1815 ई0 के बाद गढ़वाल नरेश
सुदर्शन शाह
- सुदर्शन शाह का कार्यकाल 1815-1859 ई0 तक रहा था
- अग्रेंजो ने इस पर 7लाख रू० न देने का आरोप लगाकर श्रीनगर अपने अधीन कर लिया
- सुदर्शन ने 28 दिसम्बर 1815 को टिहरी में अपनी राजधानी बनायी
- टिहरी नगर की सिंह राशि थी
- सुदर्शन शाह ने टिहरी में 700 रू0 में 30 छोटे-छोटे घर बनवाए
- टिहरी राज्य स्थापना दिवस को रेस्टोरेशन डे के रूप में मनाया जाता है
- सुदर्शन शाह 1804 से 1814 ई0 तक कनखल, ज्वालापुर हरिद्वार में रहा बरेली प्रवास के दौरान सुदर्शन शाह की मुलाकात कैप्टन हियरसी से हुयी
- 1817 ई० में कुँवर प्रीतम शाह का आगमन टिहरी में हुआ, जिसे
- गोरखा सैनिक नेपाल ले गए थे।
- 1820 ई0 मे ब्रिटिश पर्यटक मूरक्राफ्ट टिहरी आया था सुदर्शन शाह एक कला प्रेमी कवि था इसलिये सुदर्शन शाह को कलाविदों का शिरोमणी यह कथन मूरक्राफ्ट ने कहा
- सुदर्शन शाह का विवाह हिमाचल के खनेती ठाकुर की पुत्री से हुआ 4 मार्च 1820 ई0 में ब्रिटिश सरकार ने टिहरी गढ़वाल पर सुदर्शन शाह के वंशजो का अधिकार स्वीकार किया
- 1859 ई0 को सुदर्शन शाह की मृत्यु हो गयी सुदर्शन शाह के कार्य
- 1823 में टिहरी का पहला भूमि बंदोबस्त हुआ
- 1824 ई0 में रवांई परगना को टिहरी राज्य में शामिल किया था दिसम्बर 1842 ई0 में टिहरी रियासत में ब्रिटिश प्रतिनिधि के रूप में कुमांऊ कमीश्नर को सौंपा गया
- 1848 ई0 में सुदर्शन शाह ने टिहरी में राजभवन बनाया जिसे पुराना दरबार कहा जाता था
- सुदर्शन शाह ने ग्रामों की व्यवस्था के लिए कमीण व सयाणा की नियुक्ति की
- राजस्व व धन एकत्र करने के लिए कामदार नामक अधिकारी थे अजबराम ने सुदर्शन शाह को दाता ज्ञाता सूरमा कहा
- चैतू व माणकू कलाकार को आश्रय सुदर्शन शाह ने प्रदान किया
- सुदर्शन शाह ने अपने आप को सूरत कवि के नाम से सम्बोन्धित करता था • टिहरी की जनता राजा सुदर्शन शाह को बोलांदा बद्रीश कहती थी
- सुदर्शन शाह ने अग्रेंज अधिकारी फ्राइडन की रक्षा बाघ से की
- सुदर्शन शाह ने कवि सूरत के नाम पर सभासार ग्रंथ की रचना 7 खण्डो में की। सभासार ग्रंथ में ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ था
महाराजा भवानी शाह
- सुदर्शन शाह के छोटे बेटे शेरशाह ने कुछ समय के लिए सत्ता हस्तगत कर ली थी भवानीशाह साधु प्रकृति के नरेश थे
- ब्रिटिश सरकार ने बीच में आकर भवानी शाह को गद्दी पर बैठाया
- भवानी शाह का कार्यकाल 1859 ई0 से 1871 ई0 तक था • भवानी शाह की माता का नाम गुणदेवी था
- देवप्रयाग में 1862 ई0 को एक संस्कृत पाठशाला बनवायी
महाराजा प्रताप शाह
- प्रताप शाह ने 1871 से 1886 ई0 तक शासन किया
- प्रताप शाह ने 1877 ई0 में प्रतापनगर नामक नगर की नींव रखी, जो जलकुर नदी तट पर था
- प्रताप शाह ने टिहरी में अंग्रेजी शिक्षा की नींव रखी
- प्रताप शाह ने टिहरी में प्रताप प्रिंटिंग प्रेस खोली
- प्रताप शाह ने टिहरी में सर्वप्रथम पुलिस विभाग की स्थापना
- 1873 ई0 में प्रतापशाह ने भूमि व्यवस्था की जिसे ज्यूला पैमाइश कहते है
- प्रताप शाह ने राज्य को 22 पट्टियों में विभक्त किया, इनके लिए कारदार की नियुक्ति की
- कारदार गढ़वाल रियासत में पटवारियों के समान होते थे
- टिहरी-मसूरी - श्रीनगर राजमार्ग का निर्माण करवाया
- प्रताप शाह ने 1883 ई0 में एंग्लो-वर्नाक्यूलर मिडिल स्कूल की
- स्थापना की, जिसका नाम कीर्तिशाह ने प्रताप हाईस्कूल किया
- टिहरी में प्रताप शाह ने न्यायालय भवन का निर्माण किया, जिसे चीफ कोर्ट कहा जाता था
- 1876 में प्रतापशाह ने राजधानी में पहला खैराती शफाखाना स्थापित किया
- प्रताप शाह के समय 1882 ई० में लक्ष्मू कठैत के नेतृत्व में ढाण्डक आंदोलन हुआ
- प्रतापशाह के तीन पुत्र थे.
