उत्तराखण्ड राजनैतिक प्रशासन
उत्तराखण्ड राज्य प्रशासन के तीन प्रमुख अंग है
1. कार्यपालिका
2. विधायिका
3. न्यायपालिका 3.
उत्तराखण्ड राज्य का विधानमंडल
संविधान में अनु0 168 में विधानमंडल का प्रावधान किया गया है उत्तराखण्ड राज्य विधानमंडल के दो अंग है1. राज्यपाल (अनु० 153)2. राज्य विधानसभा
राज्यपाल (अनु० 153)
- राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का वैधानिक प्रमुख होता है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए और उच्न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश समक्ष शपथ लेता है। राज्यपाल की न्यूनतम आयु 35 वर्ष और वेतन 3.5 लाख रू० मासिक है
- राज्यपाल अनु० 164 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है।
- मंत्रिपरिषद की संख्या कुल सदस्यों का 15प्रतिशत या न्यूनतम 12 हो सकती है।
उत्तराखण्ड में राज्य विधानसभा
- संविधान के अनु0 170 के तहत विधानसभा गठन का प्रावधान है
- किसी राज्य की विधानसभा में अधिकतम सदस्य 500 व न्यूनतम सदस्य 60 हो सकते हैं
- अनु0 333 के तहत राज्य विधानसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय के एक सदस्य की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है
महाधिवक्ता
- महाधिवक्ता की नियुक्ति अनु० 165 के तहत राज्यपाल करता है।
- महाधिवक्ता राज्य का सर्वोच्च विधि अधिकारी जिसकी योग्यता 10 वर्ष से अधिक समय तक न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा हो
- राज्य के प्रथम महाधिवक्ता ललिता प्रसाद नैथानी जबकि दूसरे मेहरबान सिंह नेगी थे।
उत्तराखण्ड विधानसभा का गठन
- राज्य विधानसभा में (70+1) सदस्य हैं उत्तराखण्ड विधानसभा में एक सदस्य एंग्लो इंडियन होता है
- उत्तराखण्ड विधानसभा की 70 सीटों में कुल 15 सीटे आरक्षित है।
- 13 सीट (S.C) जाति 2 सीटे (S.T) के लिए आरक्षित है राज्य गठन से पूर्व राज्य में कुल 22 विधानसभा एवं 9 विधानपरिषद् की सीटें थी
- 5 नवम्बर 2001 के परिसीमन के बाद विधानसभा की 70 सीटें हुयी फिर फरवरी 2008 में नया परिसीमन किया गया
- उत्तराखण्ड में लोकसभा की 5 सीट और राज्यसभा की 3 सीट हैं
- अल्मोडा लोकसभा सीट- अनुसूचित जाति (S.C) हेतु आरक्षित है
- प्रत्येक लोकसभा सीट में 14-14 विधानसभा क्षेत्र है
उत्तराखण्ड में अंतरिम विधानसभा का गठन
- उत्तरप्रदेश पुर्नगठन विधेयक 2000 के तहत उत्तरांचल
- अंतरिम विधानसभा हेतु 31 सदस्यों की व्यवस्था की गयी थी।
- अंतरिम विधानसभा के गठन से पूर्व विधान परिषद के 9 सदस्यों में से एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने के कारण अंतरिम विधानसभा का गठन 30 सदस्यों से किया गया था
- 9 नवम्बर 2000 को श्री नित्यानंद स्वामी जी उत्तरांचल के प्रथम मुख्यमंत्री बने
- राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री सहित 9 कैबिनेट मंत्री और 4 राज्य मंत्री बने
- अंतरिम विधानसभा में 23 भाजपा के विधायक थे
- 29 अक्टूबर 2001 को श्री भगत सिंह कोश्यारी जी राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने,
- अंतरिम विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत थे अंतरिम विधानसभा का प्रथम सत्र 9 जनवरी 2001 से शुरू हुआ
उत्तराखण्ड में प्रथम निर्वाचित विधानसभा
- राज्य में प्रथम विधानसभा चुनाव 14 फरवरी 2002 को हुआ था प्रथम विधानसभा चुनाव में 54.34 प्रतिशत मतदान हुआ
- कांग्रेस ने 36 सीटें जीती और विपक्ष भाजपा 19 सीटें जीती और उक्रांद ने 4 सीटें जीती 2 मार्च 2002 को नारायण दत तिवारी राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री बनें जो (रामनगर विधानसभा सीट) से चुनाव जीते थे
- प्रथम विधानसभा में केवल 4 महिला जीतकर आई थी प्रथम निर्वाचित विधानसभा में अध्यक्ष यशपाल आर्य बनें थे
उत्तराखण्ड में दूसरी निर्वाचित विधानसभा
- दूसरी विधानसभा के लिए 21 फरवरी 2007 को चुनाव हुआ दूसरी विधानसभा चुनाव में 63.6 प्रतिशत मतदान हुआ
