पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन
श्रीनगर सम्मेलन 1938
- 5 मई 1938 में श्रीनगर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विशेष अधिवेशन हुआ इस अधिवेशन की अध्यक्षता आचार्य नरेन्द्र देव द्वारा होनी थी किन्तु उनकी अनुपस्थिति के कारण प्रताप सिंह को अध्यक्ष बनाय गया
- इस सम्मेलन में पंडित जवाहर लाल नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित भी शामिल हुए थे
- इस सम्मेलन में श्रीदेव सुमन ने पृथक राज्य की मांग उठाई थी 1938 में पृथक राज्य की मांग हेतु श्रीदेव सुमन ने दिल्ली में गढदेश सेवा संघ की स्थापना की जिसका बाद में नाम हिमालय सेवा संघ रखा गया
पृथक राज्य की मांग
- 1946 को हल्द्वानी में हुए कांग्रेस सम्मेलन में बद्रीदत पांडे जी द्वारा उतरांचल के पर्वतीय भूभाग को विशेष वर्ग में रखने की मांग उठायी इसी सम्मेलन में अनुसुइया प्रसाद बहुगुणा ने गढ़वाल व कुमाऊँ के भू-भाग को अलग क्षेत्रीय भाग बनाने की मांग उठायी थी
- 1950 में हिमाचल व उत्तरांचल को मिलाकर अलग हिमालयी राज्य बनाने के लिए पर्वतीय विकास जन समिति का गठन किया गया
- 1952 को कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पी.सी.जोशी ने पर्वतीय क्षेत्र को सहायता देने के लिए मांग उठायी
- 1955 में राज्य पुर्नगठन आयोग के अध्यक्ष फजल अली थे जिन्होंने उत्तरप्रदेश पुर्नगठन की बात की, तथा पर्वतीय क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की बात की थी
- 1957 को टिहरी रियासत के पूर्व नरेश मानवेन्द्र शाह ने पृथक राज्य के लिए नए सिरे से मांग उठायी
- 1957 को तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष T.T कृष्णाचारी ने पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं को विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया
- 24 25 जून 1967 में रामनगर सम्मेलन में पर्वतीय राज्य परिषद का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष दया कृष्ण पांडे थे
- 1973 ई0 में पर्वतीय राज्य परिषद् का पुर्नगठन किया गया जिसके तहत दो सांसदों प्रताप सिंह नेगी, नरेन्द्र बिष्ट को शामिल किया गया था
- 1968 ई० को ऋषि बल्लभ सुन्दरियाल के नेतृत्व में पृथक राज्य के लिए दिल्ली में प्रदर्शन हुआ
- 1969 में उत्तरप्रदेश सरकार ने क्षेत्र विकास के लिए पर्वतीय विकास परिषद् का गठन किया
- 1970 में कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव पी0 सी0 जोशी ने कुमाऊँ राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया
- 1972 में नैनीताल में उत्तराचंल परिषद् का गठन हुआ, 1973 में इस परिषद ने दिल्ली चलो का नारा दिया
- 1976 में उत्तराखण्ड युवा परिषद् का गठन हुआ, 1978 में इसके सदस्यों ने संसद का घेराव किया
- 1979 में जनता दल के त्रेपन सिंह नेगी के नेतृत्व में उत्तरांचल राज्य परिषद् की स्थापना की गयी
- 24-25 जुलाई 1979 को मसूरी में आयोजित पर्वतीय जन विकास सम्मेलन में उत्तराखण्ड क्रांति दल का गठन हुआ
- उत्तराखण्ड क्रांति दल के प्रथम अध्यक्ष कुमाऊँ विवि के कुलपति डॉ देवीदत पंत को बनाया गया
- उत्तराखण्ड क्रांतिदल का विभाजन 1987 मे हुआ और इसकी बागडोर काशी सिंह ऐरी ने संभाली
- उक्रांद के त्रिवेन्द्र सिंह पंवार ने संसद में 1987 में पत्र बम फेंका
- उत्तरांचल उत्थान परिषद् का गठन 1988 में शोबन सिंह जीना अध्यक्षता में हुआ था 1989 ई0 में राज्य के सभी संगठनो द्वारा मिलकर आंदोलन चलाने के लिए उत्तरांचल संयुक्त समिति का गठन किया गया
- 1991 ई0 में उत्तराखण्ड मुक्ति मोर्चा गठन किया गया
- पृथक राज्य का पहला प्रस्ताव 1990 में उत्तरप्रदेश विधानसभा क्रांति दल के विधायक जसवंत सिह बिष्ट ने रखा
- उत्तराखण्ड क्रांति दल का पहला ब्लूप्रिंट जुलाई, 1992ई0 में काशीसिह ऐरी ने रखा, और गैरसैंण को प्रस्तावित राजधानी घोषित किया गया और उसका नाम चंद्रनगर रखा गया
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में 1994 का वर्ष
