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उद्यान विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Horticulture Department Uttarakhand

 

उद्यान विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Horticulture Department Uttarakhand

   योजनायें :- 


योजना का नाम:- उद्यान कार्ड

लाभ:- उद्यान विभाग की समस्त योजनाओं का लाभ  प्राप्त करने हेतु उद्यान कार्ड अनिवार्य है।

 पात्रता/लाभार्थी:-  राज्य के सभी  किसान, जो उद्यान  गतिविधियां करना  चाहते हैं तथा उनके  पास अपनी  निजी/लीज की  जमीन हो, पात्र  होंगे।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान कार्ड, उद्यान सचल दल केन्द्र से बनाया जाता है, उद्यान कार्ड  बनाने हेतु उद्यान कार्ड का प्रपत्र, सचल दल केन्द्र से प्राप्त करना  पडता है, प्रपत्र पर कृषक को अपने परिवार एवं उद्यान से सम्बंधित  सम्पूर्ण जानकारी भरकर, आधार कार्ड, राशनकार्ड एवं जमीनी दस्तावेजों  की प्रति के साथ अपने गांव के प्रधान के हस्ताक्षर कराने होते हैं  उसके बाद केन्द्र में ही जमा करना होता है। जमा करने के बाद सचल  दल केन्द्र कार्मिक द्वारा संबंधित किसान को उद्यान कार्ड दिया जाता  है। उद्यान सचल दल केन्द्र - विकास खण्ड स्तर पर योजनाओं की  जानकारी एवं किसानों को निवेश, बीज उपलब्ध कराये जाने हेतु उद्यान  कार्यालय है, जहाँ पर ज्येष्ठ उद्यान निरीक्षक/उद्यान  निरीक्षक/सहायक विकास अधिकारी, उद्यान नियुक्त रहते हैं, जोकि  समय-समय पर किसानों की समस्याओं का समाधान करते हैं। राज्य  के सभी जनपदों में कुल 319 उद्यान सचल दल केन्द्र स्थापित हैं।  

 

योजना का नाम:- फल क्षेत्रफल  विस्तार  

लाभ:- नये उद्यानों की स्थापना कर उत्पादन में वृद्धि करना। कुल लागत का 50 प्रतिशत  राजसहायता पर फलाें के पौधे उपलब्ध  कराये जाते हैं।  उद्यान विकसित किये जाने हेतु निर्धारित पौधे आम, अमरूद, अनार, सेब, लीची, प्लम,  आड़ू, खुबानी, अखरोट, नींबू प्रजाति, माल्टा,  कीवी, ड्रैगन फू्रट आदि फल पौध कृषकों को  दिये जाते हैं। (उदा0 स्वरूप एक अखरोट  का पौधा 400/- रू0 का है तो किसान को  संबधित उ000के0 में रू. 200/- जमा  करने होते हैं तथा रू0 200/- की सब्सिडी  सरकार वहन करती है और किसान को  उक्त पौधा रू0 200/- में मिल जाता है। )

पात्रता/लाभार्थी:- ऐसे कृषक जिनकी  अपनी भूमि/लीज पर हो तथा उद्यान  कार्ड धारक कृषक। अपनी जमीन हो ताे  अधिकतम 04  हैक्टेयर एवं न्यूनतम  0.02 हैक्टेयर भूमि  प्रति लाभार्थी जमीन  होनी चाहिए।  अधिकतम निर्धारित  एरिया 04 हैक्टेयर  है।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  उद्यान सचल दल केन्द्रों (उ000के0) में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक  से आवेदन प्रारूप प्राप्त करना पडता है। आवेदन का प्रारूप विभाग की  वेबसाइट   से भी डाउनलाेड कर सकते हैं।  शीतकालीन पौधों को लगाने के लिए सितम्बर-अक्टूबर माह में आवेदन  करना होगा एवं वर्षाकालीन पौधों को लगाने के लिए अप्रैल-जून माह  में आवेदन करना होगा। आवेदन प्रारूप के साथ जमीन से सम्बन्धी  दस्तावेज यथा खसरा एवं खतौनी, इसके अतिरिक्त लीज की जमीन  हेतु लीज का प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, उद्यान कार्ड एंव बैंक  खाता, मोबाइल नंबर भी चाहिए होगा। वर्तमान में आवेदन करने की  व्यवस्था ऑफलाइन है। उक्त दस्तावेजों के साथ किसान को अपना  आवेदन पत्र उ000केन्द्र में जमा करना पडता है, आवेदन पत्र के  प्रारूप में प्रस्ताव उल्लिखित होता है, प्रारूप को भरने में किसान को  यदि कोई दिक्कत हो तो, संबंधित उ000केन्द्र का कार्मिक सहयोग  करता है, यह उनकी जिम्मेदारी होती है।  केन्द्रपोषित योजनाओं से सम्बन्धित आवेदन हेतु, प्रस्ताव जमा करने के  उपरांत उ000केन्द्र कार्मिक संबंधित प्रस्ताव को जनपद स्तर पर  प्रेषित करता है, जनपद स्तर से इसी प्रकार के समस्त कृषकों के  आवेदन राज्य स्तर, राज्य स्तर से भारत सरकार को प्रेषित किये जाते  हैं, भारत सरकार से कार्ययोजना स्वीकृत होने के उपरान्त निदेशालय  स्तर से कार्ययोजना के अनुसार लक्ष्य जनपद स्तर को उपलब्ध करा  दिये जाते है।  राज्य पोषित-योजनाओं से सम्बन्धित आवेदन, 000केन्द्र से जनपद  स्तर, तथा जनपद से निदेशालय को प्रेषित किये जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा कृषकों के प्रस्ताव स्वीकृत करने के उपरांत शासनादेश  जारी करके जनपदों को शासनादेशानुसार स्वीकृति/कार्यदेश प्रदान  किया जाता है। कृषक का प्रस्ताव स्वीकृत होने पर कृषक को जनपदीय अधिकारी द्वारा  स्वीकृति पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है,  उसके उपरांत कृषक संबंधित उ000केन्द्र से फलों की पौध 50  प्रतिशत सब्सिडी पर खरीद सकता है। संबंधित योजना में लाभार्थी का  चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार, बजट की उपलब्धता पर  किया जाता है।

