उत्तराखंड में परिवहन के साधन|Means of transport in Uttarakhand |
संचार सुविधाओं के क्षेत्र में वर्ष 1994-95 में उत्तराखण्ड में प्रति लाख जनसंख्या पर डाकघरों एवं तारघरों की संख्या क्रमशः 40-7 एवं 11-6 थी, जोकि उत्तर प्रदेश के औसत क्रमशः 135 एवं 4-4 से बहुत अधिक है, परन्तु दूरी की दृष्टि से देखा जाए, तो उत्तराखण्ड के 14-2 प्रतिशत ग्रामों के निवासियों को 5 किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी तय करके डाकघर की सुविधा प्राप्त होती है. तारघरों की स्थिति और भी खराब है. 74 प्रतिशत ग्रामों से तारघरों की दूरी 5 किलोमीटर या उससे अधिक है. उत्तराखण्ड में परिवहन के प्रमुख साधन उत्तराखण्ड में परिवहन के प्रमुख साधन इस प्रकार हैं-
- सड़क परिवहन
- रेल परिवहन
- वायुयान
सड़क मार्ग-राज्य की भौगोलिक संरचना के कारण
राज्य में रेल मार्गों का अधिक विस्तार नहीं हो सका है. वर्तमान में राज्य के
मैदानी क्षेत्रों तक ही रेल मार्ग सीमित हैं. अधिकतर यातायात सड़क मार्ग द्वारा
संचालित होता है. यातायात के साधन बस, ट्रक, जीप व अन्य छोटे वाहन हैं, राज्य में लगभग 27,693-86 किमी लम्बी सड़कें हैं. सड़क मार्गों को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं-
- राष्ट्रीय राजमार्ग,
- राजमार्ग,
- सम्पर्क मार्ग.
दो विभिन्न
राज्यों के मुख्य नगरों या स्थानों को
एक-दूसरे से जोड़ने वाले मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग कहा जाता है. इन मार्गों का
निर्माण व अनुरक्षण केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है राज्य में कई राष्ट्रीय
राजमार्ग हैं, जिन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग
संख्या-58, 72, 72A. 73, 74, 87,94, 108, 109, 123,
119, 121, 87E, और 125 के नाम से जाना जाता है. राजमार्ग संख्या 58 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ता है. वर्ष 2012-13 तक राज्य में 1375-76 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग है.
उत्तराखंड के प्रमुख सड़क मार्ग
- देहरादून-विकासनगर-चकरोता-ल्यूनी.
- देहरादून-मसूरी-चम्बा-टिहरी.
- ऋषिकेश-देवप्रयाग-बद्रीनाथ.
- कर्णप्रयाग-बागेश्वर-धारचूला.
- टनकपुर-पिथौरागढ़-धारचूला.
- रानीखेत-नैनीताल-किच्छा.
- हल्द्वानी-रानीखेत-गैरसैंण.
- ऋषिकेश-उत्तरकाशी-गंगोत्री.
- कालसी-नीगांव-यमुनोत्री.
- श्रीनगर-पौड़ी-कोटद्वार,
पूर्व-पश्चिम की दिशा की ओर मुख्य मार्ग तीन हैं जो विभिन्न ऊँचाई वाले
क्षेत्रों से गुजरते हैं. ये मार्ग इस प्रकार हैं-
- पर्वतपदीय क्षेत्र-टनकपुर-हल्द्वानी-रामनगर-कोटद्वार-हरिद्वार मार्ग.
- निम्न हिमालय क्षेत्र लोहाघाट-अल्मोड़ा-रानीखेत-कर्णप्रयाग-श्रीनगर-देहरादून मार्ग.
- बृहद हिमालय क्षेत्र-धारचूला-डीडीहाट-बागेश्वर-ग्वालदम-कर्णप्रयाग रुद्रप्रयाग-टिहरी-मसूरी-चकराता मार्ग. राज्य में वर्ष 2012-13 तक ग्रामीण सड़कों की कुल लम्बाई 15,293 किलोमीटर थी तथा मुख्य जिला सड़कों की
- लम्बाई वर्ष 2012-13 तक 3,289-74 किलोमीटर थी.
