क्र.सं. |
विश्वविद्यालय का नाम |
स्थान |
स्थापना |
1 |
कुमाऊँ विश्वविद्यालय |
1973 |
नैनीताल |
2 |
हेमवतीनन्दन थहुगुणा गढ़वाल
केन्द्रीय विश्वविद्पालय |
1973 |
श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) |
3 |
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
(डीम्ड वि. वि.) |
1962 |
हरिद्वार |
4 |
गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी
विश्व- |
1960 |
पन्तनगर (ऊधमसिंह नगर) |
5 |
वन अनुसंधान संस्थान (डीम्ड वि.
वि.) |
1991 |
देहरादून |
6 |
रुड़की
विश्वविद्यालय (अब IT का दर्जा, |
1949 |
रुड़की (हरिद्वार) |
7 |
देव
संस्कृति विश्वविद्यालय |
2002 |
हरिद्वार |
8 |
पेट्रोलियम विश्वविद्यालय |
2003 |
देहरादून |
9 |
इकफाई विश्वविद्यालय |
2004 |
सेलाकुई (देहरादून) |
10 |
दून विश्वविद्यालय |
2005 |
देहरादून |
11 |
प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय |
2005 |
देहरादून |
12 |
संस्कृत विश्वविद्यालय |
2006 |
हरिद्वार |
13 |
पंतजलि योग विद्यापीठ |
2006 |
हरिद्वार |
14 |
हिमालयन
इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट |
2007 |
देहरादून |
15 |
भारतीय प्रबंध संस्यान |
2012 |
काशीपुर |
16 |
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय |
2005 |
हल्द्वानी (नैनीताल) |
17 |
ग्राफिक ऐरा विश्वदालय (डीम्ट
वि. वि.) |
2008 |
देहरादून |
18 |
श्री देव सुमन विश्वविद्यालय |
2012 |
टिहरी |
19 |
उत्तराखण्ड वन एवं पशुपालन
विश्वविद्यालय |
2011 |
भारसार |
20 |
ग्राफिक ईरा विश्वविद्यालय (निजी) |
2011 |
देहरादून |
21 |
आई.एम.एस. विश्वविद्यालय (निजी) |
2013 |
देहरादून |
22 |
हिमालयन विश्वविद्यालय (निजी) |
2013 |
देहरादून |
23 |
डी.आई.टी. विश्वविद्यालय (निजी) |
2013 |
देहरादून |
24 |
उत्तरांचल विश्वविद्यालय (निजी) |
2013 |
देहरादून |
उत्तराखंड में शिक्षा और शैक्षिक संस्थान |Education & Educational Institutions in Uttrakhand |
February 22, 2024
उत्तराखण्ड देश का 27वों नवसृजित राज्य है. साक्षरता के मामले में
उत्तराखण्ड उत्तर प्रदेश के मुकावले अग्रणी प्रदेश हो गया है. वर्ष 2011 की अंतिम जनगणना के अनुसार उत्तराखण्ड की साक्षरता दर 78:8% है इसमें 87-4% पुरुष तथा 70-00% महिलाएँ
साक्षर हैं. राज्य की कुल जनसंख्या 1,00,86,292
में 68,80,953 व्यक्ति साक्षर हैं जिनमें साक्षर पुरुषों की जनसंख्या 38,63,708 तथा साक्षर महिलाओं की जनसंख्या 30,17.245 है. उत्तराखण्ड राज्य में (2012-13 तक) 16 विश्वविद्यालय 4 डीम्ड विश्वविद्यालय, 129 डिग्री/पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, 15,945 जूनियर वेसिक स्कूल, 4,546 सीनियर बेसिक स्कूल, 32.222 हाईस्कूल/इण्टरमीडिएट विद्यालय हैं. इसके अलावा
यहाँ पर भारतीय सैन्य अकादमी भारतीय वन अनुसन्धान संस्थान, गोविन्द वर्लभ पंत हिमालयी पर्यावरण एवं विकास
संस्थान कार्यरत् हैं. राज्य में स्कूल स्तर पर पढ़ाई के साथ सैन्य शिक्षा को भी
