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उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता सेनानी/freedom fighters of uttarakhand

  उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता सेनानी/freedom fighters of uttarakhand

  उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता सेनानी।

गोविन्द बल्लभ पंत

पंत जी का जन्म 10 सितम्बर 1887 को अल्मोडा के ग्राम खुंट में हुआ, इनके पिता का नाम मनोरथ पंत और पत्नी गंगा देवी थी
जवाहर लाल नेहरू ने पंत जी को हिमालय पुत्र की उपाधि दी पंत के सहपाठी उन्हें गोविन्द वल्लभ महाराष्ट्र कहा करते थे
1946 में उत्तरप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने गोंविन्द बल्लभ पंत जी 1955 को देश के गृहमंत्री बने
1957 को उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1914 में काशीपुर में प्रेमसभा की स्थापना की पंत जी ने 1903 में हैप्पी क्लब की स्थापना की 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू व पंत जी ने लखनऊ में आन्दोलन किया
1945 अहमदनगर जेल में नजरबंद किया गया 
1961 में पंत जी की मृत्यु हुयी 

शहीद श्रीदेव सुमन

श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी के जौल गांव में हुआ, इनके पिता का नाम हरीराम बड़ोनी था, एक वैद्य थे 
श्रीदेव सुमन की माता का नाम तारा देवी था
श्रीदेव सुमन के बचपन का नाम श्रीदत था
श्रीदेव सुमन की पत्नी का नाम विनयलक्ष्मी था 1930 ई0 में 14 वर्ष की आयु में नमक सत्याग्रह में भाग लिया, जिसमें 15 दिन का करावास हुआ
1937 ई० में श्रीदेव सुमन जी ने सुमन सौरभ नाम से कविताए प्रकाशित कराई श्रीदेव सुमन ने पृथक राज्य की मांग के लिए दिल्ली में 1938 में गढ़ देश सेवा संघ की स्थापना की
श्रीदेव सुमन के प्रयासों से 23 जनवरी 1939 को देहरादून में टिहरी राज्य प्रजामंडल की स्थापना हुयी नेहरू ने टिहरी रियासत के लिए कहा कि टिहरी राज्य के कैदखाने दुनिया भर में मशहूर होंगे, परन्तु इससे दुनिया में रियासत की कोई इज्जत नहीं बढ़ सकती
21 फरवरी 1944 में श्रीदेव सुमन पर राजद्रोह का मुकदमा चला 3 मई 1944 को श्रीदेव सुमन ने आमरण अनशन शुरू किया 25 जुलाई 1944 को 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन जी की मृत्यु हो गयी 
श्रीदेव सुमन का कथन था तुम मुझे तोड़ सकते हो, मोड़ नही सकते पहला श्रीदेव सुमन स्मृति दिवस 25 जुलाई 1946 को मनाया गया

अनुसूया प्रसाद बहुगुणा

बहुगुणा जी का जन्म चमोली जिले के नंदप्रयाग में हुआ
बहुगुणा जी का जन्म अनुसुया देवी के मंदिर में हुआ था
बहुगुणा जी को गढ़केसरी कहा जाता है
1918 गढ़वाल कांग्रेस की स्थापना में मुख्य योगदान था 1919 ई0 को मुकुन्दीलाल के साथ लाहौर कांग्रेस अधिवेशन मे भाग लिया था

कुमाँऊ केसरी बद्रीदत पांड बद्रीदत 

पांडे जी का जन्म 1882 में हरिद्वार के कनखल में हुआ
बीडी पांडे का मूल निवास अल्मोडा था 
बीडी पांडे 1913 में अल्मोड़ा अखबार के सम्पादक बने.
1918 कमिश्नर लोमस ने अल्मोड़ा अखबार बंद करा दिया
अल्मोड़ा अखबार बंद होने के बाद बीडी पांडे जी ने शक्ति नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया 
बीडी पांडे ने कुली बेगार, कुली उतार व कुली बर्दायश आदि प्रथाओं के विरूद्ध सफल आन्दोलन चलाया
बद्री दत पांडे को कुर्माचल केसरी कहा जाता है
बीडी पांडे ने 1937 में जेल प्रवास के समय कुमाऊँ का इतिहास लिखा, 
1965 में इनकी मृत्यु हो गयी 
बद्रीदत पांडे को अंग्रेज राजनैतिक जानवर कहते थे
भक्तदर्शन ने बद्रीदत पांडे को कुमाऊँ का नर केसरी कहा इन्द्रमणी बडोनी 
इन्द्रमणी बड़ोनी को उत्तराखण्ड का गांधी कहा जाता है
इन्द्रमणी बड़ोनी का जन्म 24 दिसम्बर 1925 को टिहरी के जखोली विकासखण्ड में हुआ
इन्द्रमणी बड़ोनी के पिता का नाम सुरेशानंद बडोनी था
इनका जन्म दिवस लोक संस्कृति दिवस के नाम से मनाया जाता है। 
इन्द्रमणी बड़ोनी उत्तरप्रदेश विधानसभा में 3 बार देवप्रयाग से चुन के गए
इन्द्रमणी बड़ोनी केदार नृत्य के बहुत अच्छे जानकार थे अगस्त 1994 में इन्द्रमणी बड़ोनी पौड़ी में आमरण अनशन पर बैठे, जो 30 दिनो तक जारी रखा

