उत्तराखंड संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Uttarakhand Culture and Endowment Department
योजनायें :-
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
- उत्तराखण्ड राज्य के वृद्ध, विपन्न कलाकार,साहित्यकार एवं लेखकों हेतु पेंशन योजना।
- लेखकों को पुस्तक प्रकाशन हेतु वित्तीय सहायता
- धार्मिक यात्राओं हेतु प्रदेश के स्थायी निवासियों को आर्थिक सहायता
- अ०जा०/जनजाति के व्यक्तियों के लिये पारम्परिक वाद्य यंत्रों, वेश-भूषा का क्रय करने हेतु
- भातखण्डे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय (देहरादून, पौडी एवं अल्मोडा)
योजना का नाम:- सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
लाभ:- प्रदेश के विभिन्न अंचलो एवं प्रदेश के बाहर प्रचलित पारम्परिक मेलों/ त्योहारों/पर्वों/उत्सवों तथा राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर संस्कृति विभाग देहरादून में पंजीकृत दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के उपरांत दलनायक को देय मानदेय रू० 1000/- एवं कलाकार को रू० 800/- मात्र, दलनायक का यात्रा भत्ता रू0 500/- एवं अन्य कलाकारों भत्ता रू0 500/- एवं अन्य कलाकारों का यात्रा भत्ता रू0 400/- मात्र। यात्रा हेतु साधारण बस किराया एवं द्वितीय श्रेणी रेल किराया का भुगतान किया जाता है। वर्तमान में विभाग में कुल 258 सांस्कृतिक दल एवं 135 एकल कलाकार सूचीबद्ध हैं।
पात्रता/लाभार्थी:- संस्कृति विभाग में पंजीकृत सांस्कृतिक दल/ कलाकार
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- संस्कृति निदेशालय द्वारा सांस्कृतिक दलों/कलाकारों के पंजीकरण हेतु ऑडिशन हर तीन माह में
किया जाता है। ऑडिशन
में चयनित होने के उपरान्त निम्न दस्तावेजों की आवश्यता
होती है :- संस्था
का पंजीकरण प्रमाण-पत्र, बायलॉज, विगत तीन वर्षाे के संस्कृति के
क्षेत्र में कार्य अनुभव तथा किये गये कार्या का विवरण, दल में कलाकारों की संख्या तथा विवरण, कुल कलाकारों
के लिए विगत तीन वर्षा में सांस्कृतिक क्षेत्र में किये गये
कार्या का विवरण, उत्तराखण्ड
का मूल निवासी/स्थाई प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है।
तदोपरांत पंजीकरण प्रमाण संस्कृति विभाग द्वारा दिया जाता है।
योजना का
नाम:- उत्तराखण्ड
राज्य के वृद्ध, विपन्न कलाकार,साहित्यकार एवं लेखकों हेतु
पेंशन योजना।
लाभ:- विभाग
द्वारा रू० 3000- प्रतिमाह मासिक पेंशन का भुगतान
किया जाता है। मासिक पेंशन का लाभ प्रदान
किया जा रहा है।
पात्रता/लाभार्थी:-
वृद्ध, विपन्न कलाकार, साहित्यकार एवं लेखक, जिन्होंने अपना पूर्ण
जीवन कला एवं संस्कृति तथा साहित्य के विकास में समर्पित कर विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। आयु 60
वर्ष से कम न हो। मासिक आय रू0 3000 से अघिक न हो। उत्तराखण्ड का मूल/स्थाई निवासी ।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- पेंशन योजना का प्रारूप संस्कृति
निदेशालय, देहरादून
से अथवा संस्कृति विभाग की वेबसाइट http://uttarakhandculture.in/schemes.php
से डाऊनलोड कर
प्राप्त कर सकता है। उसके उपरांत आवेदन पत्र के साथ पात्र आवेदक स्वयं एवं परिवार का सम्पूर्ण विवरण, आधार
कार्ड, राज्य का स्थायी
निवास प्रमाण पत्र, पैन
कार्ड, बैंक खाता विवरण, शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र, आश्रितों का विवरण, जाति
प्रमाण पत्र, जन्म
प्रमाण पत्र अथवा चिकित्साधिकारी द्वारा निग र्त आयु
प्रमाण-पत्र, बीपीएल
प्रमाण पत्र, सरकारी/अर्द्ध
सरकारी/ग़ैर सरकारी/अन्य द्वारा प्रदत
कलाकार/ साहित्यकार/लेखक संबंधी प्रमाण-पत्र, कलाकार सिद्ध होने का प्रमाण/जिला प्रशासन की संस्तुति
अनिवार्य है। यह दस्तावेज संलग्न करके संस्कृति निदेशालय
उत्तराखण्ड में जमा करना अनिवार्य है।निदेशक द्वारा आवेदन की जांचोपरान्त
सचिव/प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में
गठित समिति के सम्मुख प्रस्तुत करना होता है। समिति
प्रार्थना पत्र के दस्तावेजों की जांच करते हैं
एवं संबंधित कलाकार को साक्षात्कार हेतु बुलाते हैं।
साक्षात्कार/जांच में सही पाये जाने पर पेंशन की संस्तुति की
जाती है। इसके उपरान्त संस्कृति निदेशालय द्वारा पेंशन का भुगतान
किया जाता है। मासिक पेंशन से लाभान्वित कलाकार/साहित्यकार की मृत्यु के उपरांत उनके आश्रित के रूप में उनके पति को तथा पुरूष
कलाकार/साहित्यकार की मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी को मृतक
आश्रित के रूप में मासिक पेंशन का भुगतान किया जाता है।
योजना का
नाम:- लेखकों
को पुस्तक प्रकाशन हेतु वित्तीय सहायता
