उत्तरकाशी जनपद का इतिहास
- उत्तरकाशी का प्राचीन नाम बाड़ाहाट है।
- पुराणों में उत्तरकाशी को सौम्यकाशी कहा गया है,
- हृवेनसांग ने उत्तरकाशी के लिए शत्रुघ्न कहा
- विश्वनाथ मंदिर के कारण इसका नाम उत्तरकाशी पड़ा पुरोला देवदूंगा, से कुणिन्द शासक अमोद्यभूति की यज्ञ वेदिका प्राप्त हुयी थी
- उत्तरकाशी जनपद परमार वंश या पंवार वंश के अधीन रहा, लेकिन 1803 ई0 से 1815 ई0 तक गोरखों के अधीन रहा
- गढ़वाल में 1803 ई0 में आए भूकम्प के कारण भागीरथी नदी ने अपनी धार बदली थी
- रवाई क्षेत्र को 1824 ई0 में टिहरी रियासत में शामिल किया गया
- 30 मई 1930 ई0 की घटना रवाई क्षेत्र में हुयी जिसे तिलाड़ी कांड के नाम से जाना जाता है
- तिलाड़ी कांड को उत्तराखण्ड का जलियावाला बाग हत्याकांड भी कहा जाता है।
- उत्तरकाशी जनपद की स्थापना 24 फरवरी 1960 ई० को हुयी
उत्तरकाशी जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था
- उत्तरकाशी जिले की कुल जनसंख्या- 3,30,086
- उत्तरकाशी जिले की दशकीय वृद्धि दर -11.89 %
- उत्तरकाशी जिले का जनसंख्या जनसंख्या घनत्व- 41
- उत्तरकाशी जनपद का लिंगानुपात -958
- उत्तरकाशी जनपद की कुल साक्षरता -75.81%
- उत्तरकाशी जनपद की महिला साक्षरता- 62.35%
- उत्तरकाशी जनपद की पुरुष साक्षरता- 88.79%
- उत्तरकाशी जनपद में कुल तहसील -06
- उत्तरकाशी जिले में उपतहसील -02
- उत्तरकाशी जिले में विकासखण्ड (ब्लाक)- 06
- उत्तरकाशी जनपद में विधानसभा क्षेत्र- 3
- उत्तरकाशी जनपद में नगरपालिका -2
उत्तरकाशी की भौगोलिक स्थिति
- उत्तरकाशी जिला उत्तराखण्ड राज्य का सबसे उतरी जिला है
- उत्तरकाशी जिला मध्य हिमालय व उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित है उत्तरकाशी जिले का क्षेत्रफल 8016 वर्ग किमी. है
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जनपद उत्तरकाशी है। (आयोग अनुसार) दूसरा स्थान चमोली का है
- उत्तरकाशी वरूणावत पर्वत की तलहटी में भागीरथी नदी के किनारे बसा हुआ है उत्तरकाशी जनपद की सीमाएं चीन तथा हिमाचल प्रदेश के दो जनपद किन्नौर एवं शिमला की सीमा उत्तरकाशी से मिलती है उत्तरकाशी से 4 जिलों की सीमाए लगती है, जो देहरादून, टिहरी, रूद्रप्रयाग व चमोली है
उत्तरकाशी जनपद में दर्रे
- उत्तरकाशी और हिमाचल प्रदेश के बीच श्रृंगकंठ दर्रा है। श्रृगंकंठ दर्रा 1500मी. की ऊँचाई पर स्थित है
- उत्तरकाशी व चमोली के बीच कालिंदी दर्रा है
- थांगला दर्रा उत्तरकाशी व तिब्बत के बीच संकरा मार्ग है थांगला दर्रा 6,079 मी. की ऊँचाई पर स्थित है।
- नेलंग दर्रा उत्तरकाशी व तिब्बत के बीच में पड़ता है मुलिंगला दर्रा तथा सागचोकला दर्रा उत्तरकाशी से तिब्बत के बीच संकरा मार्ग जाता है
- बरासू दर्रा हरकी दून व किन्नौर घाटी के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग था
- बाली पास उत्तरकाशी के यमुनोत्री में स्थित है ऑडेन कार्ल दर्रा उत्तरकाशी से भिलंगना घाटी के लिए मार्ग जाता है
उत्तरांकाशी जनपद की घाटियां
- भैरव घाटी भटवाड़ी, उत्तरकाशी में स्थित है
