टिहरी राज्य आन्दोलन
- सर्वप्रथम सन् 1835 में सकलाना के मुआफीदार के खिलाफ आन्दोलन किया
- 7 फरवरी 1838 को कम्पनी द्वारा यह आदेश पारित किया गया कि राजा सकलाना मुआफी की जनता का संरक्षण करें
- 1861 में भवानी शाह ने नया भूमि बंदोबस्त किया जिसमें सकलाना के अटूर पट्टी में कृषि कर माफ किया गया 1935 में सकलाना पट्टी के उनियाल गांव में सत्यप्रसाद रतूड़ी ने बाल सभा की स्थापना की
- 23 जनवरी 1939 को देहरादून के चक्कूवाला मोहल्ले में श्याम चंद्र नेगी के मकान में टिहरी राज्य प्रजामंडल की स्थापना हुयी, श्री देव सुमन को मंत्री बनाया गया
- प्रजामंण्डल के संस्थापक सदस्य गोविन्द राम भट्ट, तोता राम गैरोला महिमानंद नौटियाल व श्यामचंद नेगी आदि थे
- प्रजामंडल का प्रारम्भिक उद्देश्य महाराजा के अधीन उतरदायी शासन की स्थापना करना था श्रीदेव सुमन 209 दिन जेल में रहे 29 फरवरी 1944 में अनशन शुरू किया और 3 मई को भूख हडताल प्रारम्भ की
- 21 अगस्त 1946 को टिहरी रियासत ने राज्य के भीतर प्रजामंडल की स्थापना को वैधानिक मान्यता देनी पड़ी
- 5 अक्टूबर 1946 को मानवेन्द्र शाह का राज्यभिषेक हुआ, 24 न० को नागेन्द्र सकलानी को गिरफ्तार किया गया।
- 6 जनवरी 1947 को कोटद्वार में एक बैठक आयोजित हुई जिसमें प्रजामंडल और आजाद हिन्द फौज और कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने भाग लिया, जिसके अध्यक्ष पितृशरण रतूड़ी थे
- 28 अप्रैल 1947 को शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए टिहरी दरबार में शांति रक्षा अधिनियम लागू किया गया
- 15 अगस्त 1947 में प्रजामंडल के अध्यक्ष परिपूर्णानंद पैन्यूली थे
- 1948 में कीर्तिनगर आन्दोलन से राजसता हिल गई, इसमें भोलूराम व नागेन्द्र शहीद हो गए
- मानवेन्द्र शाह ने 1 अगस्त 1949 में विलयी पत्र पर हस्ताक्षर किये
विशिष्ट जानकारी
- टिहरी रियासत के खिलाफ चले ढांड़क आन्दोलन एक किसान व मजदूरो का आन्दोलन था
- नागरी प्रचारिणी की एक शाखा के रूप में 1914 को काशीपुर में गोविन्द बल्लभ पंत ने प्रेम सभा की स्थापना की
- प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिको को 5 विक्टोरिया क्राँस प्राप्त हुये
- प्रथम विश्व युद्ध में 10 मिलिट्री क्रास भारतीय सेनाओं को मिले जिसमें चार गढ़वाली सैनिक थे मुकुन्दी लाल स्वराज पार्टी के अग्रण्य नेता थे, जिन्होंने 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में भाग लिया था
- गढवाली जागृत संस्था की स्थापना 1939 ई० में हुयी
- मदन मोहन मालवीय 1917 ई० में गढ़वाल आए थे
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