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महिला कल्याण विभाग उत्तराखंड द्वारा चलाई जा रही योजनाएं |Schemes run by Women Welfare Department Uttarakhand

 

महिला कल्याण विभाग उत्तराखंड द्वारा चलाई जा रही योजनाएं |Schemes run by Women Welfare Department Uttarakhand

 योजनायें :-

  • स्पान्सरशिप योजना (90 प्रतिशत केन्द्र पोषित)
  • अनाथ बच्चों हेतु क्षैतिज आरक्षण प्राप्त करने के लिए ‘‘अनाथ प्रमाण पत्र’’ बनाने की प्रक्रिया
  • राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र तथा महिला गृह में प्रवेश की प्रक्रिया।
  • शासकीय बाल देखरेख संस्थानराजकीय सम्प्रेक्षण गृह तथा खुला आश्रय गृह में प्रवेश की प्रक्रिया।
  • दत्तक बच्चे ग्रहण करने की प्रक्रिया


योजना का नाम:- स्पान्सरशिप योजना (90 प्रतिशत केन्द्र पोषित)

लाभ:- लाभार्थियों  को 18 वर्ष की आयु तक प्रतिमाह रूपये 4,000/- (रूपये चार हजार मात्र) सहायता राशि बैंक खाते में भुगतान किया जा रहा है।

पात्रता/लाभार्थी:- 18 वर्ष की आयु तक के ऐसे बच्चे  जिनके परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों हेतु रू0 72,000/- तथा शहरी क्षेत्रों हेतु रू0 96,000/- हो ।

ऐसे बच्चे जिन्होंने माता-पिता/ अभिभावक दोनों को खो दिया है। पी0एम0 केयर्स  योजना के तहत आच्छादित बच्चें, उन परिवारों के बच्चें जिन्होंने मुख्य कमाने वाले को खो दिया है।

कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चें (CCL) बाल श्रम के शिकार बच्चें, अवैध व्यापार के पीड़ित बच्चे, बाल विवाह और POCSO पीड़ित बच्चे, बाल स्वराज पोर्टल पर पंजीकृत बच्चों के अलावा देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले अन्य बच्चे भी शामिल हैं।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  योजना का लाभ लेने हेतु जिला परिवीक्षा कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त करना पडता है तथा आवेदन पत्र के साथ बच्चे का आधार कार्ड, बैंक खाता, छोटा बच्चा होने की स्थिति में अभिभावक के साथ बैंक खाता, माता-पिता की मृत्यु की स्थिति में दोनों के मृत्यु प्रमाण पत्र, माता-पिता को संकटमय राेग अथवा अक्षम होने की स्थिति में चिकित्सा प्रमाण पत्र, अभिभावक/माता पिता का आधार कार्ड आदि आवेदन के साथ संलग्न करना होगा। उसके उपरांत फार्म जिला परिवीक्षा कार्यालय में जमा किया जाता है। तद्पश्चात् जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। स्वीकृति के उपरांत सभी को लाभ मिलना मुश्किल होता है क्योंकि इसमें भारत सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये है। लक्ष्य की सीमा के अंदर चयनित आवेदनों को ही लाभ मिलता है।


योजना का नाम:- अनाथ बच्चों हेतु क्षैतिज आरक्षण प्राप्त करने के लिए ‘‘अनाथ प्रमाण पत्र’’ बनाने की प्रक्रिया

लाभ:- राजकीय/अशासकीय सेवाओं  में 5 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जा रहा है।

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य के स्थायी निवासी, ऐसे प्रभावित बच्चों (जिनके जैविक/दत्तक माता- पिता दोनों की मृत्यु बच्चे के जन्म से 21 वर्ष तक की अवधि में हुई हो) आरक्षण हेतु पात्र होंगे। राज्य में संचालित स्वैच्छिक/राजकीय गृहों में निवासरत अनाथ बच्चे, आरक्षण हेतु पात्र होंगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   संबंधित जिले के जिलाधिकारी कार्यालय अथवा जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में अनाथ हो ने संबंधी प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु प्रार्थना पत्र देना होगा, जिसके साथ अनाथ बच्चे का आधार कार्ड, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, माता-पिता दोनों का मृत्यु प्रमाण-पत्र, संलग्न करना होगा। तदोपरांत विभाग/जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जांच करायी जाती है तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी की संस्तुति पर उपजिलाधिकारी से अन्यून अधिकारी द्वारा इस प्रमाण पत्र को जारी किया जाता है। अनाथ प्रमाण पत्र को संबंधित बच्चा, सेवाओं में आवेदन के दौरान उपयोग कर सकता/सकती है। तभी वह अनाथ आरक्षण प्राप्त करने हेतु पात्र होगा। वर्तमान में यह व्यवस्था ऑफलाइन है।

