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कृषि विभाग उत्तराखंड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Agriculture Department Uttarakhand

 

कृषि विभाग उत्तराखंड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Agriculture Department Uttarakhand

 योजनायें :- 


योजना का नाम:- प्रधानमंत्री  किसान  सम्मान निधि योजना  (PM KISSAN)

लाभ:- इसके अन्तर्गत किसानों के बैंक खाते में सालाना 6  हजार रूपये (रू0 6000/-) ट्रांसफर किये जाते हैं।  प्रति 4 माह में रू0 2000/- दिये जाते हैं। 

पात्रता/लाभार्थी:-  प्रदेष के समस्त भूमि धारक  किसान, जिनके नाम पर राजस्व  अभिलेखों में जमीन हो। आर्थिक  रूप से सम्पन्न निम्न वर्ग के  लोग इस योजना के लाभ हेतु  पात्र नहीं होगें :- सभी संस्थागत  भूमिधारक, ऐसे किसान जिनके परिवार का  कोई भी सदस्य निम्नलिखित  श्रेणियों में वर्गीकृत है, पात्र नहीं  होंगे :- (क)संवैधानिक पदों पर  पूर्व में कार्यरत रहे तथा वर्तमान  में कार्यरत व्यक्ति। (ख) पूर्व तथा  वर्तमान मंत्री/ राज्यमंत्री, पूर्व  तथा वर्तमान लोक सभा/राज्य  सभा सदस्य/विधान सभा/  विधान परिशद सदस्य, पूर्व तथा  वर्तमान मेयर/नगर पालिका  अध्यक्ष, पूर्व तथा वर्तमान जिला  पंचायत अध्यक्ष।(ग) केंद्र  सरकार/राज्य सरकार के  मंत्रालयों/कार्यालयों/  विभागों/क्षेत्रीय इकाईयों के समस्त कार्यरत/ सेवानिवृत्त  अधिकारी एवं कर्मचारी, केंद्र / राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र  के उपक्रमों एवं सम्बद्ध कार्यालयों, राज्य/केंद्र के अन्तर्गत स्वायत  उपक्रम के अधिकारी/ कर्मचारी  तथा स्थानीय निकायों के  नियमित कार्मिक (मल्टी टास्किंग  स्टाफ/ चतुर्थ श्रेणी अथवा श्रेणी  घ को छोड़कर (घ) सभी  सेवानिवृत्त/ अधिवर्शता आयु पूर्ण  कर चुके पेंषनधारी जिनकी पेंषन  प्रतिमाह रु0 10,000 अथवा रु0  10,000 से अधिक हो (मल्टी  टास्किंग स्टाफ/ चतुर्थ श्रेणी  अथवा श्रेणी घ को छोड़कर)। (च) गत वर्श के आयकार दाता। (छ) प्रोफेषनल सर्विसेज जैसे-  डॉक्टर, इंजीनियर, अधिवक्ता,  चार्टेड एकाउण्टेन्ट तथा  आर्किटेक्ट जो किसी पेषेवर  उपक्रम (प्रोफेषन बॉडी) में  पंजीकृत हों तथा पेषे से  सम्बन्धित पै्रक्टिस कर रहे हों।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   आवेदक/पात्र लाभार्थी को योजना का  लाभ लेने हेतु सर्वप्रथम प्रधानमंत्री  किसान सम्मान निधि योजना की वेबसाइट  / पोर्टल www.pmkisan.gov.in पर पंजीकरण करना  होगा, पंजीकरण करने हेतु आधार  संख्या एवं आधार लिंक मोबाइल नंबर  आवश्यक है, यदि आधार लिंक मोबाइल  नंबर न हो तो नजदीकी कॉमन सर्विस  सेंटर से पंजीकरण कराया जाता है।  पंजीकरण के उपरांत निम्न दस्तावेजों  की आवश्यकता होगी :-किसान के नाम  पर जमीन होने संबंधी दस्तावेज (खसरा  खतौनी में संबंधित किसान का नाम  होना अनिवार्य है।), बैंक खाता जो  आधार से लिंक हो तथा आधार सीड  हो, राशन कार्ड संख्या। उक्त योजना में पंजीकरण करने के  उपरांत विभागीय स्तर से जांच की  जाती है, जांच में दस्तावेज सही पाये  जाने पर केन्द्र सरकार द्वारा धनराशि  सीधे किसान के खाते में भुगतान की  जाती है। यदि कोई किसान स्वतः  पंजीकरण करने में सक्षम नहीं है तथा  कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी  पंजीकरण करने में असमर्थ हो तो  नजदीकी सहायक कृषि अधिकारी/ जनपदीय कृषि अधिकारी कार्यालय में  समस्त दस्तावेज ले जाकर ऑनलाइन  आवेदन करने में विभाग द्वारा सहयोग  किया जाता है। पीएमकिसान हेल्पलाइन  नं0 155261 एवं 011- 24300606 के  टोलफ्री नंबर पर जाकर भी जानकारी  प्राप्त कर सकते हैं।

 

योजना का नाम:-  प्रधानमंत्री  किसान मानधन  योजना (PM-KY)

लाभ:- पुरूश और स्त्री दोनों को 60 वर्श की आयु पूर्ण  करने पर कम से कम 3000.00 (रू0 तीन हजार)  प्रत्येक माह पेंषन के रूप में प्राप्त होते हैं। परंतु इस  हेतु 18 से 40 वर्श की उम्र के भीतर पंजीकरण करना  होता है एवं रू0 55 से 200 प्रतिमाह पेंषन निधि में  अंषदान (किसान द्वारा जमा की जाने वाली धनराशि)  कुल 60 वर्श तक जमा करना होता है तथा उतनी ही  धनराशि केन्द्र सरकार द्वारा भुगतान की जाती है।

