Total Count

उत्तराखण्ड का जनपद रुद्रप्रयाग /Rudraprayag district of Uttarakhand


रुद्रप्रयाग जनपद का इतिहास

  • रुद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर बसा पंचप्रयागों में से एक प्रयाग है, रुद्रप्रयाग का पुराना नाम पुनाड़ है, महाभारत काल में रुद्रप्रयाग का नाम रूद्रावर्त था
  • रूद्रप्रयाग जनपद का गठन 16 सितम्बर 1997 को टिहरी, पौड़ी व चमोली जिलों से काटकर बनाया गया है
  • 1989 में रुद्रप्रयाग एक तहसील बना था रूद्रप्रयाग नगर पंचायत 2002 में व नगरपालिका 2006 में बना 

रुद्रप्रयाग जनपद की भौगोलिक स्थिति

  • रूद्रप्रयाग जिले का क्षेत्रफल 1984 वर्ग किमी है, क्षेत्रफल की दृष्टि से रूद्रप्रयाग का 12वां स्थान है।
  • रूद्रप्रयाग जिले से 4 जिलों की सीमा लगती है चमोली, पौड़ी, टिहरी व उत्तरकाशी। रूद्रप्रयाग जिला राज्य का आंतरिक जिला है। 
  • रूद्रप्रयाग जिला मध्य व वृहत हिमालय क्षेत्र में पड़ता है

रुद्रप्रयाग जनपद का प्रशासन

  • रूद्रप्रयाग जिले की जनसंख्या- 2,42,285
  • रूद्रप्रयाग जिले का जनघनत्व- 122
  •  रूद्रप्रयाग जिले का लिंगानुपात - 1114
  • रूद्रप्रयाग जिले की पुरुष साक्षरता 93.90%
  • रूद्रप्रयाग पुरूष साक्षरता दर की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है
  • रूद्रप्रयाग में 4.10% आबादी नगरीय है 
  • प्रतिशत की दृष्टि से रूद्रप्रयाग में दूसरा सबसे अधिक ग्रामीण आबादी वाला जिला है 
  • रूद्रप्रयाग विधानसभा सीट- 02
  • रूद्रप्रयाग जनपद में विकासखण्ड-03
  • रूद्रप्रयाग जनपद में तहसील - 04/
  • रूद्रप्रयाग जनपद में नगरपालिका- 01

रुद्रप्रयाग जनपद की प्राकृतिक आपदाएं

  • केदारनाथ में सबसे बड़ी आपदा 16-17 जून 2013 में जिसके रुद्रप्रयाग जनपद में काफी बड़ा नुकसान हुआ था
  • चोराबाड़ी ग्लेशियर का कुछ हिस्सा टूट कर गांधी सरोवर में गिरा जिसके कारण गांधी सरोवर का एक कोना टूट गया और मंदाकिनी नदी में प्रवाह बढ़ गया था 
  • केदारनाथ में आपदा राहत के लिए सेना ने ऑपरेशन सूर्याहोप चलाया। 
  • केदारनाथ आपदा के कारण केदारनाथ मंदिर में 86 दिनों तक पूजा बाधित रही थी
  • 16-17 जून 2013 की आपदा को सी.बी.एस.ई ने डिजास्टर इन उतराखण्ड रेन ऑफ टेरर के नाम से पाठ्यक्रम में शामिल किया ऑपरेशन केदार के तहत आपदा ग्रस्त केदार घाटी पुर्ननिर्माण के लिये N.I.M को 11 सि0 2014 को पुर्ननिर्माण कार्य सौंपा गया 
  • ब्योंगाड-भड़ासू भूस्खलन 2001 में रूद्रप्रयाग में हुआ था

|रुद्रप्रयाग जनपद की नदियां

  • मंदाकिनी नदी रूद्रप्रयाग जनपद के मंदराचल श्रेणी के चोराबाड़ी ग्लेशियर से निकलती है, जिसकी सहायक नदी मधुगंगा है। मधुगंगा और मंदाकिनी नदी का संगम कालीमठ मंदाकिनी की अन्य सहायक नदी लस्तर, रावण गंगा, सोन नदी है, 
  • लस्तर नदी और मंदाकिनी नदी का संगम सूर्यप्रयाग में होता है। 
  • सोन (बासुकी) नदी और मंदाकिनी नदी का संगम सोनप्रयाग में है।
  • चौराबाड़ी ग्लेशियर मंदाकिनी नदी का जल स्रोत है, केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है
  • तुलसीदास ने रामचरितमानस में मंदाकिनी को सुरसरि की धारा कहा है

