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उत्तराखण्ड का प्रागैतिहासिक काल/Prehistoric period of Uttarakhand

उत्तराखण्ड का प्रागैतिहासिक काल/Prehistoric period of Uttarakhand

उत्तराखण्ड का प्रागैतिहासिक काल

प्रागैतिहासिक स्थल लाखु गुफा

  • लाखु गुफा की खोज 1968 में डा० एम पी जोशी ने की
  • लाखु गुफा अल्मोड़ा के बाड़े छीना के पास दलबैंड़ पर स्थित है।
  • लाखु गुफा सुयाल नदी के तट पर स्थित है
  • यहां पशुओं व मानवों के रंगीन शैलचित्र प्राप्त हुए हैं
  • लाखु गुफा के शैलचित्रों में तीन प्रकार के रंगो का प्रयोग हुआ है 
  • लाखु गुफा के शैलचित्रों की तुलना मध्य प्रदेश भीमबेटका के चित्रों से की जाती है।
  • यहाँ नागफनी के आकार का एक भव्य शिलाश्रय है
  • यहाँ के शैलचित्रों का मुख्य विषय सामूहिक नृत्य या नृतक मंडली है।

प्रागैतिहासिक स्थल ग्वारख्या गुफा

  • यह गुफा चमोली जिले के डुंग्री गाँव में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
  • यहाँ मानव, भेड़, बारहसिंगा के 41 रंगीन चित्र मिले, जिसमें 8 चित्र मानव के थे
  • ग्वारख्या चित्रों का मुख्य विषय पशुओं को हांका देकर भगाना है।
  • पुरातत्व विदों की नजरों में लाने का श्रेय राकेश भट्ट को जाता है

प्रागैतिहासिक स्थल किमनी गाँव

  • किमनी गाँव चमोली के थराली के पास पिण्डर नदी के तट पर बसा हैं यहाँ से सफेद रंग में चित्रित हथियारों एवं पशुओं के शैलचित्र प्राप्त हुये हैं

प्रागैतिहासिक स्थल मलारी गॉव

  • गढ़वाल विश्वविद्यालय ने 2001 तथा 1983 में मलारी गाँव का सर्वेक्षण किया और यहाँ एक पशु का पूर्ण कंकाल मिला, जिसकी पहचान हिमालयी पशु जुबू के तौर पर की गयी थी
  • मलारी गाँव चमोली जिले से सुदूर तिब्बत सीमा पर स्थित है। यहाँ से 5.2 किग्रा सोने का मुखावरण के साथ नरकंकाल व मिट्टी के बरतन मिले, ये बरतन पाकिस्तान के स्वात घाटी में मिले शिल्प के समान है।
  • शिवप्रसाद डबराल ने 1956 में यहाँ शवाधान की खोज की 
  • राहुल सांकृत्यायन ने इस शवाधानों को खस जाति का बताया
  • यहाँ काले व धूसर रंग से चित्रित मृदभांड मिले

प्रागैतिहासिक स्थल ल्वेथाप

  • ल्वेथाप अल्मोड़ा जिले में स्थित है जहाँ लाल रंग से चित्रित तीन शैलाश्रय है।
  • यहाँ के शैलचित्रों में मानव को शिकार करते और हाथ में हाथ डालकर नृत्य करते दिखाया गया।

प्रागैतिहासिक स्थल पेटशाल एवं फड़कानौली

  • पेटशाल अल्मोड़ा जिले में स्थित है यहां से कत्थई रंग की मानवाकृतियां प्राप्त हुयी है
  • पेटशाल की 1989 ई0 तथा फड़कानौली की खोज 1985 में हुयी
  • फड़कानौली व पेटशाल स्थलों की खोज का श्रेय दिया जाता है डा० यशोधर मठपाल
  • ये दोनों स्थल सुयाल नदी प्रवाह क्षेत्र में स्थित है
  • फड़कानौली से 3 शैलाश्रय प्राप्त हुये
  • अल्मोड़ा के कालामाटी और मल्लापैनाली नामक स्थान पर भी प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्र मिलें

प्रागैतिहासिक स्थल फलसीमा

  • अल्मोड़ा जिले में स्थित फलसीमा नामक स्थान से योग मुद्रा में मानवचित्र प्राप्त हुये
  • फलसीमा में 2 चट्टानें है, जिनपर दो कपमार्क्स मिले

प्रागैतिहासिक स्थल बनकोट

  • पिथौरागढ़ जिले में यहां से 8 ताम्र मानवाकृतियाँ प्राप्त हुयी। 
  • बनकोट के ताम्र पत्र आकृतियों की खोज 1989 ई० में हुयी थी
  • राज्य में ताम्र उपकरण बनकोट व बाहदराबाद स्थलों से प्राप्त हुये
  • बनकोट ताम्रपात्र को अल्मोड़ा के राजकीय संग्रहालय में रखा गया है।

प्रागैतिहासिक स्थल हुड़ली

  • हुडली से प्राप्त शैलचित्रों में नीले रंग का प्रयोग किया गया
  • हुडली उतरकाशी की यमुना घाटी में स्थित है


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