 पात्रता/लाभार्थी:- सभी छोटे एवं मझौले किसान  (जिनके पास 2 हेक्टेयर तक जी  जमीन हो ) तथा जिनकी आयु  18 से 40 वर्श है। राजस्व  अभिलेखों में  भूमि होनी  चाहिए एवं किसान का नाम  अभिलेखों में दर्ज हो। किसान  आयकर दाता न हो। योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र  लाभार्थी किसान वेबसाइटूूण्चउाउलण्हवअण्पद पर जाकर  स्वयं अपना पंजीकरण कर सकते हैं।  इसके साथ ही अपने निकटतम जनसेवा  केन्द्र  में सम्पर्क कर निःषुल्क  पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण करने हेतु आधार संख्या एवं  आधार लिंक मोबाइल नंबर आवश्यक है,  यदि आधार लिंक मोबाइल नंबर न हो तो नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर से  पंजीकरण कराया जाता है। पंजीकरण  के उपरांत निम्न दस्तावेजों की  आवश्यकता होगी :-किसान के नाम पर  जमीन होने संबंधी दस्तावेज (खसरा  खतौनी में संबंधित किसान का नाम  होना अनिवार्य है। ), बैंक खाता जो  आधार से लिंक हो तथा आधार सीड  हो। पंजीकरण करने के उपरांत एक  नोमिनेशन फार्म भरना होता है, जिसको  प्रिंट करने के उपरांत पुनः अपलोड  करना पडता है साथ ही खाते से  प्रतिमाह अंशदान कटौती की अनुमति  देनी होती है। प्रथम किस्त उसी समय भुगतान की जाती है। अंतिम रूप में  पंजीकरण होने पर किसान मानधन  पेंशन नंबर जारी होता है तथा पेंशन  नंबर भविष्य में पेंशन प्राप्त करने का  आवश्यक दस्तावेज है। प्रतिमाह जो  अंशदान धनराशि है वह किसान के खाते से कटौती होती है और उतनी ही  धनराशि सरकार द्वारा भुगतान की जाती  है। धनराशि की कटौती 60 वर्ष तक  होती है। 60 वर्ष पूरे होने पर रू0  3000/- पेंशन की धनराशि मिलने  लग जाती है। भविष्य में पेंशन हेतु  पेंशन निधि प्रबंधन और पेंषन भुगतान  के लिये भारतीय जीवन बीमा निगम  उत्तरदायी है।

 

योजना का नाम:-  प्रधानमंत्री  फसल बीमा  योजना (PMFBY )

लाभ:- प्राकृतिक आपदाओं जैसे -बारिष, ओलावृश्टि,  आकाष बिजली, बाढ़, सूखा, कीट पतगों, चक्रवात  एवं भूस्खलन से फसलों की बुवाई से कटाई तक  नुकसान की भरपाई की जाती है। फसल कटाई के  14 दिन बाद तक (चक्र्रवात, चक्रवाती बारिस,  बेमौसमी बारिस और ओलावृश्टि) आपदा से हुए  नुकसान पर भी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा  योजनान्तर्गत आर्थिक सहायता दी जाती है। जानवरों  से होने वाला फसल नुकसान इस योजना में  सम्मिलित नहीं है। क्षतिपूर्ति बीमित क्षेत्रफल का भुगतान और बीमित  धनराषि पर निर्भर करता है। प्रीमियम की धनराषि-  रबी में किसान को अधिकतम 1.5 प्रतिशत प्रीमियम  भुगतान करना पडता है तथा खरीफ की फसलों पर  अधिकतम 2 प्रतिशत भुगतान करना पडता है। अन्य  समस्त धनराशि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा वहन की  जाती है।

पात्रता/लाभार्थी:- खेती करने वाले प्रदेष के सभी  ऋणी और गैर ऋणी किसानों के  साथ-साथ बटाईदार किसान  (जो किसी अन्य की खेती पर  खेती करते हों) इस योजना का  लाभ ले सकते हैं।

किसान निम्न फसलों का बीमा  करा सकते हैं :- खरीफ-चावल, मण्डुवा  (समस्त जनपद)

रबी-गेहूं (समस्त जनपद),  मसूर (जनपद पौड़ी गढ़वाल  तथा पिथौरागढ़)

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- फसल बीमा करने हेतु सर्वप्रथम पात्र  किसान MFBY वेबसाइट  www.pm fby.gov.in पंजीकरण कर सकता है,  जिसके लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण  पत्र, बैंक पासबुक, मो0नं0 तथा जमीन  संबंधी दस्तावेज, बटाइदार होने की  स्थिति में इकरारनामा/एफिडेविट  अपलोड करने होंगे। यदि स्वयं आवेदन नहीं कर सकते हों तो, जन सेवा केन्द्र (CSC)/ नजदीकी बैंक/पोस्ट ऑफिस/ बीमा  कम्पनी एजेन्ट के माध्यम (AIDE  ऐप) उक्त दस्तावेजों को ले जाकर  आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने  के उपरांत किसान को बीमित धनराषि  के सापेक्ष प्रीमियम धनराशि भुगतान  करनी होती है।  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के  अन्तर्गत फसल नुकसान होने पर 72  घंटों के भीतर बीमा कम्पनी क्षेमा  जनरल इष्योरेंष लि0 (टोल फ्री नं0-  18005723013) एवं अपने जनपद के   एवं राजस्व विभाग को सूचित  करें। उसके उपरांत उक्त तीनों  विभागों द्वारा जांच की जाती है। जांच  में नियमानुसार फसल क्षति पाये जाने  पर, भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते  में किया जाता है। बीमा का लाभ लेने हेतु समय पर बीमा प्रीमियम का  भुगतान, फसल बीमा में उल्लेखित सभी  षर्तो और नियमों का पालन करें।

 

योजना का नाम:- सबमिशन  ऑन  एग्रीकल्चर  एक्सटेंषन (SAME)

लाभ:- किसानों को समय-समय पर आधुनिक खेती का  प्रषिक्षण दिया जाता है।  प्रदर्षनी, मेले, कृशक गोश्ठी का आयोजन एवं किसानों को एक्सपोजर  विजिट पर भी ले जाया जाता है। कृशक वैज्ञानिक  संवाद कराया जाता है।  फार्म स्कूल-जिसमें प्रदर्षनी हेतु कृशक को निःषुल्क  बीज, खाद तथा रसायन उपलब्ध कराया जाता है  तथा वहां पर 30 किसानों को प्रषिक्षण प्रदान किया  जाता है। प्रगतिषील कृशक जो खेती-बाड़ी में अच्छा कार्य कर  रहें हैं उन्हें पुरूस्कृत किया जाता है। प्रमाण पत्र के  साथ निम्नानुसार धनराषि दी जाती है- विकासखण्ड स्तर रू0 10,000 (दस हजार  मात्र)-किसान श्री जनपद स्तर रू0 25,000 (पच्चीस हजार मात्र) किसान भूशण राज्य स्तर रू0 50,000 (पचास हजार  मात्र)- किसान रत्न

