उत्तराखण्ड का जनपद पौड़ी गढ़वाल/District Pauri Garhwal of Uttarakhand |
पौड़ी जनपद का गठन 1840 ई0 में हुआ 1840 में ही ब्रिटिश गढवाल की राजधानी श्रीनगर से पौडी स्थानान्तरित की गयी 1969 ई0 को गढ़वाल मंडल का मुख्यालय पौडी में बनाया गया
1992 ई० में पौड़ी को हिल स्टेशन घोषित किया गया
पौड़ी जनपद की भौगोलिक स्थिति
- पौड़ी जिले का क्षेत्रफल 5329 वर्ग किमी है, पौड़ी गढ़वाल कण्डोलिया पहाड़ी पर स्थित है, पौड़ी जिले का मध्यवर्ती भाग शिवालिक क्षेत्र के अन्तर्गत आता है
- पौड़ी गढ़वाल की सीमा उत्तरप्रदेश राज्य से लगती है।
- पौड़ी को सबसे अधिक 7 जनपदों की सीमाएं स्पर्श करती है,
- उत्तरकाशी, गढ़वाल मण्डल का एक मात्र जिला है, जिसकी सीमा पौड़ी से स्पर्श नहीं करती है।
- कोठारी ओर चोखम दून पौड़ी गढ़वाल में स्थित है
- पौड़ी जिले के लैंसडाउन में औसत वर्षा लगभग 210 सेंमी होती है
पौड़ी जनपद का प्रशासन
- पौड़ी जनपद में विधानसभा क्षेत्र- 06
- विकासखण्ड- 15
- पौड़ी जिले में तहसील- 12
- उप तहसील 1
- नगर निगम 1
- पौड़ी जिले की जनसंख्या- 6,87,271
- राज्य का सबसे कम दशकीय वृद्धि दर
- पौड़ी जिले का जनसंख्या घनत्व- 129
- पौड़ी जिले का लिंगानुपात- 1103
- पौड़ी जिले की साक्षरता दर 82.02%
- पौड़ी जिले की पुरुष साक्षरता- 92.71%
- पौड़ी जिले की महिला साक्षरता- 72.6%
- पौड़ी जिले की 83.6 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है।
- कोटद्वार नगर पालिका की स्थापना 1951 ई0 हुयी
पौड़ी जनपद में जल प्रपात
- रमेशपुर या रामपुर जलप्रपात पौड़ी गढ़वाल में है
- चूनाधार प्रपात पौड़ी गढ़वाल में है
- गौरी चीर झरना पौड़ी गढ़वाल पूर्वी नयार नदी पर है
- पौड़ी जिले की नदियां, झीले और कुंड उत्तराखण्ड का पामीर दूधातोली श्रृंखला को कहा जाता है जो
- पौड़ी, चमोली व अल्मोड़ा जिले में फैला है, दूधातोली श्रृंखला से पाँच नदियां निकलती है-प० रामगंगा, वूनों आटागाड़, प० नयार और पूर्वी नार नयार नदी पौड़ी के व्यास घाट के पास फूलचट्टी नामक स्थान पर गंगा नदी में मिलती है।
- नयार नदी, पूर्वी व पश्चिमी नयार का सतपुली के पास मिलन से बनी है
- पूर्वी नयार का नाम स्यूंसी गाड (109 किमी) व पश्चिमी नयार (78किमी) का नाम ढाईज्यूलीगाड है
- पश्चिमी रामगंगा 155 किमी बहने के बाद पौड़ी के कालागढ़ नामक स्थान पर राज्य से बाहर हो जाती है
- बिरमा, बिनो व गगास नदी पं० रामगंगा की सहायक नदी है
- पौड़ी के दूधातोली के पास दुग्ध ताल है।
- तारा कुंड झील पौड़ी गढ़वाल में स्थित है।
पौड़ी जनपद में पर्वत शिखर व गुफाएँ
- शंभु व निशंभु नामक दो पर्वत पौड़ी गढ़वाल में हैं उतुंग शिखर पौड़ी जिले में स्थित है
- कामदेव माउंटेन पौड़ी जिले में स्थित है
- झिलमिल गुफा पौड़ी में स्थित है गंगावासुई घाटी पौड़ी में स्थित है
- पौड़ी गढ़वाल की सर्वोच्च चोटी किनास पर्वत है
पौडी जनपद में खनिज सम्पदा