- वारसू घाटी रवाई क्षेत्र में हरकी दून बुग्याल के पास स्थित है
- मांझी वन फूलों की घाटी उत्तरकाशी में स्थित है नेलांग घाटी उत्तरकाशी में है, जिसे पहाड़ का रेगिस्तान भी कहा जाता है
- नेलांग घाटी को उत्तराखण्ड का लद्दाख भी कहा जाता है
- बासपा घाटी हर्षिल उत्तरकाशी में स्थित है
उत्तरकाशी जिले में पर्वत श्रेणी
- उत्तरकाशी जिले का दूसरा ऊँचा पर्वत थलैया सागर है जिसकी ऊँचाई 6,904 मी. है
- उत्तरकाशी जिले में भागीरथी पर्वत की ऊँचाई 6, 856मी. है, श्रीकंठ पर्वत (6,728 मी) उत्तरकाशी जिले में है
- गंगोत्री पर्वत (6.672 मी०) उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जिस पर गंगोत्री ग्लेशियर है
- यमुनोत्री पर्वत (6,400 मी) उत्तरकाशी जिले में स्थित है बंदरपूँछ पर्वत 6,320मी0 उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री में स्थित है
- जैलंग पर्वत (5,871मी) उत्तरकाशी जिले में स्थित है
- कलिंग पर्वत बंदरपूँछ पर्वत श्रेणी का हिस्सा है स्वर्गारोहिणी पर्वत चमोली व उत्तरकाशी में पड़ता जिसकी ऊँचाई 6252 मी है
- मेरू पर्वत उत्तरकाशी जिले में है, जिसकी ऊँचाई 6,660मी. है
- मेरू पर्वत थलैया शिखर व शिवलिंग शिखर के बीच में है उत्तरकाशी का शिवलिंग शिखर स्विस आल्पस पर्वत के प्रसिद्ध अल्पाइन शिखर के समान है
- शिवलिंग शिखर को हिमालय का मैटरहॉर्न भी कहा जाता है
- खुन्टा पर्वत और त्रिमुखी पर्वत उत्तरकाशी जनपद में स्थित है फतेह पर्वत के तली पर हर-की दून है, जो उत्तरकाशी जिले में स्थित है
- कीर्ति स्तंभ पर्वत गंगोत्री उत्तरकाशी में स्थित है
- इन्द्रकील पर्वत उत्तरकाशी के केदारघाट के पास स्थित है सुमेरू पर्वत की ऊँचाई 6,331मी. है, जो उत्तरकाशी जिले में स्थित है, श्रीकांत व भृगु पर्वत उत्तरकाशी जिले में स्थित है भैरोझाप पहाड़, जोगिन चोटी, द्रोपदी का डांडा उत्तरकाशी जनपद में स्थित हैं
- राड़ी का डांडा बड़कोट उत्तरकाशी में स्थित है कालानाग या काली चोटी यमुनोत्री में स्थित है
उत्तरकाशी जनपद की नदियां
- उत्तरकाशी के आराकोट में पावर नदी बहती है, जो टोंस की सहायक नदी है, पावर और टोंस नदी का संगम त्यूनी में है यमुना नदी महान हिमालय के बंदरपूँछ पर्वत के यमुनोत्री कांठा हिमनद से | यमुना नदी निकलती है जिसे कालिंदी नदी भी कहते हैं
- पुराणों में यमुना को सूर्य पुत्री, यम की बहन एवं कृष्ण की पटरानी बताया गया है
- यमुना नदी की लम्बाई राज्य में 136 किमी0 जबकि इलाहबाद तक इसकी लम्बाई 1384 किमी० है
- यमुना की सहायक नदियां ऋषिगंगा, हनुमान गंगा, बनाड़ गाड़, कमल गाड़, खतनु गाड़, बरनी गाड़, भद्री गाड, मुगरा गाड गडोली गाड़, आदि है
- पुरोला घाटी को कमल नदी का वरदान कहा जाता है यमुना नदी की प्रमुख सहायक नदी टोंस है, जो कालसी के पास यमुना में मिलती है, देहरादून में यमुना से आसन नदी मिलती है देहरादून के धालीपुर में यमुना नदी राज्य से बाहर हो जाती है
टोंस नदी
- टोंस नदी उत्तरकाशी के बंदरपूँछ पर्वत के स्वर्गारोहिणी हिमनद से निकलने वाली सूपिन नदी और हिमाचल प्रदेश से निकलने वाली रूपिन नदी से मिलकर बनती है