अनिवार्य शिक्षा के रूप में लागू किया गया है. उत्तराखण्ड के प्रमुख विश्वविद्यालय
इस प्रकार है-
राज्य निर्माण के समय उत्तराखण्ड में छः विश्वविद्यालय थे (1. गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय, 2. जी. जी. पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी
विश्वविद्यालय, 3. गढ़वाल
विश्वविद्यालय, 4. कुमाऊँ
विश्वविद्यालय 5. I.I.T. रुड़की, 6. F.R.E. विश्वविद्यालय) राज्य निर्माण
के बाद उत्तराखण्ड में 5 निजी (1. देव संस्कृति विश्वविद्यालय, 2. हिम गिरिनम विश्व- विद्यालय, 3. इकफाई विश्वविद्यालय, 4. पेट्रोलियम विश्व- विद्यालय, 5. पंतजलि विश्वविद्यालय), 6. सरकारी (1. दून विश्वविद्यालय, 2. ओपन
विश्वविद्यालय, 3. तकनीकी
विश्व- विद्यालय, 4. संस्कृत
विश्वविद्यालय, 5. आयुष
विश्वविद्यालय). 2 निजी डीम्ड विश्वविद्यालय (1. हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
(स्वामीराम विद्यापीठ) तथा 2. ग्राफिक एरा
इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी स्थापित किए गए हैं. इस तरहnराज्य के विश्वविद्यालयों की संख्या 18 है इसके अतिरिक्त वर्ष 2009 में 3 राष्ट्रीय स्तर के संस्थान की भी घोषणा हुई है. ये संस्थान 1. एन.आई.टी. 2. एम्स, 3. आई. एम. एम.
केन्द्र द्वारा हित पोषित है.
साक्षरता की दृष्टि से उत्तराखण्ड का देश में ।
वां स्थान है. राज्य का सर्वाधिक साक्षर जिला देहरादून है जिसकी साक्षरता 84.24% है. इसमें पुरुष साक्षरता 89.40% तथा महिला साक्षरता 78.54% है. पुरुष साक्षरता की दर से उत्तराखण्ड का देश
में 11वो तथा महिला साक्षरता की
दृष्टि से देश में ।।वाँ स्थान है. राज्य का न्यूनतम साक्षर जिला ऊधमसिंह नगर है
जिसकी कुल साक्षरता 73.10% है. इसमें
पुरुष साक्षरता 81.09% तथा महिला
साक्षरता 64.45% है
विद्यालयी शिक्षा
स्वतंत्रता
से पूर्व उत्तराखण्ड की शिक्षा को तीन भागों में बॉँटा गया था-
(1) प्राइमरी
शिक्षा
(2) माध्यमिक
शिक्षा-(क) निम्न माध्यमिक, (ख) उच्च/ उच्चतर माध्यमिक
(3) महाविद्यालय
व विश्वविद्यालय.
प्राथमिक शिक्षा
व्रिटिश गढ़वाल, अल्मोड़ा तथा नैनीताल की सभी
पहियों में 1911 ई. तक एक-एक
प्राइमरी पाठशाला थी. मैदानी भाग काशीपुर तथा पूर्वी देहरादून में स्कूलों की
संख्या काफी थी. 1937 के मध्य तक
जनपदों की प्रत्येक पट्टी में 4-5 स्कूल खोल
दिए गए. प्रथम महायुद्ध के बाद प्रान्तीय सरकार का ध्यान अनिवार्य प्राइमरी शिक्षा
की ओर गया. 1933 ई. तक
गढ़वाल जनपद में 4, अल्मोड़ा में 4, नैनीताल में 2, देहरादून में 1, वी.टी.सी. प्रशिक्षण विद्यालय
खोले जा चुके थे, जिन्हें बाद में वंद कर दिया
गया था. प्राथमिक शिक्षा में सुधार लाने के लिए मई 1939 में मेरठ व वरेली में अध्यापकों को बेसिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया गया. 1942 तक अल्मोड़ा में 90, गढ़वाल में 60, नैनीताल में
45, देहरादून
में 30 बेसिक स्कूल प्रारम्भ किए गए.