चन्द्र सिंह गढवाली

चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर 1891 में पौड़ी में हुआ इनका वास्तविक नाम चन्द्र सिंह भण्डारी था
इनके पिता का नाम जलौथ सिंह भण्डारी था 
इनकी पत्नी का नाम भागीरथी देवी था
चन्द्र सिंह गढ़वाली 2/18 गढ़वाल राइफल के सैनिक थे 23 अप्रैल 1930 को निहत्थे अफगान सैनिकों पर गोली चलाने से मना कर दिया, यह घटना पेशावर कांड के नाम से जानी जाती है। 
गोली चलाने का आदेश देने वाला कैप्टन रिकेट था मोतीलाल नेहरू ने इस दिन को गढ़वाल दिवस मनाने की घोषणा की
चन्द्र सिंह गढ़वाली पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया इनके केस की पैरवी मुकुन्दी लाल ने की।
सितम्बर 1941 को 11 साल, 3 महीने, व 16 दिन की सजा पूरी कर एबटाबाद जेल से रिहा हुए 1994 में चन्द्र सिंह गढ़वाली के नाम पर डाक टिकट जारी हुआ

कालू महरा

उत्तराखण्ड का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कालू महरा को माना जाता है
कालू महरा का जन्म 1831 में चम्पावत के विसुड़ गांव में हुआ 1857 की क्रांति के समय कुमाऊँ में क्रांतिवीर नामक गुप्त संगठन चलाया इनके पिता का नाम रतिभान सिंह था 
कुमाऊँ में गुप्त संगठन चलाने के लिए प्रेरित अवध नबाव वाजिद अली शाह ने किया

बैरिस्टर मुकुन्दी लाल

मुकुन्दी लाल का जन्म चमोली के पाटली गांव में हुआ 1926 में स्वराज दल के टिकट पर गढ़वाल से चुनाव जीते
1938 में टिहरी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने मुकुन्दी लाल ने वीरचंद्र सिंह गढ़वाली का केस लड़ा था 
मुकुन्दी लाल ने मोलाराम के चित्रों पर आधारित पुस्तक गढ़वाल  पेटिंग्स का विमोचन 1968-69 में किया

हरगोविन्द पंत

इनका जन्म अल्मोंड़ा के चितई में हुआ
पंत जी को अल्मोड़ा कांग्रेस की रीढ भी कहा जाता है। 
कुलीन ब्राहमणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा 1928 में स्वयं बागेश्वर में हल चलाकर तोड़ी
भारत छोड़ो आंदोलन के समय अल्मोड़ा में सर्वप्रथम हरगोविन्द पंत को नजरबंद किया गया

खुशीराम आर्य

खुशी राम आर्य ने दलितों के उत्थान के लिए शिल्पकार सुधारिणी सभा का गठन किया
दलितों को शिल्पकार नाम प्रदान करने में अग्रणी रहे राज्य के प्रथम दलित विधायक थे जो नैनीताल जनपद से हैं भवानी सिह की मदद से चन्द्रशेखर आजाद ने दुगड्डा के

भवानी सिंह रावत

इनका सम्बन्ध पौड़ी के दुगड्डा से था आजाद के नेतृत्व वाले हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ कें एक मात्र सदस्य थे
जंगलो में पिस्टल की ट्रेनिंग ली दुगड्डा में शहीद मेले की शुरूआत भवानी सिंह ने की

डॉ० भक्तदर्शन

भक्तदर्शन पौड़ी के रहने वाले थे, 14 वर्ष की उम्र में जीवन भर खादी पहनने का व्रत लिया
भक्त दर्शन का मूल नाम राजदर्शन था
 इनके पिता का नाम गोपाल सिंह रावत था
भक्त दर्शन ने अपने नाम से जाति सूचक शब्द हटा दिया था 1939 में भैरव दत धूलिया के साथ मिलकर लैंसडाउन में कर्मभूमि | पत्रिका का प्रकाशन किया
भक्त दर्शन में पहले आम चुनाव से लगातार चार बार गढवाल का प्रतिनिधित्व किया । 
भक्त दर्शन कानपुर विवि में कुलपति भी रहे
भक्त दर्शन की कुछ रचनाए गढ़वाल की दिवंगत विभूतियां, सुमन स्मृति ग्रंथ स्वामी रामतीर्थ स्मृति ग्रंथ आदि