- टोंस की सहायक नदी- खूनी गाड, मौनागाड़,
- टोंस नदी उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश का बार्डर निर्धारित करती है
- टोंस नदी 148 किमी. बहने के बाद कालसी के आसपास यमुना में मिल जाती है टोंस नदी घाटी राज्य में सर्वाधिक वनाच्छादित नदी घाटी है
भागीरथी नदी
- उत्तरकाशी जिले के गौमुख या गंगोत्री ग्लेशियर से भागीरथी निकलती है, गोमुख की बनावट राजस्थान के आबू पर्वत के गोमुख जैसी है
- सर्वप्रथम भागीरथी नदी में रूद्रगंगा गंगोत्री के पास में मिलती है गोमुख से गंगोत्री के बीच भागीरथी में आकाशगंगा मिलती है
- गंगोत्री के पास भैरों घाटी में भागीरथी से जाड़गंगा (जाह्मवी) नदी मिलती है, जाडगंगा थांगला दर्रे के पास हिमनद से निकलती है जाडगंगा के बाद भागीरथी में केदारगंगा मिलती है
- गंगोरी नामक स्थान पर भागीरथी नदी में अस्सीगंगा मिलती है उत्तरकाशी शहर में भागीरथी नदी से चंद्रबदनी गाड़ और स्यामल गाड (वरुणा नदी) मिलती है
- देवप्रयाग में भागीरथी व अलकनंदा का संगम होने के बाद गंगा नाम से आगे बढ़ती है
- गोमुख से देवप्रयाग तक भागीरथी की लम्बाई 205 किमी0 है
- देवप्रयाग से हरिद्वार तक गंगा नदी की लम्बाई 96 किमी0 है गंगा नदी की भारत में कुल लम्बाई 2525 किमी0
- भागीरथी नदी व भिलंगना नदी के संगम पर टिहरी बांध बना हुआ है
- देवप्रयाग में भागीरथी (सास) व अलकनंदा नदी (बहु) के रूप में मिलती है।
उत्तरकाशी जनपद की झीलें/ताल
- नचिकेता ताल उत्तरकाशी के चौरंगीखाल में है, इस ताल का नाम संत उदलक के पुत्र के नाम पर रखा गया है
- केदार ताल गंगोत्री के पास थलैया पर्वत श्रंखला पर स्थित है
- फाचकंडी बयांताल उत्तरकाशी जिले में गर्म पानी का ताल है सरताल उत्तरकाशी जिले के बड़कोट में स्थित है
- भराड़सरताल उत्तरकाशी व हिमाचल प्रदेश की सीमा पर है।
- खेडाताल, रोही साड़ाताल, लामा ताल, रूइंसारा ताल, देवसाड़ी ताल, आदि उत्तरकाशी जनपद में स्थित है
- मंगलाछु ताल उत्तरकाशी जिले में जिसकी विशेषता ताली | बजाने से ताल में बुलबुले उगते है
- मन्दाकिनी झरना उत्तरकाशी के हर्षिल में स्थित है। खराड़ी झरना उत्तरकाशी के गंगनानी में स्थित सुरम्य प्रपात है
प्रसिद्ध डोडीताल
- डोडीताल 6 कोनों वाला ताल है जो सुन्दर मछलियों के लिए प्रसिद्ध है। अस्सी गंगा डोडीताल के पास से निकलती है
- डोडीताल का नाम हिमालय ब्राउन ट्राउन प्रजाति की मछलियों के नाम पे रखा गया.
- डोडीताल के पास काणा ताल तथा यहाँ एक गणेश मंदिर भी है
उत्तरकाशी जनपद में कुण्ड
- सूर्यकुंड यमुनोत्री में गरमपानी का कुंड है
- गंगनानी यमुनोत्री क्षेत्र में गरमपानी का कुंड है जिसके पानी में गंधक की मात्रा पायी जाती है।
- देव कुंड भागीरथी नदी में ठण्डे पानी का कुंड है सप्तऋषि कुंड यमुनोत्री में है, जिसे पुराणों में मलिंग सरोवर कहा गया
उत्तरकाशी जनपद हिमनद/ग्लेशियर
- गंगोत्री ग्लेशियर राज्य का सबसे बडा हिमनद है, जिसकी
- लम्बाई 30 किमी0 तथा चौडाई 2 किमी0 है.
