उत्तराखण्ड प्रमुख विभूतियां
मोलाराम तोमर
- मोलाराम तोमर गढ़वाली शैली के प्रसिद्ध चित्रकार थे
- मोलाराम का जन्म 1743 ई0 में श्रीनगर में हुआ
- मोलाराम के गुरू रायसिंह थे
- मोलाराम के वंशज सुनार थे मोलाराम की माता रामादेवी थी
- मोलाराम जगदम्बा काली का उपासक था मोलाराम के वंशज सुलेमान शिकोह के साथ 1658 में गढ़वाल आए थे
- रामदास व हरदास दो लोग दिल्ली से आए थे, इनमें रामदास का पुत्र हरिदास, हरिदास का पुत्र हीरालाल, हीरालाल का पुत्र मंगतराम और मंगतराम का पुत्र मौलाराम था
- मोलाराम गढवाल आए वंशजों में 5वीं पीढी के थे
- मोलाराम के वंशज मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के थे
- मोलाराम को प्रदीपशाह, ललितशाह, जयकृतशाह, व प्रधुम्न शाह का संरक्षण मिला
- कुंवर प्रीतम शाह मोलाराम से चित्रकला सीखने टिहरी से श्रीनगर जाता था
- मोलाराम की चित्रशाला श्रीनगर में थी
- मोलाराम हिन्दी, फारसी व संस्कृत के अच्छे विद्वान थे
- मोलाराम के पुत्र ज्वालाराम व शिवराम थे।
- मोलाराम के पौत्र का नाम आत्माराम था
- मोलाराम की मृत्यु 1833 ई0 में हुयी
- मोलाराम की रचनाएँ मोलाराम ने मन्मथ पंथ चलाया
- मन्मथ सागर मोलाराम का आध्यात्मिक ग्रंथ है गढ़राज वंश मोलाराम की ब्रजभाषा की श्रेष्ठ रचना है
- मोलाराम की रचनाओं की संख्या लगभग 25 हैं
- श्रीनगर दुर्दशा, मन्मथ सागर, ऋतु वर्णन व अभिज्ञान का हिन्दी अनुवाद मोलाराम की प्रमुख रचनाएं है। शांकुतलम
- गढ़वाली शैली का प्रमुख विषय रूकमणी-मंगल, रामायण,
- महाभारत, कामसूत्र नवग्रह और दशावतार आदि है गढ़गीता संग्राम नाटक मोलाराम की रचना है
- मंयक मुखी चित्र का चित्राकंन प्रौढकाल में किया जबकि मोरप्रिया चित्र मोलाराम का प्रारंभिक अवस्था का था
- मोलाराम का राधाकृष्ण मिलन चित्र विश्व प्रसिद्ध है
- मोलाराम के चित्रों को प्रसिद्धि दिलाने में बैरिस्टर मुकुन्दीलाल का प्रमुख योगदान है।
- मुकुन्दी लाल की पुस्तक गढ़वाल पेंटिग्स 1968 में प्रकाशित हुयी।
वीरांगना तीलू रौतेली
- तीलू रौतेली को गढ़वाल की लक्ष्मीबाई कहा जाता है
- तीलू रौतेली का जन्म पौड़ी गढ़वाल के गुराड़ गांव में हुआ था
- तीलू रौतेली का पूरा नाम तिलोतमा देवी था, इसका जन्म लगभग 1661 में हुआ, तीलू रौतेली के पिता का नाम भूप सिंह गौर्ला था
- गढ़वाल में 8 अगस्त को तीलू रौतेली जयंती मनायी जाती है
- तीलू रौतेली की सहेली बेलु व देवली थी
- तीलू रौतेली की कुलदेवी राजराजेश्वरी थी
- तीलू रौतेली की घोडी का नाम बिदुंली था
- तीलू रौतेली के दो भाई भगतू व पथ्वा थे
- तीलू रौतेली के समय कत्यूरी राजा धामशाही ने गढवाल पर आक्रमण किया
- कत्यूरियों को रोकने के लिए मानशाह की सेना खैरागढ पहुँची
- तीलू रौतेली के पिता भूप सिंह इसी समय सराईखेत के युद्ध में मारा गया। तीलू रौतेली के दोनो भाई कांडा में मारे गए
- 15 वर्ष की आयु में रणभूमि में कूदने वाली गढ़वाल की वीरांगना थी।
- तीलू रौतेली की सहेली वेल्लू भिलण भौण के युद्ध में शहीद हुयी
