उद्यान विभाग (भेषज विकास इकाई)उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Horticulture Department (Pharmaceutical Development Unit) Uttarakhand
योजना का
नाम:- भेषज कृषि विकास योजना (जड़ी-बूटी
कृषिकरण कार्यक्रम)
लाभ:- कूठ
प्रजाति की खेती से
प्रति नाली प्रति वर्ष रू0 1000
कुटकी प्रजाति की खेती से प्रति नाली प्रति वर्ष रू0
660, बड़ी इलायची प्रजाति
की खेती से प्रति नाली प्रति वर्ष रू0
1120 (चौथे वर्ष से), सर्पगंधा प्रजाति की खेती
से प्रति नाली प्रति वर्ष
रू0 1200 तथा तेजपता
प्रजाति की खेती से प्रति नाली प्रति वर्ष रू0 1200 (दस
वर्ष पश्चात) का लाभ अर्जित किया जा सकता है। इससे किसानों को अतिरिक्त रोजगार प्राप्त होता है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ भी होती है।
पात्रता/लाभार्थी:- स्थानीय बेरोजगार
व्यक्ति जिसके पास
पांच नाली भूमि उपलब्ध हो, अपना
आधार कार्ड हो और जड़ी-बूटी
खेती से रोजगार के अवसर
प्राप्त करने का इच्छुक हो।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- चयनित विकास खण्ड के
चयनित ग्राम/पट्टी के निवासी जो क्लस्टर (2-3ग्राम के सम्मिलित 10 कृषक) में कार्य करने के इच्छृक हो।
जलवायु एवं ऊचांई के आधार पर जड़ी-बूटी की खेती करना चाहते हो को प्रशिक्षण कैम्प के माधयम से जिला भेषज
समन्वयक, भेषज विकास इकाई चयनित करते है। उनकी क्लस्टरवार सूची मुख्यालय को कार्ययोजना के सापेक्ष
पौध की मांग हेतु प्रेषित करते है। तद्पश्चात इन चयनित व्यक्तियों को जुलाई-अगस्त (वर्षाकाल) में पांच नाली
मानक के अनुसार चयनित नर्सरी से आपूर्ति सुनिश्चित करवाई जाति है। रोपित किये गये पौधों का जिला भेषज
समन्वयक द्वारा जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान मण्डल गोपेश्वर से पंजीकरण करवा कर फसल निकालने से 03
माह पूर्व उस प्रजाति की बिक्री किसी भी मण्डी/फार्मेसी हेतु जिला भेषज समन्वयक द्वारा रवन्ना निःशुल्क निर्गत
किया जाता है।
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