योजनायें :-
- विधिक सेवा प्राधिकरण, अधिनियम, 1987 के अंतर्गत निःशुल्क कानूनी सहायता देना।
- बहु उददेशीय शिविरों/ जन जागरूकता शिविर/ चिकित्सा शिविरों/ विधिक सेवा शिविरों का आयोजन
- विशेष अभियान - “हमदर्द“
- उत्तराखण्ड यौन अपराध एवं अन्य अपराधों से पीडि़त/ उत्तरजीवी महिलाओं हेतु प्रतिकर योजना, 2020“
- विधिक सेवा रथ“ का संचालन / कार्यान्वयन।
योजना का नाम:- विधिक सेवा प्राधिकरण, अधिनियम, 1987 के अंतर्गत निःशुल्क कानूनी सहायता देना।
लाभ:- निःशुल्क विधिक
सेवा के लिए पात्र व्यक्ति, जिनको कोई
मामला फाइल करना है या फाइल कर दिया गया है या किसी मामले में बचाव करना है, इस अधिनियम के अधीन, राज्य प्राधिकरण या उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तालुक विधिक सेवा समिति से जैसे भी वाद हो, निःशुल्क विधिक सेवा
प्राप्त करने का हकदार होगा।
पात्रता/लाभार्थी:- निःशुल्क विधिक सहायता हेतु निम्न व्यक्ति पात्र होंगे :-
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सभी नागरिक,
- संविधान के अनुच्छेद-23 में
वर्णित मानव दुर्व्यवहार/बेगार के शिकार
व्यक्ति,
- सभी महिलायें एवं बच्चे,
- सभी दिव्यांग एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति,
- बहुविनाश, जातीय
हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़ एवं भूकम्प
, औद्योगिक संकट जैसी दैवीय आपदा से पीडि़त व्यक्ति,
- औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले सभी मजदूर,
- जेल/कारागार/संरक्षण गृह/ किशोर गृह एवं मनोचिकित्सक अस्पताल या परिचर्या गृह में निरूद्ध सभी व्यक्ति,
- भूतपूर्व सैनिक, 9द्ध
ट्रांसजेण्डर समुदाय के व्यक्ति,
- वरिष्ठ नागरिक,
- एच.आई.वी./एड्स संक्रमित व्यक्ति,
- ऐसे सभी व्यक्ति जिनकी समस्त स्त्रोतों से वार्षिक आय रू0 3,00,000 (रू0 तीन लाख) से कम हो।
नोट :- क्रम संख्या-1 से 11 में वर्णित व्यक्तियों के लिये वार्षिक आय
की कोई सीमा नहीं है।
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन
प्रक्रिया:- निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने हेतु
मा0 उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, समस्त जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, तहसील स्तर पर विधिक सेवा समितियां स्थापित हैं। मा0 उच्च न्यायालय परिसर (गेट नम्बर-7) ई-सेवा केन्द्र, पर स्थापित है जहां पर फार्म जमा कर तथा उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, नैनीताल के दूरभाष नम्बर-09412979696 पर
सम्पक र् कर विधिक सहायता/परामश र् लिया जा सकता है। राज्य प्राधिकरण के
फ्रंट ऑफिस में विधिक सहायता हेल्प लाइन नम्बर 15100 और टॉल फ्री नम्बर 1800 180 4000 संचालित है, जहां
पर कॉल कर विधिक सहायता/परामर्श लिया जा सकता है। निःशुल्क विधिक सहायता हेतु यदि कोई वरिष्ठ
नागरिक/महिला/ बच्चे सम्बन्धित कार्यालय में
आने/ऑनलाइन फार्म जमा करने में असमर्थ हों उस स्थिति में लीगल वॉलेन्टियस
र् मद्द कर सकते हैं, जो राज्य के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र
तक तैनात हैं, जिनकी सूची, नाम, मोबाइल नंबर वेबसाइट https://slsa.uk.gov.in
से प्राप्त की जा सकती है।
जिला स्तर पर, प्रत्येक
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में फ्रंट ऑफिस स्थापित है
जहां पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर या फार्म जमा कर
विधिक सहायता /परामर्श लिया जा सकता है। https://nalsa.gov.in/lsams/nologin/applicationFiling.action?requestLocale=en इस
लिंक पर जाकर भी निःशुल्क विधिक सहायता
हेतु ऑनलाइन आवेदन
कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन फार्म राज्य विधिक सेवा
प्राधिकरण उत्तराखण्ड की वेबसाइट https://slsa.uk.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता है। पात्र लाभार्थी
को फार्म जमा करने हेतु निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता
होगी :- आधार