 

योजना का नाम:- सब्जी  क्षेत्रफल  विस्तार    

लाभ:- कृषकों को सब्जी उत्पादन को बढावा देने हेतु मौसम के अनुसार सब्जियों के बीज 50  प्रतिशत की सब्सिडी पर उपलब्ध कराये जाते  हैं। कृषक को मौसमी सब्जी लगाने से  लगभग 02 माह पूर्व आवेदन करना होता है।   (उदा0 स्वरूप लौकी के बीज का पैकेट  रू0 200/- रू0 का है तो किसान को संबधित उ000के0 में रू.100/- जमा  करने होते हैं तथा रू0 100/- की सब्सिडी  सरकार वहन करती है और किसान को उक्त बीज रू0 100/- में मिल जाता है।)

 पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान कार्ड  धारक कृषक।  (अधिकतम 02  हैक्टेयर) भूमि।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- सम्पूर्ण प्रक्रिया (फल क्षेत्र विस्तार) के अनुसार है। यहां पर कृषक को  मौसमी सब्जी बीज उपलब्ध कराये जाते हैं।  

 

योजना का नाम:- मसाला  क्षेत्रफल  विस्तार  

लाभ:-   कृषकों को मसाला उत्पादन में बढावा देने  हेतु मसाला बीज एवं कंद (अदरक, मिर्च,  हल्दी, लहसुन) कुल लागत का 50 प्रतिशत  राजसहायता अर्थात रू. 15 हजार प्रति  हैक्टेयर, के बीज उपलब्ध कराये जाते हैं।  यह बीज अधिकतम 04 हैक्टेयर तक की  जमीन हेतु ही उपलब्ध कराये जाते हैं।  (उदा0 स्वरूप अदरक 01 किलो रू0  200/- रू0 का है तो किसान को संबधित  000के0 में रू.100/- जमा करने होते  हैं तथा रू0 100/- की सब्सिडी सरकार  वहन करती है और किसान को उक्त कंद रू0 100/- में मिल जाता है। )

पात्रता/लाभार्थी:-  कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान कार्ड   धारक कृषक हो।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- सम्पूर्ण प्रक्रिया (फल क्षेत्र विस्तार) के अनुसार है। यहां पर कृषक को  मसाला बीज एवं कंद उपलब्ध कराये जाते हैं।  हल्दी, अदरक के लिए फरवरी-मार्च माह में उद्यान सचल दल केन्द्र में  आवेदन कर देना चाहिए। अन्य फसलों के लिए भी बुआई की तिथि से  01 माह पूर्व आवेदन कर देना चाहिए।  

 

योजना का नाम:- पुष्प क्षेत्रफल  विस्तार

लाभ:-    कृषकों को पुष्प उत्पादन में बढावा देने हेतु  पुष्प रोपण सामग्री (बल्ब/पौधे/बीज) कुल  लागत का 50 प्रतिशत राजसहायता  (अधिकतम 04 हैक्टेयर) तक उपलब्ध करायी  जाती है। अर्थात खुले पुष्प अधिकतम 20 हजार तक की  पुष्परोपण सामग्री प्रति हैक्टेयर दी जाती है। डंडीयुक्त पुष्प अधिकतम 50 हजार तक की  पुष्परोपण सामग्री प्रति हैक्टेयर दी जाती है। बल्बयुक्त पुष्प अधिकतम 75 हजार तक की  पुष्परोपण सामग्री प्रति हैक्टेयर दी जाती है। (उदा0 स्वरूप गेंदे के बीज 1 किलो रू0  200/- रू0 का है तो किसान को संबधित  000के0 में रू.100/- जमा करने होते  हैं तथा रू0 100/- की सब्सिडी सरकार  वहन करती है और किसान को उक्त बीज  रू0 100/- में मिल जाता है। )

पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान काडर्  धारक कृषक

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- सम्पूर्ण प्रक्रिया (फल क्षेत्र विस्तार) के अनुसार है। यहां पर कृषक को  पुष्प रोपण सामग्री (बल्ब/पौधे/बीज) उपलब्ध कराये जाते हैं।  

 

योजना का नाम:- मशरूम  उत्पादन    

लाभ:- मशरूम उत्पादन को बढावा देने के लिए व्यक्तिगत क्षेत्र हेतु (किसान/ मशरूम  उत्पादन हेतु इच्छुक व्यक्ति के लिए) 40  प्रतिशत राजसहायता की धनराशि दी जाती  है।  मशरूम उत्पादन इकाई की स्थापना  अधिकतम 20 लाख प्रति इकाई का 40  प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।  कम्पोस्ट उत्पादन इकाई की स्थापना  अधिकतम 20 लाख प्रति इकाई का 40  प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। स्पॉन उत्पादन इकाई की स्थापना अधिकतम  15 लाख प्रति इकाई का 40 प्रतिशत  सब्सिडी दी जाती है। कुल लागत का राजकीय क्षेत्र ( सरकारी  विभाग, संस्थानों/कृषि/ औद्यागिक  विश्वविद्यालय आदि) हेतु 100 प्रतिशत  धनराशि की राज सहायता दी जाती है।

 पात्रता/लाभार्थी:-  मशरूम उत्पादन  हेतु इच्छुक कृषक कृषक के पास अपनी जमीन/लीज  की जमीन होना  अनिवार्य है। एक किसान को 01  ही यूनिट मिलता  है। ऋण न लेने की  स्थिति में  राजसहायता/  सब्सिडी देने का  प्रावधान नहीं है।

  आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- इस योजना का लाभ लेने हेतु सर्वप्रथम आवेदक, आवेदन पत्र/प्रस्ताव  का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पदध् से डाउनलाेड करेगा अथवा संबंधित जनपद के उद्यान कार्यालय से प्राप्त कर सकता  है। आवेदन प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में संबंधित कृषक तैयार करेगा यदि  प्रस्ताव बनाने में दिक्कत हो तो प्रदेश के जनपद देहरादून एवं  ज्यूलीकोट इण्डाेडच मशरूम कार्यालय के विभागीय कार्मिकों का  सहयोग प्राप्त कर सकता है। उसके उपरांत प्रस्ताव इसी कार्यालय में  जमा करना पडता है। उसके बाद इच्छुक किसान को बैंक में लोन हेतु  आवेदन करना पडता है, जिसमें बैंक को जमीन संबंधी दस्तावेज,  आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंकखाता, मशरूम कार्य करने से कितनी आय  होगी का विवरण, कितना व्यय होगा का विवरण, आय के अन्य स्त्रोंताे  का विवरण एवं जमीन संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराने पडते हैं। बैंक  ऋण संबंधी प्रक्रिया अपनाकर ऋण स्वीकृत करता है। ऋण स्वीकृति  के पश्चात निर्धारित प्रारूप पर निदेशक बागवानी मिशन/मुख्य मशरूम  विकास अधिकारी के कार्यालय में आवेदन जमा करना पडता है।  आवेदन के साथ भू- अभिलेख, बैंक ऋण स्वीकृति पत्र, आधार कार्ड,  बैंक पास बुक, पैन कार्ड, परिवार रजिस्ट्री की नकल/राशन कार्ड, स्थायी निवास/खाता खतौनी, खसरा एवं खतौनी, मशरूम प्रशिक्षण  प्रमाण पत्र, शपथ पत्र, लीज की जमीन हेतु लीज का प्रमाण-पत्र, गोल  खाता होने की स्थिति में निर्धारित जमीन होने का शपथ पत्र, मांगे  जाते हैं। यदि कोई अभिलेख, आवेदक द्वारा आवेदन के समय उपलब्ध  नहीं कराया जाता है तो उसे मौखिक/लिखित में अभिलेख उपलब्ध  कराने हेतु कहा जाता है। प्रस्ताव का समिति द्वारा मूंल्याकन किया  जाता है।  प्रस्ताव स्वीकृत होने पर संबंधित इच्छुक कृषक को निदेशक बागवानी  मिशन/मुख्य मशरूम विकास अधिकारी के कार्यालय से स्वीकृति पत्र  एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है तथा इच्छुक कृषक अपना  मशरूम यूनिट स्थापित करने का कार्य शुरू करता है, जिसके बाद  विभागीय कार्मिकों द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया जाता है। निरीक्षण  आख्या के उपरांत सब्सिडी दो किस्तों में सीधे कृषक के खाते में  भुगतान की जाती है। दी जाती है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया वर्तमान में  ऑफलाइन है।

 

योजना का नाम:-  ट्यूबैल  स्थापना  /पौण्ड  निर्माण    

 लाभ:- सिंचाई सुविधाओं के विकास हेतु कृषकों को  नये ट्यूबैल/पौण्ड निर्माण हेतु कुल लागत  का 50 प्रतिशत राजसहायता अर्थात 90  हजार प्रति इकाई (अधिकतम 01 नग) की  दर से धनराशि भुगतान की जाती है।  

पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान काड र्  धारक कृषक। संबंधित क्षेत्र में पानी  है या नहीं इसकी  पुष्टि कृषक करेगा। एक कृषक को 01  टयूबवैल/पौण्ड  निर्माण की सब्सिडी  दी जाती है।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  उद्यान सचल दल केन्द्रों में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक से आवेदन  प्रारूप प्राप्त करना पडता है। आवेदन का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पद से भी डाउनलोड कर सकते हैं। आवेदन  प्रारूप/प्रस्ताव के साथ जमीन से सम्बन्धी दस्तावेज यथा खसरा एवं  खतौनी, इसके अतिरिक्त लीज की जमीन हेतु लीज का प्रमाण-पत्र,  आधार कार्ड, पैन कार्ड, उद्यान कार्ड एवं बैंक खाता, मोबाइल नंबर भी  चाहिए होगा। वर्तमान में आवेदन करने की व्यवस्था ऑफलाइन है।  आवेदन प्रस्ताव भरने में दिक्कत होने पर संबंधित उ000केन्द्र कार्मिक सहयोग करते हैं। इसी कार्यालय में आवेदन प्रारूप जमा करना  होगा।  000केन्द्र कार्मिक संबंधित प्रस्ताव को जनपद स्तर पर प्रेषित  करता है, जनपद स्तर से निदेशालय को प्रेषित किये जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा कृषकों के प्रस्ताव स्वीकृत करने के उपरांत शासनादेश  जारी करके जनपदाें को शासनादेश अनुसार स्वीकृति/कार्यदेश प्रदान  किया जाता है। कृषक का प्रस्ताव स्वीकृत होने पर कृषक को जनपदीय अधिकारी द्वारा  स्वीकृति पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है।  उसके उपरांत कृषक टयूबवैल निर्माण/पौण्ड निर्माण का कार्य शुरू  करता है, जिसके बाद विभागीय कार्मिकों द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया  जाता है। निरीक्षण आख्या के उपरांत सब्सिडी सीधे कृषक के खाते में  भुगतान की जाती है।

 

योजना का नाम:- ग्रीन हाउस  निर्माण

लाभ:-    ग्रीन हाउस के अंदर सब्जी एवं पुष्पों की  बागवानी को प्राेत्साहित करने हेतु फेन एण्ड  पैड सिस्टम/नैचुरेल वैन्टिलेटिड पा ॅलीहाउस  /सब्जी एवं फूलों की पौध रोपण सामग्री  हेतु कुल लागत का 50 से 80 प्रतिशत  धनराशि भुगतान की जाती है, जिसका  विवरण निम्नवत है :-  विभिन्न फूलाें एवं सब्जियों की संरक्षित खेती  करने हेतु फेन एण्ड पैड सिस्टम/नैचुरेल वैन्टिलेटिड पॉलीहाउस हेतु कुल लागत का  50 प्रतिशत धनराशि दी जाती है।  सब्जी एवं फूलों की पौध रोपण सामग्री  (बीज/पुष्प बल्ब/पौधे) 50 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराये जाते हैं।  ग्रीन हाउस निर्माण- फेन एण्ड पैड सिस्टम  पालीहाउस, ट्यूबलर स्ट्रक्चर पालीहाउस पर  कुल लागत का 50 प्रतिशत धनराशि देय है।  एन्टी हेल नेट लगाने हेतु कुल लागत का  50 प्रतिशत धनराशि दी जाती है। राज्य सैक्टर के अन्तग र्त राज्यांश के रूप में  25 प्रतिशत अतिरिक्त राजसहायता अर्थात  कुल 75 प्रतिशत राजसहायता देय है।  प्लास्टिक मल्चिंग- नमी को रोकने एवं जड़ाें  में डपबतव थ्सवतं को बढावा देने हेतु जमीन  को प्लास्टिक शीट से ढकने के लिए कुल  लागत का 50 प्रतिशत धनराशि दी जाती है।  संरक्षित खेती के लिये रोपण सामग्री की  व्यवस्था-पॉलीहाउस के अन्तग र्त रोपण  सामग्री (पुष्पों/सब्जियों के बीज) कुल लागत  के 50 प्रतिशत अनुदान पर दिये जाते हैं  यदि कृषक विभाग को छाेडकर, बाहर से  खरीदता है तो उसे 50 प्रतिशत धनराशि  भुगतान की जाती है। ग्रीन हाउस में एरिया भारत सरकार/राज्य  सरकार द्वारा जारी मार्ग निदेर्शिका के  अनुसार 4000 हजार/500 वर्ग मी0 तक  उपलब्ध कराया जाता है। 500 वर्ग मी0 के  पॉलीहाउस पर 30 प्रतिशत अतिरिक्त  राजसहायता राज्य सरकार द्वारा दी जाती  है। कुल 80 प्रतिशत सब्सिडी की धनराशि  कृषक को मिलती है।

 पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/ लीज पर हो  तथा उद्यान काड र्  धारक कृषक।  यह सहायता समूह  में कार्य करने पर,  नहीं दी जाती है।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान सचल दल केन्द्रों में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक से आवेदन  प्रारूप प्राप्त करना पडता है या आवेदन का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पद से भी डाउनलोड कर सकते हैं। आवेदन  प्रारूप/प्रस्ताव के साथ जमीन से सम्बन्धी दस्तावेज यथा खसरा एवं  खतौनी, इसके अतिरिक्त लीज की जमीन हेतु लीज का प्रमाण-पत्र,  आधार कार्ड, पैन कार्ड, उद्यान कार्ड एवं बैंक खाता, मोबाइल नंबर,  परिवार रजिस्ट्री की नकल/राशन कार्ड, प्रशिक्षण पत्र भी चाहिए  होगा। वर्तमान में आवेदन करने की व्यवस्था ऑफलाइन है। आवेदन  प्रस्ताव भरने में दिक्कत होने पर संबंधित उ000केन्द्र कार्मिक  सहयोग करते हैं। इसी कार्यालय में आवेदन प्रारूप जमा करना होगा।  000केन्द्र कार्मिक संबंधित प्रस्ताव को जनपद स्तर पर प्रेषित  करता है, जनपद स्तर से निदेशालय को प्रेषित किये जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा कृषकों के प्रस्ताव स्वीकृत करने के उपरांत शासनादेश  जारी करके जनपदों को शासनादेश अनुसार स्वीकृति/कार्यदेश दिया  जाता है। कृषक का प्रस्ताव स्वीकृत होने पर कृषक को जनपदीय अधिकारी द्वारा  स्वीकृति पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है।  स्वीकृति पत्र के साथ पॉलीहाउस बनाने वाली, विभाग के साथ सूचीबद्ध  कम्पनियो की सूची दी जाती है। किसान अपने खर्चे पर ग्रीन हाउस  निर्माण का कार्य शुरू करेगा। यदि किसान के पास धनराशि न हो तो,  किसी बैंक से लोन लेकर कर सकता है। ग्रीन हाउस का निर्माण होने  के बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों को अवगत करायेगा तथा  विभागीय अधिकारी स्थलीय निरीक्षण करके अपनी आख्या देंगे जिसके बाद समुचित राजसहायता/सब्सिडी सीधे कृषक के खाते में भुगतान  की जाती है।  

  

योजना का नाम:-  मौन पालन   

लाभ:-  मौनवंश (मधुमक्खी के बक्से) व मौन कॉलोनी  (मधुमक्खियां, रानी मक्खी सहित), 40  प्रतिशत की राजसहायता (अधिकतम लागत  मौन बॉक्स रू0 2000, मौनवंश रू0 2000)  पर उपलब्ध कराना। मैदानी क्षेत्रों के लिए  50 मौन बक्से एवं पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 25  मौन बक्से दिये जाते हैं।  (उदा0 स्वरूप मधुमक्खी का एक बक्सा एवं  मधुमक्खियां रू0 200/- की हैं तो किसान  को संबधित उ000के0 में रू.120/- जमा  करने होते हैं तथा रू0 80/- की सब्सिडी  सरकार वहन करती है और किसान को  उक्त बक्से रू0 120/- में मिल जाता है। ) यदि कोई किसान अपने उद्यानों में मौनवंश  रखना चाहता है ताे रू0 350 प्रति मौनवंश  की आर्थिक सहायता किसान को भुगतान की  जाती है।  किसान यदि प्रशिक्षण लेना चाहता है तो 07  दिवसीय मौनपालन प्रशिक्षण विभाग द्वारा  निशुल्क दिया जाता है तथा प्रशिक्षण के  साथ संबंधित किसान को रू0 100 प्रति दिन  की दर से रू0 700 तथा रू0 50 प्रति दिन  की दर रू0 350 प्रति लाभार्थी को देय है।  कुल 1050 रू0 भी दिये जाते हैं।