 पात्रता/लाभार्थी:-  प्रदेष के किसान को इस योजना  का पात्र माना जायेगा। किसान के पास खेती योग्य भूमि  होनी चाहिए तथा किसान का  नाम भूमि संबंधी दस्तावेजों में  दर्ज होना चाहिए।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- किसान यदि प्रशिक्षण/एक्सपोजर  विजिट/ कृषि वैज्ञानिक संवाद प्राप्त  करना चाहता है तो अपने जनपद के  न्याय पंचायत या सहायक   अधिकारी, विकासखण्ड स्तर पर  सहायक  अधिकारी, इकाई स्तर पर   एवं भूमि संरक्षण अधिकारी तथा  जनपद में मुख्य   अधिकारी/परियोजना निदेषक (आतमा)  के नाम से प्रशिक्षण हेतु पत्र लिखकर  आवेदन कर सकता है। प्रार्थना पत्र  प्राप्त होने के उपरांत विभाग द्वारा  संबंधित क्षेत्र के कृषि विज्ञान  केन्द्र/अन्य संस्थाओं के माध्यम से  प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। किसान पुरस्कार प्राप्त करने हेतु जनपद  के कृषि कार्यालयों द्वारा समाचार पत्रों  के माध्यम से विज्ञापन प्रकाशित किया  जाता है तथा विज्ञापन के उपरांत  एडीओ कृषि/विकास खंड कृषि  कार्यालय/जनपद स्तरीय कृषि  कार्यालय से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं  तथा निर्धारित अवधि के भीतर, आधार  कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक,  मो0नं0, कृषि क्षेत्र में उल्लेखीय कार्य संबंधी प्रमाण पत्र, प्रशिक्षण संबंधी प्रमाण  पत्र, राज्य के बाहर विजिट करने संबंधी  प्रमाण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड/पशुनस्ल  सुधार कार्ड, यदि किसान क्रेडिट कार्ड  लिया हो तो तत्संबंधी विवरण,  फसलबीमा/पशु बीमा कराया हो तो  तत्संबंधी प्रमाण, स्वप्रमाणित पासपोर्ट  फोटो, किसी समिति/संगठन के सदस्य  हों तो, उसका विवरण, तथा फसल  उत्पादन, उससे होने वाले लाभ, जमीन  आदि विवरण संलग्न कर जनपद  स्तरीय कार्यालय में जमा करना पडता  है। जमा करने के उपरांत कृशकों का  चयन ब्लॉक स्तर पर गठित कृशक  सलाहकार समिति की खुली बैठक में  विभागीय अधिकारियों तथा जन  प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया  जाता है तथा अन्तिम अनुमोदन  जिलाधिकारी की अध्यक्षता में  गठित ळवअमतदपदह इवकल ठवंतक डममजपदह  (आतमा षासी निकाय की बैठक) में किया जाता है।

 

योजना का नाम:- राष्ट्रीय  खाद्य सुरक्षा  मिशन  (NFSM)

लाभ:- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अन्तर्गत खेती के  रकबे का विस्तार, चावल, गेहूं, दालों और तिलहन के  उत्पादन को बढ़ाना, मिट्टी की उर्वरता और  उत्पादकता में सुधार करना, रोजगार के अवसर पैदा  करना अैर  पर आधारित अर्थव्यवस्था को आगे  बढ़ाना है। इस योजना के तहत क्लस्टर प्रदर्षन, बीज वितरण,  पौध एवं मृदा प्रबन्धन, यंत्र वितरण, कृशक प्रषिक्षण  स्वयं सहायता समूह द्वारा प्रदर्षन तथा कस्टम  हायरिंग हेतु सहायता दी जाती है। योजना के अन्तर्गत निम्नानुसार अनुदान कृशकों को  देय है :-  क्लस्टर प्रदर्षन- ऽरु0 9000 प्रति है0 (धान,गेहूॅ व दलहन) 6000 प्रति है0 (मोटा अनाज, पौश्टिक अनाज व सोयाबीन) ऽ रू० 3000 प्रति है0, (तोरिया/सरसों/ राई/तिल) क्र0 कार्य मद अनुदान के मानक 1 क्रॉपिंगसिस्टम  बेस्ड प्रदर्षन रु0 15000 प्रति है0 2 बीज वितरण हाइब्रिड-राइस बीज एवं संकर मक्का बीज मूल्य  का 50% या रु0 10,000/कुंतल जो भी कम हो सोयाबीन/तोरिया/सरसों/राई-मूल्य का  50% या रु0 4000/कुंतल जो भी कम हो 3 बीज उत्पादन (10  वर्ष से कम  अवधि की  प्रजातियॉं) अरहर, मूंग, उडद, चना, गहत, मसूर आदि- मूल्य  का 50 : या रू0 5000.00 प्रति कु0 जो भी कम  हो रागी/मण्डुवा/सांवा/झंगोरा -मूल्य का 50 : या रू0 3000.00 प्रति कु0 जो भी कम हो तिलहन- आधारीय बीज उत्पादन (मूल्य का  50% या रू० 2500 प्रति कु0 जो भी कम हो) प्रमाणित बीज उत्पादन (मूल्य का 50% या रू०  2500 प्रति कु0 जो भी कम हो) 4 पौध एवं मृदा  प्रबन्धन सूक्ष्म पोशक तत्व,  रक्षा रसायन एवं जैव  रसायन, खरपतवारनाषी वितरण-मूल्य का  50% या रु0 500/हैक्टेयर जो भी कम हो 5 यंत्र वितरण एवं  जल प्रयोग यंत्र- अ) मैनुअल स्प्रेयर, पॉवर स्प्रेयर, सीड ड्रिल, पावर  टिलर, सीड ड्रिल, ड्रम सीडर, पावर वीडर्स,  रोटावेटर, लेजर लैण्ड लेवलर, पैडी थ्रेसर, मल्टी  क्रॉप थ्रेसर, जल पंप मूल्य का 50%  /एस0एम00एम0 मानक के अनुसार 6 कृशक प्रषिक्षण- रू0 3500/सत्र या रु0 14,000 प्रति प्रषिक्षण 7 लोकल  इनसियेटिव- 50 घन मी0 अथवा 50000 लीटर क्षमता के जल  सम्भरण पक्के टैंकों हेतु सहायता (सामूहिक टैंक)  (एन0एम0एस00 के मानको के अनुसार) रु0 2.50  लाख/है0 8 स्वयं सहायता  समूह द्वारा  प्रदर्शन रु09900/है0

 पात्रता/लाभार्थी:- प्रदेष के किसान को ही इस  योजना का पात्र माना जायेगा। खेती योग्य भूमि होनी चाहिए  तथा जमीनी दस्तावेजों में नाम  होना अनिवार्य है।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- इस योजना का लाभ लेने हेतु किसान  का चयन ग्राम सभाओं की खुली बैठकों  में विभागीय अधिकारियों व मा0  जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया  जाता है, किसान अपने ग्राम पंचायत की  खुली बैठक में प्रस्ताव दे सकता है तथा  प्रस्ताव पास होने पर संबंधित  जनप्रतिनिधि द्वारा विभाग को अवगत  कराया जाता है एवं विभाग संबंधित  किसान को बीज, कीटनाशी, कृषि यंत्र  आदि दिये जाते हैं। यदि किसान किसी ग्राम सभा/ जनप्रतिनिधि के माध्यम से न जाना  चाहे, तो वह संबंधित न्यायपंचायत के कृषि निवेश केन्द्र से लाभ प्राप्त कर  सकते हैं।

  

योजना का नाम:- राष्ट्रीय   विकास  योजना (RKVY)