- बंदरपूँछ ग्लेशियर 12 किमी लम्बा है जो यमुनोत्री में स्थित है कीर्ति ग्लेशियर गंगोत्री में 7 किमी लम्बा है
- चतुरंगी ग्लेशियर गंगोत्री में 16 किमी लम्बा हिमनद है उत्तरकाशी जनपद के अन्य ग्लेशियर- मेंदी ग्लेशियर व चांग थांग ग्लेशियर, स्वछंद ग्लेशियर, गनोहिम ग्लेशियर, रक्तावर्ण ग्लेशियर, डोरयानी हिमनद,
- जौंधार ग्लेशियर, सियार ग्लेशियर, चारण ग्लेशियर, बार्टीयाखो व बमक ग्लेशियर यमुना घाटी उत्तरकाशी जिले में है
उत्तरकाशी जनपद में वन सम्पदा
- राष्ट्रीय वन नीति 1988 के अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में कम से कम 60 प्रतिशत वन होने चाहिए। उत्तरकाशी में 3144 वर्ग किमी0 वन क्षेत्रफल पाया जाता है, जो कि कुल क्षेत्रफल का लगभग 40% है
- राज्य में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले जिलों में पौडी के बाद उत्तरकाशी दूसरे स्थान पर है, उत्तरकाशी मध्यम सघन वन की दृष्टि से भी राज्य में दूसरे तथा खुले वन की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है
- यमुना बेसिन में 56.70 प्रतिशत व भागीरथी बेसिन में 35 प्रतिशत वन आच्छादित है
- रक्तवन व सुन्दरवन गोमुख के निकट तपोवन के पास स्थित है
उत्तरकाशी में खनिज / कृषि / पशुपालन
- खनिज की दृष्टि से उत्तरकाशी जिले में सीसा, स्लेट्स पाया जाता है। उत्तरकाशी के बुग्यालों में अल्पाइन मृदा पाई जाती है
- राज्य के सर्वाधिक सेब का उत्पादन उत्तरकाशी जिले में होता है राज्य में उत्पादित सेब दिल्ली में न्यूजीलैंड ब्रांड नाम से बेचा जाता है
- अखरोट का उत्पादन उत्तरकाशी जिले में बहुतायत होता है लाल चावल के उत्पादन के लिए सिराई घाटी रंवाई प्रसिद्ध है • हर्षिल की हल्के छिलके वाली राजमा विश्व प्रसिद्ध है।
उत्तरकाशी में राष्ट्रीय उद्यान/अभ्यारण्य
- राज्य के 6 राष्ट्रीय उद्यानों में से 2 राष्ट्रीय उद्यान उत्तरकाशी जनपद में स्थित है
- गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1980ई0 में हुयी, जिसका क्षेत्रफल 472 वर्ग किमी0 है। गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान का संचालन राजा जी राष्ट्रीय उद्यान देहरादून से होता है
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान राज्य का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है, जिसका क्षेत्रफल 2390 वर्ग किमी है।
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1989 में हुयी
- गोविन्द वन्य जीव विहार उत्तरकाशी में है जिसका क्षेत्रफल 485 वर्ग किमी है यह राज्य का सबसे पुराना वन्य जीव विहार है, जिसकी स्थापना 1955 ई0 में की गयी
- भारत सरकार की स्नो लेपर्ड परियोजना 1990-91 के तहत गोविन्द अभ्यारण्य को प्रबंधित किया जा रहा है
- गोविन्द विहार में दाढ़ी वाले गिद्ध पाये जाते है
उत्तरकाशी जनपद के बुग्याल/पयार
- केदारकांठा बुग्याल यह उत्तरकाशी में मखमली घास के लिए प्रसिद्ध है।
- पंवाली कांठा बुग्याल में कई प्रकार की जडी-बूटियां होने के कारण इसे जैव आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
- पंवाली कांठा बुग्याल टिहरी व उत्तरकाशी में पड़ता है उत्तरकाशी में गोमुख के निकट केदार खर्क नामक बुग्याल है
- यमुनोत्री के निकट देवदामिनी बुग्याल स्थित है
