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उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन/British rule in Uttarakhand

उत्तराखण्ड में ब्रिटिश शासन

  • 1815 ई0 में उतराखण्ड में ब्रिटिश शासन प्रारम्भ हुआ गढ़वाल दो। भागों में विभक्त हुआ, अलकनन्दा नदी के पूर्व के भूभाग पर अंग्रेजों का अधिकार होने से ब्रिटिश गढ़वाल व अलकनंदा के पश्चिमी भाग को टिहरी गढ़वाल कहा गया
  • अग्रेंजों ने सर्वप्रथम काशीपुर में भांग की फैक्ट्री लगायी 
  • मई 1815 ई0 में एडवर्ड गार्डनर ब्रिटिश कुमाऊँ के प्रथम कमीश्नर नियुक्त हुए
  • गार्डनर का कार्यकाल कुल 9 महीने तक रहा, और उसकासहायक ट्रैल था
  • टिहरी रियासत में ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कुमाऊँ कमीश्नर को अधिकार दिया गया
  • 1825 से 1842 ई0 तक देहरादून का कमीश्नर टिहरी रियासत में ब्रिटिश एजेंट के रूप में कार्य किया
  • टिहरी रियासत को 1937 में पंजाब हिल स्टेट एजेंसी के साथ संयुक्त किया गया
  • 1864 ई0 में कुमाऊँ कमीश्नर का पद स्वयं में उच्च न्यायालय बन गया था
  • 1926 में कुमाऊँ क्षेत्र को इलाहबाद हाईकोर्ट के न्यायाधिकार के अन्तर्गत रखा गया
  • 1839 ई0 में गढ़वाल जिले का गठन किया गया तराई जिले का गठन 1842 ई0 में किया गया
  • कुमाऊँ में कुल 23 ब्रिटिश कमिश्नर व एक भारतीय कमिश्नर रहा कुमाऊँ में स्वतंत्रता के बाद 1947 से 1948 ई0 तक के एल. मेहता ने कुमाऊँ कमिश्नर का पद संभाला 
  • ब्रिटिश कुमाऊँ का 23वां कमिश्नर डब्ल्यू फिनले जो 1943 से 1947 तक इस पद पर बना रहा
  • भारत स्वतंत्रता के समय कुमाऊँ कमीश्नर डब्ल्यू फिनले था 
  • ब्रिटिश कुमाऊँ का 22वां कमिश्नर जे सी एक्टन था, जो 1941 से 1943 तक रहा इससे पहले कमिश्नर मि० स्टाईफ थे
  • असहयोग आन्दोलन के समय कुमाऊँ कमिश्नर पीं विढम था, जिसका कार्यकाल 1914 से 1921 तक रहा
  • स्वदेशी आंदोलन के समय कुमाऊँ कमिश्नर कैम्पवेल था, जिसका कार्यकाल 1906 से 1914 ई0 तक था 1884 को रैम्जे के बाद कुमाऊँ कमीश्नर फिशर था 
  • 1885 ई0 में कांग्रेस की स्थापना के समय कुमाऊँ कमिश्नर जी० रोस थे
  • लुशिगंटन ने 1845 में खैरना-नैनीताल मार्ग पर कार्य आरम्भ किया 1848 में बागेश्वर के गोमती नदी में पुल का निर्माण लुशिगंटन द्वारा किया गया
  • 1847 ई0 में नैनीताल में एक सर्जन नियुक्त किया गया
  • 1848 में अल्मोड़ा में डिसपेंसरी कमेटी गठित की गयी और अल्मोंडा में एक औषधालय की स्थापना की गयी
  • लुशिगंटन के सम्बन्ध में कवि गुमानी पंत ने कुछ छंद लिखे है

जॉन हैलिट बैटन

  • लुशिंगटन के बाद बैटन 1848 से 1856 तक कुमाऊँ कमिश्नर रहा • बेटन ने बीस साला बन्दोबस्त किया इसकी विशेषता खसरा सर्वेक्षण था
  • कमिश्नर स्ट्रैची द्वारा गढ़वाल में लोहे का प्रथम संस्पेशन पुल का निर्माण श्रीनगर में कराया, इसकी लागत 17078-1853 में पूर्ण हुआ

सर हेनरी रैम्जे

  • रैम्जे कुमाऊँ में 44 वर्षो तक विभिन्न पदो पर कार्यरत थे, कमिश्नर के रूप में 28 वर्षों तक कार्य किया
  • हेनरी रैम्जे 1856 से 1884 तक कमिश्नर के पद पर रहे, जो कुमाऊँ के 6वें कमिश्नर थे
  • कुमाऊँ में उन्हे रामजी साहब कहा जाता था
  • रैम्जे मूल रूप से स्कॉटलैंड के निवासी थे और गवर्नर जनरल डलहौजी के चचेरे भाई थे
  • रैम्जे का विवाह पूर्व कमिश्नर लुशिगंटन की बेटी से हुआ था
  • रैम्जे को कुमाऊँ का बेताज बादशाह भी कहा जाता है
  • रैम्जे पहाड़ी बोली बोलने में सक्षम थे, और किसानों व मजदूरों घर मंडुवे की रोटी खा लेते थे
  • रैम्जे ने कुमाऊँ में अंग्रेजों को बसाने का विरोध किया था
  • उत्तराखण्ड में आपदा प्रबन्धन का प्रथम प्रयास रैम्जे ने किया था
  • हेनरी रैम्जे ने नैनीताल शहर को स्कूली शिक्षा के केन्द्र के रूप मे विकसित किया
  • हेनरी रैम्जे चार-चार महीने के अंतराल में बिनसर, अल्मोंडा व भाबर में निवास करते थे
  • पादरी विलियम बटलर ने नैनीताल में 1858 में भारत के प्रथम मैथोडिस्ट चर्च की स्थापना की 
  • रैम्जे ने तराई भाबर के विकास हेतु तराई इम्प्रूवमेन्ट फण्ड 1883 में स्थापित की
  • 1867 में नैनीताल में प्रथम बार भूस्खलन हुआ, इसके कारणों का पता लगाने के लिए हिलसाइट सेफ्टी कमेटी गठित की गयी।
  • नैनीताल में 1880 मे संकटपूर्ण भूस्खलन हुआ, जिसमे 151 लोग मारे गए
  • विकेट बन्दोबस्त 1863-73 ई0 पहली बार वैज्ञानिक तरीके से भूमि बंदोबस्त किया और यह अंग्रेजों द्वारा 9 वां भूमि बन्दोबस्त था
  • रैम्जे ने उत्तराखण्ड में कन्जरवेटर के पद पर कार्य करते हुये 
  • ठेकेदारी प्रथा को समाप्त किया
  • अधिसूचित जिला अधिनियम 1874 को पारित किया गया, 1931 में कुमाऊँ में वन पंचायतों के लिए बनाए गए नियम इस अधिनियम के तहत थे
  • 1884 में सेवानिवृत होने के बाद भी रैम्जे 1892 तक अल्मोड़ा में रहते थे

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