आपदा प्रबंधन विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Disaster Management Department, Uttarakhand |
- आपदा के कारण मृत्यु उपरान्त अनुदान
- हाथ-पैर, ऑख या ऑखों की क्षति होने पर अनुग्रह भुगतान
- जानलेवा चोट जिसके उपचार हेतु चिकित्सालय में रहना आवश्यक हो।
- घर बह जाने या प्राकृतिक आपदा के कारण घर के पूर्णतः या अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो जाने या दो दिन से अधिक अवधि तक जल भराव से प्रभावित होने की स्थिति में प्रभावित परिवारों के लिये कपडे़ व बर्तन या घरेलू सामान के लिये।
- कृषि भूमि एवं अन्य की क्षति के लिये सहायता।
- कृषि निवेश अनुदान (फसलाें की क्षति के 33 प्रतिशत या अधिक होने की स्थिति में)
- हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों को निवेश अनुदान
- पशुपालनः- छाेटे व सीमान्त कृषकों को सहायता
- मछली पालन
- हाथकरधा- कारीगरों को सहायता
- भवन (पूर्णतः क्षतिग्रस्त/नष्ट भवन)
- सामुदायिक रेडियो स्टेशनो की स्थापना हेतु प्रोत्साहन नीति
योजना का नाम:- आपदा के कारण मृत्यु उपरान्त अनुदान
- रू0 4.00 लाख अनुग्रह अनुदान मृतक के आश्रित को।
पात्रता/लाभार्थी:- आपदा प्रभावित व्यक्ति/परिवार तथा राहत या पूर्व तैयारी
सम्बन्धित कायोर् से जुडे़ व्यक्ति के परिजन भी पात्र होंगे।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
योजना का
नाम:- हाथ-पैर, ऑख या ऑखों
की क्षति होने पर अनुग्रह भुगतान
रू0 74,000 प्रति व्यक्ति अनुग्रह अनुदान। दिव्यांगता के 60
प्रतिशत से ज्यादा होने की स्थिति
में रू0 2.50 लाख प्रति व्यक्ति भुगतान की
जाती है।
पात्रता/लाभार्थी:- आपदा प्रभावित व्यक्ति तथा राहत या पूव र् तैयारी सम्बन्धित कार्यो
से जुडे़ व्यक्ति भी पात्र
होंगे। दिव्यांगता के स्तर एवं कारण को किसी सरकारी चिकित्सालय या औषधालय के चिकित्सक
द्वारा सत्यापित किया
जाना आवश्यक है।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
योजना का
नाम:- जानलेवा चोट जिसके उपचार हेतु चिकित्सालय में रहना आवश्यक
हो।
लाभ:- रू0 16,000
प्रति व्यक्ति अनुग्रह अनुदान (एक सप्ताह
से अधिक की अवधि तक चिकित्सालय में
रहने की स्थिति में) तथा रू0 5,400 प्रति व्यक्ति
(एक सप्ताह से कम की अवधि तक चिकित्सालय
में रहने की स्थिति में)
पात्रता/लाभार्थी:- आपदा के कारण चाेट आने पर किसी भी राजकीय चिकित्सालय/गैर
राजकीय चिकित्सालय में भर्ती
व्यक्ति तथा राहत या पूर्व
तैयारी सम्बन्धित कार्यो से जुडे़ व्यक्ति भी पात्र होंगे।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
योजना का
नाम:- घर बह जाने या प्राकृतिक आपदा के कारण
घर के पूर्णतः या अत्यधिक क्षतिग्रस्त
हो जाने या दो दिन से अधिक अवधि तक जल
भराव से प्रभावित होने की
स्थिति में प्रभावित परिवारों
के लिये कपडे़ व बर्तन
या घरेलू सामान के लिये।
पात्रता/लाभार्थी:- यह राहत धनराशि आपदा से प्रभावित ऐसे परिवारों को दी जानी
प्रस्तावित है, जिनका घर, आपदा
के कारण प्रभावित हो गया