लाभ:- योजनान्तर्गत मुख्य रूप से बीज उत्पादन (सभी  फसलों के 50 प्रतिशत सब्सिडी पर), फसल उत्पादन  (सभी फसलों के बीज 50 प्रतिशत सब्सिडी पर),  जैविक खेती (वर्मी कम्पोस्ट खाद, जैविक पिट, 50  प्रतिशत सब्सिडी पर एवं बहुउद्देषीय जल संरक्षण  टैंकों का निर्माण किया जाता है, इसमें भी 50  प्रतिशत धनराशि सब्सिडी में दी जाती है।

पात्रता/लाभार्थी:-  प्रदेष का किसान होना चाहिए। खेती योग्य भूमि होनी चाहिए  तथा जमीनी दस्तावेजों में नाम  होना अनिवार्य है।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- इस योजना का लाभ लेने हेतु किसान  का चयन ग्राम सभाओं की खुली बैठकों  में विभागीय अधिकारियों व मा0  जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया  जाता है, किसान अपने ग्राम पंचायत की  खुली बैठक में प्रस्ताव दे सकता है तथा  प्रस्ताव पास होने पर संबंधित  जनप्रतिनिधि द्वारा विभाग को अवगत  कराया जाता है एवं विभाग द्वारा जांच  करने के उपरांत संबंधित किसान को  बीज, वर्मी कम्पोस्ट खाद, टैंक निर्माण  आदि किये जाते हैं।  तदोपरांत विभाग द्वारा जांच करने के  बाद, किसान बीज न्याय पंचायत स्तर  के कृषि निवेश केन्द्र से प्राप्त कर  सकते हैं तथा टैंक निर्माण विभाग द्वारा  50 प्रतिशत सब्सिडी के आधार पर स्वयं  करवाया जाता है।

 

योजना का नाम:- मृदा  स्वास्थ्य  कार्ड  योजना  (SHC)

लाभ:-  प्रदेष के समस्त कृशकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Health Card) उपलब्ध कराना। किसान के खेत की मिट्टी की जांच की जाती है। सभी 13 जनपदों में मृदा परीक्षण प्रयोगषालायें  संचालित हैं।  किसानों को यह जानकारी प्रदान की जाती है कि  उनके खेत की मिट्टी के अन्दर कितनी मात्रा में क्या  चीज है एवं किस फसल के लिए कितनी खाद और  कौन सी खाद का उपयोग जाना जाता है। कृशकों की मिट्टी का नमूना जांच निःषुल्क है। पर्वतीय क्षेत्रों में 2.5 हेक्टेयर अथवा इससे कम तक की कृषि जमीन के लिए एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड  बनता है तथा मैदानी क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर तक की  जमीन के लिए एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनता है तथा  यह कार्ड 03 वर्ष तक वैध होता है।

 पात्रता/लाभार्थी:-  प्रदेष के समस्त भूमिधर कृशक  जो  कार्य से जुड़े हो।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- सबसे पहले किसान को अपने खेत की  मिट्टी का नमूना लेना होता है, जिसकी  प्रक्रिया निम्न है :- किसान अपने खेत  में 6 जगह निर्धारित करे, जहां से वह  नमूना लेना चाहते हैं उसके बाद जिस  जगह से नमूना लेना है वहां साफ कर  लें जैसे-मिट्टी की ऊपर की घास  आदि। मृदा जांच हेतु सूखी मिट्टी  प्रयोग में लायी जाती है। यदि एकत्रित  किया गया मृदा नमूना नमीयुक्त हो तो  उसे छांव में सूखा लिया जाता है,  जिससे नमूना वायु षुश्क हो जाये। नमूना लेने के लिए फावड़े या खुरपी से  6 इन्च गहरा, 6 इन्च लम्बा और 4 इन्च  चौड़ा वी0 आकार का गड्डा बना लें। अब इस गड्डे के किनारे-किनारे दीवार  से ऊपर से नीचे लगभग 1-2 इंच  मिटटी इकठ्ठा कर लें इस इकठ्ठा की  गयी मिट्टी को निकाल कर साफ  जगह पर रख लें। इस तरह से खेत के  6 जगह से मिट्ट इकठ्ठी करनी है। मिट्टी इकठ्ठा कर ले तो सभी को  अच्छी तरह मिल ले और उनमें से कंकड़ पत्थर या घास य जड़ हो तो  उसे हटा दे। अच्छी तरह मिलायी गयी मिट्टी को चार बराबर भागों में बांट दें  और 2 भाग को बाहर निकाल कर फेंक  दें और बचे दो भाग को रख लें। बचे  हुए 2 भाग को फिर से अच्छी तरह  मिला दे और फिर उन्हें चार बराबर  भागों में बांट दें और फिर 2 भाग को  हटा दें। यह प्रक्रिया तब तक करनी है,  जब तक आधा किलो मिट्टी न बच  जाए। आधा किलो मिट्टी जांच के लिए  सही नमूना है। इस आधा किलो मिट्टी  के नमूनें को साफ थैले में रखकर, थैले  में एक पर्ची डालनी है जिसमें किसान  का नाम-पूरा पता-खसरा  नम्बर-मो0नं0-कौन सी फसल लेना  चाहते हैं उसकी जानकारी- उल्लिखित  करनी होगी तथा नमूने के साथ आधार  कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मो0नं0 आदि  होने चाहिए इस नमूनें को किसान अपने  जनपद के मृदा परीक्षण प्रयोगषाला में  स्वयं अथवा अपने न्याय पंचायत के  सहायक  अधिकारी के माध्यम से  जमा कर सकते है। जमा करने के बाद  जब इस नमूने की जांच हो जाती है तो  किसान को उसका मृदा स्वास्थ्य कार्ड  प्रदान किया जाता है, जिसके हिसाब से  वह खेती कर सकता है और खाद,  उर्वरकों का उपयोग कर सकता है। सुदूर जनपद में यदि किसान मुख्यालय  नहीं पहुंच पाता है तो ऐसी स्थिति में  वह अपने न्याय पंचायत के  विभाग  के प्रभारी से सम्पर्क कर मृदा परीक्षण  सुविधा का लाभ उठा सकता है, तथा  आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र एवं मो0  नबंर की आवश्यकता होगी।

  

योजना का नाम:- राष्ट्रीय  सतत्   मिशन  योजना  (वर्शा  आधारित  क्षेत्र विकास  कार्यक्रम) 