पात्रता/लाभार्थी:-   मौनपालन हेतु  इच्छुक कृषक

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- संबंधित किसान मौन बक्से हेतु अपने उद्यान सचल दल केन्द्रों पर,  मौन बक्से और मधुमक्खियां लेने के लिए प्रार्थना पत्र लिखेगा उसमें  अपना पता, मो0 नम्बर, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बैंक खाता  संलग्न करेगा। उसके बाद उ000के0 कार्मिक प्रार्थना पत्र को  जनपदीय कार्यालय या ज्यूलीकोट सेंटर को भेजेगा। प्रार्थना पत्र  स्वीकृत होने पर संबंधित किसान को दूरभाष से अवगत कराया जाता  है तथा स्वीकृति पत्र भी भेजा जाता है। संबंधित किसान मौन बक्से एवं  मधुमक्खियां ज्यूलीकोट सेंटर या जनपदीय कार्यालय से 40 प्रतिशत  सब्सिडी पर प्राप्त कर सकते हैं। लाभार्थी का चयन पहले आआे पहले  पाआे एवं बजट की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है।  प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु कृषक को अपने उद्यान सचल दल केन्द्रों पर,  प्रशिक्षण हेतु प्रार्थना पत्र देना होगा जिसमें अपना पता, मो0नं., आधार  कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बैंक खाता संलग्न करेगा। उसके उपरांत  प्रार्थना पत्र को जनपदीय कार्यालय में भेजा जाता है। जनपद में इसी  प्रकार लगभग 10-30 किसान, मौनपालन हेतु इच्छुक होने पर उनका  समूह बनाकर विभाग द्वारा प्रशिक्षण की तिथि निर्धारित करते हुए  किसान को दूरभाष से अवगत कराया जाता है तथा किसान उस तिथि  में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु आता है। प्रशिक्षण समाप्त होने पर किसान  को 1050 रू0 भी खाते में भुगतान/नकद दिया जाता है।  

 

योजना का नाम:- तुड़ाई  उपरान्त  प्रबन्धन    

लाभ:- पैक हाउस (9 मी0/6 मी0), प्री कूलिंग  इकाई (6 मै0टन क्षमता), (मोबाइल प्री कूलिंग  इकाई (5 मै0टन क्षमता), कोल्ड रूम (30  मै0टन क्षमता), कोल्ड स्टोरेज यूनिट,  रेफरवेन/कन्टेनर (6 मै0टन क्षमता),  राईपनिंग चैम्बर (300 मै0टन क्षमता) आदि  यूनिट की स्थापना ऋण आधारित बैंक  एन्डिड सब्सिडी के माध्यम से 35 से 50  प्रतिशत तक की धनराशि/सब्सिडी भुगतान  की जाती है।  

 पात्रता/लाभार्थी:- इच्छुक  उद्यमी/कृषक। अपनी जमीन हो  अथवा 25 से 30  वर्ष तक लीज पर ली हो।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान सचल दल केन्द्रों में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक से आवेदन  प्रारूप प्राप्त करना पडता है या आवेदन का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पद से भी डाउनलाेड कर सकते हैं।आवेदन  प्रारूप/प्रस्ताव के साथ जमीन से सम्बन्धी दस्तावेज यथा खसरा एवं  खतौनी, इसके अतिरिक्त लीज की जमीन हेतु लीज का प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता, मोबाइल नंबर, प्रशिक्षण पत्र भी चाहिए होगा। वर्तमान में आवेदन करने की व्यवस्था ऑफलाइन है।  आवेदन प्रस्ताव भरने में दिक्कत होने पर संबंधित उ000केन्द्र  कार्मिक सहयोग करते हैं। इसी कार्यालय में आवेदन प्रारूप जमा करना  होगा। उसी के साथ-साथ संबंधित उद्यमी/कृषक, बैंक में ऋण हेतु  आवेदन करेगा। उ000केन्द्र कार्मिक संबंधित प्रस्ताव को जनपद  स्तर पर प्रेषित करता है, जनपद स्तर से निदेशालय को प्रेषित किये  जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा कृषकों/उद्यमियों के प्रस्ताव स्वीकृत करने  के उपरांत शासनादेश जारी करके जनपदों को शासनादेश अनुसार  स्वीकृति/कार्यदेश प्रदान किया जाता है।  कृषक का प्रस्ताव स्वीकृत होने पर कृषक/उद्यमी को जनपदीय  अधिकारी द्वारा स्वीकृति पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से अवगत  कराया जाता है। इस अवधि के बीच कृषक/उद्यमी को ऋण स्वीकृत  करवाना होता है जिसमें विभागीय अधिकारी भी सहयोग करते हैं। ऋण  स्वीकृति के उपरांत सूचना विभाग को उपलब्ध करानी होती है। विभागीय अधिकारियों की तकनीकी सहायता एवं उपस्थिति में, तुडाई  उपरांत प्रबंधन के कायोर् को किया जाता है। कार्य पूर्ण होने के बाद विभागीय अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा निरीक्षण किया जाता है  तथा निरीक्षण के उपरांत समुचित राजसहायता/सब्सिडी कृषक के  ऋण खाते में भुगतान की जाती है।  

 

 योजना का नाम:- खाद्य  प्रसंस्करण एवं  मूल्य वृद्धि  प्रबन्धन    

लाभ:- नई खाद्य प्रसंस्करण इकाई हेतु 50 प्रतिशत  (अधिकतम रू0 400.00 लाख/4करोड़) की  राज सहायता/सब्सिडी की धनराशि दी  जाती है।  पूर्व में पारित किसी प्रस्ताव को मा ॅडल के  रूप में विभागीय साइड में एम0एस0एम00  की तर्ज पर अपलाेड किए जाने की प्रक्रिया  गतिमान है ताकि प्रस्ताव बनाने में इच्छुक  कम्पनी/फर्म/ प्रमोटर को आसानी हो।

