बेगार रजिस्टर सरयू नदी में बहाए गये और सरयू नदी के तट पर 1921 ई0 में कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ था
  • 1968 ई0 में बागेश्वर नगर पालिका का गठन किया गया बागेश्वर को 1974 ई0 में अलग तहसील बनाया गया
  • 1976 ई0 में बागेश्वर को अलग परगना घोषित किया गया 1997 ई० को बागेश्वर जिला अल्मोडा से अलग किया गया 18 सितम्बर 1997 ई० में बागेश्वर जनपद का गठन हुआ

बागेश्वर जनपद का प्रशासन

  • बागेश्वर जनपद की दशकीय वृद्धि- 4.18%
  • बागेश्वर जिले का लिंगानुपात- 1090 राज्य में सबसे कम नगरीय आबादी बागेश्वर जनपद की है। जिसकी कुल नगरीय जनसंख्या 3.5% है

विधानसभा क्षेत्र - 02

1. कपकोट 
2. बागेश्वर अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र है 
तहसील - 6
1. गरूड़ 
2. कपकोट 
3. कांडा 
4. काफलीगैर 
5. दुगनाकुरी
6. बागेश्वर

विकासखण्ड- 3

1. बागेश्वर 
2. कपकोट 
3. गरूड़

बागेश्वर जनपद की भौगोलिक स्थिति 

  • बागेश्वर जनपद के पश्चिम में नीलेश्वर पर्वत पूर्व में भीलेश्वर पर्वत तथा उतर में सूरज कुंड एवं दक्षिण में अग्नि कुंड स्थित है।
  • बागेश्वर राज्य का आंतरिक जिला है और इसका क्षेत्रफल 2,246 वर्ग किमी० है

बागेश्वर जनपद की नदियां

कोसी नदी

  • कोसी नदी कौसानी के पास धारपानीधार से निकलती है कोसी नदी कोसानी बागेश्वर के बाद अल्मोड़ा, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में 168किमी0 तक राज्य में बहने के बाद सुल्तानपुर के पास राज्य से बाहर हो जाती है और उसके बाद उत्तरप्रदेश के चमरोल में रामगंगा से मिल जाती है 
  • पुराणों में कोसी नदी को कौशिकी कहा गया है
  • कुमाऊँ में कोसी नदी घाटी को धान का कटोरा कहा जाता है 
  • सुमालीगाड, उलावगाड़ व देवगाड़ कोसी की सहायक नदी है रामनगर में कोसी नदी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है
  • रामनगर में कोसी नदी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है

सरयू नदी तंत्र

  • सरयू काली नदी को सर्वाधिक जलराशि देने वाली नदी सरयू है
  • सरयू नदी को कुमाऊँ की सबसे पवित्र नदी माना जाता है बागेश्वर का बैजनाथ तीर्थ सरयू नदी की सहायक नदी गोमती के तट पर है सरयू नदी का स्थानीय नाम सरजू है सरयू नदी बागेश्वर के सरमूल (झुण्डी) नामक स्थान से निकलती है जिसकी लम्बाई 146 किमी० है सर्वप्रथम सरयू में पुंगर व लाहूर नदियां मिलती हैं सरयू की सहायक नदी गोमती है।
  • गोमती नदी बागेश्वर के डेबरा श्रेणी से निकलती है बागेश्वर सरयू व गोमती नदी के संगम पर स्थित है काकरीघाट के पास सरयू व पनार नदी का संगम है रामेश्वर तीर्थ पिथौरागढ में सरयू व पू० रामगंगा का संगम है 
  • पंचेश्वर में सरयू नदी काली नदी में मिल जाती है

 बागेश्वर जनपद कुण्ड/ग्लेशियर

  • सुकुण्डा ताल बागेश्वर जिले में है
  • हथछीना जलाशय बागेश्वर में है - देवीकुंड ठण्डे पानी का कुंड है, जो सुन्दरढुंगा के पास है
  • पिण्डारी ग्लेशियर राज्य का दूसरा बड़ा हिमनद है पिण्डारी ग्लेशियर बागेश्वर, पिथौरागढ व चमोली जिले में है जो 30 किमी तक फैला हुआ है पिण्डारी हिमनद के पास भोजपत्र के वृक्ष देखने को मिलते है कफनी ग्लेशियर बागेश्वर जिले में स्थित है सुखराम ग्लेशियर बागेश्वर जिलें में स्थित है मैकतोली व सुन्दरढुंगी हिमनद भी बागेश्वर जिले में स्थित है

बागेश्वर में प्रमुख दर्रे/घाटियां/गुफाए 

  • सुन्दरढुंगा दर्रा बागेश्वर व चमोली के बीच संकरा रास्ता है
  • ट्रेलपास दर्रा बागेश्वर व पिथौरागढ के बीच में स्थित है इसकी खोज 1830 में हुयी थी
  • गौरी उड्यार बागेश्वर में है
  • कफनी बुग्याल बागेश्वर में है
  • मनोहरी बुग्याल बागेश्वर में है
  • द्रोणोंथल का जंगल सानी उड़यार के पास स्थित है

