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उद्योग विभाग उत्तराखंड की महत्वपूर्ण योजनाएँ एवं उपलब्धियाँ|Important schemes and achievements of Industries Department Uttarakhand.

 
उद्योग विभाग  उत्तराखंड की  महत्वपूर्ण योजनाएँ एवं उपलब्धियाँ|Important schemes and achievements of Industries Department Uttarakhand.


  
उत्तराखण्ड राज्य में उद्योग विभाग के अन्तर्गत लपु, पृहद एवं मध्यम उद्योग, खनिज विकास, खादी ग्रामोयोग एवं
राजकीय लीयो प्रेस समन्वित रूप में रखे गये हैं. उद्योग विभाग का प्रमुख कार्य उद्योग सेक्टर में
अधिकाधिक पूँजी निवेश तथा प्रदेश में सतत औद्योगिकीकरण सुनिश्चित एवं प्रोत्साहित करना है ताकि अधिकाधिक लोगों को इस सेक्टर में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें
 
    लघु उद्योगों की स्थापना
जिला उद्योग केन्द्रों द्वारा लघु उद्योगों की स्थापना हेतु उदयमियों के अभिप्रेरण, परामर्श एवं मार्गदर्शन के अतिरिक्त विभिन्न विभागों द्वारा वॉछित स्वीकृतियाँ तथा अनापत्तियाँ समय से प्राप्त करने में सहायता की जाती है. लघु उद्योगों का अस्थायी एवं स्थायी पंजीकरण जिला उद्योग केन्द्रों द्वारा किया जाता है.
        वित्तीय वर्ष 2008-09 तक 34084 लघु उद्योग इकाइयाँ स्थापित की गई हैं, जिसमें 118915 लोगों को रोजगार प्राप्त है.
 
    खादी ग्रामोयोग बोर्ड
 
वित्तीय वर्ष 2008-09 तक 727 इकाइयाँ स्थापित की जा चुकी हैं. प्रदेश में खादी वोर्ड द्वारा खादी एवं ग्रामोधोग
आयोग की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है.
        उत्तराखण्ड राज्य औयोगिक विकास निगम लि. (सिडकुल)-उत्तराखण्ड में 'उत्तरांचल राज्य औद्योगिक विकास ' State Infrastructure and Industrial Development Corporation of Uttaranchal (SIDCUL)  स्थापना की गई है. यह निगम मुख्य रूप से राज्य में औद्योगिक विकास, अवस्थापना विकास एवं औयोगिक वित्त
के लिए कार्य करेगा और उद्योग सम्बन्धी सभी केन्द्रीय व राज्य सरकार के द्वारा सौंपी गई योजनाओं का क्रियान्वयन करेगा. औद्योगिक अवस्यापना हेतु निगम द्वारा सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क, एपेरल,पार्क, जैम पार्क, ग्रोध सेन्टर आदि विकसित करने का प्रस्ताव है. 
 

खनिजों का सर्वेक्षण
राज्य में उपलब्ध खनिज सम्पदा राज्प के राजस्व का महत्वपूर्ण ग्रोत है. इसी दृष्टिकोण से राज्य में उपलब्ध
खनिजों का विस्तृत एवं वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है. प्रथम चरण में माइनर खनिज लिए गए हैं, इस सर्वेक्षण से
राज्य में उपलब्ध खनिज सम्पदा का वैज्ञानिक तरीके से विदोहन किया जा सकेगा, जिससे पर्यावरण को सुरक्षित
रखते हुए खनिजों के माध्यम से अधिकाधिक रेवेन्यू भी प्राप्त किया जा सकेगा.
 
    राजकीय प्रेस रुड़की
उत्तराखण्ड में राजकीय मुद्रणालय एक मात्र राजकीय प्रेस है, जो राज्य सरकार के विभिन्न प्रकार के प्रपत्र, राज्य
सरकार के बजट, गजट सम्बन्धित प्रपत्रों की छपाई के कार्य कर रहा है. विधान सभा से सम्बन्धित एवं माननीय उच्च न्यायालय के कार्य भी इस प्रेस द्वारा किए जा रहे हैं. राजकीय मुद्रणालय, रुड़की का आधुनिकीकरण किया जा रहा है. साथ ही माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल एवं विधान सभा उत्तराखण्ड देहरादून में भी प्रेस की शाखाएँ खोले जाने का इस वर्ष में प्रस्ताव है.
 
