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उद्यान विभाग (जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान, मण्डल, गोपेश्वर, चमोली, उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Horticulture Department (Herbal Research and Development Institute, Mandal, Gopeshwar, Chamoli, Uttarakhand

 

उद्यान विभाग (जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान, मण्डल, गोपेश्वर, चमोली, उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Horticulture Department (Herbal Research and Development Institute, Mandal, Gopeshwar, Chamoli, Uttarakhand

योजनायें :- 


 

योजना का नाम:- प्रदेश में जड़ी-बूटी कृषि करण को  प्रोत्साहित करने हेतु सामाग्री का  वितरण, विशेष प्राविधान-सीमान्त जनपद  के कृषकों अनुसूचित जाति/जनजाति  के कृषकों एवं बी0पी0एल0 कृषकों को  औषधीय पादपों के बीज/पौध 03 नाली  तक तथा सगन्ध पादपों के बीज/ पौध का 05 नाली तक निशुल्क वितरण करने  की योजना (नोट वर्तमान में समस्त  इच्छुक कास्तकारों को उक्त योजना के  अन्तग र्त लाभान्वित किया जा रहा है)।  जड़ी-बूटी के कृषिकरण को प्रोत्साहित  करने हेतु जड़ी-बूटी के पौधरोपण  सामाग्री-निवेशों आदि पर 50 प्रतिशत  राज सहायता प्रदान करना।  

लाभ:- औषधीय पादप अतीस, कुटकी, कूठ, जटामांसी,  चिरायता, वन ककड़ी, पाइरेथ्रम, तगर, मंजीठ,  कोलियस, सर्पगन्धा, शतावर, सिलिबम, पिपली मण्डूकपर्णी/ब्राह्मी, अमीमेजस, स्टीविया तथा  तिलपुष्पी, की 03 नाली तक बीज/पौध तथा  औषधीय एवं सगन्ध पादपों जैसे फरण, कालाजीरा,  बड़ी इलायची, रोजमैरी, जिरेनियम, लेमनग्रास,  कैमोमाईल तेजपात व अमीमेजस की 05 नाली  तक निःशुल्क बीज/पौध वितरित कर कृषकों को  औषधीय व सगन्ध पादपों की खेती के लिए  प्रोत्साहित कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया  जाता है। प्रदेश के कृषकों को राज्य एवं केन्द्र  सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली अनुदान सुविधा  अनुमन्य कराना, तकनीकी जानकारी सुलभ कराना  , प्रशिक्षण सुविधा प्रदान करना, प्रसंस्करण व्यवस्था  का लाभ देना एवं कृषिकरण कार्य का  अभिलेखीकरण/डाटा बेस तैयार करना।  

पात्रता/लाभार्थी:- प्रदेश के जिन  काश्ताकरों के नाम  विधिवित नाप भूमि  उपलब्ध है तथा वे  जड़ी-बूटियों के  कृषिकरण के इच्छुक  हों वे समस्त काश्तकार  पात्र होंगे।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- कृषक का चयन भौतिक सत्यापन के  उपरान्त प्रत्येक जनपद के संबंधित  विकासखण्ड में तैनात जड़ी-बूटी  शोध एवं विकास संस्थान के सर्वेक्षक  सहायक द्वारा किया जाता है, इच्छुक कृषक को बीज पौध प्राप्त  करने के लिए भूमि का खसरा एवं  आधार कार्ड की छाया प्रति जमा  कर चयनित कृषकों की सूची में  अपना नाम दर्ज कराना होता है।  

 

योजना का नाम:- जड़ी-बूटी कृषकों का पंजीकरण

लाभ:- औषधीय एवं सगन्ध पादपों का कृषिकरण कर रहे  कृषकों की पंजीकरण व्यवस्था तथा कृषिकरण से  उत्पादित जड़ी-बूटी की निकासी प्रक्रिया का  सरलीकरण एवं वन क्षेत्रों से अवैध विदाेहन को  नियंत्रित करना।  

पात्रता/लाभार्थी:- औषधीय व सगन्ध पौध  उत्पादक काश्तकार  पात्र माने जाते हैं जो नाप भूमि में स्वयं के  संसाधन अथवा  जड़ी-बूटी शोध एवं  विकास संस्थान द्वारा  प्रोत्साहित काश्तकार  या किसी अन्य  संस्था/संस्थान/विभा ग/स्वयं सेवी संस्था  द्वारा प्रोत्साहित कृषक  लाभार्थी होते हैं।  

