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उत्तराखण्ड राज्य की प्रमुख जनजातियाँ /Major Tribes of Uttarakhand State /बोक्सा व राजी

 उत्तराखण्ड राज्य की प्रमुख जनजातियाँ /Major Tribes of Uttarakhand State /बोक्सा व राजी

 उत्तराखण्ड राज्य की प्रमुख जनजातियाँ 

  • कुमाऊँ व उत्तराखण्ड जमीदारी उन्मूलन एक्ट 1960 को हुआ
  • उत्तरप्रदेश सरकार ने 1956 में कोल्टा जांच समिति का गठन किया 
  • कोल्टा जाँच समिति के अध्यक्ष बलदेव सिंह आर्य थे
  • 1965 में केन्द्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया
  • लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखण्ड की 5 जातियां को एस.टी. का दर्जा मिला
  • सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला है
  • बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ
  • राज्य की मात्र दो जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है 
  • उत्तराखण्ड की पाँच जनजातियाँ- थारू, जौनसारी, भोटिया,

बोक्सा व राजी

  •  राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राजियों की रहती है।
  • जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जनजातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है
  • राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 2 सीटे हैं। 1. नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) 2. चकराता (देहरादून) है
  • सर्वाधिक अनुसूचित जनजातियों की आबादी ऊधम सिंह नगर में रहती है, इसके बाद क्रमशः देहरादून व पिथौरागढ़ है
  • सबसे कम अनुसूचित जनजातियों की आबादी रूद्रप्रयाग (368) जनपद में रहती है, इसके बाद क्रमशः टिहरी व चमोली जिला है
  • प्रतिशत की दृष्टि से सबसे कम अनुसूचित जनजाति की आबादी टिहरी जिले में है, इसके बाद क्रमशः अल्मोड़ा व पौड़ी जिला है
  • सर्वाधिक शिक्षित एसटी आबादी रूद्रप्रयाग में व सबसे कम शिक्षित एसटी आबादी हरिद्वार में रहती है, जनगणना 2011 के अनुसार राज्य की कुल एस. टी. आबादी 2,91,903 है
  • राज्य में इन पाँच जनजाति के अलावा राठी जनजाति भी निवास करती है राठी जनजाति पौड़ी जिले के पर्वतीय भागों में निवास करती है इसी राठ क्षेत्र के विकास के लिए राठ विकास प्राधिकरण का गठन 2016 में किया गया

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