हो।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
लाभ:- 02
हेक्टेयर तक कृषि भूमि वाले किसानाे की भूमि
में नुकसान होने पर तथा रेत या अवसाद की
परत के 3 इंच से अधिक होने पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि से मलबा हटाने
के लिये/मत्स्य पालन
जलाशयों से अवसाद हटाने/मरम्मत/पुनर्स्थापना
हेतु रू0 18,000 प्रति हेक्टेयर की दर से
प्रत्येक मद के लिये धनराशि
दी जाती है। उक्त राहत के अन्तग र्त लाभार्थी
को न्यूनतम रू. 2200/-
देय है। भूस्खलन, हिम-स्खलन या नदी के मार्ग बदलने के कारण अधिकांश भूमि को
हुयी क्षति के कारण
रू0 47,000 प्रति हेक्टेयर, किसान को दी जाती
है। उक्त राहत के अन्तग र्त लाभार्थी को न्यूनतम
रू. 5000/- देय है।
पात्रता/लाभार्थी:- ऐसे किसान/परिवार जिनका आपदा से संबंधित नुकसान हुआ हो। लाभार्थी द्वारा किसी
अन्य योजना से लाभ उठाने
पर पात्र नहीं होगा। राजस्व
अभिलेखाें के अनुसार विधिक रूप से निजी स्वामित्व वाली भूमि की क्षति पर
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
लाभ:- कृषि, बागवानी
व सालाना फसलों के लिये - रू0 8,500
प्रति हेक्टेयर (असिचित क्षेत्रों)। न्यूनतम
रू. 1000 देय है। रू0 17,000 प्रति हेक्टेयर सुनिश्चित सिंचाइ र् वाले क्षेत्रों में। किसी भी
कृषक को देय सहायता की राशि न्यूनतम रू0 2,000 होगी। सदाबहार
फसल- रू0 22,500 प्रति हेक्टेयर सभी
प्रकार की सदाबहार फसलों के लिये अनुमन्य।
न्यूनतम रू0 2,500 होगी। रेशम कृषक - रू0 6,000 प्रति हेक्टेयर, ईरी, शहतूत व टस्सर
के लिये तथा रू0
7,000 प्रति हेक्टेयर, मूंगा के लिये न्यूनतम रू. 1000 देय है।
पात्रता/लाभार्थी:- यह सहायता केवल बोये गये क्षेत्र के लिये देय होगी।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
योजना का
नाम:- हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों को निवेश अनुदान
लाभ:- रू0 8,500/- प्रति
हेक्टेयर, असिंचित क्षेत्र में। रू0 17,000/- प्रति
हेक्टेयर, सुनिश्चित सिंचाइ र् वाले
क्षेत्रों में। रू0 22,500/- प्रति
हेक्टेयर, सभी प्रकार की सदाबहार
फसलों के लिए फसल की क्षति के 33
प्रतिशत से अधिक होने की स्थिति में यह सहायता
अधिकतम 02 हेक्टेयर प्रति कृषक की सीमा
तक ही देय होगी
पात्रता/लाभार्थी:- केवल बोये गये क्षेत्र के लिये देय होगी।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
योजना का
नाम:- पशुपालनः- छाेटे व सीमान्त कृषकों
को सहायता
लाभ:- दूध, कृषि
एवं ढुलाई वाले जानवरों का प्रतिस्थापन-
दुधारू पशु- रू0
37500/- प्रति पशु, (भैंस/गाय/ऊँट/याक/
मिथुन) देय । रू0 4000/- प्रति
पशु (भेड़/ बकरी/ सुअर) देय
होगी। कृषि व ढुलाई वाले पशु/रू0 32000/- प्रति
पशु (ऊंट/ घाेड़ा/ बैल) देय
होगी। रू0 20000/- प्रति
पशु (बछिया/ गधा/ टट्टू/
खच्चर)े देय होगी। कुक्कुट
पालन कुक्कुट पालन रू 100/- प्रति पक्षी
- रू 10000/- प्रति लाभान्वित परिवार की
सीमा तक देय। सहायता के लिये पक्षियों की
