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पर्यावरण सुरक्षा योजना |Environmental Protection Scheme and Acts

 पर्यावरण सुरक्षा योजना  |Environmental Protection Scheme and Acts  



मुख्या बिंदु :- 

  1. पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित योजनायें 
  2. उत्तराखंड में पर्यावरण सुरक्षा के लिए किये गए कार्य एवं बोर्ड
  3. पर्यावरण से सम्बंधित अधिनियम 
  4. नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000
  5. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000
  6. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 (हिंदी में )

पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित योजनायें 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम, प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण की उप-योजनाएं, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम और हरित भारत मिशन, राष्ट्रीय तटीय प्रबंधन कार्यक्रम, जलवायु परिवर्तन के तहत हिमालयी अध्ययन पर राष्ट्रीय मिशन लागू कर रहा है। भारत सरकार के केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत कार्यक्रम।

ये योजनाएँ पर्यावरण के संरक्षण और विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के सतत विकास के लिए उपचारात्मक उपायों के रूप में कार्य करती हैं। प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण पर छत्र योजना मूंगों, मैंग्रोव, बायोस्फीयर रिजर्व, आर्द्रभूमि और झीलों की सुरक्षा के लिए बनाई गई अपनी विभिन्न उप-योजनाओं के माध्यम से देश के प्राकृतिक संसाधनों और इन पारिस्थितिकी प्रणालियों का संरक्षण करती है। जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना की उप-योजना का उद्देश्य देश की झीलों और आर्द्रभूमियों सहित सभी जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का संरक्षण करना है। राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम और हरित भारत मिशन देश में नष्ट हुए वनों और उनके आसपास के क्षेत्रों के पुनर्जीवन में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय नदी संरक्षण कार्यक्रम विभिन्न प्रदूषण निवारण कार्यों के माध्यम से नदियों तक पहुँचने वाले प्रदूषण भार को रोककर नदियों के प्रदूषित हिस्सों में पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने में सुविधा प्रदान करता है। राष्ट्रीय तटीय प्रबंधन कार्यक्रम तटीय क्षेत्रों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए मछली पकड़ने और अन्य स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करता है और वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर तटीय विकास को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन का उद्देश्य हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और भारतीय हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। मंत्रालय मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीसीडी) के कार्यान्वयन की निगरानी भी करता है और कन्वेंशन की सक्षम गतिविधियों और अन्य दायित्वों को पूरा कर रहा है। कार्यक्रम का उद्देश्य मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण की रिपोर्टिंग और संशोधन में ज्ञान डेटा बेस और वैज्ञानिक इनपुट को बढ़ाने के लिए प्रासंगिक वैज्ञानिक संस्थानों और हितधारकों के बीच नेटवर्किंग और रणनीतिक साझेदारी बनाना है। भावी पीढ़ियों के लिए जीवन की स्थायी गुणवत्ता के लिए भविष्य में पुनर्प्राप्ति और सभी संबंधितों तक प्रसार के लिए पर्यावरणीय मुद्दों पर विषय विशिष्ट डेटाबेस का संग्रह, संकलन और भंडारण, मंत्रालय के पर्यावरण सूचना प्रणाली (ENVIS) कार्यक्रम के माध्यम से हासिल किया जाता है।

केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत वित्त पोषण भारत सरकार से 100 प्रतिशत है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत, 2015-16 से संशोधित फंडिंग पैटर्न के अनुसार, भारत सरकार का हिस्सा शेष भारत के लिए 50 प्रतिशत और उत्तर पूर्वी राज्यों और 3 हिमालयी राज्यों यानी जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और के लिए 80 प्रतिशत है। पर्यावरण के क्षेत्र में उत्तराखंड। वानिकी और वन्य जीवन से संबंधित योजनाओं में भारत सरकार की हिस्सेदारी शेष भारत के लिए 60 प्रतिशत और उत्तर पूर्वी राज्यों और 3 हिमालयी राज्यों के संबंध में 90 प्रतिशत है।

यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अनिल माधव दवे ने  राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।