- उत्तरकाशी के अन्य बुग्याल- कुश कल्याण बुग्याल, तपोवन बुग्याल, सोनगाड बुग्याल, मानेग बुग्याल, रूपनौल सौड़, हर की दून आदि प्रसिद्ध बुग्याल हैं
- पुठारा बुग्याल उत्तरकाशी के यमुनोत्री में है
- चाईसील बुग्याल उत्तरकाशी व हिमाचल प्रदेश के बीच स्थित है। देवक्यारा बुग्याल को 2019 में ट्रैक ऑफ द ईयर चुना गया
दयारा बुग्याल
- दयारा बुग्याल उत्तरकाशी में है, इस बुग्याल में शीतकाल में स्कीइंग प्रशिक्षण होता है, दयारा बुग्याल को विश्व मानचित्र मे लाने का श्रेय पर्वतारोही चन्द्रप्रभा एतवाल को जाता है शीतकाल में मक्खन की होली द्वारा बुग्याल में होती है
- मक्खन की होली का स्थानीय नाम अदूढ़ी
- उत्सव है मक्खन की होली को विश्व स्तर में पहचान दिलाने में
- भूमिका चन्दन सिंह राणा की है
- दयारा बुग्याल के पास बकरी गांव पड़ता है
उत्तरकाशी जनपद में प्रसिद्ध गुफाएं
- प्रकटेश्वर गुफा उत्तरकाशी के ब्रहमखाल में स्थित है
- पांडव गुफा गंगोत्री में स्थित है मांतग ऋषि गुफा मातली उत्तरकाशी में स्थित है
- श्रृंगी गुफा उत्तरकाशी के मोरी विकासखण्ड में स्थित है
उत्तरकाशी के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल
- जानकी चट्टी और हनुमान चट्टी यमुनोत्री के पास स्थित प्रमुख पर्यटक स्थल जो यात्रा पड़ाव के मुख्य मार्ग हैं ओसला नामक पर्यटक स्थल यमुनोत्री क्षेत्र में स्थित है
पर्यटक स्थल हर की दून
- हर की दून पर्यटक स्थल रंवाई क्षेत्र में है
- हर की दून फतेह पर्वत की गोद पर बसा है
- हर की दून घाटी में सूपिन नदी बहती है
- इस क्षेत्र के ईष्ट देवता समसू है, समसू देवता की पूजा दुर्योधन के रूप में होती है
पर्यटक स्थल हर्षिल
- हर्षिल उत्तरकाशी जिले में एक प्रमुख पर्यटक स्थल है
- हर्षिल को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है हर्षिल में सेब का बगान लगाने का श्रेय फ्रेडरिक विल्सन को जाता है, सेब की एक प्रजाति विल्सन है
- हर्षिल में आलू की खेती की शुरूआत भी विल्सन ने की विल्सन का विवाह उत्तरकाशी के मुखवा गांव की रायवती से हुआ। विल्सन ने हर्षिल में विल्सन कॉटेज 1864 में बनवाया था स्थानीय लोग उसे पहाड़ी विल्सन या राजा विल्सन कहा करते थे
- हर्षिल एक छावनी शहर है, जहां अभी महार रेजीमेंट की बटालियन है
- हर्षिल के टंकौर घाटी में जंलधरी नदी बहती है
- हर्षिल में भागीरथी तट पर 1818 ई0 का बना लक्ष्मी नारायण मंदिर है
- हर्षिल हल्के छिलके की राजमा दाल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है
उत्तरकाशी जनपद के प्रसिद्ध मंदिर
- उत्तराखण्ड के चार धामों में से गंगोत्री व यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जनपद में स्थित हैं
- कुटेटी देवी का मंदिर उत्तरकाशी के एरावत पर्वत पर स्थित है
- परशुराम का मंदिर मुख्य बाजार उत्तरकाशी में स्थित है, जिसके पास भैरव देवता का मंदिर भी है अन्नापूर्णा मंदिर भैरव चौक गली उत्तरकाशी में स्थित है
- जयपुर मंदिर उत्तरकाशी बस अड्डा में है यहां राजस्थान
- सरकार द्वारा संचालित जयपुर आश्रम भी है। कल्पकेदार मंदिर गंगोत्री मार्ग पर 240 मंदिर समूहों में से केवल एकमात्र मंदिर बचा हुआ है
- कर्ण देवता का मंदिर उत्तरकाशी के मोरी नैटवार क्षेत्र में है