पात्रता/लाभार्थी:-   खाद्य प्रसंस्करण  यूनिट स्थापित करने  हेतु इच्छुक कम्पनी/फर्म/ प्रमोटर।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान सचल दल केन्द्रों में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक से आवेदन  प्रारूप प्राप्त कर सकते हैं या आवेदन का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पद से भी डाउनलोड कर सकते हैं। आवेदन  प्रारूप/प्रस्ताव के साथ चैकलिस्ट में उल्लिखित 29 बिंदुओं (निर्धारित  प्रारूप में प्रार्थना पत्र, डीपीआर, प्रमोटर का स्थायी निवास प्रमाण पत्र,  संस्था का बायोडाटा, इकाई क्षेत्र का पता, परियोजना प्रस्ताव को  अप्रेजल करने वाला बैंक/संस्था, बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा अप्रेजल  का साक्ष्य, अग्निशमन विभाग की एनओसी, भूमि अभिलेख जो संस्था के  नाम हों, भू-परिवर्तन संबंधी प्रमाण पत्र, कम्पनी/संस्था का बॉयलाज,  कच्चे माल का उपार्जन, इकाई द्वारा क्या उत्पाद तैयार किये जायेगे  का विवरण, कृषकों से अनुबंध, साइट प्लान, एफएसएसएआई का  प्रमाण, रोजगार सृजन प्रमाण, सिविल कायोर् का विवरण सिविल  इंजीनियर द्वारा प्रमाणित, प्लांट मशीनरी एवं उपकरणों का आपूर्तिकर्ता  के साथ कोटेशन जो चार्टड मैकेनिकल इंजीनियर द्वारा प्रमाणित हों,  मशीनरी क्रय हेतु आपूर्तिकर्ताओं के कोटेशन, उत्पादन हेतु विपणन की  रणनीति, प्रोसेस फ्लो चार्ट, इकाई क्रियान्वयन का विवरण, रू0  100/- का शपथ पत्र, वित्त पोषण, परियोजना लागत एवं योग्यता) के दस्तावेज संलग्न करने होते हैं। आवेदन प्रस्ताव भरने में दिक्कत होने पर संबंधित उ000केन्द्र कार्मिक सहयोग करते हैं। इसी  कार्यालय में आवेदन प्रारूप जमा करना होगा। परियोजना में आवेदन  करने से पूर्व उद्यमी/संस्था बैंक में ऋण संबंधी अप्रेजल प्रस्तुत करेगा।  000केन्द्र कार्मिक संबंधित प्रस्ताव को सीधे मिशन निदेशालय को  प्रेषित किये जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा उद्यमियों के प्रस्ताव स्वीकृत  करने के उपरांत उद्यमी को स्वीकृति पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से  अवगत कराया जाता है। इस अवधि के बीच उद्यमी को ऋण स्वीकृत  करवाना होता है जिसमें विभागीय अधिकारी भी सहयोग करते हैं। ऋण  स्वीकृति के उपरांत सूचना विभाग को उपलब्ध करानी होती है।  विभागीय अधिकारियों की तकनीकी सहायता एवं उपस्थिति में खाद्य  प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाती है। कार्य पूर्ण होने के बाद  विभागीय अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा निरीक्षण किया जाता है  तथा निरीक्षण के उपरांत समुचित सब्सिडी उद्यमी के ऋण खाते में  भुगतान की जाती है।  

  

योजना का नाम:- टपक  सिंचाई (ड्रिप)  स्प्रिंक्लर    

लाभ:- पौधो की आवश्यकतानुसार ड्रिप सिंचाई,  पोर्टेबल सि्ंप्रक्लर, माइक्रो स्प्रिंक्लर , मिनी  स्प्रिंक्लर, रेन गन के माध्यम से सिंचाई  सुविधा सुनिश्चित करने हेतु सिंचाई प्रणाली  की स्थापना की जाती है।  इसके अन्तग र्त 4 हैक्टेयर तथा अधिकतम 05  हैक्टेयर के क्षेत्रों हेतु 45 से 55 प्रतिशत  राजसहायता/सब्सिडी धनराशि देय है।  राज्य के कृषकों को टॉप ऑप के रूप में 25  प्रतिशत अतिरिक्त राजसहायता/ सब्सिडी  धनराशि प्रदान की जा रही है।

पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान काड र्  धारक कृषक

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान सचल दल केन्द्रों में आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ  जमीन से सम्बन्धी दस्तावेज यथा खसरा एवं खतौनी, इसके अतिरिक्त  लीज की जमीन हेतु लीज का प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड,  उद्यान कार्ड एवं बैंक खाता, मोबाईल नं0 भी चाहिए होगा। वर्तमान में  आवेदन करने की व्यवस्था ऑफलाईन है।  

 

योजना का नाम:- प्रधानमंत्री  सूक्ष्म खाद्य  उद्यम  उन्नयन  योजना  (PMFME)    

लाभ:- छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों (जैम, जैली,  मुरब्बा, अचार, बेकरी, कनफेक्शनरी, डेयरी  प्रोडक्ट, मछली प्रोडक्ट आदि) की स्थापना  हेतु मैदानी क्षेत्र के लिए 35 प्रतिशत अथवा  अधिकतम रू0 10 लाख, प्रति इकाई  अनुदान/धनराशि भुगतान की जाती है।  पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उक्त 35 प्रतिशत  धनराशि के अतिरिक्त 25 प्रतिशत भी  भुगतान की जाती है। पर्वतीय क्षेत्रों के लिए  कुल 60 प्रतिशत अथवा अधिकतम 15 लाख की धनराशि प्रति इकाई, उपलब्ध कराई  जाती है।  

  पात्रता/लाभार्थी:-  मौजूदा या नये सूक्ष्म  खाद्य उद्यम जैसे कि  स्वामित्व अधिकार  के साथ  व्यक्तिगत/  भागीदार फर्म/ एफ0पी0आे0/एन0  जी00/सहकारित ा/एस0एच0जी0/ प्राईवेट लि0 कं0 आदि। आवेदक की  उम्र 18 वर्ष से  अधिक हो।  यदि आवेदक ने  सरकार की अन्य  सब्सिडी से जुडी  योजना में बैंक ऋण  लिया हो ताे वह  इस योजना के  तहत भी बैंक ऋण  के लिये एवं ब्याज  सबवैंशन तथा टा ॅप  अप कनवर्जेन्स के  लिये पात्र है।  

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु आवेदक द्वारा भारत सरकार के पोर्टल  https://pmfme.mofpi.gov.in पर आवेदन करना होता है, आवेदन करने  के लिए, आधार कार्ड, आधार लिंक मोबाईल नं, संबंधित उद्यमी/संस्था  के समस्त सदस्याें का, निवास प्रमाण पत्र, शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र,  बैंक खाता, प्रमाण पत्रों की आवश्यकता होती है।  पंजीकरण के उपरांत आवेदन पत्र संबंधित जनपद के डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स  परसन के पास जाता है, संबंधित अधिकारी किसान/उद्यमी/संस्था से  बात कर प्रस्ताव तैयार करायेगा तथा ऑनलाइन ही बैंक को प्रेषित  करेगा। बैंक से ऋण स्वीकृत होने पर संबंधित उद्यमी/किसान,  प्रसंस्करण इकाई निर्माण का कार्य शुरू करेगा तथा कार्य विभगाय अधिकारियों की देखरेख में होगा तथा विभागीय अधिकारियों की संयुक्त  टीम स्थलीय निरीक्षण करेगी। कार्य शुरू होने के बाद संबंधित उद्यमी  उक्त पोर्टल पर कार्य शुरू होने की सूचना अपडेट करेगा तथा बाद में  सब्सिडी धनराशि कृषक/उद्यमी के ऋण खाते में भुगतान की जाती  है।  वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिये एक परिवार से केवल एक व्यक्ति  ही पात्र होगा। इस योजना के लिये ’’परिवार’’ में स्वयं पत्नी और  अवयस्क बच्चे शामिल होंगे। मौजूदा इकाईयों के उन्नयन/विस्तार हेतु  बैंकां द्वारा पुर्नगठन के लिये अर्हता प्राप्त करने वाले आवेदन भी योजना  अन्तग र्त पात्र है।