- खरारी घाटी पौड़ी में जिप्सम उत्पादक क्षेत्र है खेरा व मधुधानी में जिप्सम मिलता है।
- पौड़ी का धनपुरडोबरी क्षेत्र तांबा उत्पादक क्षेत्र है कांधेरा पौड़ी में एस्बेस्टॉस खनिज पाया जाता है
पौडी जनपद में राष्ट्रीय उद्यान / वन्यजीव
- राज्य का सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाला जिला पौड़ी गढ़वाल है पौड़ी में 3271 वर्ग किमी वन क्षेत्रफल है
- राज्य में सर्वाधिक खुले वन वाला जनपद भी पौड़ी गढ़वाल है।
- राज्य में सर्वाधिक परती भूमि वाला जिला पौड़ी गढ़वाल है सोन नदी वन्य जीव विहार की स्थापना 1987 में पौड़ी में हुयी सोन नदी वन्य जीव विहार 301 वर्ग किमी० मे फैला है
पौडी जनपद में प्रसिद्ध आन्दोलन
पाणी राखो आन्दोलन
- पाणी राखो आन्दोलन 1988-89 में उफरैखाल पौड़ी गढ़वाल में हुआ।
- पाणी राखों आन्दोलन पौड़ी गढ़वाल में पानी की कमी को दूर करने के लिए सच्चिदानंद भारती द्वारा चलाया गया था
- दूधातोली लोक विकास संस्थान की स्थापना 1982 उफरैखाल पौड़ी गढ़वाल में सच्चिदानंद भारती ने की थी
गुजडू आन्दोलन
- गढ़वाल का बारदोली गुजडू क्षेत्र को कहा जाता है गुजडू आन्दोलन के प्रेणता रामप्रसाद नौटियाल थे गुजडू आन्दोलन 1942 के आस पास हुआ
पौडी जनपद में पर्यटक स्थल
- एशिया का दूसरा सबसे ऊँचाई पर स्थित रांसी स्टेडियम पौड़ी गढ़वाल में है
- खिरसू पौड़ी गढ़वाल में प्रदूषण मुक्त शांत पर्यटन स्थल है
कोटद्वार
- गढ़वाल का प्रवेश द्वार कोटद्वार को कहा जाता है कोटद्वार को 1901 में नगर का दर्जा दिया गया
- 1909 में कोटद्वार को लैंसडाउन सड़क मार्ग से जोड़ा गया
- 1951 में कोटद्वार को नगर पालिका बनाया गया
- कोटद्वार नगर निगम 2017 में बना गढ़वाल का ग्रास्टिगंज कोटद्वार को कहा जाता है
- कोटद्वार खोह नदी के तट पर है।
- कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल का एकमात्र रेलवे स्टेशन स्टील सिटी ऑफ उत्तराखण्ड कोटद्वार को कहते है
- कोटद्वार का पुराना नाम मोरध्वज है।
- प्रसिद्ध सिद्धबली मंदिर कोटद्वार में स्थित है. जोसेफ कैथेड्रल चर्च कोटद्वार में स्थित है।
- बुद्धा पार्क कोटद्वार में स्थित है
कण्वाश्रम
- कण्वाश्रम पौड़ी गढ़वाल में स्थित एक प्राचीन विद्यापीठ था कण्वाश्रम हेमकूट व मणिकूट पर्वतों के मध्य स्थित है, मालिनी नदी के तट पर स्थित है
- वर्तमान में कण्वाश्रम का नाम चौकाघाट है
- महाकवि कालिदास ने कण्वाश्रम विद्यापीठ में शिक्षा प्राप्त की, और यहीं मालिनी नदी के तट पर अभिज्ञान शांकुतलम की रचना की
- महाकवि कालिदास ने कण्वाश्रम क्षेत्र को किसलय प्रदेश कहा कण्वाश्रम विद्यापीठ राजा दुष्यंत व शकुन्तला के प्रेम प्रसंग के लिए जाना जाता है और यहीं राजा भरत का जन्म हुआ था।
हिल स्टेशन लैंसडाउन
- लैंसडाउन की स्थापना 4 नवम्बर 1887 में हुयी लैंसडाउन की समुद्रतल से ऊँचाई 1706 मी है 1890 में ब्रिटिश वायसराय लैंसडाउन आए थे जिनके नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा
- लैंसडाउन का पुराना नाम कालौं-डांडा था गढ़वाल राइफल का कमांड आफिस लैंसडाउन में है टिफिन टॉप व कालेश्वर मंदिर भी लैंसडाउन में है गबर सिह नेगी स्मारक लैंसडाउन में स्थित है
- गढ़वाली मैस 1888 ई0 में बनी लैंसडाउन की पुरानी इमारत है. सेंट मेरीज गिरिजाघर लैंसडाउन में स्थित है सेंट मेरीज गिरिजाघर 1895 में ए0 हयूम द्वारा बनाया गया लैंसडाउन में गढ़वाल रेजीमेंट युद्ध स्मारक 1923 में बना
- लैंसडाउन छावनी को 4 नवम्बर 1887 को कर्नल मैन्वेरिंग के नेतृत्व में बसाया गया
गढ़वाल राइफल्स
- 1891 ई0 में 6 गढ़वाली कंपनी की मदद से 39वीं गढ़वाली रेजीमेंन्ट ऑफ बंगाल इन्फेन्ट्री का गठन हुआ, 1892 ई० में राइफल्स का खिताब मिला
- 1901 में दूसरी बटालियन 49 गढ़वाल राइफल्स रेजीमेन्ट ऑफ इन्फेन्ट्री का गठन हुआ,
- सैन्य पुर्नगठन के बाद इनका नाम 18वीं रायल गढवाल राइफल्स हुआ, जिसे 1945 में रायल गढ़वाल राइफल्स कहा जाने लगा और स्वतंत्रता के बाद गढ़वाल राइफल्स नाम पड़ा
पर्यटक स्थल दुगड्डा
- दुगड्डा पौड़ी गढ़वाल में लंगूर व सिलगाड नदी के संगम पर स्थित है जो पं धनिराम मिश्र ने बसाया था,
- दुगड्डा का प्राचीन नाम नाथोपुर था
- जवाहर लाल नेहरू 1930 व 1945 में दुगड्डा आए दुगड्डा में शहीद मेले की शुरुआत भवानी सिह रावत ने की
- चन्द्रशेखर आजाद 1930 भवानी सिंह रावत के साथ दुगड्डा आये और जंगलो में 7 दिनों तक पिस्टल चलाने की ट्रैनिंग ली.
- गढ़वाल क्षेत्र में कुली बेगार प्रथा एवं डोलापालकी आंदोलन उन्मूलन की भावना को जगाने का श्रेय दुगड्डा नगर को जाता है।
- शिवप्रसाद डबराल का साधना स्थल भी दुगड्डा नगर था
देवलगढ़
- देवलगढ नाम इसके संस्थापक कांगडा शासक देवल के नाम पर पड़ा, देवलगढ पौड़ी गढ़वाल में स्थित है
- देवलगढ को गढ़वाल राजा अजयपाल द्वारा 1515 ई0 में राजधानी बनायी गयी थी
- देवलगढ में राजराजेश्वरी देवी का प्राचीन मंदिर है।
- सोम का भांडा या राजा का चबूतरा देवलगढ़ में है
- देवलगढ़ में नाथ सम्प्रदाय के काल भैरव का मंदिर है
पौड़ी जनपद में प्रसिद्ध मंदिर
- बिनसर महादेव का मंदिर पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण में स्थित है ताड़केश्वर महादेव मंदिर पौड़ी गढ़वाल में स्थित है
- एकेश्वर महादेव पौड़ी गढ़वाल में स्थित है
- क्यूंकालेश्वर मंदिर की स्थापना पौड़ी में शंकराचार्य ने की
- ज्वाल्पा देवी का मंदिर पौड़ी गढ़वाल में स्थित है
- कंडोलिया देवता को गढ़वाल में न्याय का देवता कहा जाता है
- राहु देवता की पूजा पौड़ी के पैठाणी गांव में होती हैं
- डांडा नागराजा मंदिर पौड़ी में भगवान कृष्ण से सम्बन्धित है
- कमलेश्वर मंदिर पौड़ी के श्रीनगर शहर में स्थित हैं।
- धारी देवी मंदिर यह पौड़ी के श्रीनगर शहर के कलियासौड़ में है
पौड़ी जनपद में प्रमुख त्योहार / मेले
- गेंदा कौथिक या मेला पौड़ी में लगता है सात खून माफ नामक खेंल गिंदी मेले को कहा जाता है
- दनगल मेला यह सतपुली के पास महाशिवरात्रि को लगता है।
- काण्डा मेला पौड़ी गढ़वाल में लगता है।
- सिद्धबली मेला कोटद्वार में खोह नदी के तट पर लगता है।
- मुंडनेश्वर मेला पौड़ी जनपद के कल्जीखाल में लगता है।
- मनसार मेला पौड़ी में कोट के पास सितोनस्यूं पट्टी में लगता है, जहां माता सीता धरती में समाई थी
- बिनसर महादेव मेला पौड़ी गढ़वाल में दूधातौली पर्वत श्रृखंला पर लगता है।
- भैरव गढ़ी का मेला पौड़ी में राजीखाल के पास लगता है।
- भुवनेश्वरी देवी का मेला पौड़ी में लगता है
- नीलकंठ का मेला, पौड़ी जिले में मणिकूट पर्वत की तली में ऋषिकेश में लगता है ताड़केश्वर महादेव मेला पौड़ी के लैंसडाउन के पास लगता है।
- डांडा नागराजा मेला पौड़ी जिले में लगता है
- ज्वाल्पा धाम मेला पौड़ी में नयार नदी के तट पर लगता है.
- किलकिलेश्वर शिवरात्रि मेला पौड़ी के श्रीनगर में लगता है।
- एकेश्वर मेला पौड़ी के सतपुली के पास लगता है
- मधुगंगा घाटी विकास गंगा महोत्सव पौड़ी में मनाया जाता है
- बूंखाल मेला यह भी पौड़ी जनपद का प्रसिद्ध मैला होता है।
- गगवायूँ महोत्सव पौड़ी में मनाया जाता है
- वैकुण्ठ चतुर्दशी मेला पौड़ी के श्रीनगर गढ़वाल में लगता है
पौड़ी जनपद में ऊर्जा संसाधन
- कालागढ़ बांध परियोजना रामगंगा नदी पर पौड़ी में है।
- कालागढ़ बांध की ऊँचाई 126 मी0 है
- रामगंगा परियोजना 198 मेगावाट की परियोजना है।
- मरोडा परियोजना नयार नदी पर बनी हुयी है
- उत्यासू बांध पौड़ी गढ़वाल में अलकनंदा नदी पर है दुनाव जल विद्युत परियोजना बीरोंखाल पौड़ी में नयार नदी पर निर्माणाधीन है। चीला परियोजना पौड़ी में 144 मेगावाट की है
पौड़ी जनपद में उद्योग एवं औद्योगिक क्षेत्र
- सिड़कुल द्वारा कोटद्वार में सिगड्डी ग्रोथ सेंटर औद्योगिक
- आस्थान का विकास किया गया नया औद्योगिक आस्थान सुमाड़ी पौड़ी में विकसित किया जा रहा। है जो श्रीनगर के पास है
- भारत इलैक्ट्रानिक्स लि० उद्योग कोटद्वार पौड़ी में है
पौडी जनपद में साहित्य/समाचार पत्र
- तरूण कुमाऊँ पत्रिका का सम्पादन 1922 में बैरिस्टर मुकुन्दी लाल द्वारा लैंसडाउन से किया गया
- 1928 में गढ़देश समाचार पत्र का प्रकाशन कोटद्वार से हुआ 1935 में हितैषी समाचार पत्र का सम्पादन रायबहादुर पीताम्बर ने लैंसडाउन में किया
- 1939 में कर्मभूमि का सम्पादन भक्तदर्शन व भैरव दत धूलिया ने लैंसडाउन से किया
- 1975 में गढ़गौरव समाचार पत्र का सम्पादन कोटद्वार में कुँवर सिंह द्वारा किया गया
- राष्ट्रीय ज्वाला समाचार पत्र दुगड्डा में प्रकाशित होता है।
- पौड़ी जनपद में परिवहन सुविधाएं गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन लिo की स्थापना 1941 में कोटद्वार में की गयी
- सबसे कम रेल पथ की लम्बाई वाला जिला पौड़ी गढ़वाल है। • पौड़ी जनपद में एक मात्र रेलवे स्टेशन कोटद्वार में है.