कार्ड, मोबाइल नंबर, एस.सी./एस.टी. है तो जाति प्रमाण- पत्र, दिव्यांग एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के लिए राज्य सरकार/ जिला
प्रशासन द्वारा निग र्त दिव्यांग प्रमाण-पत्र, ऐसे सभी व्यक्ति जिनकी समस्त स्त्रोतों से
वार्षिक आय रू0 3,00,000 (रू0 तीन लाख) या उससे कम हो तो आय प्रमाण- पत्र/बीपीएल प्रमाण पत्र संलग्न करना आवश्यक है।
योजना का
नाम:- बहु उददेशीय शिविरों/ जन जागरूकता शिविर/
चिकित्सा शिविरों/
विधिक सेवा शिविरों का आयोजन
लाभ:- माननीय राष्ट्रीय
विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली (नालसा) द्वारा जनकल्याणकारी
योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों, तहसील विधिक सेवा
समितियों तथा उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा शहरी क्षेत्र
से लेकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों तक बहुउददेशीय शिविरों, जागरूकता
कार्यक्रम तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला
प्रतियोगिता, निबन्ध
प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।
पात्रता/लाभार्थी:- सम्बन्धित कार्यक्रमों के संचालन से समस्त तबके के व्यक्ति/ महिला/बच्चे, विशेषकर
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों, एसिड हमले के पीड़ित
नागरिकों, वरिष्ठ नागरिकों, तस्करी और वाणिज्यिक
यौन शाेषण पीड़ित नागरिकों, को उनके विधिक अधिकारों
के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है। साथ ही गरीबी उन्मूलन योजनाओ का प्रभावी क्रियान्वयन किये जाने हेतु बहुउददेशीय शिविरों का आयोजन किया जाता है। उक्त शिविर, समस्त विभागाें की
उपस्थिति में आयोजित होते हैं।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- जन-जागरूकता कार्यक्रम, बहुउद्देश्यीय (नवीन विधिक सेवा शिविर)
जन- जागरूकता शिविर/चिकित्सा शिविर का
आयोजन किये जाने से पूर्व जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों
द्वारा दैनिक समाचार पत्रों में प्रचार-प्रसार किया जाता है
तथा संबंधित क्षेत्र/ग्राम पंचायत के जन
प्रतिनिधियों/ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारियों को अवगत
कराया जाता है ताकि स्थानीय जनता बहुउउदेशीय शिविरों/जनजागरूकता
शिविरों का लाभ प्राप्त कर सके। इन शिविरों में प्रतिभाग निःशुल्क होता है तथा बहुउददेशीय शिविरों में यदि किसी वंचित व्यक्ति को अपने
प्रमाण पत्र, चिकित्सा
जांच, कानूनी सहायता प्राप्त करनी हो तो, संबंधित शिविर में जाकर प्राप्त कर सकते हैं। शिविरों के अपडेट हेतु
ीजजचेरूध्ध्ेसेंण्नाण्हवअण्पद में जाकर भी जानकारी
प्राप्त की जा सकती है।
योजना का
नाम:- विशेष अभियान -
“हमदर्द“
लाभ:- सम्बन्धित
योजना/अभियान के अन्तग र्त समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को कल्याणकारी योजनाओं, उनके कानूनी अधिकारों तथा इन कल्याणकारी योजनाओ तक पहुंच, कौशल विकास, स्वरोजगार, तकनीकी और वित्तीय
साक्षरता, सुरक्षा
एवं संरक्षण के बारे में डोर-टू- डोर कार्यक्रम
आयोजित कराये जाते हैं।
पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल
द्वारा प्रदेश के समस्त वरिष्ठ नागरिक, मानसिक
एवं शारीरिक रूप से दिव्यांग तथा अन्य निराश्रितों के लिए यह विशेष अभियान आयोजित किया गया है।
लाभ:- अपराध से पीडित
महिलाऑ को न्यूनतम 3 लाख से अधिकतम
10 लाख तक की आर्थिक सहायता/प्रतिकर के रूप में धनराशि मुहैया करायी जाती है। मुआवजे का आवेदन राज्य/ जिला विधिक सेवा
प्राधिकरण को प्राप्त होने पर, पीडिता/आश्रित
को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा सुविधा या चिकित्सा लाभ निःशुल्क उपलब्ध कराये जाने का आदेश पारित कर सकता है या रू. 5000/- अथवा 10,000/-
जैसी आवश्यकता हो, सदस्य-सचिव, राज्य विधिक सेवा
प्राधिकरण अथवा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा तत्काल वितरित किया जायेगा। यदि कोई यौन हिंसा/एसिड हमले से पीडित महिला एक से अधिक अपराधों से आच्छादित हो तो, वह मुआवजे