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- संस्थान के सर्वेक्षक सहायक द्वारा  भौतिक सत्यापन के उपरान्त  वास्तविक कृषिकरण क्षेत्र का  पंजीकरण किया जाता है, सर्वेक्षक  सहायक द्वारा निर्धारित प्रारूप पर  पंजीकरण प्रपत्र तैयार कर आवेदक  के आधार कार्ड एवं भूमि का खसरा  संलग्न कर निर्देशक जड़ी-बूटी शोध  एवं विकास संस्थान को प्रेषित किया  जाता है। निदेशक की अनुमति के  उपरान्त संबंधित जिला समन्वयक  द्वारा पंजीकरण किया जाता है।

 

 योजना का नाम:- जड़ी-बूटी उत्पाद की निकासी प्रक्रिया  का सरलीकरण  

लाभ:- कृषिकरण से उत्पादित औषधीय व सगन्ध उत्पाद  की निकासी के सरलीकरण के उद्देश्य से यह  नीति प्रतिपादित की गयी है अपनी नाप भूमि से  उत्पादित औषधीय व सगन्ध उत्पाद को कृषक,  वन विभाग द्वारा संचालित मण्डियों अथवा किसी  अन्य क्रेता को बेच सकते हैं इस व्यवस्था से  कृषिकरण से उत्पादित औषधीय व सगन्ध पादपों  के उत्पाद की विपणन प्रक्रिया का सरलीकरण  हुआ है।  

पात्रता/लाभार्थी:- नाप भूमि में औषधीय व  सगन्ध पादपों का  उत्पादन कर रहे  काश्तकार लाभान्वित होंगे तथा वैधानिक रूप  से नाप भूमि में  औषधीय व सगन्ध  पादपों का उत्पादन कर  रहे काश्तकार पात्र  होंगे।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- कृषक के पास संस्थान द्वारा निग र्त  पंजीकरण प्रमाण पत्र होना आवश्यक  हैं पंजीकरण प्रपत्र की छायाप्रति  सहित कृषक को संस्थान द्वारा  प्राधिकृत सहयोगी संस्था, भेषज  विकास इकाई को आवेदन करना  होगा, भौतिक सत्यापन के उपरान्त  रवन्ना जारी किया जाता है।  

 

योजना का नाम:- निर्यात के लिए औषधीय पादप  उत्पादकों को वैधानिक उत्पादन प्रमाण  पत्र (legal production Certificate ) LPC जारी करना।

लाभ:- कतिपय संकटग्रस्त व साइटीस (CITES)  प्रजातियों के उत्पाद के निर्यात पर प्रतिबंध है  किन्तु नाप भूमि में वैधानिक रूप से उत्पादित  संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे कूठ, कुटकी, इत्यादि के निर्यात में सुविधा प्रदान करना इस नीति का  उद्देश्य है।

  पात्रता/लाभार्थी:-  स्वयं की नाप भूमि में  संकटग्रस्त पादपों जैसे  कूठ, कूटकी इत्यादि का वैधानिक कृषिकरण  कर रहे काश्तकार पात्र  होंगे।  

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- कृषक द्वारा किसी आयातक की मांग  का पत्र संलग्न करते हुए जड़ी-बूटी  शोध एवं विकास संस्थान द्वारा  निग र्त पंजीकरण प्रमाण पत्र व,  भेषज विकास इकाई द्वारा जारी  रवन्ना संलग्न कर जड़ी-बूटी शोध  एवं विकास संस्थान को आवेदन किया जाता है संस्थान द्वारा  संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी से  अनुरोध कर वन विभाग भषेज  विकास इकाई, एवं जड़ी-बूटी शोध  एवं विकास संस्थान द्वारा संयुक्त  भौतिक सत्यान के उपरान्त संबंधित  प्रभागीय वनाधिकारी को स्च्ब् जारी करने हेतु संस्तुति प्रदान की  जाती है तदक्रम में वन विभाग द्वारा  भारतीय वन्य जीव संरक्षण  अधिनियम के तहत स्च्ब् जारी की जाती है।