मत्स्य विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Fisheries Department, Uttarakhand |
योजनायें :-
- पर्वतीय क्षेत्रो में आदर्श मत्स्य तालाब निर्माण योजना
- अनुसूचित जनजाति/ अनुसूचित जाति उपयोजना
- मत्स्य पालन विवधीकरण (अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति) योजना
- राज्य मात्स्यिकी इनपुट योजना
- प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
- दुर्घटना बीमा योजना (प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना)
योजना का
नाम:- पर्वतीय क्षेत्रो में आदर्श
मत्स्य तालाब निर्माण योजना
लाभ:- पर्वतीय क्षेत्रो में
जलापूर्ति संसाधनो का बेहतर
उपयोग कर समस्त जाति वर्ग के व्यक्तियो हेतु तालाब के कलस्टर (न्यूनतम 10 तालाब एक ही स्थान पर बनाने
अनिवार्य हैं) बनाकर, तालाब
निर्माण करने एवं
प्रथम वर्षीय निवेश यथा मछलियों के बच्चे
एवं आहार हेतु 50 प्रतिशत धनराशि अनुदान
के रूप में दी जाती है। 10 तालाब एक व्यक्ति भी बना सकता है एवं कुछ लोग मिलकर भी बना सकते हैं। उच्च
वृद्धि दर वाली मछलियो के पालन हेतु तकनीकी सहायता
भी निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है।
व्यक्तिगत लाभार्थी को अधिकतम 500 घन
मीटर तक के तालाब के लिए ही अनुदान
दिया जायेगा। अधिकतम 2.5 लाख का अनुदान
दिया जाता है। समिति/समूह/महासंध/फैडरेशन/मंगल
दल हेतु 1000 घन
मीटर हेतु अधिकतम 5 लाख का अनुदान दिया जाता है।
अतिरिक्त 50 प्रतिशत धनराशि व्यक्ति को
स्वयं के पास से लगाना पडता है अथवा
बैंक से लोन लेना पड़ता है।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- संबंधित योजना का लाभ
लेने हेतु पात्र लाभार्थी/समूह को प्रार्थना पत्र, जनपद स्तर पर सहायक निदेशक मत्स्य/जनपद मत्स्य
प्रभारी कार्यालय में देगा। प्रार्थना पत्र के साथ आधार कार्ड, भूमि की खसरा- खतौनी, स्थायी निवास प्रमाण
पत्र, बैंक खाता विवरण, मो0 नंबर, यदि
समूह आवेदन करेगा तो तत्संबंधी पंजीकरण प्रमाण पत्र/भूमि उपलब्धता
प्रमाण पत्र संलग्न करेगा। भविष्य में आवेदन करने की प्रकिर्या अपणिसरकार पोट र्ल के माध्यम से आ ॅनलाइन
होगी। प्रार्थना पत्र जमा करने के उपरांत मत्स्य निरीक्षक/फील्ड कार्मिकों द्वारा सर्वे किया जाता है तथा लाभार्थी के
साथ मिलकर प्रस्ताव तैयार किया
जाता है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद संबंधित जनपदीय अधिकारी द्वारा
स्वीकृति दी जाती है। तत्पश्चात फील्ड कर्मियों की देख-रेख एवं तकनीकी सहायता देते हुए तालाब निर्माण कार्य
पूर्ण कराया जाता है। यदि लाभार्थी के पास 50 प्रतिशत धनराशि की
उपलब्धता न हो तो, तत्संबंधी
क्षेत्र के नजदीकी सहकारी बैंक/बैंक से ऋण ले सकता है, ऋण लेने की स्थिति में विभाग द्वारा तैयार किया गया
प्रस्ताव बैंक द्वारा स्वीकृत किया जायेगा। बैंक संबंधित प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद धनराशि स्वीकृत करता है। उसके
उपरांत निर्माण कार्य सम्पन्न होने पर कार्यपूति र् प्रमाण पत्र के आधार पर, डी.बी.टी.