 

योजना का नाम:-  उद्यानों की  घेरबाड़ की  योजना  

लाभ:- जंगली जानवरों से फल-पौधे/उद्यान  फसलों एवं बगीचों को बचाने हेतु उद्यानों की  घेरबाड़ हेतु कुल लागत का 50 प्रतिशत  अथवा अधिकतम रू0 1.00 लाख प्रति  हैक्टेयर) धनराशि सब्सिडी के रूप में भुगतान  की जाती है।

 पात्रता/लाभार्थी:- उद्यान कार्ड धारक  कृषक

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान सचल दल केन्द्रों में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक को घेरबाड  संबंधी प्रार्थना पत्र देना पडता है। प्रार्थना पत्र के साथ जमीन से  सम्बन्धी दस्तावेज यथा खसरा एवं खतौनी, आधार कार्ड, पैन कार्ड,  उद्यान कार्ड एंव बैंक खाता, मोबाइल नंबर भी चाहिए होगा। वर्तमान में  आवेदन करने की व्यवस्था ऑफलाइन है। प्रार्थना पत्र लिखने में  दिक्कत होने पर संबंधित उ000केन्द्र कार्मिक सहयोग करते हैं।  इसी कार्यालय में प्रार्थना पत्र जमा करना होगा। उ000केन्द्र कार्मिक  संबंधित प्रार्थना पत्र को जनपद स्तर पर प्रेषित करता है, जनपद स्तर  से निदेशालय को प्रेषित किये जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा कृषकों के  प्रस्ताव स्वीकृत करने के उपरांत शासनादेश जारी करके जनपदों को  शासनादेश अनुसार स्वीकृति/कार्यदेश दिया जाता है। कृषक का  प्रस्ताव स्वीकृत होने पर कृषक को जनपदीय अधिकारी द्वारा स्वीकृति  पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है। उसके  उपरांत विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति में उद्यानों की घेरबाड की  जाती है, जिसके बाद विभागीय कार्मिकों द्वारा स्थलीय निरीक्षण किया  जाता है। निरीक्षण आख्या के उपरांत सब्सिडी सीधे कृषक के खाते में भुगतान की जाती है।

 

 योजना का नाम:- मशरूम  उत्पादन एवं  विपणन की  योजना  

लाभ:- मशरूम उत्पादन हेतु निम्नवत लाभ दिया  जाता है :-  पाश्चुराईज्ड कम्पाेस्ट कुल लागत की 50  प्रतिशत राजसहायता अधिकतम 50 कुन्तल  प्रति लाभार्थी उपलब्ध करायी जाती है तथा  स्पान (बीज) कुल लागत का 50 प्रतिशत  राजसहायता अधिकतम 25 कि0ग्रा0 स्पॉन  प्रति लाभार्थी उपलब्ध कराया जाता है। इसमें धनराशि नहीं दी जाती है। पाश्चुराईजड  कम्पोस्ट/स्पान विभाग द्वारा दिया जाता है।  मशरूम उत्पादकों हेतु 07 दिवसीय प्रशिक्षण (रू0 1050 प्रति लाभार्थी) जिसमें 700 रू0  डी0बी0टी0 के माध्यम से लाभार्थी के खाते में  तथा रू0 350 प्रशिक्षण सामग्री आदि पर  व्यय किया जाता है। यदि कोई मशरूम उत्पादन एवं विपणन की  योजनान्तग र्त उत्पादन करता है ताे कृषक/मशरूम उत्पादकों को स्थानीय  बाजार/मण्डी में मशरूम विक्रय किया जाता  है।

 पात्रता/लाभार्थी:- मशरूम उत्पादन  हेतु इच्छुक कृषक

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- इस योजना का लाभ लेने हेतु सर्वप्रथम आवेदक, आवेदन पत्र/प्रस्ताव  का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पदध् से डाउनलाेड  करेगा अथवा संबंधित उद्यान सचल दल केन्द्र कार्यालय से प्राप्त कर  सकता है।  आवेदन प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में संबंधित कृषक तैयार करेगा यदि  प्रस्ताव बनाने में दिक्कत हो तो उ000के0 कार्मिक सहयोग करेंगे।  आवेदन के साथ जमीन संबंधी दस्तावेज, आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक  खाता, मशरूम कार्य करने से कितनी आय होगी का विवरण तथा पूव र्  में प्रशिक्षण लिया हो तो तत्संबंधी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने होगे।  उसके उपरांत प्रस्ताव इसी कार्यालय में जमा करना पडता है। उसके  बाद इच्छुक किसान को बैंक में लोन हेतु आवेदन करता है (यदि  किसान के पास अपना पैसा न हो तो)े, उसके उपरांत आवेदन प्रारूप  सीधे बागवानी मिशन को भेजा जाता है। प्रस्ताव का समिति द्वारा  मूंल्याकन किया जाता है। प्रस्ताव स्वीकृत होने पर संबंधित इच्छुक कृषक को निदेशक बागवानी मिशन/मुख्य मशरूम विकास अधिकारी  के कार्यालय से स्वीकृति पत्र एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है  तथा इच्छुक कृषक अपना मशरूम हेतु पाश्चुराईज्ड कम्पोस्ट/स्पान  संबंधित जनपदीय कार्यालय से प्राप्त कर सकता है। यह सम्पूर्ण  प्रक्रिया वर्तमान में ऑफलाइन है। पात्र लाभार्थी को 50 कुन्तल कम्पोस्ट  एवं 25 कि0ग्रा0 स्पान बजट उपलब्धता के अनुसार पहले आआे पहले  पाआे के आधार पर किया जाता है। प्रशिक्षण हेतु उ000केन्द्र में प्रार्थना पत्र देना पडता है तथा प्रार्थना  पत्र के उपरांत प्रशिक्षण की तिथि विभाग द्वारा निर्धारित कर किसान  को दूरभाष पर अवगत कराया जाता है। जिसके बाद किसान निर्धारित  तिथि में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है।