- दुर्योधन का मंदिर उत्तरकाशी के रवाई क्षेत्र में स्थित है शनि देव का मंदिर यमुनोत्री के खरसाली में स्थित है
- मंजियाली का सूर्य मंदिर कमल नदी के तट पर स्थित है, यह मंदिर पुष्पक शैली का बना हुआ है
- नागणी माता का मंदिर, और कंडार देवता उत्तरकाशी जनपद में स्थित है, और रिंगाली देवी मंदिर उत्तरकाशी के डुंडा में स्थित है - लक्षेश्वर महादेव मंदिर उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के तट पर है
- कचडू देवता का मंदिर डुण्डा उत्तरकाशी में स्थित है
पोखू देवता मंदिर
- मोरी के पोखू देवता मंदिर में देवता के दर्शन करना वर्जित है, यहां मंदिर का पुजारी पीठ करके पूजा करता है
- पोखू देवता को कर्ण का प्रतिनिधि व भगवान शिव का सेवक माना जाता है, पोखू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है।
विश्वनाथ मंदिर
- विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी के मध्य में स्थित है
- विश्वनाथ मंदिर कत्यूरी शैली का बना हुआ है
- विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार 1857 ई0 में सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी खनेती ने किया
- विश्वनाथ मंदिर में मिले त्रिशूल लेख पर नागराज वंश विवरण अंकित है, त्रिशूल लेख के अनुसार विश्वनाथ मंदिर नागवंशी राजा गणेश्वर द्वारा बनाया गया है।
- विश्वनाथ मंदिर के ठीक सामने शक्ति मंदिर है, शक्ति मंदिर में लगभग 6 मी0 ऊँचा एक विशाल त्रिशूल है शक्ति मंदिर से प्राप्त त्रिशूल लेख में ब्राही व शंख लिपि का प्रयोग किया गया है
उत्तरकाशी जनपद में प्रमुख आश्रम
- कपिल मुनि आश्रम पुरोला उत्तरकाशी में स्थित है, यहाँ कपिल
- मुनि का देवालय जो यामुन शैली का बना हुआ है कपिल मुनि आश्रम के पास रामासिंराई पट्टी है
- शिवानंद कुटीर यह आश्रम नैताला में 1991 को स्थापित हुआ पायलट बाबा आश्रम उत्तरकाशी में स्थित है पायलट बाबा विंग कमांडर कपिल सिंह हैं
उत्तरकाशी जनपद के प्रमुख मेले
- सेल्कू उत्सव उत्तरकाशी के मुखवा, सुखी, झाला आदि स्थानों में लगता है, यह भागीरथी घाटी का प्रसिद्ध उत्सव है
- ठर पूजा उत्सव दीपावली के अवसर पर उत्तरकाशी में मनाया जाता है
- बिस्सू मेला उत्तरकाशी के टिकोची व किरोली गांव मे लगता है
- बिस्सू मेला धनुष बाण के रोमांचकारी युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। लोसर मेला डुण्डा उत्तरकाशी में जाड़ भोटिया से सम्बन्धित है
- डांडा देवराणा मेला नौगांव ब्लॉक में रूद्रेश्वर महादेव का मेला है
- बौखनाग मेला रवाई क्षेत्र में लगता है। अठोड़ मेला उत्तरकाशी के नौगांव में लगता है, यह मेला प्रति तीसरे वर्ष लगता है, और मेला पशुपालन व्यवसाय से जुड़ा है
- हारूणी मेला उत्तरकाशी के मनेरी में लगता है, प्रतिवर्ष वारुणी पंचकोसी यात्रा श्रावण मास में होती है, यह यात्रा भागीरथी व वरूणा के संगम से शुरू होती है जो 15 किमी० की यात्रा है हारदूध का मेला गंगोत्री मंदिर के पुजारियों के मुखवा गांव में लगता है, यह मेला मुख्य रूप में नाग देवता से सम्बन्धित है कण्डक मेला उत्तरकाशी जिले में लगता है
- रामासिराई पट्टी, पुरोला में कमलेश्वर महादेव का मेला लगता है खरसाली का मेला यमुनोत्री में लगता है,
समेश्वर मेला
- समेश्वर मेला उत्तरकाशी मे लगता है, इस मेले की विशेषता पेड़ पर तीर चलाना व पश्वा का कुल्हाड़ी पर नंगे पैर चलना है