- इस चुनाव में 36 सीटें भाजपा ने और 20 सीटे कांग्रेस ने जीती
- दूसरी विधानसभा में 4 महिलांए निर्वाचित हुयी
- 8 मार्च 2007 को भुवन चन्द्र खण्डुरी राज्य के दूसरे निर्वाचित मुख्यमंत्री बने और विधानसभा अध्यक्ष हरबंश कपूर बने 25 जून 2009 को रमेश पोखरियाल मुख्यमंत्री बने जिनका कार्य काल 2 वर्ष 2 माह 18 दिन रहा और फिर खण्डूरी बनाये गये थे
उत्तराखण्ड में तीसरी निर्वाचित विधानसभा
- तीसरी विधानसभा के लिए मतदान 30 जनवरी 2012 को इसमें कुल मतदान 67.70 प्रतिशत हुआ, हुए थे
- भाजपा को 31 व कांग्रेस को 32 सीटे मिली
- तीसरी विधानसभा में 5 महिला प्रत्याशी जीती
- 13 मार्च 2012 को विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने
- गोविन्द सिंह कुंजवाल को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया
- 1 फरवरी 2014 को हरीश रावत 8वें मुख्यमंत्री बने 27 मार्च 2016 से 11 मई 2016 तक राज्य में 46 दिन तक राष्ट्रपति शासन रहा।
उत्तराखण्ड में चौथी निर्वाचित विधानसभा
- चौथी विधानसभा का चुनाव 15 फरवरी 2017 को हुआ
- इस विधानसभा चुनाव में 65.55 प्रतिशत मतदान हुआ
- चौथे विधानसभा चुनाव में 57 सीटे भाजपा ने जीती 18 मार्च 2017 को त्रिवेन्द्र सिह रावत 9वें राज्य के मुख्यमंत्री बने
- जो डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं • सर्वाधिक 68.29 प्रतिशत उत्तरकाशी में मतदान हुआ और सबसे कम मतदान अल्मोड़ा में हुआ
- चौथे विधान सभा में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल है, जो ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से जीते
- चौथी विधानसभा के चुनाव में 5 महिलाओं ने चुनाव जीता वर्तमान
- दो 'उपचुनाव के बाद महिला सदस्यों की संख्या 7 हो गई है
- चौथी विधानसभा में राज्यपाल द्वारा मनोनीत एंग्लो इंडियन जार्ज | इवान ग्रगोरी मेन है
उत्तराखण्ड में उच्च न्यायालय नैनीताल
- संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा
- अनु 217 के तहत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति | राष्ट्रपति राज्य के राज्यपाल व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श पर करेगा
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष तक पद धारण करते है उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन राज्य की संचित निधि पर भारित होते है, जबकि पेंशन भारत की संचित निधि पर भारित होते है उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए कम से कम 10 वर्षो तक न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा होना चाहिए
- अनु० 226 के तहत उच्च न्यायालय रिट जारी कर सकता है। 9 नवम्बर 2000 को देश का 20वां उच्च न्यायालय का गठन नैनीताल में हुआ
- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के सृजन के समय न्यायाधीशों की संख्या 7 थी, 2003 को न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर 9 हो गयी है वर्तमान में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में 9 स्थायी न्यायाधीश तथा 2 अतिरिक्त न्यायाधीश का प्रावधान किया गया है
- नैनीताल राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को पड़ी, तथा 1900 ई० को कार्य पूर्ण हुआ। नैनीताल राजभवन का निर्माण सर सन्टोनी मैकडोनल्ड ने कराया था
- नैनीताल राजभवन के डिजायन का श्रेय स्टीवंश को जाता है उत्तराखण्ड़ उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश अशोक अभंयकर देसाई थे, अशोक अभंयकर देसाई उच्च न्यायालय में पहले कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी रहे
- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के दूसरे मुख्य न्यायाधीश एस० एच० कपाड़िया थे
- सरोश होमी कपाड़िया पारसी समुदाय के पहले व्यक्ति मुख्य न्यायाधीश बने