उत्तराखंड में पर्यावरण सुरक्षा के लिए किये गए कार्य एवं बोर्ड 

 भारत सरकार द्वारा जन स्वास्थ्य की सम्पूर्ण सुरक्षा के उद्देश्यों एवं प्रदूशण समस्या की गम्भीरता को दृश्टिगत रखते हुए प्रदुषण जनित समस्याओं के प्रभारी निवारण हेतु अधिनियमित जल (प्रदूशण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम1974 की धारा (4) के अंतर्गत उत्तरांचल शासन द्वारा दिनांक 1 मई 2002 को उत्तरांचल प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया। जल (प्रदुषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 5 के अंतर्गत गठित राज्य प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड को भारत सरकार द्वारा अधिनियमित वायु (प्रदुषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के प्राविधानों का अनुपालन सुनिष्चित करने का दायित्व सौंपा गया। राज्य बोर्डों के वित्तीय संसाधन सुदृढ़ करने के उद्देष्य से भारत सरकार द्वारा जल (प्रदूशण निवारण तथा नियंत्रण) उपकर अधिनियम 1977 पारित किया गया। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अंतर्गत निहित प्राविधानों के अनुसरण में तत्सम्बन्धी षक्तियां भी भारत सरकार द्वारा राज्य बोर्ड को प्रदत्त की गयी है।

  पर्यावरण संरक्षण के अतिरिक्त कार्यों को देखते हुए दिनांक 13/7/2003 को उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) शासन  द्वारा बोर्ड का नाम परिवर्तित कर उत्तरांचल पर्यावरण संरक्षण एंव प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड किया गया।

 दिनाकं 6 मई 2003 को उत्तर प्रदेष प्रदूशण नियंत्रण बोर्डलखनऊ के अध्यक्ष की अध्यक्षता में लखनऊ में दोनों राज्य बोर्डों के आस्तियो एवं दायित्वों के बंटवारे हेतु बैठक हुई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि दोनों राज्य बोर्डों के बी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की अदला बदली अविलम्ब हो जानी चाहिए। साथ ही साथ यह निर्णय भी लिया गया कि उत्तरांचल प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड की देहरादून व हल्द्वानी कार्यालय में जो भी सम्पत्ति है उन्हें उत्तरांचल प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड की ही सम्पत्ति माना जाये। उत्तरांचल प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड के गठन के समय बोर्ड के देहरादून एवं हल्द्वानी स्थित कार्यालयों में कुल 33 कार्मिक कार्यरत थे। 17 कार्मिकों द्वारा उत्तर प्रदेष प्रदुषण नियंत्रण में वापसी हेतु विकल्प दिया गया था। शेष 16 कार्मिकों द्वारा कोई विकल्प नहीं दिया गया,

अतः उनको राज्य बोर्ड का विकल्पधारी माना गया। उत्तरांचल बोर्ड द्वारा 31/3/2004 तक कुल 15 कार्मिकों को उनके विकल्प के आधार पर उत्तर प्रदेष प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड के लिए कार्यमुक्त किया जा चुका है शेष दो अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर वर्तमान में उत्तरांचल बोर्ड में ही कार्यरत है। उत्तर प्रदेष प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी राज्य बार्डे  को 5 विकल्पधारी कार्मिकों में से 4 को कार्यमुक्त कर दियागया है तथा उनके द्वारा उत्तरांचल राज्य बोर्ड में योगदान भी प्रस्तुत कर दिया गया है। बोर्ड में  10 नये अधिकारियों/कार्मिकों कीनियुक्ति भी की गयी है। विवरण सलं ग्नक-1 एवं 1(क) पर संलग्न है। राज्य स्थापना के तीन वर्श पूर्ण होने से पूर्व दोनों राज्य बोर्डों के अस्तियों एवं दायित्वों का अंतिम बंटवारा न होने के कारण उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के अंर्तगत इस विशय पर राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को प्रत्यावेदन प्र ेशित किया गया। नई दिल्ली में वन एव पर्यावरण मंत्रालयभारत सरकार के अधिकारियां े की उपस्थिति में दोनों राज्य बोर्डों के अधिकारियों को निर्देषित किया गया कि दोनों बोर्डों के अध्यक्षों द्वारा आपसी सहमति के आधार पर अस्तियों एवं दायित्वों का अन्तिम बंटवारा किया जाये। इस विशय पर अग्रिम कार्यवाही दोनों राज्य बोर्डों राज्य बोर्डों द्वारा की जा रही है।