के माध्यम से लाभार्थी के
खाते में सब्सिडी भुगतान की जाती है,
ऋण की स्थिति में सब्सिडी बैंक के माध्यम से लाभार्थी को जाती है।
तकनीकी सहायता विभाग से कभी भी प्राप्त की जा सकती है। यदि किसी लाभार्थी को प्रशिक्षण प्राप्त करना
हो, तो तत्संबंधी निःशुल्क प्रशिक्षण विभाग द्वारा दिया जाता
है तथा मछलियों की माकेर्टिंग हेतु लाभार्थी या तो बाजार में बेचने हेतु स्वतन्त्र होगा या विभाग द्वारा स्थापित
उत्तराफिश के माध्यम से भी विक्रय कर सकता है।
योजना का
नाम:- अनुसूचित जनजाति/ अनुसूचित जाति उपयोजना
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- लाभार्थी को जाति प्रमाण
पत्र उपलब्ध कराना अनिवार्य है। अन्य प्रक्रिया क्रमांक 1 में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार होगी।
योजना का नाम:-
मत्स्य पालन विवधीकरण (अनुसूचित
जाति/ अनुसूचित
जनजाति) योजना
योजना का
नाम:- राज्य मात्स्यिकी इनपुट योजना
लाभ:- ऐसे
मत्स्य पालक, जो पहले से मत्स्य पालन
का कार्य कर रहे हैं,
उनको मत्स्य निवेश
जैसे कि मत्स्य आहार,
दवाईयां आदि की कुल
धनराशि के सापेक्ष 50 प्रतिशत का अनुदान
दिया जाता है। 100 वर्ग मीटर तालाब
हेतु 1 कुन्तल मत्स्य आहार का अनुदान
। 500-2000 वर्ग मीटर तालाब हेतु 6
कुन्तल मत्स्य आहार का अनुदान । आर.ए.एस./बायोफ्लॉक
हेतु 7 कुन्तल मत्स्य
आहार का अनुदान । ट्राउट
फार्मिंग हेतु 10 कुन्तल मत्स्य आहार का अनुदान
। मत्स्य पालन हेतु इनपुट
(निवेश) की आवश्यक सामग्रियॉ जैसे
हैण्डनेंट, हापा, जाल एवं मिनीकिट पर माकेर्ट
दर की कुल लागत के सापेक्ष 50
प्रतिशत का अनुदान । प्रति
मत्स्य पालक 1 जाल/हैण्डनेंट/ हापा
एवं मिनीकिट हेतु 50 प्रतिशत अनुदान।
पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के समस्त जाति वर्ग यथा सामान्य, अनुसूचित
जाति, जनजाति, अन्य
पिछडा वर्ग, महिला
आदि के कार्यरत मत्स्य पालक ।
आवेदन प्रक्रिया
एवं चयन प्रक्रिया:- योजना का लाभ लेने हेतु
प्रार्थना पत्र (तालाब हेतु आहार, दवाईयां
एवं इनपुट निवेश आदि) जनपद स्तर पर सहायक निदेशक मत्स्य/जनपद मत्स्य प्रभारी कार्यालय में देगा। प्रार्थना
पत्र के साथ आधार कार्ड, भूमि की खसरा खतौनी, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, जाति
प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, मो0
नंबर, तालाब का विवरण, संलग्न करेगा। भविष्य में आवेदन करने की प्रकिर्या अपणिसरकार पोट र्ल के माध्यम से आ
ॅनलाइन होगी। प्रार्थना
पत्र जमा करने के उपरांत मत्स्य निरीक्षक/फील्ड कार्मिकों द्वारा सर्वे
किया जाता है तथा लाभार्थी के साथ मिलकर प्रस्ताव तैयार किया जाता है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद संबंधित जनपदीय
अधिकारी द्वारा स्वीकृति दी जाती है। तत्पश्चात मत्स्य पालक द्वारा बीज/आहर/दवाईयां माकेर्ट
से क्रय की जाती हैं,
मत्स्य पालक बिलों को फील्ड कार्मिकों को उपलब्ध करायेगा। फील्ड कार्मिक संबंधित
बिल को वैरिफाईड करने के उपरांत
50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान सीधे मत्स्य पालक के खाते में भुगतान
कराने हेतु संबंधित जनपदीय अधिकारी को उपलब्ध करायेगा। तदोपरान्त सब्सिडी भुगतान की जाती है।
योजना का
नाम:- प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
लाभ:- तालाब निर्माण, ट्राउट
रेसेवेज, रियरिंग यूनिट, आर०ए०एस०, बायोफ्लॉक
यूनिट, केज कल्चर, कोल्ड
स्टोरेज, मोटर साईकिल विद
आईस बॉक्स, फिश कियॉस्क, आरनोमेंटल
फिशरीज, फीड मिल, हैचरी आदि
की लागत के सापेक्ष अनुसूचित जाति/जनजाति/महिला
वर्ग को 60 प्रतिशत का अनुदान जबकि अन्य
सभी वर्गो हेतु 40
प्रतिशत का अनुदान, लार्ज आर0ए0एस0 के
लिए 20 प्रतिशत का अनुदान
(तालिका 01)
पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य के समस्त जाति वर्ग यथा सामान्य, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग, महिला आदि
जिनके पास भूमि एवं जलापूर्ति स्रोत की उपलब्धता हो।
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन
प्रक्रिया:-
योजना का लाभ लेने हेतु
को प्रार्थना पत्र जनपद स्तर पर सहायक निदेशक मत्स्य/जनपद मत्स्य प्रभारी कार्यालय
में देगा। प्रार्थना पत्र के साथ आधार कार्ड, भूमि की खसरा खतौनी, स्थायी
निवास प्रमाण पत्र,
जाति प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, मो0
नंबर, संलग्न करेगा। भविष्य में आवेदन करने की प्रकिर्या अपणिसरकार पोट र्ल के माध्यम से आ ॅनलाइन
होगी। प्रार्थना पत्र जमा करने के उपरांत मत्स्य निरीक्षक/फील्ड कार्मिकों द्वारा सर्वे किया जाता है तथा लाभार्थी के
साथ मिलकर प्रस्ताव तैयार किया
जाता है। प्रस्ताव तैयार होने के बाद संबंधित जनपदीय अधिकारी द्वारा
स्वीकृति दी जाती है। तत्पश्चात फील्ड कर्मियों की देख-रेख एवं तकनीकी सहायता देते हुए संबंधित कार्य को
पूर्ण कराया जाता है,
उसके उपरांत सब्सिडी का भुगतान डी.बी.टी के माध्यम से लाभार्थी के खाते में
सीधा भुगतान किया जाता है।
योजना का
नाम:- दुर्घटना बीमा योजना (प्रधानमंत्री
मत्स्य सम्पदा योजना)
लाभ:- अपरिहार्य
स्थितियो हेतु वार्षिक बीमा कवरेज
मृत्यु एवं पूर्ण स्थायी अपंगता की स्थिति
में रू 5.0 लाख, आंशिक अपंगता (दोनो
पैर/हाथो की उंगलिया खोना, आंख/कान/गला
से देखना/ सुनना/बोलना का आंशिक खोना, आदि) की स्थिति में रू 2 लाख 50 हजार,
अस्पताल में भर्ती पर रू 50 हजार, धनराशि का
भुगतान किया जाता है। मत्स्य पालक को
बीमा की किस्त का भुगतान नहीं करना पडता
है। सम्पूर्ण किस्तों का भुगतान विभाग
वहन करता है।
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन
प्रक्रिया:-
योजना का लाभ लेने हेतु
पात्र लाभार्थी मत्स्य विभाग के फील्ड कार्मिकों के माध्यम से बीमा का आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं। आवेदन पत्र
के साथ मत्स्य पालक/मछुआरे
का आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, जन्म
प्रमाण-पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, नॉमिनी डिटेल्स एवं आधार कार्ड
के साथ फार्म जमा करना पडता है। मत्स्य पालन की बीमा किस्त का भुगतान विभाग द्वारा किया जाता है। मत्स्य
पालक का बीमा होने के उपरांत बीमा संबंधी प्रमाण पत्र विभाग उपलब्ध करायेंगे। दुर्घटना/मृत्यु
होने/अस्पताल में भर्ती होने की दशा में, तत्काल मत्स्य विभाग के संबंधित क्षेत्र के फील्ड कार्मिकों/अधिकारियों को, लाभार्थी
के परिवार द्वारा अवगत
कराना पडता है तथा दुर्घटना की दशा में क्लेम फार्म एवं तत्संबंधी
प्रमाण पत्र यथा चिकित्सा प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, हॉस्पिटल में एडमिट होने संबंधी प्रमाण पत्र, बीमा
संबंधी प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराना पडता है, उसके उपरांत क्लेम धनराशि भुगतान कराई जाती है।
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