 

योजना का नाम:-  वर्मी  कम्पोस्ट  इकाईयों की  स्थापना  

लाभ:- वर्मी कम्पोस्ट इकाईयों (गडडा बनाने एवं  केंचुए उपलब्ध कराने) की स्थापना हेतु  राजसहायता रू0 33,300 प्रति इकाई की  लागत का 75 प्रतिशत दिया जाता है।  

पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान काड र्  धारक कृषक।  समस्त महिलाएं,  स्वयं सहायता समूह  की इस हेतु पात्र  होंगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  इसमें सम्पूर्ण प्रक्रिया ‘‘उद्यानों की घेरबाड’’ के अनुसार अपनायी जाती  है।

 

योजना का नाम:-  सेब की अति  सघन  बागवानी  योजना  

लाभ:- सेब की अति सघन बागवानी योजनान्तग र्त  कृषकों को 60 प्रतिशत अनुदान पर सेब की  नवीनतम प्रजातियों के बागान स्थापित किये  जायेंगें। जिसमें क्रमशः एम-9 हेतु 900 पौध  प्रति एकड़ (रू0 12.36 लाख), एम एम-111  हेतु 540 पौध प्रति एकड़ (रू0 7.86 लाख)  तथा सीडलिंग हेतु 440 पौध प्रति एकड़ (रू0 3.34 लाख) होगी। राजसहायता की गणना  आवेदक द्वारा स्थापित अति सघन सेब  बागानों एवं पौधों की संख्या के अनुपातिक  आधार (च्तवतंजं इेंपे) पर की जायेगी।

 पात्रता/लाभार्थी:- सेब की अति  सघन/सीडलिंग  बागान स्थापित  करने हेतु न्यूनतम  क्षेत्रफल 02 नाली (0.04 है0) से  अधिकतम 100  नाली (02 है0) प्रति  लाभार्थी/समूह  आदि को देय  होगा।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- लाभार्थी का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया  जायेगा।

 

 योजना का नाम:- मुख्यमंत्री  एकीकृत  बागवानी  विकास  योजना

लाभ:-  फल के पौधों, खुले क्षेत्र हेतु सब्जी के बीज,  मसाला के बीज, पुष्प बीजों पर कृषकों को  50 प्रतिशत सहायता। इसमें धनराशि नहीं दी  जाती है, बीज/पौधे सब्सिडी पर दिये जाते हैं।  कीट व्याधिनाशक रसायनों (दवाईयां) आदि  पर कृषकों को 60 प्रतिशत सहायता। इसमें  धनराशि नहीं दी जाती है, दवाइयां सब्सिडी  पर दिये जाते हैं।  कूल हाउस (क्षमता-30 मै0टन) पर कुल  लागत रू0 15.00 लाख का 50 प्रतिशत  राजसहायता/सब्सिडी धनराशि भुगतान की  जाती है।  रैफ्रिजरेटेड वैन (क्षमता-9 मै0टन) पर कुल  लागत रू0 26.00 लाख का 50 प्रतिशत  राजसहायता/सब्सिडी धनराशि भुगतान की  जाती है।  

पात्रता/लाभार्थी:- कृषकों की अपनी  भूमि/लीज पर हो  तथा उद्यान काड र्  धारक कृषक

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- उद्यान सचल दल केन्द्रों में कार्यरत अधिकारी/कार्मिक से आवेदन  प्रारूप प्राप्त करना पडता है। आवेदन का प्रारूप विभाग की वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्ेउण्नाण्हवअण्पद से भी डाउनलोड कर सकते हैं। पौध लगाने एवं दवाईयां लेने से लगभग 02 माह पूर्व आवेदन करना होता है।  आवेदन प्रारूप के साथ जमीन से सम्बन्धी दस्तावेज यथा खसरा एवं  खतौनी, इसके अतिरिक्त लीज की जमीन हेतु लीज का प्रमाण-पत्र,  आधार कार्ड, पैन कार्ड, उद्यान कार्ड एंव बैंक खाता, मोबाइल नंबर भी  चाहिए होगा। वर्तमान में आवेदन करने की व्यवस्था ऑफलाइन है।  उक्त दस्तावेजों के साथ किसान को अपना आवेदन पत्र उ000केन्द्र  में जमा करना पडता है, आवेदन पत्र के प्रारूप में प्रस्ताव उल्लिखित  होता है, प्रारूप को भरने में किसान को यदि कोई दिक्कत हो तो,  संबंधित उ000केन्द्र का कार्मिक सहयोग करता है, यह उनकी  जिम्मेदारी होती है। उ000केन्द्र कार्मिक किसान के प्रस्ताव को  जनपद स्तर, तथा जनपद से निदेशालय को प्रेषित किये जाते हैं एवं निदेशालय द्वारा कृषकों के प्रस्ताव स्वीकृत करने के उपरांत शासनादेश  जारी करके जनपदों को शासनादेश अनुसार स्वीकृति/कार्यदेश दिया  जाता है। कृषक का प्रस्ताव स्वीकृत होने पर कृषक को जनपदीय अधिकारी द्वारा  स्वीकृति पत्र भेजा जाता है एवं दूरभाष से अवगत कराया जाता है,  उसके उपरांत कृषक संबंधित उ000केन्द्र से फलों की  पौध/बीज/दवाईयां 50 प्रतिशत सब्सिडी पर खरीद सकता है। रैफ्रिजरेटर वैन एवं कूल हाउसिंग की स्थिति में किसान द्वारा संबंधित  वैन खरीदने/कूल हाउसिंग निर्माण के उपरांत, विभागीय अधिकारियों  के स्थलीय निरीक्षण के बाद सब्सिडी का भुगतान किया जाता है।  संबंधित योजना में लाभार्थी का चयन पहले आओ पहले पाओ के  आधार, बजट की उपलब्धता पर किया जाता है।