- बकरी पालन
- भेड़ पालन
- गौ पालन
- महिला बकरी पालन
- कुक्कुट वैली की स्थापना
- ब्रायलर फार्म की स्थापना
- पशुपालकों को लिंग वर्गीकृत वीर्य हेतु अनुदान
- गौसदनों की स्थापना
योजना का
नाम:- बकरी पालन
योजना का
नाम:- भेड़ पालन
लाभ:- भेड़
पालन हेतु एक इकाई (10 मादा 01 नर) 10 से 14 माह
तक की उपलब्ध कराकर भेड़ पालन
में स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
योजना की कुल लागत रू. 70,000.00 में से 90
प्रतिशत धनराशि रू. 63,000.00 राज्य सरकार
द्वारा वहन की जा रही है तथा 10 प्रतिशत
धनराशि रू. 7,000.00 लाभार्थी द्वारा वहन की जानी है।
पात्रता/लाभार्थी:- अनुसूचित जाति व जनजाति SECC वर्ग के इच्छुक लाभार्थी
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया क्रमांक-1
में उल्लिखित प्रक्रियानुसार
है। बकरी के स्थान पर भेड़ दिये जाते हैं।
योजना का
नाम:- गौ पालन
गौ पालन की योजना में चतुर्थ व्यात तक की एक दुधारू गाय उपलब्ध कराना।
योजना की कुल लागत रू. 40,000.00 में
से 90 प्रतिशत धनराशि
रू. 36,000.00 राज्य सरकार द्वारा वहन
की जा रही है तथा 10 प्रतिशत धनराशि रू. 4000.00
लाभार्थी द्वारा वहन की जानी है।
योजना का
नाम:- महिला बकरी पालन
योजना का
नाम:- कुक्कुट वैली की स्थापना
लाभ:- परियोजना
में प्रत्येक किसान 3 चक्रों में प्रतिवर्ष
750 चूजों का पालन करेगा। 500 एक दिवसीय
चूजे पशुपालन विभाग राज्य सेक्टर के
बजट से MPACS के माध्यम से उपलब्ध करायेगा
व आखिरी 250 चूजों का बैच किसान
स्वयं वहन करेगा।
सहकारिता विभाग ब्याज मुक्त ऋण पोल्ट्री शेड व चूजों के पालन-पोषण
हेतु उपलब्ध कराएगा।
योजना का
नाम:- ब्रायलर फार्म की स्थापना
लाभ:- रू. 15
प्रति पक्षी अनुदान 6 बैच हेतु कुल सब्सिडी
रू. 45,000.00 प्रति लाभार्थी बाडा
निर्माण हेतु रू. 15,000.00 अनुदान प्रति लाभार्थी
कुल सब्सिडी रू. 60,000.00 प्रति लाभार्थी। न्यूनतम
500 ब्रायलर पक्षियों के साथ, इकाई लागत 3.05 लाख
आती है।
पात्रता/लाभार्थी:- सभी जातियों के लिए उपलब्ध है। महिला/स्वयं सहायता समूह को वरीयता। अपनी जमीन या पट्टे की जमीन। के.वाई.सी होना चाहिए।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- पशुचिकित्सा
अधिकारी/पशुधन प्रसार अधिकारी लाभार्थी की पहचान करेगा तथा आवेदनों को एकत्रित करेगा। आवेदन के साथ, लाभार्थी
को आधार कार्ड, बैंक खाता, जमीन
संबंधी प्रमाण पत्र,
उपलब्ध कराने होंगे। पशुचिकित्सा अधिकारी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाएगा। पशुपालक प्राेजेक्ट रिपोर्ट बैंक में जमा करेगा। सभी आवेदन मुख्य पशुचिकित्सा
अधिकारी के कार्यालय में जमा होगें। जनपदीय कार्यकारी समिति जांच करने के उपरांत चयन कर
सब्सिडी का भुगतान करेगी।
योजना का
नाम:- पशुपालकों को लिंग वर्गीकृत वीर्य हेतु अनुदान
पात्रता/लाभार्थी:- समस्त गाय/भैंस पालक
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- निकटवर्ती पशुचिकित्सालय, पशुसेवा
केन्द्र, उपसा केन्द्र
पर सम्पक र् करने के उपरांत उनके कृ़त्रम गर्भाधान सम्पन्न की जाती है। पशुपालक को कोई दस्तावेज नहीं देना पड़ता
है।
योजना का
नाम:- गौसदनों की स्थापना
लाभ:- पशुपालक
द्वारा छोड़े गये व स्वच्छन्द विचरण करने
वाले अलाभकर पशुधन को उचित शरणस्थली प्रदान करने के लिए आवेदक संस्था को अनावर्तक व्ययों
यथा : गोसदन हेतु मुख्य
भवन का निर्माण, भण्डारण कक्षों, परिसर दीवार, पेयजल
व्यवस्था, गोमूत्र से अर्क बनाने हेतु
संयत्र स्थापना, गोबर गैस प्लांट एवं पशुऔषधालय
निर्माण जैसी मदों में कुल व्यय का
अधिकतम 90 प्रतिशत सीमा तक राजकीय अनुदान
देय होगा। राजकीय अनुदान की अधिकतम
सीमा रू0 25.00 लाख होगी।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- संबंधित संस्था
उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड देहरादून के कार्यालय में आवेदन करेगा। आवेदन https://ahd.uk.gov.in/files/Gau_Sadan_Recog
nition_Application_Form.pdf लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है अथवा संबंधित
क्षेत्र के पशुधन प्रसार
अधिकारी/पशुपालन विभाग से प्राप्त किया जा सकता है। आवेदन पत्र के साथ निम्न दस्तावेज आवश्यक होंगे
- राजस्व विभाग द्वारा सत्यापित संस्था के नाम भूमि स्वामित्व के अभिलेख।
- सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट या ट्रस्ट एक्ट के तहत पंजीकरण।
- संस्था की सेवानियमावली में अलाभकर गोवंश को शरण दिये जाने का संकल्प या प्राविधान।
- संस्था की प्रबन्ध कार्यकरिणी के नाम, पदनाम पता एवं दूरभाष संख्या।
- स्थानीय ग्राम सभा/नगर पालिका /अन्य स्थानीय निकाय द्वारा निग र्त अनापत्ति प्रमाण पत्र। ऽ चाटर्ड एकाउन्टेट द्वारा आय-व्यय लेखा रिपोर्ट।
- संस्था का बैंक खाता।
- संस्था का चयन होने के उपरांत राजकीय आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने से पूर्व आवेदक संस्था को निर्धारित प्रपत्र पर कम से कम 05 वर्षो हेतु प्रभावी अनुबंध पत्र हस्ताक्षरित कर प्रस्तुत करना होगा।
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