पृथक राजधानी गैरसैंण की मांग
- 1992 को उत्तराखण्ड क्रांति दल ने अपना पहला ब्लूप्रिंट जारी करते हुए गैरसैंण को प्रस्तावित राजधानी माना और उसका नाम चन्द्रनगर रखा
- कौशिक समिति ने प्रस्तावित राज्य की राजधानी गैरसैंण बनाने की सिफारिश की, जिसको 68 प्रतिशतलोगो ने स्वीकार किया था
- 11 जनवरी 2001 को अंतरिम सरकार ने स्थायी राजधानी चयन आयोग का गठन किया, जिसको पुनः निर्वाचित सरकार ने नवम्बर 2002 को पुनर्जीवित किया
- 1 फरवरी 2003 को जस्टिस विरेन्द्र दीक्षित आयोग के अध्यक्ष बने
- समिति ने 17 अगस्त 2008 को अपनी 60 पन्नों की रिपोट मुख्यमंत्री को सौंपी
- दीक्षित आयोग ने स्थायी राजधानी के लिए 5 शहरों का चयन किया- देहरादून, काशीपुर, रामनगर, ऋषिकेश व गैरसैंण ।
- दीक्षित आयोग ने स्थायी राजधानी के लिए देहरादून और काशीपुर को योग्य पाया तथा इस आयोग का कार्यकाल 11 बार बढ़ाया गया
- 3 नवम्बर 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में कैबिनेट की बैठक बुलाई
- 14 जनवरी 2013 को भराड़ी सैंण में द्वितीय विधानसभा भवन निर्माण का शिलान्यास किया
- 9 नवम्बर 2013 को गैरसैंण के भराड़ी सैंण में द्वितीय विधान सभा भवन निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया • 2017 में गैरसैंण में विधानसभा का सत्र प्रारम्भ हुआ
- 4 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा हुयी
- 8 जून 2020 को राज्यपाल द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने की स्वीकृति प्रदान की गयी
- गैरसैंण वर्तमान चमोली जिले में पड़ता है
- गैरसैंण दूधातौली व व्यासी श्रृंखलांओं से घिरा है
- गैरसैंण जो ब्रिटिश गढ़वाल के चांदपुर परगने की लोहाब पट्टी में स्थित है, उत्तराखण्ड का पामीर दूधातौली गैरसैण में पड़ता है
- गैरसैंण में आटागाड़, प० रामगंगा, पूर्वी व पश्चिमी नयार नदियां बहती है, यह गढ़वाल व कुमाऊँ मंडल के मध्य बिन्दु पर स्थित है
- 2015-16 में गैरसैंण को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया
- 2014 को गैरसैंण व अल्मोडा जनपद के चौखुटिया मिलाकर गैरसैंण विकास परिषद् का गठन किया गया
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