की समेकित धनराशि की हकदार होंगी।
पात्रता/लाभार्थी:- सामूहिक बलात्कार, बलात्कार, अप्राकृतिक
यौन उत्पीडन, बलात्कार के कारण गर्भावस्था, हिंसा
फलस्वरूप गर्भपात अथवा प्रजनन क्षमता की हानि, जीवनक्षति, दिव्यांगता, शारीरिक क्षति
या मानसिक क्षति जिसमें पुनर्वास की आवश्यकता हो, जलने
के कारण पीडित, एसिड
हमले में पीड़ित राज्य की समस्त महिलाएं/उनके आश्रित, प्रतिकर का लाभ लेने हेतु पात्र होंगे।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- प्रतिकर दो प्रकार का दिया जाता है, एक अंतरिम प्रतिकर,
जो अपराध के बाद तत्काल राहत देने हेतु
मुहैया कराया जाता है, जिसमें निःशुल्क चिकित्सा उपचार का
आदेश किया जा सकता है अथवा जैसी आवश्यकता हो, रू0 10,000/- तक की धनराशि दी जा सकती है।
दूसरा, अंतिम
प्रतिकर-इसमें पीडिता को अपराध की प्रवृत्ति के
अनुसार, रू0 3 लाख से 10 लाख तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अंतरिम प्रतिकर
हेतु अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकरण के तुरंत
पश्चात वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक/ क्षेत्राधिकारी/थानाध्यक्ष इसकी
हार्ड/साफ्ट कॉपी अनिवार्य रूप से राज्य विधिक
सेवा प्राधिकरण/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से साझा
करेंगे, ताकि पात्र
मामलों में अंतरिम प्रतिकर प्रदान करने हेतु स्वतः
तथ्यों का प्रारम्भिक सत्यापन कर सकें एवं स्वतः भी पीडिता को
धनराशि मुहैया करा सकते हैं। साथ ही पीड़िता/आश्रित, अपराध होने के
तत्काल बाद, अपना
आधार कार्ड, एफआईआर
दर्ज की प्रति, मेडिकल प्रमाण पत्रों के साथ जिला
विधिक/राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के सम्मुख प्रार्थना
पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं अथवा ऑनलाइन
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की वेबसाइट के विक्टिम कम्पनशेसन
आप्सन के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। अंतिम प्रतिकर
प्राप्त करने हेतु पीड़ित/उसके आश्रित अथवा संबंधित थाना
प्रभारी के द्वारा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण/जिला विधिक
सेवा प्राधिकरण के समक्ष आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए एफआईआर की रिपोर्ट, चार्जसीट, चिकित्सा प्रमाण पत्र, जिस कोर्ट
में वाद लम्बित है, का
विवरण, यदि केस डिस्पाेज
हो गया हो तो तत्संबंधी आदेश, यदि केस हियरिंग में हो तो तत्संबंधी
विवरण, पूर्व में अंतरिम सहायता प्राप्त की हो
तो, तत्संबंधी आदेश, उपचार पर
व्यय हुए धनराशि के बिल/विवरण, वित्तीय
हानि होने का विवरण, संबंधी प्रमाण पत्र संलग्न कर जमा करने होंगे। अथवा ऑनलाइन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण
की वेबसाइट के विक्टिम कम्पनशेसन आप्सन के माध्यम से आवेदन कर
सकते हैं। उसके उपरांत, सक्षम प्राधिकारी/समिति द्वारा जांच कर धनराशि पीड़िता /आश्रित को मुहैया करायी जाती है। यदि
पीड़िता/आश्रित को कानूनी ज्ञान न होने के कारण, आवेदन करने
में दिक्कत हो तो, तत्संबंधी
सहायता हेतु पैरा लीगल वॉलंटियर, पैनल अधिवक्ता की निःशुल्क विधिक
सहायता प्राप्त की जा सकती है। पैरा लीगल वॉलंटियर, पैनल अधिवक्ता की सूची राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की वेबसाइट
में उपलब्ध है।
योजना का नाम:- विधिक सेवा रथ“ का संचालन / कार्यान्वयन।
लाभ:- राज्य विधिक सेवा
प्राधिकरण की मोबाइल वैन “विधिक सेवा रथ“ को जन- जागरूकता
कार्यक्रम के अन्तग र्त प्रत्येक एक माह में दो से तीन जनपदों के हर शहरी क्षेत्र से लेकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण के लिए भेजा जाता
है तथा केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी
योजनाओं को चलचित्र द्वारा दिखाया जाता है। विभिन्न विषयों पर प्रकाशित “सरल कानूनी ज्ञान माला पुस्तक“ निःशुल्क वितरित की जाती है।
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