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पशुपालन विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Animal Husbandry Department, Uttarakhand

 



 योजनायें :- 

 

योजना का नाम:-  बकरी पालन

 लाभ:- इच्छुक लाभार्थियों को बकरी पालन एक  इकाई (10 मादा 01 नर) 10 से 14 माह तक  की उपलब्ध कराकर बकरी पालन में  स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।  योजना का कुल लागत रू. 70,000.00 में से  90 प्रतिशत धनराशि रू. 63,000.00 राज्य  सरकार द्वारा वहन की जा रही है तथा 10  प्रतिशत धनराशि रू. 7,000.00 लाभार्थी द्वारा  वहन की जानी है।  

 पात्रता/लाभार्थी:- सामान्य, अनुसूचित जाति व  जनजाति SECC वर्ग  के इच्छुक लाभार्थी इस योजना का लाभ लेने हेतु  पात्र होंगे।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- इच्छुक लाभार्थी को ग्राम सभा की खुली बैठक में  प्रस्ताव रखना होगा। प्रस्ताव पास होने के उपरांत,  लाभार्थी अपना प्रस्ताव संबंधित क्षेत्र के पशुचिकित्सा  अधिकारी/ पशुधन प्रसार अधिकारी/ग्राम पंचायत  विकास अधिकारी को देगा, अथवा ग्राम पंचायत स्वतः  अपने स्तर से देगा। ग्राम स्तरीय चयन समिति की  संस्तुति के उपरांत, विकास खण्ड स्तरीय समिति द्वारा  अंतिम चयन किया जाता है तथा उसके उपरांत  पशुपालन विभाग को भेजा जाता है। चयन के उपरांत  लाभार्थी को बकरी खरीदने हेतु एक से दो माह के  भीतर धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से प्रदान की  जाती है। प्रस्ताव के साथ आवेदक को आधार कार्ड,  बैंक खाता, जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने होंगे।

  

योजना का नाम:-  भेड़ पालन

लाभ:- भेड़ पालन हेतु एक इकाई (10 मादा 01 नर)  10 से 14 माह तक की उपलब्ध कराकर भेड़  पालन में स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा रहा  है। योजना की कुल लागत रू. 70,000.00 में  से 90 प्रतिशत धनराशि रू. 63,000.00 राज्य  सरकार द्वारा वहन की जा रही है तथा 10  प्रतिशत धनराशि रू. 7,000.00 लाभार्थी द्वारा वहन की जानी है।

पात्रता/लाभार्थी:-     अनुसूचित जाति व जनजाति   SECC वर्ग के इच्छुक  लाभार्थी

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया क्रमांक-1 में  उल्लिखित प्रक्रियानुसार है। बकरी के स्थान पर भेड़  दिये जाते हैं।

  

योजना का नाम:-  गौ पालन

गौ पालन की योजना में चतुर्थ व्यात तक की  एक दुधारू गाय उपलब्ध कराना। योजना की  कुल लागत रू. 40,000.00 में से 90 प्रतिशत  धनराशि रू. 36,000.00 राज्य सरकार द्वारा  वहन की जा रही है तथा 10 प्रतिशत धनराशि  रू. 4000.00 लाभार्थी द्वारा वहन की जानी है।  

 पात्रता/लाभार्थी:- अनुसूचित जाति व जनजाति  SECC वर्ग के इच्छुक  लाभार्थी

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया क्रमांक 1 में  उल्लिखित प्रक्रियानुसार है। बकरी के स्थान पर गाय  दी जाती है। इस योजना में विभाग द्वारा धनराशि  गाय खरीदते समय डी0बी0टी0 के माध्यम से उपलब्ध  कराई जाती है।

   2 (संलग्नक-1) क्रं सं0 मानदण्ड स्थापित होने वाली इकाईयों के लिए प्रोत्साहन 1 निवेश प्रोत्साहन सहायता उद्यम के प्लांट व मशीनरी तथा कार्यशाला भवन में किये गये अचल पूंजी निवेश पर 40 प्रतिशत  (अधिकतम रू0 40 लाख) 2 ब्याज उपादान उत्पादन प्रारम्भ करने की तिथि से 05 वर्ष तक उद्यम के कार्यशाला भवन निर्माण तथा प्लांट व मशीनरी  क्रय करने हेतु लिये गये सावधि ऋण पर देय ब्याज का 10 प्रतिशत (अधिकतम रू0 08  लाख/प्रतिवर्ष/इकाई) 3 एस.जी.एस.टी. की  प्रतिपूति र् उत्पादन प्रारम्भ करने की तिथि से 05 वर्ष तक कुल शुद्ध एस.जी.एस.टी. कर देयता, जो राज्य के अन्दर  ग्राहक (बी.टू.सी.) को विक्रय किया गया हो, का शत् प्रतिशत। 4 स्टाम्प शुल्क में छूट उद्यम स्थापना हेतु भूमि के विक्रय पत्र विलेख/लीज-डीड के निबन्धन (त्महपेजतल) में देय स्टाम्प शुल्क  प्रभार से पूर्ण छूट। 5 मण्डी शुल्क में छूट उत्पादन प्रारम्भ करने की तिथि से 05 वर्ष की अवधि के लिये कच्चे माल पर मण्डी शुल्क की शत्  प्रतिषत छूट। 6 कम दर पर विद्युत  आपूति र् उत्पादन प्रारम्भ करने की तिथि से 05 वर्ष की अवधि के लिये सिंचाई, ट्यूववैल हेतु लागू विद्युत दर के  अनुसार (वर्तमान में 1.55 प्रति यूनिट) और निर्वाध विद्युत आपूर्ति उपलब्ध करायी जायेगी।

