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कुमाऊँ परिषद्/Kumaon Council

कुमाऊँ परिषद्

  • कुमांऊँ परिषद् की स्थापना सितम्बर 1916 में हरगोविन्द पंत, बद्रीदत पांडे, गोविन्द वल्लभ पंत आदि के प्रयासों से नैनीताल में हुयी जिसका उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं को हल खोजना था
  • कुमाऊँ परिषद् की प्रथम कल्पना 1908 में अल्मोड़ा अखबार में हुयी कुमाऊँ परिषद् का पहला अधिवेशन अल्मोडा में सितम्बर 1917 को हुआ, इसके अध्यक्ष सेवानिवृत डिप्टी कलेक्टर जयदत जोशी थे
  • कुमाऊँ परिषद् की दूसरी बैठक 24-25 दिसम्बर 1918 ई0 को हल्द्वानी में हुयी थी जिसके अध्यक्ष तारादत्त गैरोला थे
  • कुमाऊँ परिषद् की तीसरी बैठक 22-24 अक्टूबर 1919 ई0 को कोटद्वार में हुयी थी जिसके अध्यक्ष बद्रीदत्त जोशी थे
  • कुमाऊँ परिषद् की चौथी बैठक 1920 ई0 को काशीपुर में हुयी थी जिसके अध्यक्ष हरगोविन्द पंत थे
  • 1926 मे कुमाऊँ परिषद् को कांग्रेस में विलय कर दिया गया

राज्य का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

  • बद्रीदत पांडे तिलक जी से प्रथम बार 1905 में बनारस कांग्रेस में मिले थे, उसके बाद 1916 में लखनऊ कांग्रेस में मिले, तीसरी बार 1917 कलकता में मिलकर उनसे कहा कि महाराज मैं कुमाऊँ पर्वत से आया हूं और अल्मोडा आने को कहा, चौथी बार अमृतसर कांग्रेस में मिलने के बाद पांडे इसे चार धाम की यात्रा | पूर्ण होना मानते थे
  • 1918 में 48 वर्षों के प्रकाशन के बाद अल्मोड़ा अखबार का प्रकाशन बंद हो गया, उस समय बद्रीदत पांडे ने अल्मोडा के डिप्टी कमिश्नर लोमश के काले कारनामों का उजागर किया
  • अल्मोडा अखबार बंद होने के बाद 15 अक्टूबर 1918 में बद्रीदत पांडे ने शक्ति नामक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन किया कुमाऊँ परिषद् के तीसरे सम्मेलन में जंगलात सम्बन्धी प्रस्ताव
  • प्रेमबल्लभ पांडे व कुली उतार प्रस्ताव मथुरा दत नैथानी ने रखा 
  • बैरिस्टर मुकुन्दी लाल व अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा के प्रयासों से गढ़वाल कांग्रेस कमेटी का गठन 1918-19 में किया गया
  • 1919 अमृतसर अधिवेशन में भाग लेने वाले उत्तराखण्ड के मुकुन्दी लाल, बद्रीदत पांडे, अनुसुइया प्रसाद और मोहन सिंह मेहता आदि थे
  • 1920 में मोतीलाल नेहरू अल्मोड़ा आये
  • कुमाऊँ परिषद् के प्रयासों से नवम्बर 1919 में नायक सुधार समिति की स्थापना हुयी इसकी पहली बैठक नैनीताल में हुयी
  • कुली बेगार विरोध में पहली सभा का आयोजन 1 जनवरी 1921 को चामी गांव के हरूमंदिर में किया गया जहाँ उतरायणी मेले मे इस आन्दोलन के विरोध में भाग लेने का निर्णय किया गया

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