- समेश्वर को दुर्योधन का अवतार माना जाता है समेश्वर देवता रवाई घाटी से उपरिकोट मानुष रूप में आया था
गेवा मेला
- गेदुंवा मेला पुरोला उत्तरकाशी के नैटवाड़ में लगता है, गेदुंवा के खेल में सिंगतुर पट्टी के गाँव दो धड़ो में विभक्त हो जाते है और मकर सक्रांति के अवसर पर दो धड़ों के बीच गेदुवा खेल होता है एक धड़ा पानसाई जो पांडवों का प्रतिनिधित्व करते है दूसरा धड़ा साठी जो कौरवों का प्रतिनिधित्व करता है
बाडाहाट का मेला
- बाडाहाट का मेला प्रतिवर्ष मकर संक्राति 14 जनवरी को लगता है। इस मकर संक्राति को खिचड़ी संग्राद भी कहा जाता है उत्तरकाशी में माघ मेला 7-8 दिनों तक आजाद मैदान में लगता है, इस मेले का प्रारम्भ हरि महाराज का ढोल करता है
उत्तरकाशी जनपद की प्रमुख आपदाए
- 20 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी जिले में 6.6 रिएक्टर स्केल का भूकम्प आया इससे उत्तरकाशी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ
- 23 जून 1980 ई0 में उत्तरकाशी के ज्ञानसू में भूस्खलन हुआ
- 2003 में वरूणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ। जिससे उत्तरकाशी को काफी क्षति हुयी अगस्त 2019 को आराकोट पावर नदी में आई बाढ़ से क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ
उत्तरकाशी जनपद में जाड जनजाति
- जाड़ भोटिया जनजाति की एक उपजाति है
- जाड लोग उत्तरकाशी के जादुंग गांव में रहते हैं जाड लोग अपने आप को जनक का वंशज मानते है।
- जाड़ की बोलचाल भाषा रोम्बा है।
- जाड़ जनजाति के पुरूष चोगा परिधान पहनते है
उत्तरकाशी जिले की प्रमुख परियोजनाएं
- मनेरी भाली परियोजना- 1 यह 90 मेगावाट तिलोथ पावर हाउस 1983 से कार्यरत है
- मनेरी भाली परियोजना - 2 यह 304 मेगावाट, निर्माण 1976 में 2008 से चालू हुई लोहारीनाग पाला परियोजना भागीरथी नदी पर 600 मेगावाट की है, जो एन.टी.पी.सी. के अधीन है
- लिमचीगाड परियोजना भागीरथी नदी पर बनी है।
- पाला- मनेरी परियोजना 480 मेगावाट की भागीरथी नदी पर कार्यरत है नटवार-मोरी जल विद्युत परियोजना 60 मेगावाट की टोंस नदी पर बन रही है,
- जखोल सांकरी परियोजना उत्तरकाशी के टोंस की सहायक
- नदी सुपिन पर 44 मेगावाट की है
- करमोली जल विद्युत परियोजना जाड़गंगा नदी पर 140 मेगावाट की है।
- हनुमान गंगा परियोजना उत्तरकाशी के यमुनोत्री में स्थित है
उत्तरकाशी जनपद में परिवहन
- उत्तराखण्ड में पाँच हवाई पट्टी है
- चिन्याली सौड में हवाई पट्टी बनी हुई है, इसका नाम अब बदलकर माँ गंगा हवाई पट्टी रखा गया है
- राष्ट्रीय राजमार्ग N.H. 34 उत्तरकाशी जिले से होकर गंगोत्री तक जाता है, जो पहले N.H. 108 पर स्थित था
- राष्ट्रीय राजमार्ग N.H.134 पर यमुनोत्री पड़ता है, जो पहले N.H. 94 पर स्थित था
- राष्ट्रीय राजमार्ग N.H 507 विकासनगर से नैनबाग होते हुए बडकोट तक जाता है
उत्तरकाशी जनपद की पत्र पत्रिकाएं
- गढ रैबार समाचार पत्र 1973ई0 से उत्तरकाशी जिले से सुरेन्द्र दत भट्ट द्वारा सम्पादित
- 1974ई0 में पर्वत वाणी समाचार पत्र का सम्पादन पीताम्बर जोशी ने किया
- 1982 ई० में वीर गढ़वाल का सम्पादन बर्फिया लाल ज्वांठा ने किया
- 'उतरीय आवाज का सम्पादन संस्कृत भाषा में उत्तरकाशी जिले मे होता है