  

योजना का नाम:- महिला बकरी  पालन  

 लाभ:- पात्र महिलाओं को 12 से 18 माह तक की  बकरियों की एक इकाई (03 मादा 01 नर)  उपलब्ध करायी जाती है। योजना की पूर्ण लागत रू. 35,000.00 राज्य  सरकार द्वारा वहन की जा रही है।

 पात्रता/लाभार्थी:-   परित्यक्ता, विधवा, निराश्रित,  अकेली रह रही एवं आपदा  प्रभावित महिला इस योजना  के लाभ हेतु पात्र होंगी।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   चयन प्रस्ताव ‘‘पहले आओ पहले पाओ’’ के आधार  पर किया जाता है।  

  

योजना का नाम:- कुक्कुट वैली  की स्थापना  

लाभ:- परियोजना में प्रत्येक किसान 3 चक्रों में  प्रतिवर्ष 750 चूजों का पालन करेगा। 500 एक  दिवसीय चूजे पशुपालन विभाग राज्य सेक्टर  के बजट से MPACS के माध्यम से उपलब्ध  करायेगा व आखिरी 250 चूजों का बैच  किसान स्वयं वहन करेगा।  

सहकारिता विभाग ब्याज मुक्त ऋण पोल्ट्री  शेड व चूजों के पालन-पोषण हेतु उपलब्ध  कराएगा।  

 पात्रता/लाभार्थी:- लाभार्थी का सहकारी समिति  एम-पैक्स का सदस्य होना  अनिवार्य है। महिला लाभाथी र्  को वरीयता। लाभार्थी पर  एम-पैक्स या किसी भी बैंक  का ऋण नहीं होना चाहिए तथा न ही बकायादार होना  चाहिए। चयनित लाभाथी र्  दीनदयाल उपाध्याय कृषि  कल्याण योजना का एमटी एवं एसटी लोन लेने के  पात्र हो। पात्र उम्मीदवार के  पास अपनी जमीन या पटट्े  की जमीन होनी चाहिए।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  लाभार्थी को आवेदन सहकारिता विभाग व पशु  चिकित्साधिकारी के माध्यम से करना पड़ेगा। आवेदन  के साथ आधार कार्ड, बैंक खाता, जमीन संबंधी खाता  खतौनी/दाखिल खारिज/रजिस्ट्री/पटटे संबंधी  दस्तावेज, किसी बैंक से बकायेदार न होने का प्रमाण  पत्र /शपथ पत्र संलग्न करना होगा।

 

योजना का नाम:- ब्रायलर फार्म  की स्थापना

 लाभ:- रू. 15 प्रति पक्षी अनुदान 6 बैच हेतु कुल  सब्सिडी रू. 45,000.00 प्रति लाभार्थी  बाडा निर्माण हेतु रू. 15,000.00 अनुदान प्रति  लाभार्थी कुल सब्सिडी रू. 60,000.00 प्रति  लाभार्थी। न्यूनतम 500 ब्रायलर पक्षियों के साथ, इकाई  लागत 3.05 लाख आती है।  

पात्रता/लाभार्थी:- सभी जातियों के लिए  उपलब्ध है। महिला/स्वयं  सहायता समूह को वरीयता।  अपनी जमीन या पट्टे की  जमीन। के.वाई.सी होना  चाहिए।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- पशुचिकित्सा अधिकारी/पशुधन प्रसार अधिकारी  लाभार्थी की पहचान करेगा तथा आवेदनों को एकत्रित  करेगा। आवेदन के साथ, लाभार्थी को आधार कार्ड,  बैंक खाता, जमीन संबंधी प्रमाण पत्र, उपलब्ध कराने  होंगे। पशुचिकित्सा अधिकारी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाएगा। पशुपालक प्राेजेक्ट रिपोर्ट बैंक में जमा करेगा। सभी  आवेदन मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा होगें। जनपदीय कार्यकारी समिति जांच करने  के उपरांत चयन कर सब्सिडी का भुगतान करेगी।