लैग्ड  बैंक
राज्य की नई औद्योगिक नीति एवं भारत सरकार से प्राप्त पैकेज की पश्चात् वड़ी संख्या में उद्यमियों द्वारा विभिन्न
क्षेत्रों में पूँजी निवेश आमंत्रित किए जाने हेतु जनपद स्तर पर लैण्ड बैंक की स्थापना जिलाधिकारियों एवं जिला उद्योग केन्द्रों के माध्यम से की जा रही है. इसमें उद्योग विभाग, यू.पी.एस.आई.डी.सी. के औद्योगिक क्षेत्रों में उपलब्ध भूमि के अतिरिक्त अन्य औद्योगिक प्रयोजन हेतु सम्भावित भूमियों के विवरण इकट्ठे किए जा रहे हैं.
 
    उद्योग मित्र
राज्यस्तरीय उद्योग मित्र की बैठक दिनांक 17-4-2002 को औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित की गई थी. इसमें प्राप्त विभिन्न प्रकरणों पर निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है. जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला उद्योग मित्र का गठन किया गया है, जो उद्यमियों के समस्त स्थानीय समस्याओं पर चर्चा कर इसका समाधान करता है.
 
    औद्योगिक मेले, सेमिनार, प्रदर्शनी, प्रचार-प्रसार
औयोगिक इकाइयों, हथकरघा एवं हस्तशिल्पियों को विपणन प्रोत्साहन की दृष्टि से राज्य के विभिन्न जनपदों में
पारम्परिक मेलों के अवसर पर औद्योगिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. इस क्षेत्र में विभाग की महत्वपूर्ण
उपलब्धि इस प्रकार है-
  • राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयो- जित होने वाले 'भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले 2002' में उत्तराखण्ड पेवेलियन में प्रदेश के उथमियों द्वारा अपने उत्पाद का प्रदर्शन एवं विक्री की गई, इस मेले में उत्तराखण्ड पेवेलियन को द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ.
  • चंडीगढ़ में सी. आई. आई. द्वारा आयोजित एग्रो- टेक में भी उत्तराखण्ड द्वारा भाग लिया गया. इस मेले में उत्तराखण्ड राज्य के पेवेलियन को प्रथम पुरस्कार 2002 प्राप्त हुआ.
  • दिनांक 9 जनवरी से 1। जनवरी, 2003 को प्रगति मैदान नई दिल्ली में प्रवासीय भारतीय दिवस पर उत्तराखण्ड जिसमें पर्यटन, सरकार द्वारा अपना स्टाल लगाया गया, उद्योग, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध कराई गई.
  • 1 फरवरी, 15 फरवरी, 2003 तक आयोजित सूरजकुण्ड क्राफ्ट मेले में उत्तराखण्ड राज्य द्वारा थीम स्टेट के रूप में भाग लिया गया. इस मेले में प्रदेश के चयनित 80 हस्तशिल्पियों तथा हथकरधा बुनकरों द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन/विक्री की गई. मेले में प्रदेश के हस्तशिल्प/हथकरघा उत्पादों को विशेष सराहना मिली.
 
    लघु उद्योगों की तृतीय गणना
वर्तमान वर्ष में भारत सरकार द्वारा पंजीकृत लघु औद्योगिक इकाइयों की सम्पूर्ण गणना करायी गयी है. इस
गणना का उद्देश्य लघु औद्योगिक इकाइयों की वर्तमान स्थिति ज्ञात करना रुग्ण इकाइयों की पहचान संख्या ज्ञात करना है. इस गणना में राज्य की 27.415 पंजीकृत इकाइयों की गणना तथा 833 अपंजीकृत इकाइयों का नमूना सर्वेक्षण किया गया. भारत सरकार को गणना से सम्बन्धित समस्त प्रपत्र भेजे जा चुके हैं, जिसके आधार पर गणना की रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा प्रकाशित की जाएगी.
 
