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उत्तराखण्ड में वन पंचायत /Forest Panchayat in Uttarakhand/Van Panchayat in Uttrakhand

उत्तराखण्ड में  वन पंचायत /Forest Panchayat in Uttarakhand/Van Panchayat in Uttrakhand

 वन पंचायत 

  • 13 अप्रैल 1921 में सरकार ने फॉरेस्ट ग्रीवेन्स कमेटी का गठन किया, जिसका उद्देश्य जनता में व्याप्त वन कष्टों को दूर करना 
  • फॉरेस्ट ग्रीवेन्स कमेटी के अध्यक्ष पी0 वैण्ढम थे
  • फॉरेस्ट ग्रीवेन्स कमेटी ने 28 अक्टूबर 1921 को अपनी रिपोर्ट दी • इस कमेटी की सिफारिश के आधार पर 1925 में मद्रास प्रेसीडेंसी में स्थित कम्युनिटी फारेस्ट के पंचायती प्रबंधन के तर्ज पर वन पंचायतो की स्थापना करने का निर्णय लिया गया
  • वन समिति ने कैलाश गैरोला को वन पंचायत की संभावनाओं को तलाशने के लिए मद्रास भेजा, कैलाश गैरोला की यात्रा 10 जनवरी 1928 तक चली
  • शिड्यूल्ड डिस्ट्रिक्ट एक्ट 1874 के अन्तर्गत वन पंचायत का गठन 1931 में किया गया
  • 1932 में चमोली जनपद में वन पंचायतों का गठन किया गया
  • वन प्रबंधन का पहला कदम 1823 में ट्रैल द्वारा उठाया गया
  • पहाड़ों मे जगलो की सुरक्षा व रखरखाव का कार्य रैम्जे द्वारा 1859 से किया गया
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय वन आन्दोलन का प्रमुख क्षेत्र सल्ट था,
  • सल्ट क्षेत्र में जागृति का श्रेय पुरूषोतम उपाध्याय तथा लक्ष्मण सिंह अधिकारी को जाता है
  • धन आन्दोलन के नेतृत्व के लिए हर्षदेव ओली को शक्ति नामक
  • पत्रिका में काली कुमाऊँ का मुसोलिनी कहा गया कवि गौर्दा ने वृक्षन के विलाप नामक शीर्षक से कुमाऊँनी कविता लिखी

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