रुद्रप्रयाग जनपद में बुग्याल/पयार

  •  कसनी खर्क बुग्याल रुद्रप्रयाग में मदमहेश्वर मंदिर के पास है बर्मी बुग्याल रूद्रप्रयाग के रूद्रनाथ के निकट है
  • चोपता बुग्याल, मनणी बुग्याल, रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है
  • अली बुग्याल जो चमोली व रूद्रप्रयाग जिले के बीच है।

रुद्रप्रयाग जनपद में प्रसिद्ध गुफाए

  • ब्रह्म गुफा व भीम गुफा केदारनाथ में है
  • केदारनाथ मंदिर के पास ध्यान गुफा बनी हुयी है, जिस गुफा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साधना की कोटेश्वर गुफा यह रुद्रप्रयाग शहर के पास अलकनंदा नदी के किनारे पर प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव के नाम से जानी जाती है

रुद्रप्रयाग जनपद में वन सम्पदा

  • मिश्रित वन खेती मॉडल रूद्रप्रयाग के जगत सिंह चौधरी ने तैयार किया, इनका उपनाम जंगली है
  • राज्य में सबसे कम कृषि योग्य भूमि रूद्रप्रयाग जिले में है

रुद्रप्रयाग जनपद में ताल एवं झीलें

  • गांधी सरोवर, यह ताल अन्य नाम शरवदी ताल, सरया ताल,चौराबाड़ी ताल, है जो केदारनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर हैं 
  • शरवदी सरोवर में 1948 को गांधी जी की अस्थियां विसर्जित की गई थी, इसलिए इसका नाम गांधी सरोवर पड़ा 
  • देवरिया ताल ऊखीमठ के पास है, पुराणों में इन्द्रसरोवर के नाम से उल्लेखित है
  • बदाणी ताल रूद्रप्रयाग स्थित में है
  • वासुकी ताल टिहरी व रूद्रप्रयाग जिले में है, जिसका में कलताल रूद्रप्रयाग में अण्डाकार ताल है।
  • सुखदी ताल रूद्रप्रयाग में स्थित है
  • केदारनाथ ग्लेशियर रूद्रप्रयाग जिले में है
  • चौराबाडी ग्लेशियर रूद्रप्रयाग के केदारनाथ के पास स्थित है

रुद्रप्रयाग जनपद में कुंड

  • गौरी कुंड गरम पानी का कुंड रूद्रप्रयाग जिले में है
  • नंदी कुंड रूद्रप्रयाग में ठण्डे पानी का कुंड है हंस कुंड, रम्भा कुंड या रेतस कुंड व अमृत कुंड केदारनाथ में है
  • पार्वती कुंड गौरीकुंड नामक स्थान में है
  • सरस्वती कुंड त्रियुगी नारायण मंदिर के पास है
  • भौरीअमोला कुंड रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है

रुद्रप्रयाग जनपद में पर्यटक स्थल

  • अगस्त्यमुनि मंदाकिनी और घूलगाड़ नदी के संगम पर स्थित है सोनप्रयाग जहां बासुकी व मंदाकिनी नदी का संगम है 
  • चोपता यह प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जहां भगवान तुंगनाथ मंदिर भी स्थित है और यहां छोटे-छोट बुग्याल भी हैं
  • उखीमठ, गुप्तकाशी, तिलवाड़ा आदि प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं

रुद्रप्रयाग जनपद में प्रसिद्ध मंदिर 

  • पंच केदारों में 3 केदार रूद्रप्रयाग जिलें में है
  • केदारनाथ, तुंगनाथ और मदमहेश्वर नाथ रूद्रप्रयाग के ऊखीमठ में केदारनाथ समिति का मुख्यालय एवं रावल पुजारियों का आवास स्थल है 
  • ऊखीमठ में ओंकारेश्वर शिव मंदिर है, जिसका निर्माण आदि गुरू शंकराचार्य ने किया था
  • अर्द्धनारेश्वर मंदिर गुप्तकाशी में है
  • कोटेश्वर महादेव रूद्रप्रयाग में गुफा मंदिर है
  • मुण्डकटिया गणेश का मंदिर सोनप्रयाग में स्थित है
  • बाणासुर गढ़ मंदिर गुप्तकाशी के पास है।
  • त्रियुगी नारायण मंदिर जो शिव व पार्वती का विवाह स्थल है, कालीमठ कालीदास का जन्म स्थल कविल्टा कालीमठ सिद्धपीठ के पास हैं
  • राज्य में दो जगह विश्वनाथ मंदिर है- उत्तरकाशी व गुप्तकाशी शाकम्भरी देवी का मंदिर त्रियुगी नारायण मंदिर के पास है 
  • कार्तिकस्वामी मंदिर रूद्रप्रयाग जिले में क्रौंच पर्वत शिखर स्थित भगवान कार्तिक का एक मंदिर है। 
  • मां हरियालीदेवी मंदिर रूद्रप्रयाग में स्थित है 
  • नाला का बौद्ध स्तूप रूद्रप्रयाग में स्थित है