स्वतन्त्रता से पूर्व 1946 में गढ़वाल
में प्राइमरी स्कूलों की संख्या 525, मिडिल
स्कूलों की संख्या 16 हो गई थी. उत्तर प्रदेश की
शिक्षा पुनर्व्यवस्थापित योजना के अन्तर्गत 1954 से कृषि पढ़ाई का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया तथा प्रसार अध्यापकों की
नियुक्ति की गई. द्वितीय पंचवर्षीय य्रोजना में दस्तकारी विषय प्रारम्भ किया गया
तथा क्राफ्ट विषय अध्यापकों की नियुक्ति की गई, तृतीय पंचवर्षीय योजनाकाल में त्रिभाषा हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत विषय प्रारम्भ किया गया.
चतुर्थ पंचवर्षीय योजनाकाल में पिछड़ी व जनजाति छात्रों के लिए आश्रम पद्धति
वद्यालय खोले गए.
उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
शिक्षा के
प्रसार में (विशेषकर अंग्रेजी शिक्षा प्रसार में) ईसाई मिशनरियों का विशिष्ट
योगदान रहा है. 1922 से 1937 के मध्य उच्चतर शिक्षा प्रसार में प्रगति हुई.
लैंसडाउन के जयहरीरवाल में राजकीय हाईस्कूल की स्थापना हुई.नैनीताल का हैम्फ्री
स्कूल हाईस्कूल में परिवर्तित कर दिया गया. 1923 में देहरादून में प्रथम निजी इण्टर कॉलेज डी. ए. वी., कुछ समय पश्चात् कन्या गुरुकुल, महादेवी कन्या हाईस्कूल, मिशन कन्या हाईस्कूल की स्थापना हुई. 1945 में मेसमोर हाईस्कूल पीड़ी की स्थापना हुई. 1946 तक घनानंद इण्टर कॉलेज मसूरी को सरकार ने अपने
हाथ में ले लिया. टिहरी प्रताप हाईस्कूल को इण्टर की मान्यता प्राप्त हुई. 1946 तक खुले लगभग सभी जूनियर हाईस्कूल तथा हाईस्कूल
इण्टर कॉ्जों में परिवर्तित हो गये. सभी पंचवर्षीय योजनाओं में वालिका शिक्षा पर
ध्यान दिया गया. वर्तमान (2012-13) में जूनियर
वेसिक स्कूल 15,945, सीनियर
वेसिक स्कूल 4,546, हाईस्कूल/इण्टरमीडिएट
के
3,222 विद्यालय
हैं,
उच्च शिक्षा
1946 तक जनपद
देहरादून को छोड़कर अन्य जनपदों में कोई महाविद्यालय नहीं था. देहरादून शहर में
डी. ए. वी.डिग्री कॉलेज व एम. के. पी. डिग्री कॉलेज की स्थापना हो चुकी थी. 1951 में नैनीताल में डी. एस. वी. राजकीय महाविद्यालय, 1960 में श्री गुरुराम राय डिग्री कॉलेज, 1966 में मसूरी नगरपालिका द्वारा एक डिग्री कॉलेज, 1974 में राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश खोला गया.
वर्तमान (2012-13) में
उत्तराखण्ड में 107 डिग्री/पोस्ट
ग्रेजुएट कॉलेज 16 विश्व विद्यालय तथा 4 डीम्ड विश्वविद्यालय कार्य कर रहे हैं.
