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उत्तराखण्ड की प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ एवं ग्लेशियर (हिमनद)/Major mountain ranges and glaciers of Uttarakhand

  

उत्तराखण्ड की प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ एवं  ग्लेशियर (हिमनद)/Major mountain ranges and glaciers of Uttarakhand


प्रमुख विषय:- 

  1. पर्वत श्रेणियाँ
  2. उत्तराखण्ड के ग्लेशियर (हिमनद) एवं उनकी ऊंचाई 


पर्वत श्रेणियाँ

 उत्तराखण्ड के तराई-भावर के प्रदेश लगभग चौरस हैं जो मील से लेकर 15 मील तक चौड़ी और सँकरी पट्टी के 

रूप में फैले हुए हैं. इस प्रदेश को तथा दून घाटियों को छोड़कर समस्त प्रदेश पर्वत श्रेणियों से धिरा हुआ है. भावर-  तराई की पट्टी उत्तर की ओर ऊँची उठकर शिवालिक श्रेणी तक समाप्त हो जाती है. उसके बाद क्रमशः मध्य हिमालयमहाहिमालय तथा भारत-तिब्बत सीमांत पर स्थित जंस्कर श्रेणियाँ आती हैं. महाभारत में इन श्रेणियों को उपगिरिवाहिगिरिअन्तर्गिरि तथा गन्धमादन अथवा कैलाश नाम से सम्बोधित किया गया है. 

         उपर्युक्त चारों पर्वत श्रेणियों ने पश्चिम-पूर्व में फैलकर उत्तराखण्ड को चार भागों में विभक्त कर दिया है जो माल (तराई-भावर)सलाणराठ (पठार) और भोट कहलाते हैं. उत्तराखण्ड का धरातल 800 फीट की ऊँचाई से प्रारम्भ होकर 25661 फीट की ऊँचाई तक पहुँचता हैजंस्कर और महाहिमालय श्रेणियों से उतरने वाली यमुनाअलकनन्दा और काली नदियों ने उत्तर से दक्षिण की ओर वहकर इन श्रेणियों का विभाजन कर डाला है. पश्चिम और पूर्व की ओर इन नदियों की सहायक नदियों ने अपना प्रभाव बनाकर अगणित डांडों को जन्म दिया है. इनसे उपजी इन सँकरी घाटियों में  अनेक छोटी-छोटी नदियाँ वहती हैं. इस प्रदेश के उच्चावचढाल एवं अन्य भौतिक स्वरूपों के आधार पर इन्हें चार भागों में बॉटा जा सकता है-

  1. शिवालिक या बाह्य हिमालय,
  2. मध्य हिमालय श्रेणियाँ,
  3. हिमाद्रि या महाहिमालय श्रेणियाँ,
  4. जंस्कर श्रेणियाँ.

(i) शिवालिक श्रेणियाँ-    शिवालिक की औसत ऊँचाई 750 से 1200 मीटर के मध्य है. यहाँ लगभग 40 इंच वर्षा होती है. इसकी चट्टानी संरचना अन्य भागों से भिन्न है. इसके ढाल दक्षिण में खड़े तथा उत्तर में दून घाटी की ओर साधारण है. दून घाटियाँ औसत मैदानों की अपेक्षा 350 मीटर ऊँची हैं. देहरादून. कोण्डीदून. चोखम्भा पट्टी कोटा आदि घाटियों में देहरादून (35 x 25 मीटर) वृहत्तम एवं सर्वाधिक घनी जनसंख्या से आबाद है. झीलोंछोटी नदी नालों (गद एवं गधेरा को छोड़कर) इस प्रदेश में गंगायमुना एवं काली की प्रमुख नदी प्रणालियाँ हैं. हिमोढ़ जमावअनेक झीलेंनदी तापीय चबूतरे आदि इस प्रदेश की विशेषताएँ हैं.

 (ii) मध्य हिमालय श्रेणियाँ-    मध्य हिमालय श्रेणियाँ 1500 से 2700 मीटर की ऊँचाई में लगभग 75 किमी. चौड़ाई में विस्तृत है एवं दून घाटी तथा शिवालिक श्रेणियों से बाउण्डरी प्रश (Boundry Thrust) द्वारा अलग होती है.

     मध्य हिमालय की श्रेणियाँ विभिन्न डांडों के रूप में विभाजित हैं. बीच बीच में अनेक छोटे-बड़े पठार हैं. इन डांडों की साधारण ऊँचाई छः हजार फीट तक हैवैसे देववन नागटिब्वामूसा का कोठा तथा चीनी शिखर जैसी चोटियाँ दस सहस्र फीट तक हैं. उतराखण्ड के भौगोलिक परिवेश में मध्य हिमालय श्रेणी पश्चिम से पूर्व तक रीढ़ की हड्डी के समान फैली हुई है. इससे डांडे पसलियों की भाँति निकलकर नदी घाटियों की ओर उतरते हैंजिनमें मसूरी-लंढौराचन्द्रवदनी घड़ियालसुककुंडामन्दरापलहटकुणीनागटिव्वाधनपुरअमोलीविनसरराणीगढ़ खतली उतांइदीपा का डांडाद्रोणागिरिदानपुर गणनाथरानीखेतअल्मोड़़ा तथा नैनीताल आदि के डांडे उल्लेखनीय हैं. 