मृत्यु अधिसूचित प्राकृतिक आपदा द्वारा होनी आवश्यक है।
आवेदन प्रक्रिया
एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी क्षति की सूचना विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी द्वारा की जाती है। तत्पश्चात् जिलाधिकारी का अनुमोदन प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग र्त की जाती है। साथ ही इस सहायता को आर्थिक रूप से उत्पादन पशुओं की वास्तविक क्षति
तक सीमित रखा जा
सकता है। पशुओं की वास्तविक क्षति पर विचार किये बिना किसी एक परिवार को देय सहायता 03
बड़े दुधारू पशुओं या 30 छोटे दुधारू पशुओं या 03
बड़े कृषि व ढुलाई वाले पशुओं की
सीमा तक देय होगी (क्षति का सत्यापन राज्य
सरकार द्वारा नामित
सक्षम प्राधिकारी द्वारा किया जाना होगा)
लाभ:- रू0 6,000/- आंशिक
रूप से क्षतिग्रस्त नौकाओं
की मरम्मत के लिये, रू0
3000/- आंशिक
रूप से क्षतिग्रस्त जाल की मरम्मत के लिये।
रू0 15,000/- पूर्णतः क्षतिग्रस्त नौंकाओं के
पुनर्क्रय के लिये, रू0
4,000/- पूर्णतः क्षतिग्रस्त
जाल के पुनर्क्रय के लिये दी जाती है। मत्स्य बीज फार्म के लिये निवेश अनुदान- रू0
10,000/- प्रति हेक्टेयर दी जाती है।
पात्रता/लाभार्थी:- मछुवारां को क्षतिग्रस्त
नावाें की मरम्मत/प्रतिस्थापन व
क्षतिग्रत या खाे गये जालों
के लिये दी जाती है
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
लाभ:- क्षतिग्रस्त
औजारों व उपकरणों की पुनर्क्रय के लिये-
रू 5000/- प्रति शिल्पकार उपकरणाें के
पुनर्क्रय के लिय। कच्चे माल या बन रहे या बन गये उत्पाद की क्षति के लिये-रू0
5000/- प्रति शिल्पकार कच्चे माल के लिये।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी
क्षति की सूचना विभिन्न
स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा P 20 फॉर्म फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी
द्वारा की जाती है। तत्पश्चात्
जिलाधिकारी का अनुमोदन
प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी
के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग
र्त की जाती है।
उपरोक्त प्रक्रिया के साथ ही राज्य सरकार द्वारा निर्धारित
सक्षम प्राधिकारी द्वारा क्षति
एवं उक्त के प्रतिस्थापन का विधिवत् सत्यापन किया जाना आवश्यक।
योजना का
नाम:- भवन (पूर्णतः क्षतिग्रस्त/नष्ट भवन)
लाभ:- पक्का
भवन, कच्चा भवन,
तीक्ष्ण क्षतिग्रस्त/नष्ट भवन, आंशिक
क्षतिग्रस्त/नष्ट भवन - रू 1,20,000/- प्रति
भवन मैदानी क्षेत्रों में। रू 1,30,000/- प्रति
भवन एकीकृत कार्य योजना
से आच्छादित जनपदों सहित पहाड़ी क्षेत्रों। पक्का भवन (झोपड़ी के
अतिरिक्त) जहा ँ क्षति कम से कम 15% क्षति हो-रू 6,500/- प्रति भवनकच्चा
भवन (झोपड़ी के अतिरिक्त) जहाँ क्षति कम से कम 15% क्षति हो-
रू 4,000/- प्रति
भवन क्षतिग्रस्त/नष्ट
झाेपड़ी- रू 8,000/- प्रति
झोपड़ी। (झोपड़ी का तात्पर्य अस्थाई, स्थानान्तरणीय
एवं कच्चे घर से निम्न स्तरीय इकाई से है
जिसका निर्माण घास-फूस, मिट्टी, प्लास्टिक