विक्टर मोहन जोशी

मोहन जोशी ने ईसाई धर्म अपना लिया था, जिसके बाद इनका नाम विक्टर जोजफ हो गया था 
इनके पिता का नाम जयदत जोशी था
अल्मोंडा में क्रिश्चयन यंग पिपुल सोसाइटी की स्थापना की 
गांधी जी ने विक्टर मोहन जोशी के लिए कहा आप इसाई समाज के उत्कृष्टतम पुष्प हैं
1930 को अल्मोड़ा झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व मोहन जोशी ने किया
मोहन जोशी ने 1930 ई0 अल्मोड़ा में स्वाधीन प्रजा नामक साप्ताहिक पत्र का सम्पादन किया

राज्य के अन्य स्वतन्त्रता सेनानी

भैरव दत धूलिया 
इन्होनें 1939 में लैंसडाउन से निकलने वाला साप्ताहिक समाचार पत्र कर्मभूमि का सम्पादन किया ये पौड़ी के रहने वाले हैं 1942 में भैरव दत जी ने अंग्रेजो को हिन्दुस्तान से निकाल दो, नामक पुस्तक लिखी

इन्द्र सिंह नयाल ने 1973 में स्वतन्त्रता संग्राम में कुमाऊँ का योगदान नामक पुस्तक लिखी, इनका सम्बन्ध अल्मोड़ा जिले से है विशनी देवी शाह का सम्बन्ध बागेश्वर से है, स्वतंत्रता संग्राम में जेल जाने वाली राज्य की प्रथम महिला थी

सोबन सिंह जीना का सम्बन्ध अल्मोड़ा जिले से है, जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने रायबहादुर की उपाधि दी और इन्होंने कुमाऊँ राजपूत परिषद् की स्थापना की

राम सिह धौनी का सम्बन्ध तल्ला सालम अल्मोंडा से है, देश में सर्वप्रथम जय हिन्द का नारा दिया, और बम्बई में हिमालय पर्वतीय संघ की स्थापना की, 1925 में शक्ति पत्र का सम्पादन भी किया था

 रामसिंह आजाद का सम्बन्ध मल्ला, सालम अल्मोंडा से है, 25 अगस्त 1942 सालम की क्रांति के अग्रदूत है, जिसके लिए सर्वाधिक समय 32 वर्ष कारावास की सजा हुयी, इनके केश की। पैरवी गोपाल स्वरूप पाठक ने की

मोहन सिंह मेहता राज्य में जेल जाने वाले प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी थे और 1921 में कत्यूर क्षेत्र में कुमाऊँ परिषद की शाखा | गठित की, बैजनाथ में कताई-बुनाई प्रचार केन्द्र की स्थापना की 
मानवेन्द्र नाथ राय-ये 23 जनवरी 1939 ई0 में टिहरी राज्य प्रजा मंडल की प्रथम बैठक में अध्यक्ष रहे

महावीर त्यागी को देहरादून का सुल्तान कहा जाता था, प्रथम आम चुनाव देहरादून संसदीय क्षेत्र से जीता था स्वतन्त्रता | आन्दोलन में 11 बार जेल गए, प्रथम विश्व युद्ध में ईरान लड़ाई के लिए भेजे गए थे

परिपूर्णानन्द पैन्यूली जो 1947 में टिहरी राज्य प्रजामंडल के अध्यक्ष थे, 1977 में इन्होने महाराजा मानवेन्द्र शाह को हराया था

कृष्ण सिंह ठाकुर उत्तरकाशी जिले के स्वतंत्रता सेनानी रहे

जयदत वैला जो एक वकील थे, इनका सम्बन्ध रानीखेत से था, अल्मोड़ा में प्रजाबंधु साप्ताहिक पत्र का सम्पादन किया 

ज्वालादत जोशी जिनका सम्बन्ध अल्मोड़ा से था, 1886 कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया, इसके बाद लगातार चार और अधिवेशन में भाग लिया, इलाहबाद उच्च न्यायालय में कुमाऊँ के प्रथम अधिवक्ता रहे

कर्नल चंद्र सिंह नेगी जो फर्स्ट गढ़वाल के साथ मेसोपोटामिया के युद्ध में गए थे, और आजाद हिन्द फौज में सिंगापुर में स्थित ऑफीसर्स ट्रेनिंग स्कूल के कमांडेट नियुक्त हुए

कुशलानंद गैरोला टिहरी जिले से सम्बन्धित स्वतन्त्रता सेनानी एक कुशल चिकित्सक भी थे, इनके विलक्षण प्रतिभा के कारण इन्हें हिटलर ने जर्मनी में आमंत्रित किया था

हरि प्रसाद टम्टा एक दलित सुधारक थे, दलितो को 1911 में शिल्पकार नाम दिलाने में प्रमुख योगदान रहा

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