  

योजना का नाम:- पशुपालकों  को लिंग  वर्गीकृत वीर्य  हेतु अनुदान  

 लाभ:- पशुपालकों को लिंग वर्गीकृत (सैक्स सार्टेड  सीमेन) के माध्यम से गाय एवं भैसों में कृत्रिम  गर्भाधान से नस्ल सुधार हेतु 400/-प्रति  डोज अनुदान  

पात्रता/लाभार्थी:- समस्त गाय/भैंस पालक

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  निकटवर्ती पशुचिकित्सालय, पशुसेवा केन्द्र, उपसा  केन्द्र पर सम्पक र् करने के उपरांत उनके कृ़त्रम  गर्भाधान सम्पन्न की जाती है। पशुपालक को कोई  दस्तावेज नहीं देना पड़ता है।  

 

योजना का नाम:- गौसदनों की  स्थापना  

लाभ:- पशुपालक द्वारा छोड़े गये व स्वच्छन्द विचरण  करने वाले अलाभकर पशुधन को उचित शरणस्थली प्रदान करने के लिए आवेदक  संस्था को अनावर्तक व्ययों यथा : गोसदन हेतु  मुख्य भवन का निर्माण, भण्डारण कक्षों, परिसर  दीवार, पेयजल व्यवस्था, गोमूत्र से अर्क बनाने  हेतु संयत्र स्थापना, गोबर गैस प्लांट एवं  पशुऔषधालय निर्माण जैसी मदों में कुल व्यय  का अधिकतम 90 प्रतिशत सीमा तक राजकीय  अनुदान देय होगा। राजकीय अनुदान की  अधिकतम सीमा रू0 25.00 लाख होगी।  

 पात्रता/लाभार्थी:- गौसदनों की स्थापना हेतु  सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट,  1860 के अंतग र्त पंजीकृत  निम्न गैर सरकारी स्वैच्छिक  संस्थाओं के आवेदन  स्वीकार होंगे - गोवंश एवं अन्य पशुओं के  कल्याण कार्यो हेतु पंजीकृत,  बिना लाभ अर्जन हेतु गोवंश  कल्याण हेतु गठित धर्माथ र्  संस्था, अथवा बिना कानून के तहत रजिस्टर्ड पब्लिक  ट्रस्ट। न्यूनतम 3 वर्ष का काय र्  अनुभव तथा योग्यता क्षमता  वाली संस्थाओं को  प्राथमिकता। ऐसे आवेदक संस्थाओं को  प्राथमिकता दी जायेगी  जिनके पास स्वयं की भूमि  हो अथवा 30 वर्ष तक लीज  पर ली हो। भरण पोषण अनुदान की  पात्रता हेतु पर्वतीय क्षेत्र में  न्यूनतम-25 एवं मैदानी क्षेत्र  में न्यूनतम-50 शरणागत  निराश्रित, अलाभकारी, गोवंशीय पशु संख्या वाले  गोसदन।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- संबंधित संस्था उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड देहरादून  के कार्यालय में आवेदन करेगा। आवेदन  https://ahd.uk.gov.in/files/Gau_Sadan_Recog nition_Application_Form.pdf लिंक से डाउनलोड  किया जा सकता है अथवा संबंधित क्षेत्र के पशुधन  प्रसार अधिकारी/पशुपालन विभाग से प्राप्त किया जा  सकता है। आवेदन पत्र के साथ निम्न दस्तावेज  आवश्यक होंगे

  •  राजस्व विभाग द्वारा सत्यापित संस्था के नाम  भूमि स्वामित्व के अभिलेख।
  •  सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट या ट्रस्ट एक्ट के  तहत पंजीकरण।
  • संस्था की सेवानियमावली में अलाभकर गोवंश को  शरण दिये जाने का संकल्प या प्राविधान।
  •  संस्था की प्रबन्ध कार्यकरिणी के नाम, पदनाम  पता एवं दूरभाष संख्या।
  •  स्थानीय ग्राम सभा/नगर पालिका /अन्य  स्थानीय निकाय द्वारा निग र्त अनापत्ति प्रमाण  पत्र। ऽ चाटर्ड एकाउन्टेट द्वारा आय-व्यय लेखा रिपोर्ट।
  • संस्था का बैंक खाता।
  •  संस्था का चयन होने के उपरांत राजकीय  आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने से पूर्व आवेदक  संस्था को निर्धारित प्रपत्र पर कम से कम 05  वर्षो हेतु प्रभावी अनुबंध पत्र हस्ताक्षरित कर  प्रस्तुत करना होगा।