लाभ:- योजना का संचालन कलस्टर आधारित (किसानों के  समूह, जिसमें न्यूनतम 2 से 5 किसान होने अनिवार्य  हैं अधिकतम कितने किसान भी हो सकते हैं।) है,  यह मात्र एक किसान के लिए नहीं है, क्योंकि इस  योजना के अंतर्गत कृषि एवं कृषि से जुडी  गतिविधियों जैसे-मुर्गी पालन, मौन पालन, पशुपालन  एवं जैविक खेती, पालीहाउस आदि समूह बनाकर  की जाती हैं।  कृषि एवं कृषि से जुडी गतिविधियों यथा समेकित   प्रणालियों का विवरण एवं अनुदान/लाभ के  मानक निम्नवत हैं - उद्यान आधारित फसल प्रणाली-जहाँ कृशकों की   आजीविका अधिक से अधिक उद्यान आधारित हो।  इसके अन्तर्गत प्रति है० रू० 25000.00 या   आगातों के मूल्य का 50% अनुदान की सुविधा है। पषुधन उत्पादन आधारित फसल प्रणाली-कृशकों की  आजीविका पषुपालन पर आधारित हो, इसके  अन्तर्गत प्रति है० रू० 25000.00 या  आगातों के  मूल्य का 50% अनुदान की सुविधा है। दुग्ध उत्पादन आधारित फसल प्रणाली- जहाँ कृशकों  की आजीविका दुग्ध उत्पादन पर आधारित हो।  इसके अन्तर्गत प्रति है० रू० 40000.00 या   आगातों के मूल्य का 50% अनुदान की सुविधा है। मत्स्य उत्पादन आधारित फसल प्रणाली-जहाँ कृशकों  की आजीविका मत्स्य उत्पादन पर आधारित हो।  इसके अन्तर्गत प्रति है० रू० 25000.00 या   आगातों के मूल्य का 50% अनुदान की सुविधा है। वृक्ष उत्पादन आधारित फसल प्रणाली- जहाँ कृशकों  की आजीविका वृक्ष उत्पादन पर आधारित हो। इसके  अन्तर्गत प्रति है० रू० 15000.00 या  आगातों के  मूल्य का 50% अनुदान की सुविधा है।  वानिकी आधारित फसल प्रणाली- जहां कृशकों  की आजीविका  वानिकी पर आधारित हो। इसके  अन्तर्गत प्रति है० रू० 15000.00 या  आगातों के  मूल्य का 50% अनुदान की सुविधा है। (ख) मूल्यवर्द्वन एवं संसाधन संरक्षण के अन्तर्गत  अनुदान मानक- ग्रीनहाउस एवं लो-टनल पॉलीहाउस (ट्यूबलर) का  निर्माण - संरचनाओं के निर्माण हेतु कुल लागत का  50% या रू० 530.00 प्रति वर्ग मीटर जो भी कम  हो।  मौन पालन- मौन पालन कॉलोनी हेतु लागत का  40% या रू० 800.00 प्रति कॉलोनी जो भी कम हो। साइलेज इकाई का निर्माण- इकाई निर्माण पर  लागत मूल्य का षत्-प्रतिषत या अधिकतम रू० 1. 25 लाख प्रति कृशक परिवार। पोस्ट हार्वेस्ट एण्ड स्टोरेज- इसके लिए लागत मूल्य  का 50% या रू० 4000.00 प्रति वर्ग मीटर एक  इकाई हेतु अनुदान की सीमा रू० 2.00  लाख/इकाई। वाटर लिफ्टिंग डिवाइस- इलेक्ट्रिक / डीजल  इकाईयों हेतु मूल्य का 50% या अधिकतम रू०  15000.00 प्रति इकाई। वर्मी कम्पोस्ट संरचनायें- संरचना निर्माण लागत  मूल्य का 50% या अधिकतम रू० 125.00 प्रति घन  फीट, स्थायी वर्मी कम्पोस्ट संरचना हेतु अधिकतम  सहायता सीमा रू० 50,000.00 प्रति इकाई, जबकि  एच०डी०पी०ई० वर्मीषेड हेतु अधिकतम रू० 8,000.00  प्रति इकाई राज सहायता देय है।

  पात्रता/लाभार्थी:-  प्रदेष का किसान होना चाहिए। खेती योग्य भूमि होनी चाहिए  तथा जमीनी दस्तावेजों में किसान  का नाम आवश्यक है। किसान को योजना का लाभ लेने हेतु,  संबंधित ग्रामीण क्षेत्र में कृषि  विभाग द्वारा गठित क्लस्टर का  सदस्य होना चाहिए अथवा  सदस्य न होने की स्थिति में कृषि  विभाग द्वारा क्लस्टर से जोडा जाता है।  यह योजना राज्य के समस्त  ग्रामीण क्षेत्रों, जहां पर बारिश  नहीं होती/कम होती है, वहां पर  लागू की जाती है।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   इस योजना का लाभ लेने हेतु किसानों  का चयन ग्राम सभाओं की खुली बैठकों  में विभागीय अधिकारियों व मा0  जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया  जाता है, संबंधित किसान अपने ग्राम  पंचायत की खुली बैठक में प्रस्ताव दे  सकते है तथा प्रस्ताव पास होने पर  (जिसमें सभी किसान जो, कॉलम 2 में  अंकित कार्यो को करने हेतु इच्छुक हों,  का समूह बनाया जाता है।) संबंधित  जनप्रतिनिधि द्वारा विभाग को अवगत  कराया जाता है एवं विभाग द्वारा जांच  करने के उपरांत जिला स्तरीय स्वीकृति  समिति से अनुमोदन प्राप्त किया जाता  है तथा संबंधित किसानों को समेकित  कृषि प्रणालियों (जो कॉलम 02 में  अंकित हैं) का कार्य सम्पन्न होने के  बाद क्लस्टर के अध्यक्ष के खाते में  डीबीटी के माध्यम से लाभ दिया जाता  है।  किसान स्वयं ऑनलाइन आवेदन  वेबसाइट   ीजजचरूध्ध्दउेंण्कंबण्हवअण्पद पर जाकर कर अथवा कॉमन सर्विस  सेंटर (सी0एस0सी0) के माध्यम से कर  सकते हैं। आवेदन करते समय किसान  का आधार कार्ड, बैंक खाता, कृषि  जमीन संबंधी दस्तावेज जिसमें किसान  का नाम अंकित हो, उल्लेख करना  होगा। उसके उपरांत विभाग द्वारा  प्रस्ताव तैयार किया जाता है तथा  किसान को संबंधित समूह मे जोडा  जाता है। कृषि समेकित कार्यो को करने  के उपरांत लाभ संबंधित क्लस्टर के  अध्यक्ष के खाते में डीबीटी होता है।  

 

 योजना का नाम:- परम्परागत    विकास  योजना (PKVY)

लाभ:- यह योजना जैविक खेती को प्रोत्साहन करने हेतु है,  जिसमें जैविक खेती करने के लिए जैविक बीज,  कम्पोस्ट, हरी खाद, बायोफर्टीलाइजर  बायोपेस्टिसाइड, नीम ऑयल, प्रोम, बर्मी कम्पोस्ट,  वेस्ट डिकम्पोजर आदि के लिए किसानों को रू0  9000 प्रति है0 की प्रोत्साहन धनराशि दी जाती है।  