आदि से किया गया हो और जिसे परम्परागत आदि से
किया गया हो और जिसे परम्परागत रूप से राज्य/ जिला प्रशासन
द्वारा झोपड़ी के रूप मंे मान्यता प्राप्त हो)
नाेट- क्षतिग्रस्त भवन का अधिकृत निर्माण होने
का सत्यापन राज्य सरकार के सक्षम
प्राधिकारी द्वारा किया जाना आवश्यक है। भवन के साथ जुड़ी पशुशाला- रू 3000/- प्रति पशुशाला।
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा तथा उक्त से हुयी क्षति की सूचना विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है। सम्बन्धित पटवारी द्वारा क्षति की पुष्टि की जाती है तथा च्.20 फॉर्म पर क्षति को अंकित किया जाता है। पटवारी की आख्या की पुष्टि तहसीलदार व उपजिलाधिकारी द्वारा की जाती है। तत्पश्चात् जिलाधिकारी का अनुमोदन प्राप्त किया जाता है। जिलाधिकारी के अनुमोदन के उपरान्त राहत धनराशि तहसील के स्तर से सम्बन्धित हितधारक के पक्ष में निग र्त की जाती है।
योजना का
नाम:- सामुदायिक रेडियो स्टेशनो की स्थापना हेतु प्रोत्साहन नीति
लाभ:- नये
सामुदायिक रेडियो केन्द्रो की स्थापना के लिये
दिये जाने वाले अनुदान की अधिकतम सीमा
रू0 20 लाख अथवा सामुदायिक रेडियो स्टेशनो
में आने वाली लागत (जो भी न्यूनतम हो)
होगी। नये सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को 03 वर्षा तक रू0 4.00 लाख
(प्रति वर्ष) परिचालन अनुदान उपलब्ध
कराया जायेगा।
पात्रता/लाभार्थी:- जनपद के ऐसे क्षेत्र/स्थान जो सामुदायिक रेडियो स्टेशन की
गतिविधियों से आच्छादित
नही है एवं आपदा की दृष्टि से संवेदनशील व सुदूरवर्ती क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियों
केन्द्र की स्थापना को प्राथमिकता
दी जायेगी।
उक्त योजना केवल नये सामुदायिक रेडियो केन्द्रों के लिये है और
इस योजना का लाभ लेने के लिये
सम्बन्धित संस्था को उत्तराखण्ड
में 03 वर्षां का अनुभव होने के साथ ही सामुदायिक रेडियो केन्द्र संचालित किये जाने हेतु सूचना
एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत
सरकार द्वारा लाईसेन्स प्राप्त
होना चाहिये।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- सामुदायिक रेडियो केन्द्रों
की स्थापना हेतु आवेदन प्राप्त करने के लिये राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण
द्वारा विज्ञापन प्रकाशित कर
इच्छुक संस्थाआे से प्रस्ताव आमंत्रित किये जाते हैं। प्रथम किस्त में स्वीकृत धनराशि की 50
प्रतिशत धनराशि अवमुक्त की
जाती है तथा उपयोगिता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराये जाने के उपरान्त शेष 50 प्रतिशत धनराशि का आवंटन किया जाता है। नये सामुदायिक
रेडियो स्टेशन को प्रारम्भ
करने की इच्छुक संस्थाओं को समस्त वांछित अभिलेखों के साथ सचिव, राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के कार्यालय में आवेदन करना
होगा। नये सामुदायिक रेडियो स्टेशन
की स्थापना हेतु वित्तीय
वर्ष में कभी भी आवेदन किया जा सकता है।
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