उद्यान विभाग (उत्तराखण्ड चाय विकास बोर्ड, अल्मोड़ा)/Horticulture Department (Uttarakhand Tea Development Board, Almora) |
योजनायें :-
योजना का नाम:- उत्तराखण्ड राज्य के पर्वतीय जनपदों में चाय विकास कार्यक्रम
लाभ:-
उत्तराखण्ड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा बहुतायत मात्रा
में पलायन कर जाने के कारण
अधिकांश रूप से कास्तकारों की भ्ूमि निष्प्राेज्य/ बंजर
पड़ी रहती है, जिसमें चाय विकास कार्यक्रम संचालित करने से उक्त भूमि का सदुपयोग किया जा सकता है।
- बोर्ड द्वारा संचालित चाय विकास योजना एक रोजगारपरक योजना है, जिसके अन्तग र्त चाय बागानों में कास्तकारों/श्रमिकों को चाय प्लान्टेशन के सात वर्षो तक बोर्ड द्वारा वर्षभर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। बागान से पर्याप्त मात्रा में हरी पत्तियॉ प्राप्त होने पर उनकी बिक्री कर कास्तकार आय अर्जित कर अपनी आजीविका चला सकता है।
- वर्तमान में पर्वतीय क्षेत्रों में फलों, सब्जियों तथा फसलों को पालतू व जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पह ॅुचाया जा रहा है, जबकि चाय पौधों को पालतू व जंगली जानवरों द्वारा कोई नुकसान नही पहॅुचाया जाता है।
- पर्वतीय क्षेत्रों में सिचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध न होने के कारण परम्परागत खेती में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जबकि चाय बागानों में प्रारम्भिक स्तर पर ही सिचाई की आवश्यकता होती है, प्रतिकूल मौसम का चाय बागानों पर कोई खास असर नही पड़ता है।
- एक बार चाय पौधारोपण के उपरान्त उचित देखरेख में 100 वषाे र् तक चाय पौधों से उत्पादन लिया जा सकता है। चाय पौधों पर आलोवृष्टि से मात्र एक सप्ताह के उत्पादन पर ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- वनों का अन्धाधुन्ध कटान, आपदा व भारी वर्षा में भू-स्खलन का खतरा बना रहता है, जबकि चाय पौध रेपित क्षेत्रों में भू-स्खलन का कोई खतरा नही होता है, यानी चाय बागान भू-स्खलन रोकने में सहायक सिद्व होते है।
- चाय पौधारोण पर्यावरण सुरक्षा एवं पूर्णरूप से प्रदूषण मुक्त उद्योग है। ऽ चाय बागानों में स्थानीय व्यक्तियों विशेषकर ग्रामीण महिलाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार प्राप्त होता है। ऽ चाय उद्योग स्थानीय कास्तकारों के आर्थिक आधार हेतु सुदढ़ स्तम्भ बन सकता है।
- प्रति हैक्टेयर औसतन 15000 चाय पौध रोपित की जाती है, जिससे भूमि कटाव भी रूकता है।
- वर्तमान में बोर्ड द्वारा 9 जनपदों के 30 विकास खण्डाें में 1370 है0 क्षेत्रफल में 4011 कास्तकारों से भूमि लीज पर लेकर चाय बागान विकसित किये गये है।
- वर्तमान में बोर्ड के अन्तग र्त 3100 श्रमिक प्रतिमाह कार्यरत है, जिसमें 2279 महिला श्रमिक कार्यरत है
- चिन्हित भूमि के आसपास प्रारम्भिक स्तर पर चाय पौध नर्सरी स्थापना हेतु पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता हो।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- वर्तमान में बोर्ड
द्वारा मनरेगा योजना के अन्तग
र्त विकास खण्डों को चिन्हित किया जा रहा है जहाँ पर कास्तकारों की मॉग के अनुसार लगभग 60
से 100 हैक्टेयर जमीन चाय बागान
हेतु उपलब्ध हो।
- कास्तकार द्वारा अपनी नाप भूमि की उपलब्धता का उल्लेख करते हुए निदेशक, उत्तराखण्ड चाय विकास बोर्ड, अल्मोड़ा को चाय प्लान्टेशन हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के उपरान्त बोर्ड द्वारा कास्तकार की भूमि का मृदा परीक्षण करवाया जाता है। मृदा परीक्षण में भूमि चाय प्लान्टेशन हेतु उपयुक्त पाये जाने पर विकास खण्ड से प्राप्त समस्त आवेदनों को सम्मिलित करते हुए कार्ययोजना तैयार कर जिला प्रशासन/शासन को स्वीकृति हेतु प्रेषित की जाती है। जिला प्रशासन/शासन से स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त क्षेत्र में चाय प्लान्टेशन का कार्य प्रारम्भ किया जाता हैं