बागेश्वर जनपद के प्रमुख पर्यटक स्थल

  • पाण्डुस्थल गढ़वाल व कुमाऊँ की सीमा पर रमणीक स्थल है सास- बहु खेत नामक पर्यटक स्थल बागेश्वर में है
  • विजयपुर बागेश्वर में एक व्यूप्वांइट है

कौसानी

  • बागेश्वर जिले में कौसानी गोमती व गरूड नदी के बीच पर्यटक स्थल है, समुद्रतल से कौसानी 1890 मी0 ऊँचाई पर स्थित है कौशिक मुनी की तपस्थली होने के कारण कौसानी नाम पड़ा
  • कौसानी पिंगनाथ पहाड़ी पर बसा है 
  • कौसानी का पुराना नाम बलना था
  • कौसानी के संस्थापक रैम्जे को माना जाता है 
  • कुमाऊँ का गहना कौसानी को कहा जाता है
  • 1929ई0 में महात्मा गांधी ने कौसानी में 12 दिन प्रवास किया और यही पर महात्मा गांधी जी द्वारा  इंडिया पुस्तक के एक लेख में कौसानी को भारत का स्विटजरलैण्ड कहा
  • गांधी जी ने कौसानी में गीता की भूमिका पर अनाशक्ति योग पुस्तक लिखी थी, कौसानी में स्थित अनाशक्ति आश्रम को गांधी आश्रम भी कहा जाता है
  • गांधी जी की शिष्या सरला बहन का लक्ष्मी आश्रम भी कौसानी में है, लक्ष्मी आश्रम की स्थापना 1941 में हु कौसानी प्रकृति प्रेमी सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली है
  • सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय उनके जन्मस्थान पर बना है
  • प्रसिद्ध लोकसंगीतज्ञ गोपीनाथ कौसानी से प्रभावित थे
  • पिनाकेश्वर महादेव कौसानी के निकट स्थित है
  • भकोट नामक स्थान कौसानी में है

बागेश्वर जनपद में प्रसिद्ध मंदिरे

  • कोट-भ्रामरी मंदिर बागेश्वर में है कोट-भ्रामरी देवी कत्यूरियों की अधिष्ठात्री देवी थी
  • भद्रकाली मंदिर, श्री हरू मंदिर, कमेड़ी देवी मंदिर बागेश्वर में है • बागेश्वर के भीलेश्वर पर्वत पर चंडिका मंदिर है

बैजनाथ मंदिर

  • बैजनाथ या वैद्यनाथ गोमती तट पर मंदिरो का समूह हैं बैजनाथ के मुख्य मंदिर में आदमकद पार्वती की पत्थर मूर्ति है
  • बैजनाथ मंदिरों का निर्माण कत्यूरी शासकों ने करवाया
  • बैजनाथ कत्यूरियो की दूसरी राजधानी बनी थी बैजनाथ में लक्ष्मीनारायण व ब्रहाणी देवी का मंदिर है
  • बागेश्वर जनपद के त्योहार/मेले मूल नारायण का मेला बागेश्वर के शिखर पर्वत पर लगता है। 
  • मां भद्रकाली का मेला बागेश्वर में सानी उड्यार के पास लगता है
  • पिनाथ का मेला बागेश्वर में लगता है।
  • कोट माई का मेला बैजनाथ से कुछ दूरी पर लगता है जिसे कत्यूरी समय में रणचूलाकोट कहते थे

उतरायणी मेला

  • उतरायणी मेला बागेश्वर के सरयू नदी के तट पर मकर संक्राति को लगता है, उतरायणी मेले में चांचरी नृत्य होता है यह कुमाऊँ क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला है
  • पहले उतरायणी मेले को 9 लाख की उतरायणी कहा जाता था 
  • 1929ई0 में गांधी जी ने यहां स्वराज मंदिर के भूमि का शिलान्यास किया ।
  • उतरायणी मेले का जिक्र 1905ई0 में सेरमन ओकले ने अपनी पुस्तक होली हिमालय में किया था

बागेश्वर जनपद अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु 

  • उत्तराखण्ड से जेल जाने वाले प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी मोहन सिंह मेहता थे यह बागेश्वर जनपद के मूल निवासी थे
  • हरीनगरी चाय फैक्ट्री बागेश्वर में स्थित है
  • अनामय आश्रम बागेश्वर के कौसानी में स्थित है
  • सेवानाऊ नौला बागेश्वर में है
  • महरूड़ी कस्तूरी मृग अनुसंधान केन्द्र की स्थापना 1977 में हुयी 
  • मांझ-कुमैय्या बोली गढ़वाल व कुमाऊँ सीमा पर बोली जाती है बागेश्वर को उत्तराखण्ड का नीलगिरी कहा जाता है।
  • उत्तराखण्ड़ की प्रथम जेल जाने वाली स्वतन्त्रता सेनानी महिला
  • बिशनी देवी शाह का सम्बन्ध भी बागेश्वर से है 
  • कपकोट में 27 जुलाई 1966 ई0 को 6.3 रिएक्टर का भूकम्प आया। था 
  • जिससे यहां बहुत क्षति हुयी थी कपकोट भूस्खलन 2010 में हुआ था


ये भी पढ़ें