- 1. कीर्तिशाह, 2. विचित्रशाह 3. कुँवर सुरेन्द्र शाह
महारानी गुलेरिया
- महारानी गुलेरिया प्रतापशाह की पत्नी थी गुलेरिया का मूल नाम कुन्दनदेई था
- गुलेरिया का जन्म हिमाचल प्रदेश रियासत मंडी में हुआ था • प्रतापशाह की मृत्यु के बाद पूरे टिहरी रियासत में 1 वर्ष तक शोक मनाया गया
- महारानी ने कौंसिल ऑफ रीजेन्सी की सहायता से राज्य का शासन चलाया
लक्ष्मू कठैत
- लक्ष्मू कठैत रायबहादुर पदवी से सम्मानित होने वाले प्रथम गढ़वाली था
- लक्ष्मू कठैत टिहरी में रवांई परगने का प्रशासक था
- प्रताप शाह के समय पाला बिसाऊ एक टैक्स की प्रथा थी, जिसका विरोध लक्ष्मू कठैत द्वारा पाला बिसाऊ प्रथा के खिलाफ राजा से विद्रोह किया था
महाराजा कीर्तिशाह
- कीर्तिशाह की संरक्षिका महारानी गुलेरिया थी
- कीतिशाह का शासन 1886 ई0 से 1913 ई0 तक रहा
- कीर्तिशाह ने अजमेर के मेयो कालेज से शिक्षा प्राप्त की
- 27 मई 1898 में कीर्तिशाह को सम्पूर्ण अधिकार प्राप्त हुआ।
- 1898 में गोरी सरकार ने कीर्तिशाह को कम्पेनियन ऑफ इंडिया की उपाधि प्रदान की
- कीर्तिशाह को 1900 में इंग्लैंड में 11 तोपों की सलामी और 1901 ई० में नाइट कमांडर की उपाधि दी गयी।
- कीर्तिशाह ने तारादत गैरोला को विधि परामर्शदाता नियुक्त किया
- कीर्तिशाह के समय में 1902 में स्वामी रामतीर्थ टिहरी गढ़वाल आए
- कीर्तिशाह ने स्वामी रामतीर्थ को जापान में अंतर्राष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में भेजा था
- आगरा दरबार में वाइसराय लैंसडाउन ने भारतीय नरेशों के सम्मुख कीर्तिशाह की प्रशंसा की
- दिल्ली दरबार 1903 में कीर्तिशाह को सर या के. सी.एस.आई की उपाधि दी गई
- कीर्तिशाह ने अकबर के समान दीन ए इलाही धर्म तो नहीं चलाया, परन्तु सर्व धर्म सम्मेलन के लिए एक सभा बुलाई थी इसलिये उन्हें गढ़वाल का अकबर भी कहा जाता है
कीर्तिशाह के कार्य
- कीर्तिशाह ने टिहरी में प्रताप हाईस्कूल को उच्चीकृत किया
- कीर्तिशाह ने 1909 ई0 में हीवेट संस्कृत पाठशाला की स्थापना की
- टिहरी में कीर्तिशाह ने वेधशाला का निर्माण कराया कीर्तिशाह ने टिहरी में नगरपालिका की स्थापना की
- टिहरी जनता को पहली बार बिजली की सुविधा से अवगत किया • उत्तरकाशी में एक कुष्ठ आश्रम खोला और टिहरी में एक प्रेस खोला
- टिहरी में कृषकों के कल्याण के लिए कृषि बैंक की स्थापना की, जिसका नाम बैक ऑफ गढ़वाल रखा
- कीर्तिशाह ने हिन्दी टाइपराइटर का आविष्कार कियां
- कीर्तिशाह ने टिहरी घंटाघर का निर्माण 1897 ई0 में किया था इस घंटाघर की ऊँचाई 110 मीटर थी
- कीर्तिशाह ने कीर्तिनगर की स्थापना 1894 में की
- कीर्तिशाह ने टिहरी में माइनर्स व सेपर्स फोर्स का गठन किया था
नरेन्द्र शाह
- नरेन्द्र शाह 1913 ई0 से 1946 ई0 तक गद्दी पर बैठा
- इसकी संरक्षिका राजमाता नेपालिया थी।
- कीर्तिशाह की मृत्यु के बाद नरेन्द्रशाह अल्पव्यस्क होने के कारण इनके संरक्षण के लिए संरक्षण समिति बनायी गयी
- संरक्षण समिति में अंग्रेजी अफसर शौमियर भी था व दूसरे सदस्य दीवान हरिकृष्ण रतूड़ी थे
- नरेन्द्रशाह का विवाह हिमाचल के क्यूंठल रियासत की राजकुमारी सगी बहनों कमलेन्दु मति व इन्दुमति के साथ हुआ
- अक्टूबर 1919 ई० में विजयदशमी अवसर पर राज्याधिकार मिला
- 1921 में नरेन्द्र नगर की स्थापना की और 1925 में राजधानी