- अप्रैल 1994 उत्तराखण्ड राज्य मांग को लेकर उत्तराखण्ड पिपुल फ्रंट बनाया गया
- अप्रैल 1994 में संयुक्त उत्तराखण्ड राज्य मोर्चा का गठन बहादुर राम टम्टा ने किया
- उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने पृथक राज्य की संरचना तथा राजधानी हेंतु रमाशंकर कौशिक समिति का गठन किया
- कौशिक समिति ने मई 1994 में अपनी रिपोट पेश की, इसने 8 पर्वतीय जिलो को साथ मिलाकर उत्तराखण्ड व उसकी राजधानी गैरसैंण बनाने की सिफारिश की
- जून 1994 को कौशिक समिति की सिफारिशे स्वीकार कर ली गयी तथा राज्य विधानसभा में विधेयक पास कर लिया गया
- 2 अगस्त 1994 को पौड़ी में इन्द्रमणी बड़ोनी ने आमरण अनशन शुरू किया था
- 29 अगस्त 1994 को नैनीताल में उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति का गठन हुआ
- 1 सितम्बर 1994 में उधमसिह नगर के खटीमा में पुलिस द्वारा कई आन्दोलनकारियों पर गोली चलाई गयी, जिसमें 25 लोग मारे गये गए थे इस घटना की जांच हेतु रिटायर न्यायमूर्ति एस श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जांच करवायी गयी।
- 2 सितम्बर 1994 को मसूरी में आयोजित रैली पर पुलिस ने गोली चलायी जिसमें 7 आन्दोलनकारियों के साथ पुलिस अधिकारी उमांकांत त्रिपाठी मारे गये
- मसूरी कांड की जांच रिटायर न्यायमूर्ति मुरलीधर के अधीन हुआ, जिसने पुलिस बर्बरता की पुष्टि की 15 सितम्बर 1994 को बाटा-घाटा कांड हुआ, यह मसूरी में बुडस्टाक स्कूल के पास हुआ
- सितम्बर 1994 को उत्तराखण्ड छात्र युवा संघर्ष समिति बनी
- 25 सितम्बर 1994 को जागरण दिवस के तहत राज्य में लालटेन जुलूस निकला
- 2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली रैली में भाग लेने वाले उत्तराखण्ड
- आन्दोलनकारियों पर रामपुर तिराहा मुजफ्फर नगर कांड में पुलिस ने गोली चलाई जिसमें 6 लोगों की मृत्यु हो गयी
- रामपुर तिराह कांड को क्रूर शासक की क्रूर हिंसा कहा गया मुजफ्फर नगर कांड को चंडी प्रसाद भट्ट ने देश में सभ्यसमाज पर एक कलंक बताया
- रामपुर तिराह की प्रतिक्रिया स्वरूप 3 अक्टूबर 1994 ई0 को पूरे राज्य में प्रदर्शन हुआ 7 दिसम्बर 1994 को उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति के अध्यक्ष
- भुवन चंद्र खंडूरी के नेतृत्व में दिल्ली में एक रैली हुयी 9 दिसम्बर 1994 को राज्य में जेल भरो आन्दोलन में हजारों राज्य आन्दोलनकारियों ने गिरफ्तारी दी
1994 के बाद राज्य आंदोलन
- 25 जनवरी 1995 को उत्तराखण्ड आन्दोलन कारियों ने दिल्ली में संविधान बचाओ यात्रा निकाली।
- 21 फरवरी 1995 को राज्य मांग को लेकर प्रधानमंत्री को दस
- हजार पोस्टकार्ड प्रेषित किए गए। 3 जून 1995 को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल बोहरा ने मुलायम सरकार को बर्खास्त कर मायावती को मुख्यमंत्री बनाया गया
- 10 नवम्बर 1995 को श्रीनगर श्रीयंत्र टापू पर आंदोलनकारियों पर लाठी चार्ज हुआ जिसमे यशोधर बेंजवाल व राजेश रावत की मौत हुयी थी
- जनवरी 1996 में राज्य आन्दोलनकारियों ने खैट पर्वत टिहरी में अनशन किया, जो 32 दिनों तक चला
- 15 अगस्त 1996 को लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री एच०डी० देवीगोड़ा ने उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की घोषणा की
- उत्तरांचल गठन के समय केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार थी
- उत्तरांचल गठन के समय उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे
- 27 जुलाई 2000 को उतरप्रदेश पुर्नगठन विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत हुआ और 1 अगस्त 2000 ई0 को लोकसभा में पारित 9 नवम्बर 2000 को 27 वें राज्य के रूप में गठन हुआ इसी समय दो और राज्य बने 1 नवम्बर को मध्यप्रदेश से तोडकर छतीसगढ और 14 नवम्बर को बिहार से झारखण्ड को बनाया गया 9 नवम्बर 2000 को उत्तरांचल नाम से तथा 1 जनवरी 2007 से उत्तराखण्ड नाम पड़ा
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