लाभ:- प्रदेश
के मूर्धन्य साहित्यकारों, लेखकों एवं कवियों, जिनकी कृतियाँ धनाभाव के कारण प्रकाशित नही हो पाती हैं, उन्हें
विभाग द्वारा अधिकतम रू0-2 लाख
तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है ।
पात्रता/लाभार्थी:-
राज्य का स्थायी/मूल निवासी हो तथा धनाभाव के कारण कृतियाँ प्रकाशित नहीं हो रही हों।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- पुस्तक प्रकाशन हेतु विभाग द्वारा दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है। जिसके
आधार पर पात्र लेखकों को संस्कृति निदेशालय, देहरादून में आवेदन करना होता है। आवेदन के साथ लेखकों को
अप्रकाशित पाण्डुलिपि, पुस्तक छपवाने का कोटेशन, आधार कार्ड, बैंक खाता संख्या एवं आई०एफ० एस०सी० कोड, पेन कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र संलग्न करना होता है। विभाग में प्राप्त पाण्डुलिपियों के
परीक्षण हेतु विभागीय समिति का गठन किया
जाता है, जिसमें निदेशालय
स्तर पर निदेशक संस्कृति की अध्यक्षता में लोक संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र में विद्वतजन, राज्य के विश्वविद्यालयों के विषय
विशेषज्ञों एवं संस्कृति निदेशालय के वित्त एवं लेखा सेवा
संवर्ग के अधिकारी सम्मिलित किये जाते हैं। इस समिति की संस्तुति
के उपरान्त ही पुस्तक प्रकाशन हेतु आर्थिक सहायता
प्रदान की जाती है।
योजना का
नाम:- धार्मिक
यात्राओं हेतु प्रदेश के स्थायी निवासियों को आर्थिक सहायता
लाभ:- भारत
सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली कैलाश
मानसरोवर यात्रा में सम्मिलित होने वाले उत्तराखण्ड
राज्य के स्थाई निवासियों, भले ही वे किसी
भी धर्म या जाति के हों, की उत्तराखण्ड राज्य
सरकार की ओर से रू0
50 हजार की धनराशि, यात्रा
पूर्ण करने के उपरांत ही प्रदान की जाती
है ।
पात्रता/लाभार्थी:-
राज्य के स्थायी निवासी ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा पूण र् कर ली हो तथा यात्रा कुमाऊं मण्डल विकास निगम के द्वारा की गई
हो।
योजना का नाम:- अ०जा०/जनजाति के व्यक्तियों के लिये पारम्परिक वाद्य यंत्रों, वेश-भूषा का क्रय करने हेतु
लाभ:- अनु0जाति/जनजाति
के व्यक्ति जिनकी आय स्रोत पारम्परिक
कला से होता है तथा जिनके पास वाद्य यंत्र
एवं वेश-भूषा नहीं हैं, को उनके जीवन यापन के
लिये पारम्परिक वाद्य यंत्र (ढोल, दमाऊं, मसकबीन, रणसिंगा, तुरही, नगाडा,ढाल
तलवार आदि) एवं वेश-भूषा क्रय कर
निःशुल्क उपलब्ध कराये
जाते हैं। जीवनकाल में यंत्र एक ही बार दिया जाता है।
पात्रता/लाभार्थी:-
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के ऐसे लोक कलाकार, जिनकी
मासिक आय रू0 2000/- से अधिक न हो। एक परिवार में एक से अधिक कलाकार को वाद्ययंत्र नहीं दिया जायेगा।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- अ०जा०/जनजाति के पात्र व्यक्तियों को
पारम्परिक वाद्य यंत्रों/वेषभूषा प्रदान किये जाने हेतु
संस्कृति निदेशालय द्वारा विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है।
विज्ञापन के उपरांत संबंधित व्यक्ति रू0 2000/- मासिक आय प्रमाण
पत्र, कलाकार/वाद्य यंत्र का प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक खाता संख्या / बैंक आई०एफ०एस०सी० कोड ,पेन कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र संलग्न करके निदेशक संस्कृति निदेशालय
में जमा करेगा। निदेशालय स्तर से सचिव संस्कृति की
अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा पात्र लाभार्थियों का चयन
किया जाता है तथा कुछ समय बाद उक्त वाद्ययंत्र निदेशालय से
प्राप्त कर सकते हैं।
योजना का
नाम:- भातखण्डे
हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय (देहरादून, पौडी एवं अल्मोडा)
लाभ:- इन
महाविद्यालयों में गायन, कथक नृत्य, सितार, तबला, लोक
नृत्य, भरतनाट््यम आदि की शिक्षा प्रदान
की जाती है। मासिक शुल्क प्रवेशिका से मध्यमा
तक रू0 40 तथा विशारद प्रथम वर्ष का शुल्क
रू0 50 तथा विशारद द्वितीय वर्ष का शुल्क रू0 60
प्रतिमाह की दर से लिया जाता है।
पात्रता/लाभार्थी:-
गायन, कथक
नृत्य, सितार, तबला, लोक
नृत्य, भरतनाट्यम
आदि सीखने वाले विद्यार्थी
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- महाविद्यालय में प्रवेश हेतु जनवरी माह
में फॉर्म वितरित किये जाते हैं। प्रवेश
हेतु न्यूनतम आयु 11
वर्ष एवं अधिकतम आयु 21
वर्ष है। शिक्षण सत्र माह जनवरी से दिसम्बर
तक होता है। माह दिसम्बर में वार्षिक परीक्षायें
सम्पन्न की जाती हैं। उसके उपरांत प्रवेश दिया
जाता है।
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