उत्तराखण्ड के लिए तीन करोड़ 50 लाख रुपए की सड़क योजना
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहतु
उत्तराखण्ड के दो जनपदों
चमोली और रुद्रप्रयाग में तीन करोड़ 51 लाख रुपए की लागत वाली दो सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. केन्द्रीय
सड़क परिवहन व राजमार्ग राज्यमंत्री व क्षेत्रीय सांसद भुवन चन्द्र खंडूरी के जरिए
जारी विज्ञप्ति के मुताबिक केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चमोली में हापला, धोतीधार और रुद्रप्रयाग में भीरी परकंडडी मोटर
मार्ग को स्वीकृति दे दी गई है. इन दोनों मोटर मार्गों पर चालू वित्त साल के दौरान
तीन करोड़ 51 लाख 29 हजार रुपए का व्यय किया जाएगा. यह धनराशि
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राज्य के लिए पूर्व में स्वीकृत धनराशि के
अतिरिक्त होगी. दो साल पहले शुरू हुई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत् देश
के सैकड़ों गाँवों को मुख्य मा्गों से जोड़ा गया है. गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के
अनेक गाँवों को प्राथमिकता के आधार पर इस योजना के तहत चुना गया है. जनपद चमोली, पौड़ी और रुद्रप्रयाग में पहले ही 23 करोड़ 83 लाख रुप की सड़क परियोजनाएँ इसके तहत मंजूर की जा चुकी हैं.
किसी भी क्षेत्र के विकास में रेल यातायात का
महत्वपूर्ण योगदान होता है. रेलमार्ग द्वारा भारी सामान अधिक मात्रा में आसानी से
भेजा जा सकता है. भारतीय रेल हमारी सामाजिक व सांस्कृतिक एकता की प्रतीक है. मार्च
2013 के अंत तक
राज्य में कुल रेलमार्गों की लम्बाई 345 किमी थी. रेलमार्ग दो प्रकार के होते हैं-छोटी व वड़ी लाइन. पर्वतीय
क्षेत्रों में रेलमार्ग न होने के कारण राज्य में दक्षिणी भाग में रेलमार्गों के
अंतिम पड़ाव हैं-
- देहरादून,
- ऋषिकेश,
- कोटद्वार,
- काठगोदाम.
राज्य के प्रमुख रेलमार्ग
- हरिद्वार-रायवाला-डोईवाला-देहरादून.
- नजीबाबाद-कोटद्वार.
- काठगोदाम-हल्द्वानी-किच्छा-वरेली.
- रामनगर-काशीपुर-मुरादाबाद.
- रायवाला-ऋषिकेश.
- पीलीभीत-खटीमा-टनकपुर.
- काशीपुर-वाजपुर-लालकुओँ.
उत्तराखण्ड में रेल पटरी के नवीनीकरण की योजना
देहरादून और हरिद्वार के बीच रेल पटरी के
नवीनीकरण के लिए 20 करोड़ रुपए खर्च करने की
योजना है. साथ ही कोटद्वार और दिल्ली के बीच सीधी रेल सेवा शुरू की जाएगी. कुमाऊँ
को दिल्ली से जोड़ने के लिए भी सरकार कई और स्टेशनों की स्थापना व सीधी रेल सेवा
शुरू करने पर गम्भीरता से विचार करेगी. हरिद्वार में दो साल वाद पड़ने वाले अर्द्ध
कुम्भ मेले को देखते हुए हरिद्वार और ऋषिकेश के रेलवे स्टेशनों का सौन्दर्यीकरण
किया जाएगा. तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि हरिद्वार के लिए एक
करोड़ रुपया, ऋषिकेश रेलवे स्टेशन के लिए 40 लाख और देहरादून रेलवे स्टेशन के लिए दो करोड़
रुपए साज सज्जा, मरम्मत व यात्रियों के लिए
अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने की योजना है. रेल मंत्रालय सितम्बर महीने तक पीड़ी, रुद्रप्रयाग व कोटद्वार में कम्प्यूटरीकृत
आरक्षण रेल सेवा केन्द्र शुरू करना चाहता है यदि उत्तराखण्ड सरकार इन स्थानों पर
भूमि उपलब्ध करा दे.
वायुमार्ग
यातायात के क्षेत्र में वायुमार्ग का अत्यधिक महत्व बढ़ गया है. अधिक दूरी को कम समय में पूर्ण करने की दृष्टि से यह साधन बड़ा महत्वपूर्ण है, परन्तु हवाई अड्डे के लिए बड़े समतल क्षेत्र की आवश्यकता होने के कारण राज्य में हवाई अड्डों की स्थापना अधिक नहीं हो सकी है. वर्तमान में राज्य में चार हवाई पट्टियाँ हैं-गौचर (वद्रीनाथ), फूलबाग, पंतनगर और जौलीग्रांट देहरादून, नैनी सैनी (पिथौरागढ़).
वायु सेवाएँ
- दिल्ली-देहरादून-पंतनगर-दिल्ली.
- देहरादून-दिल्ली.
- पंतनगर-दिल्ली.
- देहरादून-लखनऊ-दिल्ली.
वर्तमान में
स्विट्जरलैण्ड की एक पर्यटन संस्था 'स्विस कनेक्ट' द्वारा वाजपुर (ऊधरमसिंह नगर)
में एक छोटासा हवाई अड्डा विकसित किया जा रहा है.
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