- कोटद्वार रेलवे स्टेशन 1889 ई0 में बना था
पौड़ी जनपद के प्रमुख व्यक्ति
- गढ़वाल हिन्दी पत्रकारिता का भीष्म पितामह विश्वम्भर दत चंदोला का सम्बन्ध पौड़ी से था
- हर्षवन्ती बिष्ट पर्वतारोही ने 1981 में नंदादेवी का सफल आरोहण किया, जो पौडी जिले से है, हर्षवन्ती बिष्ट को पर्यावरण संरक्षण के लिए 2010 में सी.सी.आई. ग्रीन अवार्ड मिला
- अजीत डोभाल घीडी गांव पौड़ी के रहने वाले हैं जो वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं
तीलू रौतेली
- वीरागंना तीलू रौतेली का जन्म पौडी के गुराड़ गांव में हुआ गढ़वाल की झांसी की रानी तीलू रौतेली को कहा जाता है
- तीलू रौतेली की घोड़ी का नाम बिन्दुली था
- तीलू रौतेली की हत्या नयार नदी के तट पर कत्यूरी सैनिक रामू रजवार ने की। तीलू रौतेली की सहेली का नाम वेलू व देवली था • तीलू रौतेली का मेला रिखणीखाल में लगता है
वीर चन्द्र सिह गढवाली
- वीर चन्द्र सिह गढवाली का जन्म 1891 में पौडी के मसौ गांव में हुआ। 23 अप्रैल 1930 पेशावर कांड के नायक वीर चन्द्र सिह गढवाली थे
- वीर चन्द्र सिह गढ़वाली 2/18 गढवाली सेना की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे
- वीर चन्द्र सिह गढवाली की तरफ से केस बैरिस्टर मुकुन्दी लाल ने लड़ा, वीर चन्द्र सिंह गढवाली 11 वर्ष 3 माह 18 दिन की सजा काटकर 1941 में रिहा हुए
मुकुन्दराम बड़थ्वाल
- मुकुन्दराम बडथ्वाल का जन्म 1887 में पौडी में हुआ इनका |
- उपनाम दैवेज्ञ था भारतीय ज्योतिष अनुसंधान ने मुकुन्दराम बड़थ्वाल को अभिनव वराहमिहिर की उपाधि दी
- शिवप्रसाद डबराल -
- इनसाइक्लोपीडिया आफ उत्तराखण्ड के नाम से शिवप्रसाद डबराल को जाना जाता है, डबराल जी को घुमक्कडी शौक के चलते चारण उपनाम से जाना जाता था इनकी कर्मस्थली दुगड्डा थी
अनिल जोशी
- अनिल प्रकाश जोशी एक पर्यावरणकर्ता व समाजसेवी है, जिनका सम्बन्ध कोटद्वार, पौडी गढ़वाल से है जोशी जी ने पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन( हेस्को) कीस्थापना 1979 में की हेस्को देहरादून में एक गैर सरकारी संगठन है 2006 में अनिल जोशी को पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
- जोशी जी ने गाँव बचाओ आन्दोलन का नेतृत्व किया ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के लिए जोशी जी को जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित हैं।
पौड़ी जनपद में संस्थान / विभाग
- मिस मेनसल ने वूमन फॉरेन सोसाइटी की स्थापना 1890) की
- उत्तराखण्ड पलायन आयोग का मुख्यालय पौड़ी गढ़वाल में है गढ़वाल मंडल का गठन 1969 ई0 में हुआ, जिसका मुख्यालय पौड़ी में स्थित है
- चन्द्र सिंह गढ़वाली औद्योगिकी एवं वानिकी विश्व विद्यालय की स्थापना 2011 में भरसार पौड़ी में की गयी
- गोविन्द बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुडदौड़ी पौड़ी में है
श्रीनगर गढवाल
- श्रीनगर का पुराना नाम ब्रहाक्षेत्र, श्रीक्षेत्र है
- श्रीनगर को गढ़वाल का दिल्ली भी कहा जाता है
- कनिंघम के अनुसार 1358 में श्रीनगर की स्थापना हुयी 1517 ई० में अजयपाल ने गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर बनायी जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है
- श्रीनगर बसाने का मास्टर प्लान कमीश्नर ई० पौ० ने बनाया श्रीनगर में श्रीयंत्र शिला (टापू) और केशोराय मठ श्रीनगर में स्थित है
- मलेथा व श्रीनगर के नजदीक माधोसिंह भंडारी से सम्बन्धित है