उत्तरकाशी जिले के प्रमुख व्यक्ति
- हर्षमणि नौटियाल उत्तरकाशी जिले का पर्वतारोही है
- राज्य में प्रथम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार उत्तरकाशी के हरीश राणा को 2003 में मिला था
- पर्वतारोही देवयानी राणा का सम्बन्ध उत्तरकाशी जिले से है यमुनोत्री क्षेत्र से पूर्व दिवंगत विधायक बर्फिया लाल ज्वांठा ने शत्रुघ्न कांड काव्य की रचना की
बछेन्द्री पाल
- बछेन्द्री पाल का जन्म 1954 में उत्तरकाशी के नाकुरी गाँव में हुआ में बछेन्द्री पाल के पिता किशन सिंह व माता का नाम हंसा देवी था
- 1982 ई० में एन.आई.एम. के बेसिक कोर्स के तौर पर गंगोत्री पर्वत की चढ़ाई पूरी की, बछेन्द्री पाल भारत की पहली व विश्व की चौथी महिला एवरेस्ट आरोहण विजेता है
- बछेन्द्री पाल 24 मई 1984 को एवरेस्ट का आरोहण किया 1984 ई0 में बछेन्द्री पाल को पदम श्री सम्मान मिला
- बछेन्द्री पाल को 1986 को अर्जुन पुरस्कार मिला
- 2019 में बछेन्द्री पाल को पद्म भूषण का पुरस्कार मिला 2014 ई0 में मध्यप्रदेश सरकार ने बछेन्द्री पाल को वीरांगना लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान दिया
- बछेन्द्री पाल का नाम 1990 ई० में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हुआ बछेन्द्री पाल टाटा स्टील एडवेंचर फाउडेशन से जुड़ी हुयी है
उत्तरकाशी जनपद में प्रमुख संस्थान
- हिमालयन संग्रहालय उत्तरकाशी जनपद में स्थित है
- श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम उत्तरकाशी में गैर सरकारी संगठन तरूण पर्यावरण विज्ञान संस्थान, डुंडा उत्तरकाशी में स्थित है
- पर्वतीय विकास संस्था नामक स्वयंसेवी संस्था डुण्डा उत्तरकाशी में स्थित है
- हिमालय पर्यावरण शिक्षा संस्थान टिहरी व उत्तरकाशी जनपद में 1995 से जैव विविधता संरक्षण का कार्य कर रही हैं. नेहरू पर्वतारोहण संस्थान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना 14 नवम्बर 1965 में हुयी
- नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (N.I.M) के प्रथम प्रधानाचार्य ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह थे, और (N.I.M) उत्तरकाशी का पिकनिक स्पॉट है
उत्तरकाशी जिला अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु
- टकनौर पट्टी और बाड़ागढी पट्टी उत्तरकाशी जिले में है
- मुंगरा गढ व सांकरी गढ रवांई क्षेत्र में था
- इंडिया गढ़ बडकोट उत्तरकाशी में था
- तांबाखाणी सुरंग उत्तरकाशी में वरूणावत पर्वत पर है
- ओडॉल प्रथा का सम्बन्ध मेलों या अन्य उत्सवों से लडकी को भगाकर शादी करने से था
- लंका नामक स्थान उत्तरकाशी जिले में है
- 8 दिस0 2012 को उत्तरकाशी से गोमुख तक के क्षेत्र को ईको सेन्सटिव जोन घोषित किया गया
- पड़ियाल प्रथा एक दूसरे साथ श्रमदान देने से सम्बन्धित है
- गिलगिट ऑफ उतराखण्ड आराकोट को कहा जाता है मर्णिकार्णिका घाट उत्तरकाशी में पितृ पिंडदान होता है
जनपद उत्तरकाशी
विधानसभा क्षेत्र · - 3
- गंगोत्री
- यमुनोत्री
- पुरोला अनुसूचित जाति (S.C) आरक्षित क्षेत्र
तहसील - 6
- डुण्डा
- भटवाड़ी
- मोरी
- पुरोला
- बड़कोट
- चिन्यालीसौड़
विकासखण्ड - 6
- डुण्डा
- भटवाड़ी
- मोरी
- पुरोला
- नौगांव
- चिन्यालीसौड़
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