व्यावसायिक/प्रावधिक शिक्षा
आजादी के
बाद शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन के लिए प्रयास किए गए, लेकिन पूर्णतः सफलता नहीं मिली. व्यावसायिक
शिक्षा के विकास की दिशा में सन् 1958 के पाठ्यक्रमानुसार उत्तराखण्ड के चार जनपदों टिहरी गढ़वाल, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल तथा अल्मोड़ा में रूस की व्यावसायिक शिक्षा पद्धति के आधार पर
प्राविधिक हाईस्कूलों की स्थापना की गई थी, किन्तु प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण सन् 1983-84 में इन्हें समाप्त कर दिया गया. वर्तमान (2012-13) में राजकीय पॉलिटेक्निक 41 तथा 115 आई. टी. आई. उत्तराखण्ड में कार्य कर रहे हैं.
उत्तराखण्ड में अद्यतन शिक्षा की प्रगति
उत्तराखण्ड
का 92 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र
पहाड़ी है, जिसमें 15 हजार से अधिक गाँव तथा उनसे सम्बद्ध मजरे
वसे हुए हैं, जिनमें विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना
वास्तव में एक कठिन
चुनौती है. फिर भी संतोष का विषय यह है कि
साक्षरता में यह नवजात राज्य कई पुराने राज्यों से कहीं आगे है. सन् 201। की जनगणना के अनुसार उत्तराखण्ड में साक्षरता
का प्रतिशत 78.81 है और
प्रदेश के विकास में यह साक्षरता एक पूंजी का काम करने जा रही है.
मैदानी
राज्यों एवं पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड के बीच कई विभिन्नताओं में से एक विभिन्नता
यह भी है कि यहाँ लगभग समूची शिक्षा व्यवस्था सरकार द्वारा संचालित है. देहरादून, हरिद्वार एवं ऊधरमसिंह नगर तीन मैदानी जिलों में
काफी हद तक निजी क्षेत्र शिक्षा व्यवस्था को संचालित कर रहा है. फिर भी इन जिलों
का ग्रामीण क्षेत्र आज भी शिक्षा के लिए सरकारी शिक्षा पर निर्भर है. सरकार पर
निर्भरता का हीनतीजा है कि राज्य सरकार के अन्य विभागों की तुलना शिक्षा विभाग का
सबसे विशाल तंत्र है, जिसमें लगभग 70 हजार पद है और इस पर सरकार को वेतन भक्तों में
प्रतिमाह सबसे वड़ी धन राशि खर्च करनी पड़ती है.
शिक्षकों की
कमी को पूरा करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा मित्रों तथा माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा
बन्धुओं की नियुक्ति की है. शिक्षा बन्धुओं का सेवाकाल एक वर्ष बढ़ाने के साथ ही
उनके मानदेय में 500 रुपए
प्रतिमाह की वृद्धि कर दी गई है, सरकारी
महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए विजिटिंग फैकल्टी की
व्यवस्था की गई है. उसके अलावा प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाचार्य पदों परपदोन्नतियाँ
कर रिक्तियाँ भरने का निर्णय लिया गया है. अन्य पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया
जारी है. सरकार ने प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में कम-से-कम दो शिक्षक तैनात करने
का लक्ष्य रखा है. जिसके तहतु राज्य में कम से-कम 26406 प्राथमिक शिक्षक हो जायेंगे. इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और शिक्षा
व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी.
शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़
करने तथा च्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करने के लिए राज्य सरकार ने सभी 13 जिलों में कक्षा 1 से 8 तक के परिषदीय और राजकीय
विद्यालयों में निःशुल्क पाट्य पुस्तकों के वितरण की तथा दिन के लिए पके पकाए भोजन
की व्यवस्था की है जिसके लिए चालू वित्त वर्ष में 20 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा 6 से 14 वर्ष आयु के वच्चों के लिए विश्व बैंक पोषित सर्व शिक्षा अभियान भी प्रदेश
में चलाया जा रहा है,
राज्य सरकार
ने उत्तर प्रदेश के
विभाजन के बाद हल्द्वानी में अपना उच्च शिक्षा निदेशालय स्थापित करने के साथ ही
रामनगर में माध्यमिक शिक्षा परिषद् का गठन भी कर लिया है. परिषद् ने पहली बार उ.