- गोरखनाथ गुफा श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है
- किलकिलेश्वर मंदिर अलकनंदा के तट पर स्थित है, जिसकी स्थापना शंकराचार्य ने की थी
- शंकरमठ श्रीनगर का निर्माण आदि गुरू शंकराचार्य ने किया
- प्रसिद्ध गोला बाजार श्रीनगर गढ़वाल में है
- नवम्बर 1995 में श्रीनगर श्रीयंत्र टापू में गोलीबार में यशोधर बैंजवाल व राजेश रावत शहीद हुये
- श्रीनगर में प्रशासनिक संस्थान उच्च स्थलीय पौध शोध संस्थान श्रीनगर में स्थित है
- राज्य कर भवन श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है मोलाराम चित्र संग्रहालय श्रीनगर में है
- हिमालय पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय की स्थापना 1980ई0 में
- गढ़वाल विश्व विद्यालय में की गयी प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर में स्थित है
श्रीनगर में शिक्षा संस्थान
- हेमवंती नंदन बहुगुणा विश्व विद्यालय की स्थापना 1973ई0 में गढ़वाल विश्व विद्यालय नाम से हुयी थी
- अप्रैल 1989 को गढ़वाल विश्व विद्यालय का नाम हेमवंती नंदन बहुगुणा विश्व विद्यालय किया गया।
- हेमवंती नंदन बहुगुणा विश्व विद्यालय को 15 जनवरी 2009 को केन्द्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा दिया गया है, अब इसे हेमवंती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय विश्व विद्यालय के नाम से जाना जाता है
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (N.I.T) की स्थापना 2009 में श्रीनगर के सुमाड़ी में की गयी है।
- राज्य का प्रथम जागर महाविद्यालय की स्थापना जयानंद भारती ने श्रीनगर में की थी
- वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कालेज की स्थापना 7 जुलाई 2008 को श्रीनगर में हुयी है
पौड़ी जनपद अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु
- देवप्रयाग टिहरी को पुल के माध्यम से दिसम्बर 2001 में पौड़ी जनपद से जोड़ा गया था
- 1933ई0 में ऊंटी बैंक लूट का नेतृत्व बच्चू लाल भट्ट ने किया
- पौड़ी जिले के पर्वतीय भागों में राठी नामक जनजाति मिलती है
- मल्ला सलाण परगना पौड़ी जिले में स्थित है
- साबली पट्टी पौड़ी गढ़वाल में है गुजडु गढ़ पौड़ी गढ़वाल में था
- लोदी गढ, चम्पागढ, , देवलगढ़ सभी पौड़ी गढ़वाल में थे
- 1914ई0 में एकता सम्मेलन दुगड्डा में हुआ
- पौड़ी में 1902 में मस्जिद का निर्माण हुआ
- पंचभैया खाल पौड़ी में पांच भाईयों के स्मारक है पौडी मे अमन सभा का गठन 1930ई0 में हुआ
- डांडामंडी आन्दोलन के प्रेणता उमराव सिंह रावत थे उत्तराखण्ड के प्रथम व्यक्तिगत सत्याग्राही जगमोहन सिंह नेगी थे, इनका सम्बन्ध पौड़ी गढ़वाल से था
जनपद पौड़ी गढ़वाल
विधानसभा क्षेत्र - 6
यमकेश्वरचौबट्टाखाल
लैसंडाउन
कोटद्वार
श्रीनगर- अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र है
पौड़ी- अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र है
पौड़ी- अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र है
तहसील - 12
- वीरोंखाल
- धूमाकोट
- जाखड़ीखाल
- चाकीसैंण
- यमकेश्वर
- सतपुली
- थलीसैंण
- कोटद्वार
- श्रीनगर
- लैंसडाउन
- चौबट्टाखाल
- पौड़ी
विकासखण्ड (ब्लॉक) - 15
- पोखड़
- नौनीडांडा
- खिरसू
- पणाखेत
- द्वारीखाल
- यमकेश्वर
- दुगडडा
- पाबौ
- कोट
- वीरोंखाल
- रिखणीखाल
- कल्जीखाल
- लैंसडाउन
- पौड़ी
- थलीसैण
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