राज्य बोर्ड द्वारा उत्तरांचल शासन स्तर पर जल व वायु अधिनियमों से सम्बन्धित वादां े को मा0 न्यायालय में दाखिल करने हेतु एक अपीलेट अथारिटी बनायी गयी है। जल (प्रदुषण नियंत्रण एवं निवारण) उपकर अधिनियम 1977 के अंतर्गत भी बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक अपीलेट आथारिटी गठित की गयीहै। उत्तरांचल राज्य में पर्यावरण सम्बन्धी वादों के निस्तारण हते उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा विषेश न्यायिक न्यायाधीष को पदासीन किया गया है।

 पर्यावरण सरंक्षण एवं जनजागरूकता हेतु जिला स्तर पर जिला पर्यावरण समिति बनायी गयी है जिसके अध्यक्ष सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी एवं संयोजक प्रभागीय वनाधिकारी हैं। राज्य बार्डे  के क्षेत्राधिकारी नियमित रूप से प्रत्येक जिले में होने वाली इन बैठकों में भाग लेते हैं एवं पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूशण नियंत्रण पर उठने वाली समस्याओं के निवारण हेतु समिति के जिला स्तरीय अधिकारियों को बोर्ड की ओर से निर्देश  दिये जाते है।

     उत्तराखण्ड में पर्यावरण के संरक्षण के लिए वर्ष 2002 में अन्तर्राष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष पर दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग ने एक विशेष परियोजना तैयार की गई है. कनाडा के विशेषज्ञों की मदद से तैयार की गई थह परियोजना विशेषरूप से पर्वतीय क्षेत्रों में आए वदलाव और उसके कारणों को ध्यान में रखकर बनाई गई. इस योजना से न केवल प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सकता हैबल्कि प्राकृतिक आपदाओं पर भी रोक लगाई जा सकेगी. दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग ने 1998 में यह परियोजना शुरू की थी.


पर्यावरण से सम्बंधित अधिनियम 
  • Water ( Prevention & Control of Pollution) Act 1974|जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974
  • Air (Prevention & Control of Pollution) Act 1981|वायु (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981
  • Hazardous Wastes (Management and Handling) Rules, 1998|खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 1998
  • Bio-Medical Waste (Management and Handling) Rules, 1998\जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 1998
  • Municipal Solid Wastes (Management and Handling) Rules, 2000|नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000
  • Noise Pollution (Regulation and Control) Rules, 2000|ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000
  • The Environment (Protection) Act 1986|पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986


नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000 (हिंदी में )
  •   4(1) प्रत्येक नगरपालिका प्राधिकरण इन नियमों के प्रावधानों के कार्यान्वयन और नगरपालिका ठोस कचरे के संग्रह, भंडारण, पृथक्करण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान के लिए किसी भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जिम्मेदार होगा।
  • 4(2) नगरपालिका प्राधिकरण अपशिष्ट प्रसंस्करण और निपटान स्थल स्थापित करने के लिए एसपीसीबी को प्राधिकरण प्रदान करने के लिए आवेदन करेगा।
  • 4(3) नगरपालिका प्राधिकरण अनुसूची I के अनुसार कार्यान्वयन कार्यक्रम के अनुसार इन नियमों का अनुपालन करेगा।
  • 4(4) नगरपालिका प्राधिकरण हर साल 30 जून से पहले अपनी वार्षिक रिपोर्ट एसपीसीबी, प्रभारी सचिव शहरी विकास, जिला मजिस्ट्रेट को प्रस्तुत करेगा।
  • 6(1) एसपीसीबी भूजल, परिवेशी वायु, लीचेट गुणवत्ता और भस्मीकरण मानकों सहित खाद की गुणवत्ता से संबंधित मानकों के अनुपालन की निगरानी करेगा।
  • 6(2) राज्य बोर्ड या समिति, लैंडफिल सहित अपशिष्ट प्रसंस्करण और निपटान सुविधा स्थापित करने के लिए प्राधिकरण प्रदान करने के लिए नगरपालिका प्राधिकरण या किसी सुविधा के संचालक से फॉर्म I में आवेदन प्राप्त होने के बाद, प्रस्ताव की जांच करेगी। प्राधिकरण जारी करने से पहले राज्य शहरी विकास विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग, एयर पोर्ट या एयर बेस अथॉरिटी, भूजल बोर्ड या ऐसी किसी अन्य एजेंसी जैसी अन्य एजेंसियों के विचारों पर विचार करना।
  • 8 राज्य बोर्ड हर साल 15 सितंबर तक इन नियमों के कार्यान्वयन के संबंध में एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करके केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपेंगे।