प्र. माध्यमिक शिक्षा परिषद् के सहयोग से हाईस्कूल एवं इण्टर की परीक्षाओं के
आयोजन की शुरूआत भी कर दी है और आगामी परीक्षाएँ वह अपने बलबूते पर करने जा रहा
है. इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा स्तर पर समय की माँग को देखते हुए कम्प्यूटरीकरण
पर जोर दिया जा रहा है.
प्रदेश के
होनहार छात्रों के लिए शुभ समाचार यह है कि अन्य क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेजों
में उत्तराखण्ड के छात्रों के लिए 40 सीटें आरक्षित हो गई, जिनमें 10 सीटें मोतीलाल इंजीनियरिंग कालेज इलाहाबाद में
आरक्षित हैं. राज्य सरकार केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से प्रत्येक जिले में
राजीव गांधी नवोदय विद्यालय खुलवाने के लिए प्रयास कर रही है. सैनिक स्कूल
घोड़ाखाल में उत्तराखण्ड के छात्रों के लिए 67 प्रतिशत सीटें भी आरक्षित कर दी गई हैं.
उत्तराखण्ड
में रोजगारपरक शिक्षा को वढ़ावा देकर मानव संसाधन के विकास पर भी जोर दिया जा रहा
है. ताकि युवाओं का भविष्य उज्ज्वल होने के साथ ही इस प्रशिक्षित मानव संसाधन का
राज्य के विकास में उपयोग हो सके. वर्तमान में राज्य में 41 पॉलिटेक्निक संस्थान कार्यरत् हैं. रुड़की
इंजीनियरिंग कॉलेज को आई. आई. टी. का दर्जा मिल चुका है. प्राविधिक शिक्षा
निदेशालय के गठन को स्वीकृति
मिल चुकी है तथा उसे श्रीनगर गढ़वाल में स्थापित किया जाना है. प्राविधिक शिक्षा
परिषद् का मुख्यालय रुड़की में स्थापित किया जा रहा है. इसके अलावा अखिल भारतीय
तकनीकी शिक्षा परिषद् द्वारा उत्तराखण्ड में स्थित इंजीनियरिंग कॉलेजों में
विभिन्न डिग्री स्तरीय पाठ्यक्रमों में एम. सी. ए. में 580, एम. बी. ए. में 105 होटल मैनेजमेंट में 105 तथा वी.
फार्मा में 210 एवं अन्य
इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में 2200 की प्रवेश
क्षमता अनुमोदित की गई है.
जिन पहाड़ी
जिलों में शिक्षा व्यवस्था की पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार निभा रही है उनमें
साक्षरता का प्रतिशत (201।) हरिद्वार एवं ऊधमसिंह नगर
जैसे मैदानी जिलों से अधिक है. जहाँ पियौरागढ़ जैसे सीमांत जिले में 82.25 तथा पौड़ी का 82.02 प्रतिशत साक्षरता है वही ऊधरमसिंह नगर में 73-10 तथा हरिद्वार में 73.43 प्रतिशत ही
साक्षरता है. महिला साक्षरता नैनीताल में 77.29, अल्मोड़ा में 69.93, पौड़ी में 72.60 एवं चमोली में 72.32 प्रतिशत है. सन् 1951 में
उत्तराखण्ड में साक्षरता जहाँ 18.93 प्रतिशत थी
वह 1971 में 33.26. 1981 में 46.06 तथा 1991 में 57.75 से वढ़कर आज
71.6 प्रतिशत तक
पहुँच गई है. पूरे उत्तराखण्ड में सन् 1951 में महिलाओं का साक्षरता प्रतिशत मात्र 4.78 था जो आज 59.6 हो गया है.