रुद्रप्रयाग जनपद में प्रमुख त्योहार/मेले

  • केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने के दिन भतूज उत्सव मनाया। जाता है, इसे अन्नकूट मेला भी कहा जाता है
  • जाख मेला यह रूद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में लगता है जाख मेला की विशेषता जलते अंगारो में नृत्य किया जाता है मां हरियाली देवी का मेला अगस्त्यमुनि में लगता है
  • मठियाणा मेला रूद्रप्रयाग के भरदार पट्टी में लगता है स्वामी कार्तिकेय का मेला रूद्रप्रयाग जिले में क्रौंच पर्वत शिखर पर लगता है
  • राकेश्वरी मेला रूद्रप्रयाग के गुप्तकाशी में लगता है, यहां पूर्णिमा के दिन क्षय रोग से मुक्ति मिलती है
  • कोटेश्वर महादेव मेला रूद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी के तट पर लगता है

रुद्रप्रयाग जनपद प्रमुख व्यक्ति

उमाशंकर सतीश

  • उमाशंकर सतीश का सम्बन्ध रूद्रप्रयाग जिले से है, इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ए लिंग्विस्टिक स्टड़ी ऑफ जौनसारी है उमाशंकर सतीश ने सूरीनाम मे रहकर निबंध लिखे भारत के बाहर एक और भारत, सूरीनाम में हिन्दी और भारतीय संस्कृति । सतीश जी की अन्य रचनांए नया जमाना, पत्थर बोलते है, पर्वतीय जन कर्मभूमि और देवभूमि आदि है

हरिदत भट्ट शैलेश

  • शैलेश जी का जन्म चमोली, वर्तमान रूद्रप्रयाग के भटवाड़ा गांव में 1926 को हुआ, इनकी बेटी हिमानी शिवपुरी फिल्म जगत की प्रसिद्ध अभिनेत्री है। शैलेश जी राजीव गांधी के हाउस मास्टर भी रहे है
  • 19 सितम्बर को इनकी पुण्य तिथि को उत्तराखण्ड में साहित्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • इनके द्वारा रचित रचनाएं शिखर और शिखर, आगे और आगे, अभियान और अभियान, घाट-घाट का पानी, घूमते चेहरे, मेरी संतरंगी सौ कहानियां और नौबत आदि है इनकी स्नो एंड स्नो अंग्रेजी कहानी को बी.बी.सी में प्रकाशित की

जगत सिह चौधरी

  • जगत सिंह चौधरी को उत्तराखण्ड वन विभाग ने ब्रांड अम्बेसडर नियुक्त किया चौधरी जी जंगली के नाम से प्रसिद्ध हैं जगत सिंह चौधरी को 2000 में इंदिरा गांधी वृक्ष मित्र पुरस्कार  मिला और 2006 में आर्यभट्ट सम्मान मिला

चन्द्रकुँवर बर्त्वाल

  • काफल पाकू गीत के लेखक चन्द्रकुँवर बर्त्वाल का सम्बन्ध रूद्रप्रयाग के मालकोटी से है 
  • चन्द्रकुँवर बर्त्वाल को हिदी साहित्य में निराला के समकक्ष रखा। जाता है और नंदिनी गीत इनकी मुख्य रचना है
  • चन्द्रकुँवर बर्त्वाल ने हिमंवत नामक कविता का संग्रह किया

रुद्रप्रयाग जनपद से अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु

  • रूद्रप्रयाग राज्य का सबसे कम उद्योग वाला जिला है रूद्रप्रयाग जिले का पांडव नृत्य व बगड़वाल नृत्य प्रसिद्ध है कालीमठ घाटी रूद्रप्रयाग में स्थित है
  • दुग्गल बिट्टा रूद्रप्रयाग के ऊखीमठ में नैसर्गिक पर्यटक स्थल है मक्कूमठ रूद्रप्रयाग में कत्यूरी शैली का बना हुआ है, इसका सम्बन्ध मार्कण्डेय ऋषि से है
  • तुंगनाथ रूद्रप्रयाग में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित देव मंदिर है अनिकेत समाचार पत्र 1977 से रूद्रप्रयाग से निकलता है सिंगोली-भटवाड़ी परियोजना मंदाकिनी नदी पर है

जनपद रुद्रप्रयाग

  1. विधानसभा सीटें - 2
  2. रूद्रप्रयाग 
  3. केदारनाथ

तहसील - 4

  1. ऊखीमठ 
  2. जखोली 
  3. वसुकेदार 
  4. रूद्रप्रयाग

विकासखण्ड- 3

  1. ऊखीमठ 
  2. जखोली
  3. अगस्तमुनी

ये भी पढ़ें