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उत्तराखण्ड में थारू जनजाति/Tharu Tribe

 
 उत्तराखण्ड में थारू जनजाति/Tharu Tribe

थारू जनजाति

  • राज्य व कुमाऊँ क्षेत्र की सर्वाधिक आबादी वाली जनजाति थारू है थारू जनजाति ऊधमसिंह नगर के खटीमा, किच्छा, नानकमता व सितारगंज के 144 गांवो में निवास करते है
  • थारू जनजाति सबसे अधिक 90% ऊधमसिंह नगर में हैं 
  • थारू जनजाति राज्य के तराई व भाबर क्षेत्र में निवास करती है
  • थारू जनजाति राज्य के अलावा अन्य राज्य जैसे उत्तरप्रदेश बिहार तथा नेपाल आदि में निवास करती है
  • थारू जनजाति के लोग स्थायी कृषक व पशुपालक होते है

थारूओं की विशेषता

  • थारूओं को किरात वंशी (वंशज) माना जाता है
  • थारू लोग अपने आप को महाराणा प्रताप का वंशज मानते है 
  • थारू लोग कद में छोटे और मंगोल प्रजाति के निकट माने जाते हैं
  • थारू लोगों की प्रायः समतल नासिका होती है

थारूओं की सामाजिक व्यवस्था

  • थारू जनजाति कई गोत्रों में बंटी हुयी है, जिसे कुरी कहा जाता है। थारू जनजाति की बड़वायक गोत्र को सबसे उच्च माना जाता है
  • थारूओं कई उपजातियां पायी जाती है जिनमें राणा, कठरिया, डंगरिया, जेगिमा व पछिमाह आदि हैं
  • राणा गोत्र सर्वश्रेष्ठ थारू माने जाते है, यह नैनीताल व ऊधमसिंह नगर क्षेत्र में तथा कठरिया उपजाति उत्तरप्रदेश एवं नेपाल सीमा में और पछिमाह उपजाति गोरखपुर में निवास करती है 
  • थारू जनजाति के पुरुष हिन्दुत्व के प्रतीक के रूप में चोटी रखते हैं

 थारूओं की विवाह विशेषता

  • थारू जनजाति में पहले बदला विवाह प्रथा का प्रचलन था बदला
  • विवाह के तहत बहनों के आदान-प्रदान प्रथा का प्रचलन था
  •  वर्तमान समय में थारू जनजाति में तीन टिकठी प्रथा प्रचलित है।
  • तीन टिकड़ी प्रथा के तहत एक दूसरे की बहन की जगह उनके किसी भी रिश्तेदार की लड़की से विवाह किया जाता है।
  • थारूओं में विवाह की मध्यस्था कराने वाले व्यक्ति को मझपतियां कहा जाता है
  • थारू जनजाति में दो पक्षों के बीच विवाह तय करने को पक्की पोढी कहते है
  • थारू जनजाति के लोग विवाह की सगाई रस्म को अपना पराया कहते है तथा थारूओं की विवाह तिथि तय करने वाली रस्म को बात कट्टी कहते है
  • थारू लोगों का विवाह प्रायः माघ या फुलोरा दूज मे होता है
  • विवाह के बाद जब लड़की स्थायी रूप से लड़के के घर आती है तो इस रस्म को चाला कहते है 
  • थारूओं में विधवा विवाह का प्रचलन भी है
  • विधवा विवाह के अवसर पर लड़की का पिता अपनी विरादरी को भोज देता है, जिसे लठभरवा भोज कहते है 
  • थारूओं की महिलाओं को तलाक देने का अधिकार है, जिसे उरारि कहा जाता है

थारूओं की वेशभूषा व भोजन

  • थारू जनजाति के पुरुषों का परम्परागत वस्त्र लंगोटी है 
  • थारू जनजाति का मुख्य भोजन चावल व मछली है
  • थारू जनजाति चावल से स्वयं निर्मित मंदिरा को जाड़ कहते है थारू जनजाति में पुरुषों को भोजनालय में जाने का अधिकार नहीं है
  • थारू जनजाति के लोग वनो में आखेट करने को खाबर कहते है


 

 उत्तराखण्ड में थारू जनजाति/Tharu Tribe

थारूओं की धार्मिक परम्परा 

  • थारू जनजाति का समाज मातृसतात्मक है
  • थारू जनजाति के लोग प्रतिवर्ष चार तरह की पूजा करते है थारू लोग धान की बुआई के बाद हरिया पूजा करते है
  • थारू जनजाति के लोग नवरात्र में दशहरा पूजा करते है
  • थारू जनजाति के लोग हिन्दू धर्म को मानते है थारू जनजाति के लोगों का ईष्ट देव खड्गाभूत व पछावन है
  • नगरयाई देवी की पूजा थारू लोग करते है। थारू जनजाति के लोग छोटी माता या चेचक की बीमारी को दूर करने के लिए शीतला देवी की पूजा करते है थारू जनजाति के लोग पशुओं की रक्षा के लिए ढ़ोर चाँदी देवी की पूजा करते है
  • थारूओं की फसल रक्षा की देवी को जगमथिया देवी कहा जाता है थारू जनजाति के लोग शिकार की देवी के रूप में बाघेश्वरी देवी की पूजा करते है 
  • थारू जनजाति के लोग काली, भूमिया व कारोदेव देवी-देवताओं की भी पूजा करते है भूमिया देवता या बड़ा बाबा का चबूतरा थारूओं के घर के सामने होता है जिसे भेंट के रूप में मुर्गा एवं सुंअर की बलि देते हैं

थारू जनजाति के त्योहार

  • थारू जनजाति के लोगों का प्रमुख त्योहार बजहर है, जो बैशाख माह में मनाया जाता है 
  • थारू जनजाति के लोग दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते हैं
  • थारू जनजाति के लोग होली के अवसर पर खिचड़ी नृत्य करते हैं 
  • उजली होली या बैठकी होली थारू लोगों द्वारा खेली जाती है।

थारूओं की राजनैतिक व्यवस्था

  • थारूओं की विरादरी पंचायत में 4 प्रकार के अधिकारी होते है
  • विरादरी पंचायत का मुखिया चौधरी या महतौ होता है, महतौ की सहायता के लिए बड़धेर होता है बड़धेर के नीचे भलेमानस और भलेमानस के नीचे चौकीदार होता है।
  • न्याय के लिए थारूओं में मद्यपंचगण की प्रथा है 
  • मद्यपंचगण मदिरा की घूंट के साथ तर्क-वितर्क करते है

थारूओं से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु

  • दिखनौरी प्रथा की परम्परा थारूओं में होती है
  • थारूओं में संयुक्त व एकाकी परिवार प्रथा मिलती है 
  • झुमड़ा थारूओं का नृत्य गीत है
  • लहचारी थारू जनजाति का नृत्य है।
  • भरड़ा थारू लोग ओझा या तांत्रिक के लिए कहते है
  •  थारू लोग तलाक के लिए उरारि का प्रयोग करते है


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