Noise Pollution (Regulation and Control) Rules, 2000|ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000

Noise Pollution(Regulation and Control) Rules, 2000 (In English)

  • 2(c)-"authority" means any authority or officer authorized by the State Government in accordance with the laws in force and includes a District Magistrate, Police Commissioner, or any other officer designated for the maintenance of the ambient air quality standards in respect of noise under any law for the time being in force.
  • 3(1)-The ambient air quality standards in respect of noise for different areas/zones shall be such as specified in the Schedule annexed to these rules.
  • 3(2)-The State Government shall categorize the areas into industrial, commercial, residential or silence areas/zones for the purpose of implementation of noise standards for different areas.
  • 3(3)-The State Government shall take measures for abatement of noise including noise emanating from vehicular movements and ensure that the existing noise levels do not exceed the ambient air quality standards specified under these rules.
  • 3(4)-All development authorities, local bodies and other concerned authorities while planning developmental activity or carrying out functions relating to town and country planning shall take into consideration all aspects of noise pollution as a parameter of quality of life to avoid noise menace and to achieve the objective of maintaining the ambient air quality standards in respect of noise.
  • 3(5)-An area comprising not less than 100 meters around hospitals, educational institutions and courts may be declared as silence area/zone for the purpose of these rules.
  • 4(2)-The authority shall be responsible for the enforcement of noise pollution control measures and the due compliance of the ambient air quality standards in respect of noise.
  • 5(1)-A loud speaker or a public address system shall not be used except after obtaining written permission from the authority.
  • 5(2)-A loud speaker or a public address system shall not be used at night (between 10.00 p.m. to 6.00 a.m.) except in closed premises for communication within, e.g. auditoria, conference rooms, community halls and banquet halls.
  • 5(3)-The State Government may subject to such terms and conditions as are necessary to reduce noise pollution, permit use of loud speakers or public address system during night hours between 10:00 PM to 12:00 midnight on or during cultural or religious festive occasion of a limited duration not exceeding 15 days in all during a calendar year.
  • 7(1)-A person may, if the noise level exceeds the ambient noise standards by 10 dB(A) or more given in the corresponding columns against any area/zone, make a complaint to the authority.


ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000  (हिंदी में )