आज उत्तराखण्ड में और खासकर देहरादून जैसे मैदानी जिलों में निजी क्षेत्र शिक्षण
संस्यानों पर करोड़ों रुपए का पूँजी निवेश कर रहा है. यह पूँजी निवेश शिक्षा की
पूँजी तैयार कर रहा है और वही पूँजी शीघ्र ही प्रदेश के विकास की गारण्टी बनने जा
रही है.
सर्वशिक्षा अभियान
सर्वोच्च न्यायालय ने 14 वर्ष तक की उम्र के बच्चों की शिक्षा मौलिक
अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान की है.
प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए केन्द्र
सरकार द्वारा अनेक शैक्षिक कार्यक्रम चलाए जाते रहे हैं. इन कार्यक्रमों में बेसिक
शिक्षा परियोजना (BEP) तत्पश्चात्
जिला प्राथमिक कार्यक्रम (DPEP) उल्लेखनीय
है. 14 वर्ष तक के उम्र के सभी
वच्चों के लिए उपयोगी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2001 से सर्वशिक्षा अभियान राज्य के प्रथम शिक्षा
निदेशक श्री महेश चन्द्र पंत जी के नेतृत्व में प्रारम्भ किया गया है, इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में राज्य के 7 जनपद-चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, पौड़ी, अल्मोड़ा. ऊधमसिंह नगर और नैनीताल सम्मिलित किए गए हैं. प्राथमिक शिक्षा के
क्षेत्र में संचालित 'ऑपरेशन ्लैक वोईड योजना', 'शिक्षक शिक्षा', 'अनौपवारिक शिकषा', 'महिता समार्या' आदि सभी नवाचारी योजनाओं को सर्वशिक्षा अभियान
के अन्तर्गत एकीकृत करने का प्रस्ताव है. इस अभियान का उद्देश्य वर्ष 2010 तक 6-14 वर्ष तक के सभी बच्चों को उपयोगी एवं आवश्यक प्रारम्भिक शिक्षा उपलब्ध
कराना है.
राजीव गांधी नवोदय विद्यालय
उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य के सभी जिलों में
राजीव गांधी नवोदय विद्यालय खोलने का निर्णय लिया है. इन
विद्यालयों में गरीब प्रतिभावान छात्रों को
प्रवेश मिल सकेगा. इन वि्ालयों में इन छात्रों को शुल्क मुक्त शिक्षा एवं शुल्क
मुक्त हास्टेल की सुविधा उपलब्ध होगी. इन विद्यालयों में 75 प्रतिशत प्रवेश ग्रामीण परिवेश में रहने वाले
छात्रों का होगा.
कम्प्यूटर शिक्षा
उत्तराखण्ड सरकार ने इण्टरमीडिएट कॉलेजों में
कम्प्यूटर की शिक्षा देने का निर्णय लिया है. राष्ट्रीय इण्टरनेट साक्षरता मिशन ने
राज्य को सूचना तकनीक के क्षेत्र में सभी प्रकार की सुविधा प्रदान करने की घोषणा
की है. यह मिशन सूचना टेक्नॉलाजी विकसित करने में मदद देगा इसके अतिरिक्त प्रत्येक
स्कूलों में कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जाएगी.
दक्षता पुरस्कार की घोषणा
उत्तराखण्ड सरकार ने कम्प्यूटर शिक्षा को बढ़ावा
देने के लिए 15 लाख रुपए का 'दक्षता पुरस्कार' देने की घोषणा की है, प्रतियोगिता
के लिए स्कूलों को दो गुप में बाटा गया है, प्रथम ग्रुप में राजकीय व प्राइवेट विद्यालयों तथा दूसरे ग्रुप म्यूनिसपल
स्कूलों को रखा गया है- में
सर्वोच्च ग्रेड आई. आई. टी. रुड़की को
उत्तराखण्ड के सभी विश्वविद्यालयों में आई. आई.