पात्रता/लाभार्थी:- प्रदेष के सभी मूल निवासी  किसान नागरिक इस योजना में  आवेदन करने हेतु पात्र हैं। केवल किसान श्रेणी के नागरिक  (जिनके पास भूमि हो, तथा  जमीनी राजस्व अभिलेखों में  किसान का नाम अंकित हो) ही  योजना में आवेदन करने पात्र  माने जायेंगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- इस योजना का लाभ लेने हेतु किसान  का चयन ग्राम सभाओं की खुली बैठकों  में विभागीय अधिकारियों व मा0  जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया  जाता है, संबंधित किसान अपने ग्राम  पंचायत की खुली बैठक में प्रस्ताव दे  सकते है तथा प्रस्ताव पास होने पर  संबंधित जनप्रतिनिधि द्वारा विभाग को  अवगत कराया जाता है एवं विभाग द्वारा  जांच करने के उपरांत तथा किसान  द्वारा जैविक खेती में उपयोग किये जाने  वाले जैविक खाद, बीज आदि कृषि निवेश केन्द्रों से खरीदने के उपरांत  लाभ दिया जाता है। लाभ लेने हेतु किसानों को प्रस्ताव के  साथ स्थायी/मूल निवास प्रमाण पत्र,  पहचान पत्र, आधार कार्ड, मो0नं0,  राषन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, कृषि  जमीन की खसरा खतौनी तथा किसान  नागरिक की पासपोर्ट साइज की फोटो  होनी चाहिए। किसान वेबसाइट  http://pgsindiancof.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन  करवा सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन हेतु  उक्त दस्तावेज होने अनिवार्य हैं, जैविक  निवेश करने के उपरांत सब्सिडी  धनराशि सीधे किसान के खाते में  भुगतान की जाती है।  

 

 योजना का नाम:- प्रधानमंत्री   सिंचाई  योजना (PMKSY)

लाभ:-  प्रदेष के समस्त जिलों में खेतों तक सिंचाई के लिए  पानी पहुंचाने हेतु है। इस योजना में नये जल स्त्रोतों का निर्माण, पुराने  जल स्त्रोतों को सुदृढीकरण करना, जल संचयन के  साधनों का निर्माण, अन्य छोटे भंडारण तथा  परम्परागत जल तालाबों आदि की क्षमता बढ़ाने जैसे  कार्य करवाये जाते हैं। किसान इस योजना के अन्तर्गत अपने खेतों में छोटे  तालाब, सूक्ष्म सिंचाई के साधन जैसे फव्वारा  (स्प्रिंक्लर) सिंचाई, बूंद-बूंद सिंचाई (ड्रिप इरीगेषन)  के उपकरण प्राप्त कर सकते हैं।   उक्त कार्यो को करने हेतु भारत सरकार के मानकों  के अनुसार निम्न अनुदान दिया जाता है- सामूहिक जल टैंक- मूल्य का 100 प्रतिशत या  अधिकतम 2.50 लाख रू. अनुदान सरकार द्वारा दिया  जाता है परंतु कमांड क्षेत्रफल (सिंचित होने वाला  क्षेत्रफल) 01 है0 होना चाहिए। सामूहिक चैक डैम-मूल्य का 100 प्रतिषत या  अधिकतम 2.50 लाख/ संरचना 01 है0 जल पम्प- मूल्य का 50 प्रतिशत या अधिकतम रू0  15,000/इकाई  गहरी एवं उथली टयूबेल-मूल्य का 50 प्रतिशत या  अधिकतम रू0 25,000/इकाई  गहरी टयूबेल- मूल्य का 50 प्रतिशत या अधिकतम  रू0 1,00,000/इकाई  जल संरक्षण का पुर्नउद्वार एवं मरम्मत- मूल्य का 50  प्रतिशत या अधिकतम रू0 15,000/इकाई  मिनी स्प्रिंक्लर सेट- मूल्य का 55 प्रतिशत या  अधिकतम रू0 64,7,17/है0  माइक्रो स्प्रिंक्लर सेट- मूल्य का 55 प्रतिशत या  अधिकतम रू0 44,7,57/है0  पोर्टबल स्प्रिंक्लर सेट- मूल्य का 45% या अधिकतम  रू0 26,3,13/ है0

 पात्रता/लाभार्थी:- प्रदेष का किसान नागरिक होना  चाहिए। यह राज्य के समस्त  जनपदों हेतु है।  खेती योग्य भूमि होनी चाहिए एवं  कृषि भूमि संबंधी राजस्व  अभिलेखों में किसान का नाम  अंकित होना अनिवार्य है।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   किसान अपने खेत एवं क्षेत्र की  आवष्यकताओं को ग्राम पंचायत की  खुली बैठक जो विभागीय अधिकारियों  एवं मा0 जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में होती है, में प्रस्ताव लायेगा तथा  प्रस्ताव पास होने पर कृषि विभाग के  अधिकारियों द्वारा कॉलम 3 में अंकित  कार्यो के निर्माण/लागत विवरण संबंधी  प्रस्ताव, किसान के साथ मिलकर, तैयार  किया जाता है तथा जिला स्तरीय  स्वीकृति समिति से अनुमोदन प्राप्त  करने के उपरांत निर्माण कार्य कृषि  विभाग द्वारा करवाया जाता है। कार्य सम्पन्न होने के बाद किसान से  संबंधित दस्तावेज यथा आधार कार्ड,  निवास प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक,  मो0नं0, कृषि जमीन संबंधी राजस्व  अभिलेख प्राप्त किये जाते हैं एवं बाद में  कॉलम 3 में अंकित सब्सिडी का  भुगतान सीधे किसान के खाते में किया  जाता है।

 

 योजना का नाम:-  सबमिशन ऑन  एग्रीकल्चर  मैकेनाईजेषन (SMAM)