 

 

योजना का नाम:- राज कीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र तथा महिला गृह में प्रवेश की प्रक्रिया।

लाभ:- 18 वर्ष से ऊपर की मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग महिलाओं अथवा निराश्रित महिलाओं को वस्त्र, भोजन, आवास, चिकित्सा, परामर्श, मनोरंजन तथा प्रशिक्षण आदि की निःशुल्क सुविधा प्रदान की जाती है।

 

पात्रता/लाभार्थी:- 18 वर्ष से ऊपर की अनाथ/ निराश्रित/परित्यक्त/सड़कों पर मिलने वाली लावारिस महिला तथा मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग महिला, अनैतिक व्यापार में संलिप्त महिला।

 

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  महिला स्वयं/कोई भी नागरिक अपने क्षेत्र या अपने आसपास की मानसिक व शारीरिक रूप से दिव्यांग महिला अथवा निराश्रित के संबंध में सूचना 181  नंबर पर का ॅल करके दे सकते हैं तथा संबंधित क्षेत्र के पुलिस/एस0डी0एम0/सिटी मजिस्ट्रेट/डी0एम0 को सूचना दे सकते हैं। उसके उपरांत पुलिस रेस्क्यू करती है तथा संबंधित महिला की चिकित्सा व अन्य जांचे कर, जिलाधिकारी के आदेश पर राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र तथा महिला गृह में भेजती है जिसकी सूची निम्नवत है :-

1.राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र (मानसिक), केदारपुरम देहरादून।

2.राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र केदारपुरम देहरादून।

3.राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र, (संरक्षण गृह) नैनीताल।

4.राजकीय महिला कल्याण एवं पुनर्वास केन्द्र, (संरक्षण गृह) कोटद्वार।

5.राजकीय निराश्रित महिला कर्मशाला एवं प्रशिक्षण केन्द्र पिथौरागढ।

 


योजना का नाम:- शासकीय बाल देखरेख संस्थान, राजकीय सम्प्रेक्षण गृह तथा खुला आश्रय गृह में प्रवेश की प्रक्रिया।

लाभ:- संस्थान एवं गृह में बच्चों  को वस्त्र,  भोजन, आवास,  चिकित्सा, परामर्श, मनोरंजन, प्रशिक्षण, शिक्षा आदि की निःशुल्क सुविधा दी जाती है। उक्त सुविधाओं के साथ बच्चों  को आवास के स्थान पर डे केयर सुविधा दी जाती है।

पात्रता/लाभार्थी:- शासकीय बाल देखरेख संस्थान में अनाथ/निराश्रित बच्चे, परित्यक्त बच्चे,  अभ्यर्पित बच्चे, शोषित एवं उपेक्षित बच्चे।

राजकीय सम्प्रेक्षण गृह में विधि विवादित/कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चें आते है।

खुला आश्रय गृह के अंतर्गत सड़क के किनारे निवासरत निराश्रित, भीख मांगने वाले, कूड़ा बीनने वाले बच्चे एवं मलिन बस्ती के स्कूल न जाने वाले बच्चे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड के माध्यम से संबधित बच्चों  को संस्थाओं में प्रवेश दिलाया जाता है साथ ही 1098 टोल फ्री नम्बर के माध्यम से शिकायत दर्ज कर सकते है। वर्तमान में राज्य में निम्न संस्थान/गृह स्थापित हैं -

शासकीय बाल देखरेख संस्थान-देहरादून, हरिद्वार, अल्मोड़ा में कुल 05 स्थापित हैं।

राजकीय सम्प्रेक्षण गृह-अल्मोड़ा, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उत्तरकाशी, पौड़ी एवं ऊधमसिंह नगर में कुल 10 स्थापित हैं।

खुला आश्रय गृह-देहरादून, नैनीताल एवं हरिद्वार में कुल 07 स्थापित हैं।

 

योजना का नाम:- दत्तक बच्चे ग्रहण करने की प्रक्रिया

लाभ:- अनाथ, निराश्रित, अभ्यर्पित बच्चों को माता-पिता कानूनी रूप से उपलब्ध हो  जाते हैं एवं जो माता-पिता बच्चों  को गोद लेना चाहते हैं उनको कानूनी रूप से बच्चे मिल जाते हैं।