टी. (Indian Institute of Technology) रुड़की सर्वोच्च ग्रेड प्राप्त हुआ है. एक नवीनतम रिपोर्ट (NAAC, National Assessement and Accreditation council) के अनुसार सबसे निम्न
ग्रेड हेमवती नंदन वहुगुणा विश्वविद्यालय को मिला है.
उत्तराखण्ड के प्रमुख संस्थान (Important Institution of Uttarakhand)
उत्तराखण्ड में अनेक प्रमुख संस्थान प्रदेश के
विभिन्न भागों में कार्यरत् हैं इनमें से कुछ प्रमुख संस्थान निम्नानुसार हैं-
1. इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ
पेट्रोलियम, देहरादून
2. सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च
इन्स्टीट्यूट, रुड़की
3. स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग
रिसर्च, रुड़की
4. पन्त कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, पन्तनगर
5. राष्ट्रीय अन्ध केन्द्र, देहरादून
6. लालवहादुर शास्त्री नेशनल
अकादमी ऑफ एड- मिनिस्ट्रेशन, मसूरी
7. इण्डियन मिलिट्री अकादमी
देहरादून
৪. हिन्दुस्तान
एन्टी-बायोटिक्स लिमिटेड, ऋषिकेश
9. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स, रानीपुर (हरिद्वार)
10. भारी विधुत
संयंत्र, रानीपुर (हरिद्वार)
11. इ्रस, कम्पोजिट रिसर्च यूनिट, रानीखेत
12. छेत्रिय
अभिलेखागार, नैनीताल
गवर्नमेन्ट पॉलिटेक्निक
1.गवर्नमेन्ट पॉलिटेक्निक, काशीपुर (नैनीताल)
2. गवर्नमेन्ट पॉलिटेक्निक, नरेन्द्र नगर (टिहरी गढ़वाल)
3. गवर्नमेन्ट पॉलिटेक्निक, द्वारहाट (अल्मोड़ा)
4. गवर्नमेन्ट पॉलिटेक्निक, लोहाघाट (पिथीरागढ़)
5. श्रीनगर गढ़वाल में 1968-69 में एक सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज प्रारम्भ हुआ.
चिकित्सा शिक्षण संस्थान
1. गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज, हरिद्वार
2. ऋषिकुल स्नातकोत्तर
आयुर्वेदिक कॉलेज, हरिद्वार
3. हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ
मेडिकल साइंसेज, जौलीग्रांट, देहरादून.
तकनीकी शिक्षण संस्थान
1. रुड़की इंजीनियरिंग कॉलेज, हरिद्वार
2. इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, देहरादून
3. ग्राफिक ऐरा इंजीनियरिंग
इंस्टीट्यूट, देहरादून
4. जी. वी. पंत इंजीनियरिंग
कॉलेज, पौड़ी
5. कुमाऊँ इंजीनियरिंग कॉलेज, द्वाराहाट
6. इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग
कॉलेज, पंतनगर
7. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्रीनगर में
उत्तराखण्ड के प्रमुख केन्द्रीय संस्थान
भारत
1. भारतीय सर्वेक्षण विभाग, देहरादून
2. भारतीय सेना अकादमी देहरादून
3. वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून
4. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स
लिमिटेड, रुड़की
5. केन्द्रीय भवन अनुसंधान
संस्थान, रुड़की
6. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, हरिद्वार
7. सिंचाई अनुसंधान संस्थान, हरिद्वार
8. भारतीय प्रशासनिक प्रशिक्षण
संस्थान, मसूरी
9. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान
संस्थान, ऋषिकेश
उत्तराखण्ड में स्थित विश्वविद्यालय
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