 लाभ:- योजना के तहत् प्रदेष के सभी किसानों को खेती  करने के लिए आधुनिक उपकरण खरीदने हेतु एससी./एस.टी./लघु एवं सीमान्त एवं महिला कृषकों  (सभी जाति की) के लिए, 50 प्रतिशत एवं बडे  किसानों के लिए 40 प्रतिशत अनुदान/आर्थिक  सहायता दी जाती है, विवरण निम्नवत है :-  क्र यंत्र का नाम अनुदान के मानक एस.सी./एस.टी./लघु  एवं सीमान्त एवं महिला कृषकों के लिए  एस.एम.ए.एम. के अनुसार 1 पॉवर टिलर 8  बीएचपी से कम 50% या अधिकतम रू० 65000.00 जो भी  कम हो। 2 पॉवर टिलर 8  बीएचपी एवं अधिक 50% या अधिकतम रू० 85000.00 जो भी  कम हो। 3 पावर वीडर पावर  चालित 2 बीएचपी से  कम 50% या अधिकतम रू० 25000.00 जो भी  कम हो। 4 पावर वीडर पावर  चालित 2 बीएचपी से  अधिक 50% या अधिकतम रू० 35000.00 जो भी  कम हो। 5 पावर वीडर पावर  चालित 5 बीएचपी से  अधिक 50% या अधिकतम रू० 63000.00 जो भी  कम हो। 6 चैफ कटर ;चवूमत  ध्कतूंद इमसवू 3 ीचद्ध 50% या अधिकतम रू० 20000.00 जो भी  कम हो। 7 चैफ कटर ;चवूमत ध्कतूंद इमसवू 3 जव 5  ीचद्ध 50% या अधिकतम रू० 28000.00 जो भी  कम हो। 8 चैफ कटर मानव  चालित  50% या अधिकतम रू0 6300.00 जो भी  कम हो। 9 ब्रश कटर 50% या अधिकतम रू० 40000.00 जो भी  कम हो। 10 नैपसेक स्प्रेयर कृषि  रक्षा यंत्र (मानव  चालित) 50% या अधिकतम रू० 750.00 जो भी कम  हो। 11 स्प्रेयर कृषि रक्षा यंत्र  (शक्ति चालित)  50%या अधिकतम रू0 3800.00 जो भी कम  हो। 12 स्प्रेयर कृषि रक्षा यंत्र  (शक्ति चालित) 16  ली0 क्षमता 50%या अधिकतम रू0 10000.00 जो भी  कम हो। 13 मल्टीक्रॉप थै्रसर (4  टन प्रति घण्टा पावर  5 एच पी से अधिक)  50%या अधिकतम रू० 100000.00 जो भी  कम हो। 14 थै्रसर (4 टन प्रति  घण्टा पावर 5 एच पी  से अधिक)  50%या अधिकतम रू० 100000.00 जो भी  कम हो। 15 पेडी थै्रसर/(5 एच0 पी0 से कम) 50%या अधिकतम रू० 40000.00 जो भी कम हो। 16 थै्रसर(5 एच.पी. से  कम)  50% या अधिकतम रू० 40000.00 जो भी  कम हो। 17 ट्रेक्टर 20 से 40  पी0टी00एच0पी0 50 % या अधिकतम रू० 2.50 लाख जो भी  कम हो। 18 ट्रेक्टर 40 से 70  पी0टी00एच0पी0 50 % या अधिकतम रू० 4.25 लाख जो भी  कम हो। 19 रीपर कम  बाईन्डर  (सेल्फ प्रोपेल्ड 4  वील) 50 % या अधिकतम रू० 2.50 लाख जो भी  कम हो। 20 स्ट्रॉ रीपर 35 एच0पी0 से अधिक 50 % या अधिकतम रू० 1.30 लाख जो भी  कम हो। 21 लेजर लेण्ड लेवलर 50 % या अधिकतम रू० 2.00 लाख जो भी  कम हो। 22 सुपर सीडर 35  एच0पी0 से अधिक 50 % या  अधिकतम रू० 1.05 लाख जो भी  कम हो। 23 जीरो ट्रिल सीड कम  फर्ट्रीलाइजर ड्रिल (9 टाइन) 50 % या अधिकतम रू० 0.213 लाख जो भी  कम हो। 24 जीरो ट्रिल सीड कम  फर्ट्रीलाइजर ड्रिल (11  टाइन) 50 % या अधिकतम रू० 0.241 लाख जो भी  कम हो। 25 रोटावेटर (6 फीट) 50 % या अधिकतम रू० 0.448 लाख जो भी  कम हो। 26 रोटावेटर (7 फीट) 50 % या अधिकतम रू० 0.476 लाख जो भी  कम हो। 27 रोटावेटर (8 फीट) 50 % या अधिकतम रू० 0.504 लाख जो भी  कम हो। 28 पलवराईजर आटा  चक्की  50 % या अधिकतम रू० 35000.00 जो भी  कम हो। 29 वाटर लिफ्टिंग पम्प 10 एच.पी. तक 50 % या अधिकतम रू० 18000.00 जो भी  कम हो। 30 मंडुवा थ्रेसर मानव  चालित 50 % या अधिकतम रू० 10000.00 जो भी  कम हो। 31 विनोईंग फैन 50 % या अधिकतम रू० 10000.00 जो भी  कम हो। 32 हार्टीकल्चर हैण्ड टूल 50 % या अधिकतम रू० 10000.00 जो भी  कम हो। 33 गार्डन हैण्ड टूल 50 % या अधिकतम रू० 1200.00 जो भी  कम हो। 34 पर्वतीय छोटे   यंत्र 50 % अनुदान।

  पात्रता/लाभार्थी:-  किसान उत्तराखण्ड राज्य का  स्थायी निवासी हो तथा 50  प्रतिशत आर्थिक सहायता  प्राप्तएस.सी./एस.टी./लघु एवं  सीमान्त एवं महिला कृषकों (सभी  जाति की) के लिए है। पात्र किसान का नाम, खेती योग्य  जमीन के राजस्व अभिलेखों में  अंकित हो।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  सर्वप्रथम कृषि विभाग/जनपदीय मुख्य  कृषि अधिकारी कार्यालय द्वारा भारत  सरकार से लक्ष्य प्राप्त होने के उपरान्त  यंत्रों की सब्सिडी पर खरीद हेतु  विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है।  विज्ञापन में उल्लिखित तिथि के भीतर  ही इस योजना का लाभ पाने के लिए  किसान SMAM के पोर्टल http://agrimachinery.nic.in  पर ऑनलाइन  आवेदन स्वयं अथवा नदजीकी कॉमन  सर्विस सेंटर के माध्यम से करना होता  है। ऑनलाइन आवेदन करने हेतु आधार  कार्ड एवं आधार लिंक मोबाइल नंबर,  बैंक खाता तथा जमीन संबंधी प्रमाण  पत्र और जाति प्रमाण पत्र (यदि किसी  जाति विशेष से हो) अपलोड करने होते  हैं। सभी दस्तावेज उसी जनपद के होने  चाहिए जिस जनपद में कृषि जमीन हो।  यदि किसान को ऑनलाईन आवेदन  नहीं आता है तो ऐसी स्थिति में   विभाग के विकासखण्ड स्तर के  अधिकारी से सहायता प्राप्त कर सकते  हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के  पश्चात, पंजीकरण संख्या/प्रमाण संबंधित किसान को प्राप्त होता है। फिर  किसान कृषि विभाग के अंतर्गत पैनल  फर्म से, जो वेबसाइट   में उल्लिखित हों,  उससे संबंधित यंत्र खरीदेगा उसके  उपरांत बिलों को, जो पंजीकरण संख्या  प्राप्त हुई है उसी में अपलोड करेगा।  तदोपरांत कृषि विभाग के कार्मिकों द्वारा  बिलों की जांच की जाती है तत्पश्चात  डीबीटी के माध्यम से अनुदान की  धनराशि का भुगतान सीधे कृषक के  खाते में किया जाता है। योजना का  लाभ पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन में  ’’पहले आओ पहले पाओ’’ की व्यवस्था लागू है, इसमें प्रत्येक जनपद में टारगेट  निर्धारित हैं, टारगेट पूरा होने पर  किसान को आगामी वर्ष में पुनः आवेदन  करना पडेगा।  