पात्रता/लाभार्थी:- बच्चों  को गोद लेने के लिए माता-पिता की पात्रता :- भावी दत्तक माता-पिता शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सक्षम होंगे, उनके जीवन के लिए कोई खतरनाक चिकित्सा स्थिति नहीं होगी और उन्हें किसी भी प्रकार के अपराधिक कृत्य में दोषी न ठहराया गया हो या बाल अधिकारों के उल्लंघन के किसी भी मामले में आरोपी नहीं हो ना चाहिए। कोई भी भावी दत्तक माता-पिता उनकी वैवाहिक स्थिति और उनका जैविक पुत्र या पुत्री होने या न होने के बावजूद निम्न के अधीन बालक का दत्तकग्रहण कर सकते है :-

विवाहित दम्पत्ति के मामले में  दत्तक ग्रहण के लिए दोनों पति-पत्नी की सहमति आवश्यक होगी।

कोई भी एकल महिला किसी भी लिंग के बालक का दत्तकग्रहण कर सकती है। परंतु कोई एकल पुरूष बालिका को दत्तकग्रहण का पात्र नहीं होगा।

किसी दम्पत्ति का कम से कम दो वर्ष का स्थिर वैवाहिक संबंध न होने पर बालक का दत्तक ग्रहण नहीं दिया जाएगा। बालक और भावी दत्तक माता-पिता में से किसी के बीच न्यूनतम आयु का अंतर 25 वर्ष से कम का नहीं होगा। भावी दत्तक माता-पिता, जिन्हें 03 वर्षों के भीतर एक भी अभिदर्शन प्राप्त नहीं हुआ है, की ज्येष्ठता की गणना रजिस्ट्रेशन की तारीख से की जायेगी।

 

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  दत्तक बच्चे ग्रहण करने हेतु केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण Central Adoption Resource Agency-CARA)की वेबसाइट  www.cara.nic.in  पर ऑनलाईन पंजीकरण किया जाना अनिवार्य है। ऑनलाईन पंजीकरण हेतु देश के भीतर दत्तक ग्रहण करने वाले परिवार के नवीनतम फोटो, पैन-कार्ड/पास पोर्ट/आधार/वोटर आई0डी0/प्रवासी नागरिक कार्ड, निवास प्रमाण-पत्र, पिछले वर्ष का आय प्रमाण-पत्र सरकारी विभाग द्वारा जारी वेतन पर्ची/आय प्रमाण-पत्र/आयकर रिटर्न, विवाह प्रमाण-पत्र, विवाह-विच्छेद डिक्री/पति या पत्नी का मृतक प्रमाण-पत्र, भावी माता-पिता का जन्म प्रमाण-पत्र, किसी चिकित्सा पेशेवर से प्राप्त इस आशय का चिकित्सा प्रमाण-पत्र कि भावी माता-पिता को चिरकालिक, संक्रामक या घातक रोग से ग्रस्त नहीं हैं और वे दोनों दत्तक ग्रहण के लिए स्वस्थ हैं, एकल भावी दत्तक माता-पिता के मामले में रिश्तेदार से शपथ-पत्र, दत्तक ग्रहण परिवार में बड़ी आयु के बालक व बालकों की सहमति। बच्चों को गोद लेने से पूर्व बाल कल्याण समिति द्वारा पात्र बालकों (अनाथ, परित्यक्ता) को दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से मुक्त घोषित करते हुए विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण में भेजा जाता है जो वर्तमान में अल्मोडा, देहरादून हरिद्वार में हैं। जब गोद लेने वाले माता-पिता ऑनलाइन आवेदन करते हैं तथा संबंधित प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो उनको उक्त अभिकरणों से बच्चे गोद दिये जाते हैं।

जिला मजिस्ट्रेट के उत्तदायित्व -

1. आवेदन भरने की तारीख से दो माह की अवधि के भीतर दत्तकग्रहण आदेश जारी किया जायेगा।

2. विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान या जिला बाल संरक्षण कार्यालय आ ैर

बालक के सम्बन्धी परिवार या दत्तकग्रहण आदेश प्राप्त करने के लिये आवेदन लेना।

3. सम्बन्धित जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा दस्तावेजों की उचित छानबीन के बाद मामले की सुनवाई के लिये आवश्यक प्रबंधन ।

4. न्यायालय के समक्ष लम्बित दत्तकग्रहण मामलों से सम्बन्धित सभी मामले नियम 45 में प्रदत्त विनियमों की अधिसूचना की तारीख से जिला मजिस्ट्रेट को निर्दिष्ट किये जायेगें ।