- उपलब्ध भूमि का मृदा सांराश 4.5 से 6. 00 प्रतिशत तक होना चाहिए जिसकी जॉच बोर्ड द्वारा अपनी मृदा प्रयोगशाला में करवाई जाती है।
- कास्तकार की नाप भूमि में ही बोड र् द्वारा चाय प्लान्टेशन किया जाता है।
- कास्तकार द्वारा खेती में प्रयुक्त भूमि के अतिरिक्त बंजर व
निष्प्रोज्य भूमि में भी चाय
प्लान्टेशन किया जा सकता है।
योजना का
नाम:- टी टूरिज्म
लाभ:-
बोर्ड द्वारा वर्तमान में चाय बागान घोड़ाखाल, (नैनीताल) चम्पावत व कौसानी (बागेश्वर)
में टी टूरिज्म से सबन्धित गतिविधिया ॅ संचालित की जा रही है,
जिसमें निम्न प्रकार से लाभ प्राप्त हो रहे है।
- राज्य में भ्रमण करने वाले पयर्टकों द्वारा अन्य रमणीय स्थलों का भ्रमण करने के साथ-साथ बोर्ड द्वारा संचालित चाय बागानों, चाय फैक्ट्रियों का भी भ्रमण किया जा रहा है।
- बागान भ्रमण पर आने वाले पयर्टकों से बोर्ड द्वारा न्यूनतम प्रवेश शुल्क प्राप्त किया जा रहा है।
- पयर्टकों से प्राप्त प्रवेश शुल्क के रूप में प्राप्त धनराशि उसी बागान में टी टूरिज्म को विकसित करने में व्यय की जा रही है।
- बोर्ड द्वारा बागान भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों को बागान भ्रमण एवं चाय टेस्ट करवाकर प्रतिवर्ष 75.00 लाख की आय अर्जित की जा रही है।
- पयर्टक सीजन में प्रतिदिन लगभग 500-600 पयर्टकों द्वारा चाय बागानों व चाय फैक्ट्रियों का भ्रमण किया जा रहा है।
- बोर्ड द्वारा संचालित टी टूरिज्म से स्थानीय स्तर पर लोगाे को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हो रहा है।
पात्रता/लाभार्थी:- टूरिज्म के
क्षेत्र में कम से कम 3 वर्ष के अनुभव प्राप्त फर्मो/ व्यक्तियों का ई-निविदा के माध्यम से चयन किया जाता है।
- चयनित फर्म/व्यक्ति के साथ 5 वर्ष का अनुबन्ध सम्पादित किया जाता है।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- बोर्ड द्वारा चाय बागान
चम्पावत में टी टूरिज्म
हेतु निर्मित टी कैफेटेरिया, व टूरिस्ट कॉटेजों को ई-निविदा के माध्यम से चयनित फर्मो
से लीज के
आधार पर संचालित करवाया जा रहा है।
- चाय बागान घोड़ाखाल के अन्तग र्त महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से टी कैफेटेरिया का संचालन करवाया जा रहा है।
- जनपद-बागेश्वर में जिला प्रशासन द्वारा चाय विकास बोर्ड की भूमि में स्थापित चाय फैक्ट्री के समीप टी कैफेटेरिया का निर्माण कर बोर्ड को हस्तान्तरित किये जा चुके है, जिसको लीज के आधार पर संचालित करने हेतु ई-निविदा की कार्यवाही की जा रही है।
लाभ:- बोर्ड
द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में 5.92 लाख हरी पत्तियों को प्रस्संकृत करते हुए 1.25 लाख
चाय निर्मित की गई है। वर्तमान में बोर्ड के अन्तग र्त निम्न जनपदों के अन्तगर्त स्वयं
की चाय फैक्ट्रिया स्थापित की गई हैः-
- चाय फैक्ट्री घोड़ाखाल (नैनीताल) - जैविक
- चाय फैक्ट्री चम्पावत - जैविक
- चाय फैक्ट्री भटोली (चमोली) - जैविक
- चाय फैक्ट्री कौसानी (बागेश्वर)-अजैविक
- चाय फैक्ट्री हरिनगरी (बागेश्वर)- अजैविक
- उक्त के अतिरिक्त बोर्ड द्वारा वर्तमान में निम्न जनपदों में छोटी चाय फैक्टि्रया स्थापित की जानी प्रस्तावित है :-
- चाय फैक्ट्री धौलादेवी (अल्माेड़ा)
- चाय फैक्ट्री डीडीहाट (पिथौरागढ़)
पात्रता/लाभार्थी:- बोर्ड द्वारा स्थापित उक्त चाय फैक्ट्रियों को भविष्य में पीपीपी मोड/निजी क्षेत्र में संचालित करवाया जाना प्रस्तावित है, जिस
हेतु पात्रता/ नीति तैयार की जा रही है।
आवेदन प्रक्रिया
एवं चयन प्रक्रिया:- बोर्ड द्वारा स्थापित चाय फैक्ट्रियों में स्थानीय स्तर पर
श्रमिकों को कार्यनियोजित कर रोजगार
उपलब्ध कराया जा रहा है, जिन
कास्तकारों द्वारा बागान
वापस प्राप्त कर स्वयं संचालित किये जा रहे है उन कास्तकारों से रू0 40.00 प्रतिकिलोग्राम की दर से हरी पत्तियॉ क्रय कर फैक्ट्री
को उपलब्ध कराई जा रही है, जिसका
भुगतान मासिक आधार पर कास्तकारो
के बैंक खातों में बोर्ड स्तर से
किया जा रहा है।
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