 उत्तराखण्ड की पर्वत श्रेणियाँ

 पर्वत शिखर

 समुद्र सतह से ऊँचाई (मीटर)

 जनपद

 1. नन्दा देवी

 7,816

 चमोली        

 2. कामेत

 7,756

 चमोली

 3. नन्दा देवी पूर्वी

 7,434

 चमोली

 4. माणा

 7,273

 चमोली

 5. चौखम्बा

 7,138

 चमोली

 6. त्रिशूल

 7,120

 चमोली

 7. द्रोणागिरि

 7,066

 चमोली

 ৪. पंचचूनी

 6,904

 पिथौरागढ़

 9. नन्दाकोट

 6,861

 बागेश्वर

 10. बंदरपूँछ

 6,315

 उत्तरकाशी

 

        प्रायः ऊँचे डांडों पर अभ्रकसंयुक्त ग्रेनाइट चट्टानें मिलती हैं जिनके ऊपर की मिट्टी की परत उपजाऊ नहीं है फिर भी कहीं-कहीं वाजूबुरांसभौड़खरसूरागा तथा सुरई आदि के सुन्दर वन मिलते हैं. इन वनों में वृक्षों के नीचे विभिन्न प्रकार के हरे पीधे तथा झाड़ियाँ उग आती हैंजो संसार के प्रमुख चराई क्षेत्रों में गिने जाते हैं. ऊँचे शिखरों पर प्रायः 120 इंच तक वर्षो होती है तथा छः हजार फीट तक की ऊँचाई तक 60 से 100 इंच तक वर्षा औसत होती है. ऊँचे डांडों पर शीतकाल में एक माह तक हिमपात होता है.                          

(iii) हिमाद्रि या महाहिमालय श्रेणियोँ -     इसे सामान्यतया हो बर्गों में क्रमशः पर्वतीय सिलसिले एवं हिमाद्रि पाटियों में वर्गीकृत किया जा सकता है. हिमाद्रि पर्वत श्रेणियाँ लगभग किमी. चौड़ी हैंजिनकी ऊँचाई 4800 से 9000 मीटर के बीच है. इनमें वंदरपूँछ (6315 मीटर)गंगोध्री (6614 मीटर)केदारनाथ (6940 मीटर)चौखम्भा (7138 मीटर) कामेट  (7756 मीटर)नंदा देवी (7816 मीटर)द्रोणागिरि (7066 मीटर)त्रिशूल (7120 मीटर)नन्दाकोट (6861 मीटर) आदि वर्फाच्छादित ऊँचे शिखर हैं. इन शिखरों को भागीरथीअलकनन्दा एवं धवली गंगा की ड्डनुमा नदी घाटियाँ अलग करती हैं. यह भाग रवेदार चट्टानों से निर्मित तथा पर्वत ।श्रृंखला  गारनेटक्वार्टजाइट था नीस से निर्मित है. 

    महाहिमालय श्रेणी के दक्षिणी ढालों पर 10 हजार परी की ऊँचाई तक चीड़देवदारुरागारॉसलवाजूबुरांस खरसूभीडू तथा कहीं-कहीं भोजपत्र के सुन्दर वन हैं. ज्यों-ज्यों ऊँचाई वढ़ती जाती हैवृक्ष छोटे होने लगते हैं तथा 12 हजार फीट की ऊँचाई पर हिमालय की बुग्याल तथा अधिक ऊँचाई पर पयारे आरम्भ होती है जो हिमरेखा हे निकट समाप्त हो जाती है.

(iv) जंस्कर श्रेणियाँ-    महाहिमालय की उत्तरी ढ़ालों से आगे भारत-तिब्बत सीमांत तक जंस्कर श्रेणियाँ फैली हैं. इनकी ऊँचाई 18 सहस्र फीट से लगभग अधिक है. इन श्रेणियों से भारत और तिब्बत की अनेक नदियाँ निकली हैं. इस श्रेणी के गिरिद्वार सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व-पूर्ण रहे हैंजिनमें जेलूखगामाणानीतिचौरहोतीदमजनशलशलकुंगरी बिंगरीदारमा तथा लिपुलेख उल्लेखनीय हैं.उत्तराखण्ड की मुख्य हिमानियाँ गंगोत्रीकेदारनाथरेकन्नाकोसामाणावामनिनंदादेवीपिण्डार और मिलाम मुख्य हैं,                                       

उत्तराखण्ड के ग्लेशियर (हिमनद)

ग्लेशियर

ऊँचाई मी में

जनपद

1. गंगोत्री

4000-6902

उत्तरकाशी 

2. मिलाम

4242

पिथौरागढ़

3. पोर्टिंग

3650

पियौरागढ़

4. नामिक

4830

पियौरागढ़

5. पिण्डारी

3352-4625

वागेश्वर

 6. सुन्दरढूंगा 

6053

वागेश्वर

 7. कफनी

3840

बागेश्वर