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उत्तराखण्ड में गोरखा शासन/Gorkha rule in Uttarakhand

उत्तराखण्ड में गोरखा शासन

  • जनवरी 1790 में गोरखों ने अमर सिंह थापा, हस्तीदल चौतरिया व शूरवीर थापा के नेतृत्व में कुमांऊ पर आक्रमण किया
  • गोरखा सेना दो टुकड़ों में बंट गई थी, एक काली नदी पार कर सौर क्षेत्र में प्रवेश व दूसरी सेना ने विसुंग पर अधिकार कर अल्मोड़ा की ओर बढ़ी
  • 1790 ई० हवालबाग में हुए साधारण युद्ध में चंद राजा महेन्द्र चंद परास्त हुआ और अल्मोड़ा किले पर गोरखों का कब्जा हुआ 
  • कुमाऊँ पर गोरखाओं के अधिकार के बाद प्रथम गोरखा सूबेदार या सुब्बा जोग मल्ल शाह नियुक्त हुआ
  • कुमाऊँ पर गोरखाओं का अधिकार 1790 ई० से 1815 ई0 तक रहा. इनका 25 वर्ष तक शासन रहा था कुमाऊँ का दूसरा सूबेदार काजी नर शाही को बनाया गया था
  • नरशाही के काल में मंगलवार रात्रि कांड हुआ था, जिसके लिए प्रचलित कहावत मंगल की रात और नरशाही का पाला है
  • तीसरा गोरखा सुबेदार अजब सिंह थापा को बनाया गया
  • अजब सिंह थापा के समय अल्मोंडा के 1500 ग्राम प्रमुखों का सामूहिक नरसंहार हुआ था 
  • 1806 ई० में चौतरिया बमशाह सुबेदार बना, जो 1814 ई0 तक बना रहा
  • 1815 ई0 में सुबेदार फेजर साहब बहादुर था

नेपाल में गोरखा राज्य

  • नेपाल पहले छोटी-छोटी 24 रियासतों में विभक्त था. इनमें से एक राज्य में नरभूपाल शाह राज करता था
  • नेपाल एकीकरण का कार्य पृथ्वी नारायण शाह ने 1742 से 1775 ई0 के बीच किया
  • इसके बाद उसके पुत्र प्रतापशाह ने 1778 ई0 तक राज किया
  • 1778 ई0 में रणबहादुर शाह राजा बना, जिसकी संरक्षिका रानी इन्द्रलक्ष्मी थी
  • रणबहादुर शाह 1778 ई0 से 1804 ई0 तक नेपाल का राजा था
  • गोरखा सेना ने 1790 ई0 में हर्षदेव जोशी की सहायता से अल्मोड़ा पर अधिकार कर लिया था
  • राहुल सांकृत्यायन ने हर्षदेव जोशी को विभीषण की संज्ञा दी
  • 1790 ई0 में रणबहादुर शाह केवल 15 वर्ष का था, उसके संरक्षक उसके चाचा चौतरिया बहादुर शाह था
  • गोरखो ने 1791 ई० में लंगूरगढ़ के किले पर घेरा डाला था 1792 ई० में लंगूर गढ़ की संधि हुयी, जिसके तहत प्रधुम्न शाह कुछ राशि देना स्वीकार किया 
  • उतराखण्ड में गोरखा शासन को गोरख्याली कहा जाता है ने
  • 1803 ई0 में अमर सिंह थापा व हस्तिदल चौतरिया के नेतृत्व में गोरखों ने आपदा ग्रस्त गढ़वाल पर आक्रमण किया
  • 1804 ई0 में अमरसिंह थापा व उसके पुत्र रणजोर थापा ने गढ़वाल कुमाऊँ का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया।
  •  हस्तिदल शाह गढ़वाल में गोरखा प्रशासक रहा था 1804 के बाद नेपाल के राजा बिक्रम शाह था

गोरखा शब्दावली

  • ब्राह्मण दासों को कठुआ कहा जाता था
  • गोरखा शासन में न्यायाधीश को विचारी कहा जाता था
  • गोरखा कार्यरत सैनिको को जागरिया कहा जाता था
  • दो वर्ष के लिए सेवा मुक्त सैनिकों को ढाकरिया कहा जाता था
  • गोरखा लोग शिल्पकर्मियों को कामी कहते थे 
  • गोरखा लोग नाई को नौ कहते थे
  • गोरखा लोग दशहरा को दशाई कहते हैं यह इनका प्रिय त्योहार है 
  • मंदिरों को दान भूमि को गूंठ भूमि कहा जाता था

गोरखा प्रशासन

  • 1790 अल्मोड़ा पर अधिकार के समय नेपाल नरेश रणबहादुर शाह था
  • सच व झूठ का पता करने के लिए दिव्य अग्नि परीक्षा होती थी 
  • दिव्य परीक्षा तीन प्रकार की होती थी गोला दीप, कढ़ाई दीप और तराजू दीप
  • गोला दीप प्रथा में हाथ में लोहे का डंडा रखकर कुछ दूरी तक चलना होता था गवाह के बयान पर संदेह होने पर उसके सिर पर महाभारत या हरिवंश रखकर कसम कराई जाती थी
  • गोरखा सैनिकों का मुख्य हथियार खुकरी था
  •  खुकरी बनाने का प्रमुख केन्द्र गढ़ी नगर था
  • नेवार जाति के लोहार खुकरियां बनाते थे
  • गोरखों ने गढ़वाल व कुमाऊँ में घरों की छतों पर महिलाओं को चढ़ने पर पाबंदी लगायी
  • गोरखा मांस व मदिरा के शौकीन थे उन्हें सुअर का मांस प्रिय था 
  • गोरखों ने केदारनाथ, बद्रीनाथ व जागेश्वर आदि जगहों में तीर्थ यात्रियों के लिए सदावर्त लगाया
  • चंपावत के बालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार 1796 में सूबेदार महावीर थापा ने कराया
  • 1797 ई० में रणबहादुर शाह की पत्नी कान्ति देवी ने शतोली | परगने के कुछ ग्रामों को केदारनाथ मंदिर में सदावर्त चलाने के लिए दान दिया
  • गरूड़ जाति के गोरखे मोस्टा को अपना ईष्ट देवता मानते थे
  • गोरखों की राजभाषा गोरखाली है
  • नेपाल में समूचा साहित्य नेवारी राजभाषा में मिलता है।
  • रेपर ने 1808 ई0 से 1811 ई0 तक गढ़वाल का सर्वेक्षण किया
  • गोरखों में कहावत थी कि ब्रह्मणों के पैर पूजे जाते हैं, सिर नहीं 
  • गोरखों ने कुमाऊँ में पहला बन्दोबस्त 1791-92 ई० में किया, जो मालगुजारी से सम्बन्धित था
  • घुरही-पिछही नाम से टैक्स सालाना प्रत्येक परिवार से 2रुपये लिया जाता था

गोरखाकालीन कर

  • गोरखों ने ब्राहमणों पर कुसही नामक कर लगाया,
  • गोरखाओं ने चंद राजाओ द्वारा लगाए गए छतीस रकम व बतीस कलम वाले अनेक करो को समाप्त किया
  • गोरखा शासन में सेवा के बदले दी जाने वाली भूमि को मनौचौल कहा जाता था
  • पुगाड़ी कर - भूमि कर था, इससे लगभग डेढ लाख आय होती थी सैनिकों को वेतन इस कर से दिया जाता था
  • टींका भेंट कर - शादी व विवाह के समय
  • मांगा कर - प्रत्येक नौजवान से एक रू0 में लिया जाता था
  • टांड कर-बुनकरों से
  • तिमारी- सैनिकों को देय वेतन, जिसमें फौजदार को 4 आना तथा सुबेदार का दो आना मिलता था 
  • सलामी- एक प्रकार का नजराना
  • मिझारी कर-शिल्पकर्मियों व जगरिया ब्रह्मणों से
  • मौंकर- प्रतिपरिवार लगता था, चंद राजाओं ने भी लगाया
  • सायर-सीमा व चुंगी कर 
  • मरों - पुत्रहीन व्यक्ति से
  • घीकर- दुधारू पशुओं से
  • रहता - गांव छोड़कर भागे हुए लोगो पर
  • बहता कर - छिपाई सम्पति में लगने वाला कर
  • गोबर व पुछिया नामक कर भी गोरखा कालीन थे
  • दोनिया नामक कर भाबर में पहाडी पशुचारको द्वारा वसूला जाता था
  • राज कर्मचारीयों से लगान की जानकारी लेने के लिए जान्या-सुन्या | कर देना पड़ता था
  • गांव के पधान, जो थोकदारों के अधीन होते थे, जिन्हे राजकर के अलावा दस्तूर देना पड़ता था
  • गोरखा शासन में काश्तकारों से कर ठेकाबंदी के आधार पर लिया जाता था

अंग्रेज और गोरखा टकराव

  • जब अग्रेंजो के साथ टकराव प्रारम्भ हुआ उस समय नेपाल के प्रधानमंत्री भीमसेन थापा • भीमसेन थापा ने विस्तार वादी नीति का अनुसरण किया, उसने अंग्रेजो से गोरखपुर में 200 ग्राम छीने
  • तत्कालीन गोरखा व अग्रेंज युद्ध का कारण गोरखपुर का बुटवल प्रांत था 
  • नेपालियों के साथ विवादित इलाकों के बारे में समझौता करने के लिए अंग्रेजो ने मेजर ब्रेडसा को चुना था
  • लॉर्ड हेस्टिगंज का दूसरा नाम लॉर्ड मौयरा था
  • लॉर्ड मौयरा ने नवम्बर 1814 में गोरखों के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी, और फौज को चार भागों में बाँटा
    • 1. मेजर जनरल मार्ले-बिहार के रास्ते नेपाल काठमांडू पर आक्रमण
    • 2. मेजर जनरल वुड- गोरखपुर से आक्रमण किया था 
    • 3. मेजर जनरल जिलेस्पी- देहरादून खंलगा किले से आक्रमण किया
    • 4. मेजर जनरल ऑक्टर लोनी सतुलज नदी के तट पर
  • देहरादून के कलंगा किले व नालापानी किले पर सबसे पहले हमला हुआ, जहां गोरखों का नेतृत्व बलभद्र सिहं थापा कर रहा था 
  • 24 अक्टूबर 1814 ई0 में ब्रिटिश सेना दून घाटी पहुँची
  • 31 अ0 1814 ई0 में कर्नल जिलेस्पी नालापानी दुर्ग में मारा गया. 30 नवम्बर 1814 ई0 अंग्रेजों ने खलंगा दुर्ग पर बमबारी की
  • ब्रिटिश जनरलों में योग्यतम सेनापति आक्टरलोनी था
  • अमरसिह थापा का पुत्र रणजोर सिंह थापा था
  • गोरखा सैनिकों में प्रमुख अमर सिह थापा, रणजोर सिंह थापा, हस्तीदल चौतरिया, बमशाह और चामू भण्डारी प्रमुख थे 
  • गार्डनर की सहायता के लिए लार्ड हेस्टिंगज ने कर्नल निकोलस के साथ प्रशिक्षित सेना भेजी
  • 23 अप्रैल 1815 को गणनाथ-डांडा के युद्ध में हस्तीदल चौतरिया मारा गया
  • 25 अप्रैल 1815 में अंग्रेजों ने अल्मोड़ा पर हमला कर दिया
  • 27 अप्रैल 1815 में गार्डनर व बमशाह के बीच संधि हुयी 
  • 28 अप्रैल 1815 को बमशाह व कर्नल निकोलस के बीच संधि हुयी
  • 15 मई 1815 ई० में मलॉवगढ़ की संधि अमर सिंह थापा व ऑक्टरलोनी के बीच हुयी
  • 2 दिसम्बर 1815 ई0 में गजराज मिश्र और साथ कर्नल ब्रेडशा के बीच संगोली संधि हुई
  • गजराज मिश्र नेपाल नरेश रणबहादुर शाह के गुरू  थे
  • संगोली संधि (बिहार) इस संधि के अनुसार टिहरी रियासत सुदर्शन शाह को प्रदान की गई और शेष को नॉन रेगुलेशन प्रांत बनाया गया
  • नॉन रेगुलेशन प्रांत सन् 1891 में खत्म कर दी
  • सन 1901 में संयुक्त प्रान्त आगरा एवं अवध बना तो उत्तराखण्ड को इस में विलय कर दिया गया
  • फरवरी 1816 ई० में अंग्रेजी सेना ने नेपाल पर चढ़ाई कर दी थी
  • 4 मार्च 1816 को नेपाल सरकार ने संगोली की संधि स्वीकार की

गोरखों के सेनानायक

  • अमर सिह थापा नेपाल दरबार का प्रमुख पदाधिकारी जिसके अधीन हस्तीदल चौतरिया और गढ़वाल का सेनापति रणधीर सिंह बसन्यात था
  • रणजोर सिंह थापा को मोलाराम ने इसे दानवीर कर्ण की उपमा से विभूषित किया। 
  • हस्तीदल चौतरिया कृषकों के प्रति उद्धार था, हरिद्वार इस समय दासों के बिक्री का केन्द्र था
  • नेपाल सरकार का सर्वोत्तम अलंकार काजी से अमर सिंह थापा को विभूषित किया
  • 1812 ई० में मूरक्राफ्ट कुमाऊँ व गढ़राज्य होते हुए ऊन की विस्तृत जानकारी हेतु तिब्बत गये.
  • मूरक्राफ्ट के साथ हैदर खां व हरकदेव पंड़ित गए, तिब्बत प्रवेश | के समय गुसांइयों का भेष बनाया
  • पहला भूमि बंदोबस्त 1791-92 में सुबा जोगमल्ल ने कुमाऊँ में
  • बीस नाली जमीन पर 1 रू० टैक्स लगाया 1812 ई० में नेपाल ने भू-व्यवस्था सुधार के लिए काजी बहादुर भंडारी को भेजा, जिसने भू-प्रबंधन किया
  • गोरखा सैनिकों द्वारा जनता से कर वसूलने का नियम को बलि कहा जाता था
  • 1800 में रण बहादुर शाह की जगह उनका पुत्र विक्रमशाह कुछ समय के लिए राजा बने
  • राजा रणबहादुर साधु बन गये और अपना नाम निर्गुणानंद रखा 
  • रणबहादुर चंद्रिका की रचना कवि मोलाराम ने की, जिसके लिए नेपाल सरकार ने उन्हें जागीरे दी

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