 

योजना का नाम:- सबमिशन  ऑन  एग्रीकल्चर मैकेनाईजेष , कस्टम  हायरिंग  सेन्टर/बडे  किसानों  हेतु। (SMAM)

 लाभ:-  कस्टम हायरिंग सेन्टर (ऐसे कृषकों के समूह जो मात्र  कृषि यंत्रों की खरीद/किराये पर देने/बेचने का  कार्य करते हों) के अन्तर्गत कृशक समूह/सहकारिता  समूह/ एफ.पी.ओ./स्वयं सहायता समूह/कृशक, जो  रू0 10.00 लाख से लेकर रू0 100.00 लाख तक के  यंत्र अनुदान पर क्रय कर सकता है। जिस पर  अनुदान के रूप में अधिकतम 40 प्रतिषत का  अनुदान भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता  है।

 पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य के बडे कृषकों  (जिनके पास 5 हेक्टेयर या  उससे अधिक जमीन हो),  सहकारिता समूहों, स्वयं सहायता  समूहों, कस्टम हायरिंग सेंटरों के  लिए है। पात्र किसान/समूहों के  पास खेती योग्य जमीन होनी  चाहिए। व्यक्तिगत बडे किसान  की स्थिति में राजस्व अभिलेखों में  नाम होना चाहिए तथा समूह की  स्थिति में समूह के सदस्यों का  कृषि जमीन संबंधी दस्तावेजों में  नाम होना चाहिए।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त प्रक्रिया क्रमांक 11 के अनुसार होगी परंतु समूह के आवेदन करने की  स्थिति में समूह/कस्टम हायरिंग सेंटर  का बैंक खाता, समूह के अध्यक्ष की  फोटो, समूह के समस्त सदस्यों के  आधार कार्ड, समस्त सदस्यों के जमीन  के दस्तावेज अनिवार्य हैं।

  

योजना का नाम:- इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि  बाजार  (eNAM) कृषि विभाग  - उत्तराखण्ड कृषि उत्पाद  विपणन बोर्ड

लाभ:- किसान पहले अपनी फसल को कटाई के बाद  नजदीकी मंडी में ले जाते हैं एवं अपनी जगह का  एक निर्धारित आढत मंडी समिति को देने के बाद,  फसल या तो स्वयं मंडी में बेचते हैं या किसी  बिचौलिए को औने-पौने दामों में बेचकर घर आ  जाते हैं, परंतु किसानों को फसल का उचित दाम  मिल सके इस हेतु ई-नाम नामक एक ऑनलाइन  मण्डी/बाजार किसानों के लिए तैयार किया है,  जिसमें किसान अपनी फसल का उचित दाम प्राप्त  करने हेतु, फसल को देश के किसी भी कोने में बेच  सकता है। इसमें किसान किसी बिचौलिये को अपनी फसल न देकर स्वयं बेच सकता है, स्वयं देख  सकता है कि उसकी फसल के कितने रूपये किस  क्षेत्र/जनपद/राज्य से ज्यादा मिल रहा है, फिर  उसी को बेच सकते हैं। इसमें किसान की   उपज की गुणवत्ता परख प्रयोगषाला में निर्धारित की  जाती है, जिसके फलस्वरूप, विक्रेता/किसान को  उपज का प्रतिस्पर्धात्मक/अच्छा मूल्य प्राप्त हो  सकता है तथा आनलाईन विक्रय की गयी   उपज का भुगतान सीधे विक्रेता/ किसान के बैंक  खाते में प्राप्त होता है। उत्तराखण्ड राज्य में 16 मंडी समितियों में ई-नाम  योजना संचालित की जा रही है। आगामी माहों से  20 मण्डी समितियों में ई-नाम योजना संचालित हो  जायेगी।

 पात्रता/लाभार्थी:- राज्य के समस्त किसान, जो  अपनी फसल को ई-नाम के  माध्यम से बेचना चाहता है, पात्र  होगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  किसान/विक्रेता कभी भी स्वयं/मंडी समिति के सहयोग से ई-नाम  पोर्टल पर पंजीकरण कर सकता है,  जिसमें किसान/विक्रेता का मूल  विवरण, मांगा जाता है। मुख्यतः आधार  कार्ड, वोटर आईडी, बैंक खाता एवं  जमीन संबंधी दस्तावेज अनिवार्य हैं,  पंजीकरण के उपरांत इसकी संस्तुति  (ंचचतवअंस), समिति द्वारा की जाती है। किसान अपनी फसल को ऐसी मंडी  समिति जो ई-नाम में पंजीकृत है,  उसके पास ले जायेगा उसके उपरांत किसान/विक्रेता की  उपज का  लाट (ढेरी संख्या) मंडी समिति द्वारा  जारी की जाती है, लाट की परख  करके, ग्रेड निर्धारित करके, मंडी टैक्नीशियन द्वारा पोर्टल पर अपलोड  किया जाता है, विक्रेता की सहमति से  न्यूनतम बिड/बोली की धनराषि एवं  बिड/बोली अवधि निर्धारित की जाती है एवं बिड का आनलाईन संचालन मंडी  समिति द्वारा किया जाता है। आनलाईन  माध्यम से प्राप्त अधिकतम  बोली/बिडिंग की धनराषि से, विक्रेता  की संन्तुश्टि उपरान्त, बोली की घोशणा  की जाती है। सर्वोत्तम बोली वाले क्रेता  एवं विक्रेता के बीच में, अनुबंध  पत्र/सेल बिल डाउनलोड किया जाता  है जोकि क्रेता/विक्रेता/समिति क्रेता  द्वारा अपनी ई-नाम आई0डी0 से,  विक्रेता से क्रय की गयी  उपज की  धनराषि, मण्डी समिति को देय मण्डी  षुल्क एवं विकास सेस की धनराषि का  भुगतान का चालान प्रिंट करकें, भुगतान  आनलाईन माध्यम से सीधे विक्रेता के  बैंक खाते में किया जाता है अथवा  नकद धनराषि के माध्यम से भी किया  जा सकता है। उसके उपरांत फसल  संबंधित विक्रेता तक पहुंचाने का कार्य  संबंधित मंडी समिति द्वारा किया जाता  है।