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उत्तराखण्ड के पर्यावरण प्रेमी/eco lover of uttarakhand

उत्तराखण्ड के पर्यावरण प्रेमी

सुन्दरलाल बहुगुणा

  • सुन्दर लाल बहुगुणा जी का जन्म 1927 में टिहरी के मरोड़ा गाँव में हुआ था और ये वृक्ष मित्र के नाम से प्रसिद्ध हुए
  • चिपको आन्दोलन को शिखर तक पहुंचाने का श्रेय सुन्दर लाल बहुगुणा को जाता है
  • सुन्दर लाल बहुगुणा ने हिमालय बचाओ देश बचाओ का नारा दिया था
  • पत्नी विमला के सहयोग से पर्वतीय नवजीवन मंडल की स्थापना की थी विश्व विख्यात वन्यजीव प्रेमी रिचर्ड बेकर के साथ मिलकर इन्होंने वृक्ष मानव संस्था की स्थापना की
  • सुन्दर लाल बहुगुणा ने 1981 में पद्म श्री पुरस्कार लेने से मना कर दिया था। 
  • 2009 में सुन्दर लाल बहुगुणा को पद्म विभूषण पुरस्कार मिला 1987 में बहुगुणा जी को राइट लिवली हुड पुरस्कार मिला था

चंडी प्रसाद भट्ट

  • चंडी प्रसाद का जन्म 1934 में हुआ, इनका सम्बन्ध चमोली से हैं 
  • इनके पिता का नाम गंगाराम भट्ट व माता का नाम महेशी देवी था। 
  • चंडी प्रसाद ने 1964 को गोपेश्वर में दशौली ग्राम स्वराज मंडल की स्थापना की
  • 1970 के बाद चिपको आन्दोलन को गति देने के लिए डाल्यो का दगडया नामक संस्था बनायी
  • 1982 में चंडी प्रसाद भट्ट जी को रेमन मैग्सेसे अवार्ड मिला चंडी प्रसाद जी को 1986 में पद्म श्री व 2005 में पद्म भूषण पुरस्कार मिला
  • चंडी प्रसाद भट्ट 1987 ई0 में ग्लोबल 500 पुरस्कार दिया गया
  • चंडी प्रसाद जी को 2013 में गांधी शांति पुरस्कार मिला चंडी प्रसाद जी को 2019 में 31 वां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार मिला

गौरा देवी

  • गौरादेवी का जन्म चमोली के लाता गाँव में हुआ था
  • गौरा देवी के पति का नाम मेहरबान सिंह था गौरा देवी के पुत्र का नाम चन्द्र सिंह था
  • चमोली में रेणी गांव जो तोलच्छा जाति के भोटियों का गांव है
  • 1972 में गौरादेवी महिला मंगल दल की अध्यक्ष बनी थी गौरा देवी चमोली के रेणी गांव में 1974 को हुए चिपको
  • आन्दोलन की सूत्रकर्ता थी गौरादेवी के साथ गांव की 21 महिलाओं ने वृक्ष कटाव रोकने के लिए चिपको आंदोलन शुरू किया
  • वृक्ष कटाव रोकने के लिए गौरा देवी का नारा था मारो गोली और काट लो हमारा मायका 
  • गौरा देवी को नवम्बर 1986 में वृक्ष मित्र पुरस्कार मिला गौरा देवी मृत्यु 1991 ई० को हुयी

विश्वेश्वर दत सकलानी

  • सकलानी जी का जन्म सकलाना पट्टी टिहरी गढ़वाल में हुआ था टिहरी क्रांति में शहीद नागेन्द्र सकलानी के छोटे भाई थे
  • इन्होने सकलाना घाटी के आसपास बंजर भूमि पर नागेन्द्र वन नामक जंगल लगाया है।
  • विश्वेश्वर दत सकलानी को उत्तराखण्ड का वृक्ष मानव कहा जाता है 19 नवम्बर 1986 को इन्हें इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार मिला। जनवरी 2019 को 96 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु हो गयी

अन्य प्रमुख पर्यावरण प्रेमी

  1. नारायण सिंह नेगी- को गौरादेवी स्मृति सम्मान मिला, जिनका सम्बन्ध चमोली के थराली से है
  2. जगत सिंह चौधरी- को जगंली नाम से जाना जाता है, जिनका सम्बन्ध रूद्रप्रयाग जिले से है। जगतसिंह चौधरी उत्तराखण्ड वन विभाग के ब्रांड अम्बेसडर है
  3. दामोदर राठौर- का सम्बन्ध पिथौरागढ से है।
  4. बालीदेवी राणा- को 1987 में इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार मिला था 
  5. अवधेश कौशल- पर्यावरण प्रेमी है, जिन्हें खान माफिया से लोहा लेने वाले के रूप से जाना जाता है
  6. पीताम्बर अवस्थी- इन्हें नशामुक्ति अवस्थी कहा जाता है, इन्होनें पर्यावरण प्रेम में हिमालय व उत्तराखण्ड के जल स्रोत नामक रचनाएँ लिखी और नशे पर इनकी पुस्तक जिंदगी जरूरी है, इनका सम्बन्ध पिथौरागढ़ से है
  7. सुरेश भाई- ने टिहरी के भिलंगना क्षेत्र में 1994 को रक्षा सूत्र आंदोलन चलाया था
  8. गोविन्द सिंह रजवार- एक प्रसिद्ध जैव विविधता व पर्यावरण विशेषज्ञ है, जिनका सम्बन्ध अल्मोड़ा से है
  9. प्रसिद्ध समाज सेवी इच्छागिरी माई  इन्हें ठगुली देवी या टिंचरी माई कहा जाता है
  10. ठगुली देवी का वास्तविक नाम दीपा देवी है इनका जन्म पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण क्षेत्र में हुआ
  11. इच्छागिरी माई ने हरिद्वार में पाखण्डी साधुओं के खिलाफ आन्दोलन चलाया इन्होनें गढ़वाल में चल रही शराब बिक्री का विरोध किया था
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