    प्रधानमंत्री रोजगार योजना
शिक्षित वेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार
योजना वर्ष 1993-94 से जिला उद्योग केन्द्रों के माध्यम से चलाई जा रही है. इस योजना के अन्तर्गत उद्योग एवं सेवा हेतु राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से 2 लाख रुपए तक तथा व्यवसाय हेतु एक लाख रुपए का कण उपलब्ध कराया जाता है. वर्ष 2008-09 में 7900 लाभार्थियों को लाभान्वित कराने का लक्ष्य रखा गया है, माह फरवरी 2009 तक 5523 लाभार्थियों को इस योजनान्तर्गत ऋण स्वीकृत किया जा चुका है.
 
    उयोगों हेतु वित्तीय प्रोत्साहन
उद्योगों को वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने हेतु आई. एस. ओ.-9000, पेटेन्ट रजिस्ट्रेशन, प्रदूषण नियंत्रण साधनों के
प्रयोग एवं निर्यात प्रोत्साहन हेतु विभिन्न सहायता योजनाएँ प्रारम्भ की गई हैं.
 
 
    रुग्ण इकाइयों का पुनर्वासन
रुग्ण औद्योगिक इकाइयों की पहचान एवं इनके पुन सुशासन  हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप रुग्ण एवं रुग्णामुख इकाइयों के पुनर्वासन हेतु जिला स्तर पर महाप्रवन्धक, जिला उद्योग केन्द्रों की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है, जो रुग्ण इकाइयों के मामले में कार्यवाही करेगी. इसके साथ ही जिलास्तरीय उद्योग मित्र में भी इन प्रकरणों पर विचार कर निर्णय लिए जाने की व्यवस्था की गई है. जनपद स्तर पर निस्तारित न हो सकने वाले मामलों को राज्यस्तरीय अन्तर संस्थागत समिति (स्लिक) के स्तर पर विचार किए जाने की व्यवस्था की गई है.
 
    उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम
युवाओं को स्वतः रोजगार हेतु प्रेरित करने एवं विभिन्न उद्यम स्थापित करने के लिए जागरूकता, अभिप्रेरण,
मार्गदर्शन, उद्यम स्थापना एवं उद्यम प्रवन्ध में प्रशिक्षण इस योजना के अन्तर्गत दिया जाता है. इस योजनान्न्तगत कुल रुपया 419 लाख का वजट उपलब्ध हुआ है, जिससे वर्ष 2002-03 में 36 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं तथा 600 व्यक्तियों को उद्यमिता विकास प्रशिक्षण दिया गया.
 
    दीनदयाल हथकरघा प्रोत्साहन योजना
हथकरघा सहकारी समितियों के उत्पादों की गुणवत्ता एवं विविधता एवं समुचित विपणन सहायता उपलब्ध कराने
की दृष्टि से भारत सरकार के विकास आयुक्त, हथकरघा द्वारा चलाई जा रही दीनदयाल हथकरघा प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत वर्ष 2001-02 में 14 समितियों के कुल 112:25 लाख रुपए की वित्तीय सहायता विभिन्न मदों में स्वीकृत की गई है, जिसमें से प्रथम किश्त की धनराशि 53-35 लाख संस्थाओं को उपलब्ध करायी जा चुकी है. जिसमें 747 बुनकर लाभान्वित होंगे. वर्तमान वित्तीय वर्ष में 12 समितियों के 165-095 लाख रुपए के प्रस्ताव राज्यस्तरीय समिति द्वारा अनुमोदनोपरान्त भारत सरकार को भेजे गए हैं, इनमें से 8 प्रस्ताव संस्तुत किए जा चुके हैं. इन प्रस्तावों के सापेक्ष 33-99 लाख रुपए की प्रथम किश्त की स्वीकृति जारी की जा चुकी है,
 
    काशीपुर डिजाइन केन्द्र का आधुनिकीकरण

काशीपुर स्थित डिजाइन सेन्टर का आधुनिकीकरण किया जा रहा है और इस केन्द्र में कम्प्यूटर एडेड डिजाइन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. केन्द्र द्वारा हथकरघा उद्योग के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे.