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वन विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Forest Department Uttarakhand

वन विभाग उत्तराखण्ड  द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Forest Department Uttarakhand


योजनायें :- 


योजना का नाम:- महिला नर्सरी    

लाभ:- महिला समूह को नर्सरी स्थापित करने  हेतु प्रजातिवार बीज सिल्वाहिल अथवा  सिल्वासाल से उच्च गुणवत्ता के बीज  प्राप्त कर सम्बन्धित महिला समूहों को  उपलब्ध कराये जाते हैं तथा नर्सरी में  उपयोग में आने वाले संसाधनों को भी  निर्धारित अनुदान धनराशि देकर  उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही  तकनीकी सहयोग एवं प्रशिक्षण भी  प्रदान करता है। महिलाओं द्वारा नर्सरी में उगाये गये पौधों को वन विभाग  अनुबन्ध के आधार पर खरीदता है।

पात्रता/लाभार्थी:- महिला स्वयं  सहायता समूह,  महिला मंगल  दल, स्थानीय  महिला समूह।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- महिला स्वयं सहायता समूह, महिला मंगलदल, स्थानीय महिला समूह का  प्रभागीय वनाधिकार कार्यालय में पंजीकरण किया जायेगा। महिला किसान  पौधालय विकसित करने के लिये नर्सरी मैनुवल की प्रति एवं तकनीकी की  जानकारी दी जाऐगी। पंजीकरण हेतु प्रस्तावित महिला नस र्री स्थल की  खतौनी, महिला समूह की बैठक का प्रस्ताव, मो00 एवं आधार कार्ड, बैंक  पास बुक की आवश्यकता होती है। नर्सरी में पौध तैयार होने पर, स्वयं  सहायता समूहों एवं वन विभाग द्वारा अनुबन्ध के अनुसार वन विभाग, समूह से प्रजातिवार पौधों का क्रय करता है। नर्सरी सृजित करने में उपयोग होने  वाले आवश्यक सामग्री को समूह द्वारा क्रय किये जाने पर विभाग द्वारा  किस्ताें के रूप में अनुदान का स्वयं सहायता समूहों के खाते में भुगतान  किया जाता है।  

  योजना का नाम:- हमारा स्कूल  हमारा वृक्ष    

लाभ:- समस्त सरकारी, गैरसरकारी स्कूलों में  वृक्षारोपण करने हेतु निःशुल्क पौधे  उपलब्ध कराये जाते हैं तथा वृक्षारोपण  के उपरांत वन विभाग द्वारा स्कूलों को  प्रमाण पत्र भी निग र्त किया जाता है।  

पात्रता/लाभार्थी:- समस्त सरकारी,  गैर सरकारी  स्कूल  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- स्कूल का प्रबन्धक/प्रधानाचार्य प्रभागीय वनाधिकारी को निर्धारित प्रपत्रों में  (जो वनक्षेत्राधिकारी कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है) स्कूल में पूर्व में  किये वृक्षारोपण अथवा उपलब्ध वृक्षों का विवरण व वृक्षारोपण हेतु उपलब्ध  क्षेत्रफल की सूचना के साथ आवेदन करेंगे। वन विभाग द्वारा महिला नर्सरी,  उद्यान विभाग की नर्सरी आदि से पौधे क्रय कर, स्कूलों को निशुल्क  वितरित किये जाते हैं।  

 

योजना का नाम:-  हमारा पेड़  हमारा धन    

लाभ:- निजी भूमि पर ईधन, चारापत्ती,  फलदार व प्रकाष्ठ प्रजातियों के पौधाें  के रोपण हेतु प्रोत्साहन के रूप में रू0  300/- प्रति पौध की दर से  एफ0डी0आर0 बनाकर प्रभागीय  वनाधिकारी के नाम बन्धक रखा  जायेगा। पौधे की सफलता/जीवितता  के आधार पर 03 वर्ष के पश्चात्  एफ0डी0आर0 के रूप में संरक्षित  धनराशि संबंधित व्यक्ति को मिलेगी। एक आवेदक/परिवार को अधिकतम  100 पौधों की सीमा तक ही पौध  प्रतिवर्ष मान्य होगी।

पात्रता/लाभार्थी:-  उत्तराखण्ड के  निवासियों हेतु,  जिनकी अपनी  निजी भूमि हो https://forest.uk.gov.in/  अथवा संयुक्त  खातेदार हों। भूमि क्षेत्रफल  कितना होना  चाहिए, इसकी बाध्यता नहीं है।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-

 

 योजना का नाम:- वन क्षेत्र तथा  उसके  आसपास के  क्षेत्र में वन्य  जीवाें द्वारा  जानमाल की  क्षति में  मुआवजा  (मानव  वन्यजीव संघर्ष  राहत वितरण  निधि)  

लाभ:- वन क्षेत्र तथा उसके आस-पास  के क्षेत्र में वन्यजीवों के आक्रमण से  मानव क्षति (मृत्यु व घायल/दिव्यांग)  अधिकतम रू0-4 लाख तथा न्यूनतम  रू0 50 हजार तक सहायता। 

2- वन क्षेत्र तथा उसके आस-पास  के क्षेत्र में वन्य जीवों द्वारा पालतू  पशु क्षति की दशा में अधिकतम्  अनुदान रू0 40 हजार और न्यूनतम  रू0 3 हजार प्रति पशु।

3- वन क्षेत्र तथा उसके आस-पास  के क्षेत्र में जंगली हाथी, जंगली  सूअर, नील गाय, काकड़, सांभर,  चीतल तथा बन्दरों द्वारा फसलाें की  क्षति होने पर अधिकतम रू0 25  हजार एवं न्यूनतम रू0-8 हजार  प्रति एकड़।

4-जंगली हाथियों द्वारा  मकान/कच्चा मकान/चाहर  दीवारी/झोपड़ी आदि की क्षति पहुंचाने की स्थिति में अधिकतम  रू0-95 हजार न्यूनतम रू0-9,00  तक। परंतु जंगली जानवरों द्वारा मानव क्षति  पर दिये जाने वाले क्षतिपूर्ति के लाभ  /प्रलोभन में पारिवारिक सदस्यों द्वारा अथवा परिवार से भिन्न व्यक्तियों द्वारा  किसी वृ़द्ध मनुष्य, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण  से अयोग्य(मेडिकल अनफिट), विकलांग  अथवा मानसिक रूप से असंतुलित तथा  अवयस्क किसी मानव को अकेले जंगल  में छोड़ दिये जाने एवं जंगली जानवरों  द्वारा एेसे मानवों को क्षति पहुंचाये जाने  पर अनुग्रह राशि का दावा गैर कानूनी  होगा।

 पात्रता/लाभार्थी:-  (1) बाघ,  तेंदुआ, हिम  तेंदुआ (स्नो  लेपर्ड़), जंगली  हाथी, तीनों  प्रजाति के  भालू,  लकड़बघा,  जंगली सुअर,  मगरमच्छ/ घड़ियाल, साँप  के आक्रमण से  मृत्यु, घायल या  विकलांग होने  पर।  

(2) बाघ,  तेंदुआ हिम  तेंदुआ (स्नो  लेपर्ड़), तीनों प्रजाति के  भालू,  लकड़बघा,  जंगली सुअर,  मगरमच्छ/घि ड़याल, साँप  द्वारा पालतू  पशुओं को मारे जाने की क्षति।

 (3) जंगली  हाथी, जंगली  सुअर, नील  गाय, काकड़,  साँबर, चीतल  तथा बंदरों द्वारा  फसलाें की क्षति,  तथा

(4) जंगली  हाथियों द्वारा  मकान की क्षति।    

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  (1) वन्यजीवों के आक्रमण से मृत्यु, घायल या विकलांग होने  पर - वन्यजीवों द्वारा मारे जाने, अपंग करने अथवा घायल कर दिये  जाने पर पीड़ित व्यक्ति/सम्बन्धित आश्रित की पुष्टि प्रथमतः घटना  क्षेत्र के ग्राम प्रधान अथवा किसी वत र्मान में पदासीन जनप्रतिनिधि एवं  सम्बन्धित क्षेत्र के वन रक्षक द्वारा संयुक्त रूप से कर दिये जाने के  आधार पर सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा निधि से  घटना विशेष में आंकलित कुल देय धनराशि का 30 प्रतिशत धनराशि  अग्रिम के रूप में पीड़ित व्यक्ति/सम्बन्धित आश्रित को जानमाल की  क्षति की घटना की सूचना प्राप्त होने से सार्वजनिक अवकाश दिवसों  को छोड़ते हुये अधिकतम 48 घंटे के अन्तर्गत उपलब्ध करायी  जायेगी। अवशेष धनराशि अंतिम जांच रिपोट र् प्राप्त होने पर देय होगी। मुआवजा धनराशि भुगतान हेतु संबधित पीडित व्यक्ति/आश्रित  व्यक्ति का आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण होना आवश्यक है। वन्यजीवों द्वारा मारे जाने, अपंग करने अथवा घायल  कर दिये जाने के सम्बन्ध में, पीडित व्यक्ति/आश्रित द्वारा राज्य के  चिकित्सक द्वारा इस सम्बन्ध में प्रमाण-पत्र बनवाया जायेगा तथा  उक्त प्रमाण पत्र सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक  कार्यालय में दिया जायेगा जिसके उपरान्त सम्बन्धित सहायक वन  संरक्षक, वन्यजीव प्रतिपालक के अंतिम जांच  रिपोर्ट  के आधार पर  प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा देय अनुग्रह राशि को स्वीकृत  करने अथवा भुगतान करने का पूर्ण अधिकार होगा। इस सम्बन्ध में  प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा सम्पूर्ण विवरण के साथ  निश्चित रूप से सूचना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को प्रेषित की  जायेगी। अंतिम जांच रिपोट र् घटना के 15 दिन के अन्दर निश्चित  रूप से उपलब्ध करायी जायेगी। अनुग्रह राशि का अंतिम भुगतान  करने से पूर्व मृतक होने वाले व्यक्तियों के आश्रितों के सम्बन्ध में राजस्व विभाग के समक्ष अधिकारी से प्रमाण-पत्र प्राप्त किया जायेगा  तथा संबंधित पीडितों अंतिम जांच रिपोट र् में वन्यजीवों द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति के मारे जाने/अपंग करने/घायल करने की पुष्टि नहीं होती  है, तो सम्बन्धित पीड़ित व्यक्ति/आश्रित को प्रदान की गई अग्रिम  धनराशि की वसूली राजस्व वसूली के रूप में की जायेगी।

 (2) वन्यजीवों के आक्रमण से पशुक्षति होने पर - वन्य जीवों  द्वारा पालतू पशुओं/मवेशी के मारे जाने पर प्रथमतः इसकी पुष्टि  ग्राम प्रधान अथवा वर्तमान में पदासीन किसी जनप्रतिनिधि द्वारा कर  दिये जाने के उपरान्त ही मारे गये मवेशी के मृत शरीर को घटना  स्थल से हटाया जायेगा। मृत मवेशी के शव पर किसी प्रकार का विष  अथवा कीटनाशक पदार्थ डाले जाने और किसी भी प्रकार से मवेशी  के शव से छेड़-छाड़ किये जाने की दशा में अनुग्रह राशि देय नहीं  होगी। मवेशी के स्वामी द्वारा मवेशी के मारे जाने की सूचना घटना के  दो दिन के अन्दर सम्बन्धित रेंज कार्यालय में लिखित रूप में देनी  होगी।  वन्य जीवों द्वारा पालतू पशुओं/मवेशी के मारे जाने की पुष्टि प्रथमतः  घटना क्षेत्र के ग्राम प्रधान अथवा वर्तमान में पदासीन किसी  जनप्रतिनिधि एवं सम्बन्धित क्षेत्र के वन रक्षक द्वारा संयुक्त रूप से  कर दिये जाने के आधार पर प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा  अपने पास उपलब्ध निधि से घटना विशेष में आंकलित कुल देय  धनराशि का 20 प्रतिशत धनराशि अग्रिम रूप में मवेशी के स्वामी को  उपलब्ध करायी जायेगी। अवशेष धनराशि अन्तिम जाँच रिपोट र् प्राप्त  होने पर देय होगी।  वन्य जीवों द्वारा मवेशी को मारे जाने का प्रमाण पत्र संबधित रेंज  अधिकारी द्वारा दिया जायेगा, जिसके उपरान्त सम्बन्धित सहायक वन  संरक्षक/वन्य जीव प्रतिपालक की अन्तिम जाँच रिपोट र् के आधार पर  प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक को देय अनुग्रह राशि को स्वीकृत  करने तथा भुगतान करने का पूर्ण अधिकार होगा। इस सम्बन्ध में  प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा सूचना विवरण के साथ सूचना निश्चित रूप से मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को प्रेषित की जायेगी। अंतिम जाँच रिपोट र् घटना के एक माह के अन्दर निश्चित रूप से  उपलब्ध करायी जायेगी। यदि अन्तिम जाँच रिपोर्ट में वन्य प्राणी द्वारा  मवेशी के मारे जाने की पुष्टि नहीं होती है, तो मवेशी स्वामी को  प्रदान की गयी अग्रिम धनराशि की वसूली राजस्व वसूली के रूप में  की जायेगी। (3) वन्यजीवाें के आक्रमण से फसल क्षति होने पर - घटना की सूचना दो दिन के अन्दर स्थानीय वन अधिकारी को  लिखित रूप में देनी होगी। इसके उपरान्त सम्बन्धित घटना क्षेत्र के  तहसीलदार/ पटवारी व स्थानीय वन अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से फसलों की क्षति का सत्यापन एवं आकलन कर जांच रिपोट र् रेंज  अधिकारी के माध्यम से सम्बन्धित सहायक वन संरक्षक/वन्य जीव  प्रतिपालक को उपलब्ध करायी जायेगी। सम्बन्धित सहायक वन  संरक्षक/वन्य जीव प्रतिपालक द्वारा अंतिम जांच रिपोट र् घटना के दो  माह के अन्दर अनिवार्य रूप से सम्बन्धित प्रभागीय  वनाधिकारी/उपनिदेशक को प्रस्तुत की जायेगी। अन्तिम जांच रिपोर्ट  प्राप्त होने पर संम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक प्रकरण में  देय अनुग्रह राशि को स्वीकृत करने व भुगतान करने का पूर्ण  अधिकारी होगा। इस सम्बन्ध में प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा सम्पूर्ण विवरण के साथ सूचना निश्चित रूप से मुख्य वन्य जीव  प्रतिपालक को प्रेषित की जायेगी।  (4) जंगली हाथियों के आक्रमण से मकान क्षति होने  पर- घटना की सूचना दो दिन के अन्दर सम्बन्धित रेंज कार्यालय में  लिखित रूप से देनी होगी। जिसकी पुष्टि वन दरोगा अथवा उप वन  क्षेत्राधिकारी द्वारा तत्काल कर लिया जायेगा। क्षति का आंकलन  सम्बन्धित क्षेत्र के नायब तहसीलदार एवं रेंज अधिकारी द्वारा संयुक्त  रूप से कर लिये जाने पर जांच रिपोट र् सहायक वन संरक्षक/वन्य जीव प्रतिपालक को उपलब्ध करायी जायेगी, जिनके द्वारा मामले में  अन्तिम जाँच करते हुये अन्तिम जाँच रिपोट र् एक माह के अन्दर  अनिवार्य रूप से सम्बन्धित प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक को  प्रस्तुत किया जायेगा। अन्तिम जाँच रिपोट र् प्राप्त होने पर सम्बन्धित  प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा प्रकरण में देय अनुग्रह राशि  को स्वीकृत करने व भुगतान करने का पूर्ण अधिकार होगा। इस  सम्बन्ध में प्रभागीय वनाधिकारी/उपनिदेशक द्वारा सम्पूर्ण विवरण के  साथ सूचना निश्चित रूप से मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को प्रेषित की जायेगी।