- स्थानान्तरित की, इस प्रक्रिया में 30 लाख खर्च हुए थे 1921 में ब्रिटिश सरकार C.I.E व 1931 में सर या K.C.S.I की उपाधि प्रदान की थी।
- नरेन्द्र शाह के समय दो कलंकपूर्ण घटनाएं हुयी
- 30 मई 1930 को तिलाड़ी कांड, दीवान चक्रधर जुयाल द्धारा
- 25 जुलाई 1944 को श्रीदेव सुमन भूख हड़ताल से मृत्यु
- 23 ज० 1939 देहरादून में टिहरी प्रजामंडल की स्थापना हुयी
नरेन्द्रशाह के कार्य
- राज्य में भूमि व्यवस्था की डोरी पैमाइश प्रथा का प्रयोग किया हरीकृष्ण रतूड़ी द्वारा रचित नरेन्द्र हिन्दू लॉ को टिहरी राज्य के सभी न्यायालयों में संहिता के रूप में प्रयोग किया गया था जो 1918 ई0 में प्रकाशित हुआ
- नरेन्द्र शाह ने शेरशाह सूरी की भाँति अनेक सड़को का निर्माण कराया। अतः गढवाल का शेरशाह सूरी कहा जा सकता है
- 1920 में राजा ने बरा व बेगार जैसी कुप्रथाओं को समाप्त किया
- 1920 ई0 में एक कृषि बैंक की स्थापना नरेन्द्र शाह ने की
- 1923 ई० को टिहरी में सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की
- नरेन्द्र शाह ने प्रताप हाइस्कूल को इण्टर कालेज बना दिया बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को सन् 1933 ई0 में कीर्तिशाह की स्मृति में 1 लाख रू० दान में दिए। इस राशि से यहाँ सर कीर्तिशाह चेयर आफ इन्डस्ट्रिसल कैमिस्ट्री की स्थापना हुयी
- बनारस विवि ने 1937 ई० में एल०एल०डी० की उपाधि दी 1921 में टिहरी में प्रथम बार जनगणना करवायी
- 1938 में नरेन्द्र नगर में टिहरी हाईकोर्ट की स्थापना
- प्रथम मुख्य न्यायाधीश मुकुन्दी लाल 1938 ई0 से 1943 तक रहे
- टिहरी में 1934 में रेड क्रास सोसायटी की स्थापना की गयी
- 1939 में टिहरी राज्य में कुष्ठ विधान पारित किया गया
- 1943 ई0 में टिहरी राज्य में टीका विधान पारित किया गया
मानवेन्द्र शाह
- अगस्त 1946 को टिहरी राज्य में प्रजामंडल को वैधानिक स्वीकृति मिली थी
- अक्टूबर 1946 में महाराजा मानवेन्द्रशाह को राज्याधिकार मिला
- मानवेन्द्रशाह टिहरी रियासत के अंतिम महाराजा हुये
- टिहरी में 28 अप्रैल 1947 को शांति रक्षा अधिनियम बनाया गया।
- 15 अगस्त 1947 को प्रजामंडल के अध्यक्ष परिपूर्णानंद पैन्यूली जी थे
- 1947 में सकलाना विद्रोह टिहरी में हुआ
- 1948 में कीर्तिनगर आन्दोलन में भोलूराम व नागेन्द्र सकलानी शहीद हुये
- 1948 ई0 में टिहरी प्रजामंडल व राजा के बीच बैठक हुई, जिसमें संविधान सभा निर्वाचन पर सहमति बनी
- टिहरी राज्य में अंतरित मंत्रीपरिषद् ने 15 फरवरी 1948 को ली और ज्योतिप्रसाद मुख्यमंत्री नियुक्त हुये
- राज्य की संविधान सभा ने 49 बैठके की और उसके अध्यक्ष शपथ पुरूषोतम दत रतूड़ी थे
- 1 अगस्त 1949 को टिहरी राज्य का भारत में विलयी करण हुआ, सयुक्त प्रांत का 50 वां जिला बना
- विलयीकरण पत्र में सर्वप्रथम हस्ताक्षर करने वाले परिपूर्णानंद पैन्यूली थे
- राजमाता कमलेन्दुमति शाह प्रथम टिहरी सांसद चुनी गयी 1958 में समाज सेवा के लिए इन्हें पदम विभूषण मिला
- मानवेन्द्र शाह 1957 से 2004 तक टिहरी गढ़वाल से सांसद रहे
- 1977 ई० में राजा को परिपूर्णानंद पैन्यूली ने चुनाव में हराया था।
- मानवेन्द्र शाह की मृत्यु 5 जनवरी 2007 को हुयी
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