  • 2(सी)-"प्राधिकरण" का अर्थ है लागू कानूनों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कोई प्राधिकरण या अधिकारी और इसमें जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त, या किसी भी कानून के तहत शोर के संबंध में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों के रखरखाव के लिए नामित कोई अन्य अधिकारी शामिल है। फिलहाल लागू है.
  • 3(1)-विभिन्न क्षेत्रों/क्षेत्रों के लिए शोर के संबंध में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक ऐसे होंगे जैसे इन नियमों से जुड़ी अनुसूची में निर्दिष्ट हैं।
  • 3(2)-राज्य सरकार विभिन्न क्षेत्रों के लिए शोर मानकों के कार्यान्वयन के उद्देश्य से क्षेत्रों को औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय या शांत क्षेत्रों/क्षेत्रों में वर्गीकृत करेगी।
  • 3(3)-राज्य सरकार वाहनों की आवाजाही से निकलने वाले शोर सहित शोर को कम करने के लिए उपाय करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि मौजूदा शोर का स्तर इन नियमों के तहत निर्दिष्ट परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक न हो।
  • 3(4)-सभी विकास प्राधिकरण, स्थानीय निकाय और अन्य संबंधित प्राधिकरण विकासात्मक गतिविधि की योजना बनाते समय या शहर और देश की योजना से संबंधित कार्य करते समय शोर के खतरे से बचने और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीवन की गुणवत्ता के एक पैरामीटर के रूप में ध्वनि प्रदूषण के सभी पहलुओं को ध्यान में रखेंगे। शोर के संबंध में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना।
  • 3(5)-इन नियमों के प्रयोजन के लिए अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और अदालतों के आसपास कम से कम 100 मीटर के क्षेत्र को मौन क्षेत्र/क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
  • 4(2)-प्राधिकरण ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने और शोर के संबंध में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों के उचित अनुपालन के लिए जिम्मेदार होगा।
  • 5(1)-प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बिना लाउड स्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग नहीं किया जाएगा।
  • 5(2)-लाउड स्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का उपयोग रात में (रात 10.00 बजे से सुबह 6.00 बजे के बीच) संचार के लिए बंद परिसरों को छोड़कर नहीं किया जाएगा, उदाहरण के लिए सभागार, सम्मेलन कक्ष, सामुदायिक हॉल और बैंक्वेट हॉल।
  • 5(3)-राज्य सरकार ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन हो सकती है जो ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक हैं, किसी सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव के अवसर पर रात 10:00 बजे से 12:00 बजे के बीच लाउड स्पीकर या सार्वजनिक संबोधन प्रणाली के उपयोग की अनुमति दे सकती है। सीमित अवधि, एक कैलेंडर वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 15 दिनों से अधिक नहीं।
  • 7(1)-यदि शोर का स्तर किसी क्षेत्र/ज़ोन के विरुद्ध संबंधित कॉलम में दिए गए परिवेशीय शोर मानकों से 10 डीबी (ए) या अधिक है, तो वह प्राधिकरण को शिकायत कर सकता है।


The Environment (Protection) Act 1986 ( In English)

  • 5-In the exercise of its powers and performance of its functions under this act, issue directions in writing to any person, officer or any authority and such person, officer, or authority shall be bound to comply with such direction. Power to issue direction under this section includes the power to direct-The closure, prohibition or regulation of any industry, operation or process; or Stoppage or regulation of the supply of electricity or water or any other service.
  • 7-No person carrying on any industry, operation or process shall discharge or emit or permit to be discharged or emitted any environmental pollutants in excess of such standards as may be prescribed.
  • 8-No person shall handle or cause to be handled any hazardous substance except in accordance with such procedure and after complying with such safeguards as may be prescribed.
  • 15-Whoever fails to comply with any of provision of this act or directions issued thereunder, shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to five year with fine which may be extend to one lakh rupees or with both.

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 (हिंदी में )

  • 5-इस अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपने कार्यों के निष्पादन में, किसी भी व्यक्ति, अधिकारी या किसी प्राधिकारी को लिखित रूप में निर्देश जारी करें और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकारी ऐसे निर्देश का पालन करने के लिए बाध्य होगा। इस धारा के तहत निर्देश जारी करने की शक्ति में किसी भी उद्योग, संचालन या प्रक्रिया को बंद करने, निषेध या विनियमन करने का निर्देश देने की शक्ति शामिल है; या बिजली या पानी या किसी अन्य सेवा की आपूर्ति को रोकना या विनियमित करना।
  • 7-किसी भी उद्योग, संचालन या प्रक्रिया को चलाने वाला कोई भी व्यक्ति निर्धारित मानकों से अधिक किसी भी पर्यावरणीय प्रदूषक का निर्वहन या उत्सर्जन नहीं करेगा या करने की अनुमति नहीं देगा।
  • 8-कोई भी व्यक्ति ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और निर्धारित सुरक्षा उपायों का अनुपालन करने के अलावा किसी भी खतरनाक पदार्थ को संभालेगा या नहीं संभालेगा।
  • 15-जो कोई भी इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान या इसके तहत जारी किए गए निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, उसे पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।