- उच्च न्यायालय के सातवें मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर | थे, जो देश के सर्वोच्च न्यायालय के 44वें मुख्य न्यायाधीश भी बने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के 9वें मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ थे, जो राज्य में राष्ट्रपति शासन के समय मुख्य न्यायाधीश थे
- राज्य उच्च न्यायालय के 11वें व वर्तमान मुख्य न्यायाधीश-2021 राघवेन्द्र सिंह चौहान है राज्य उच्च न्यायालय के प्रथम रजिस्ट्रार G.C.M रावत थे,
उत्तराखण्ड में अधीनस्थ न्यायालय
- प्रत्येक जिले में तीन तरह के न्यायालय होते है
1- दीवानी या सिविल न्यायालय2- फौजदारी या अपराधिक न्यायालय3 - भू-राजस्व न्यायालय
- जिले का न्यायाधीश जब दीवानी मामलों की सुनवाई करता है तो उसे जिला न्यायाधीश कहते है
- जब न्यायाधीश फौजदारी मामलों की सुनवाई करता है, तो सत्र
- न्यायाधीश या सैसन जज कहा जाता है।
- अनुच्छेद 233 के तहत जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल
- उच्च न्यायालय के परामर्श पर करता है
- जिला न्यायाधीश बनने के लिए कम से कम 7 वर्षो तक अधिवक्ता का कार्य किया हो राज्य में मुकदमों के शीघ्र निपटान के लिए 45 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन अप्रैल 2001 में किया गया है।
- 1 नवम्बर 2011 में राज्य विधानसभा में लोकायुक्त विधेयक पारित किया गया
उत्तराखण्ड में राज्य पदाधिकारी
- राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी थे
- राज्य के द्वितीय मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी थे
- राज्य के तृतीय मुख्यमंत्री व प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री नारायण दत तिवारी थे, चतुर्थ मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खण्डूरी, राज्य के पंचम मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल थे, राज्य के 7वें मुख्यमंत्री श्री
- विजय बहुगुणा थे, राज्य के 8वें मुख्यमंत्री हरीश रावत थे
- उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला थे
- उत्तराखण्ड राज्य के द्वितीय राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल थे
- उत्तराखण्ड राज्य के तीसरे राज्यपाल बी.एल. जोशी जो सबसे कम समय तक राज्य के राज्यपाल रहे
- उत्तराखण्ड के चौथे व प्रथम महिला राज्यपाल माग्रेट अल्वा थी
- उत्तराखण्ड के पांचवे व पहले मुस्लिम राज्यपाल अजीज कुरैशी थे
- उत्तराखण्ड के 6वें राज्यपाल कृष्ण कांत पाल थें,
- उत्तराखण्ड कें सातवें तथा दूसरी महिला राज्यपाल बेबी रानी मौर्य है जो वर्तमान में भी है
- राज्य के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष प्रकाश पंत थे
- राज्य के चौथे विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अगवाल
- राज्य के पहले महाधिवक्ता ललित प्रसाद नैथानी थे
- राज्य के दूसरे महाधिवक्ता मेहरबान सिंह नेगी थे
- उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश अशोक अभंयकर देसाई थे
- राज्य मानवधिकार आयोग के प्रथम अध्यक्ष विजेन्द्र जैन थे राज्य लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष एन. पी. नवानी थे
- राज्य के प्रथम लोकायुक्त न्यायमूर्ति ए. राजा थे राज्य के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त आर. एस. टोलिया थे
- राज्य के प्रथम मुख्य सचिव अजय विक्रम सिंह थे
- राज्य के प्रथम पुलिस महानिदेशक अशोक कान्त शरण थे राज्य में प्रथम महिला आयोग के अध्यक्ष संतोष चौहान थी
- प्रथम महिला पुलिस महानिदेशक कंचन चौधरी भटाचार्य थी
- प्रथम राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष भरत सिंह रावत थे
- राज्य की पहली मेयर मनोरमा शर्मा थी
- राज्य के प्रथम शिक्षा सचिव एन. रविशंकर थे
- राज्य में प्रथम राज्य वित आयोग के अध्यक्ष एस. के. घर थे
- राज्य में द्वितीय राज्य वित आयोग के अध्यक्ष जे. सी श्रीवास्तव थे
- राज्य में तृतीय राज्य वित आयोग के अध्यक्ष इन्दु कुमार पाण्डे थे
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