- सराईखेत के युद्ध में तीलू रौतेली की घोड़ी शहीद हुयी
- तीलू रौतेली की हत्या 22 वर्ष की आयु में पूर्वी नयार नदी के तट पर कत्यूरी सैनिक का नाम रामू रजवार ने की थी
- पौड़ी के वीरोंखाल में तीलू रौतेली की मूर्ति है
रानी कर्णावती
- रानी कर्णावती गढवाल शासक महिपति शाह की पत्नी थी रानी कर्णावती पृथ्वीपतिशाह की संरक्षिका थी।
- मुगल शासक शाहजहां ने अपने सेनापति नजावत खां को 1636 ई० में गढ़वाल पर आक्रमण करने भेजा
- रानी कर्णावती ने अपने से मुगल सैनिकों को पकड़कर उनके नाक कटवा दिए, इसलिये कर्णावती को नाककटनी रानी के नाम से जाना जाता है
- जिस जगह मुगलों की फतह हुई उसका नाम फतेहपुर रखा गया देहरादून में रानी कर्णावती का महल नवादा में था
- कर्णावती ने देहरादून का करनपुर गाँव बसाया था कर्णावती का सेनापति माधो सिंह भंडारी था
जियारानी
- जियारानी को कुमाऊँ की लक्ष्मीबाई कहा जाता है जियारानी का बचपन का नाम मौला देवी था
- जियारानी का उपनाम पिंगला या फ्यौं ला था
- जियारानी हरिद्वार के राजा अमरदेव पुंडीर की पुत्री थी
- जियारानी कत्यूरी शासक प्रीतम देव या पिथौराशाही की दूसरी रानी थी
- पिथौरागढ़ की राजमाता होने के नाते मौला देवी का नाम जियारानी पड़ा था इनके पुत्र का नाम धामदेव था
- जिया रानी की समाधि चित्रशिला रानीबाग में है
- तैमूर लंग व जियारानी की सेना के बीच रानीबाग में युद्ध हुआ. जिसमें रानी को जीत हुयी इस विजय के उपलक्ष्य में कुमाऊँ में आज भी घुघुतियां त्योहार मनाया जाता है।
एडवर्ड जिम कार्बेट
- जिम कार्बेट का जन्म 1875 में नैनीताल में हुआ जिम कार्बेट एक अच्छे शिकारी, पर्यावरण प्रेमी व महान लेखक थे
- जिम कार्बेट के पिता क्रिस्टोफर विलियम व माता मैरी जैन थी
- जिम कार्बेट की अंतिम पुस्तक ट्री टाप थी, 1955 में आयी
- जिम कार्बेट की दूसरी किताब माई कुमाऊँ थी
- जिम कार्बेट की अन्य किताबें माई इंडिया, मैन इटिंग लेपड रूद्रप्रयाग, द हंटर फ्रैंडस, टेम्पल टाइगर आदि
- एडवर्ड जिम कार्बेट की प्रथम पुस्तक मैन ईटर ऑफ कुमाऊँ थी 1957 में इनके नाम पर कार्बेट नेशनल पार्क का नाम पड़ा
- जिम कार्बेट के नाम पर 1976 में डाक टिकट जारी हुआ
वैद्यराज गुमानी पंत
- गुमानी पंत का जन्म 1790 में काशीपुर में हुआ
- गुमानी पंत की माता का नाम देवमंजरी था
- इनके गुरु का नाम हरिदत पंत था
- गुमानी पंत का पूरा नाम लोकनाथ या लोकरत्न पंत था गुमानी पंत काशीपुर के राजा गुमान सिंह देव के राजकवि
- गिर्यसन इन्हे कुमाऊँ का प्राचीन कवि मानते हैं गुमानी पंत टिहरी नरेश सुदर्शन शाह के दरबार में भी रहे गुमानी पंत की अन्य रचनाएं गंगा शतक, राममहिमा, नीतिशतक आदि हैं
फेडरिक विल्सन
- विल्सन के मजदूर उसे राजा विल्सन कहते थे, पहाड़ी जीवनशैली अपनाने की वजह से उसे पहाड़ी विल्सन कहते थे
- उत्तरकाशी की मुखवा गाँव की संग्रामी (गुलाबी रूथ) विल्सन के साथ सादी की थी
- मसूरी स्थित कैमल बैंक सेड के कब्रिस्तान में फ्रेडरिक विल्सन की कब्र स्थित है
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