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राजस्व विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Revenue Department Uttarakhand

 

 राजस्व विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Revenue Department Uttarakhand


 योजनायें :- 

  1. स्थाई निवास  प्रमाण पत्र
  2. उत्तरजीवी/पारि वारिक सदस्यता  प्रमाण पत्र
  3. पर्वतीय क्षेत्र  प्रमाण पत्र
  4.  चरित्र प्रमाण पत्र  (ठेकेदारी/  सामान्य हेतु)
  5. हैसियत प्रमाण  पत्र
  6. स्वतंत्रता संग्राम  सेनानी आश्रित  प्रमाण पत्र
  7. स्वतन्त्रता संग्राम  सैनानी का  उत्तरा धिकारी  होनेसंबंधी  परिचय पत्र 
  8. आय प्रमाण पत्र (आय प्रमाण-पत्र  जारी होने की  तिथि से 01 वर्ष  तक के लिए वैध  होता है।)
  9. अनुसूचित  जाति प्रमाण पत्र/अनुसूचित  जनजाति प्रमाण  पत्र/अन्य पिछड़ा  वर्ग प्रमाण पत्र 

  10. अन्य पिछड़ा  वर्ग प्रमाण पत्र  भारत सरकार की  सेवाओं हेतु (यह क्रीमी लेयर  की श्रेणी में न  आने तकवैध  होता है।)
  11. आर्थिक रूप से  कमजोर वर्गो हेतु  आय और  सम्पत्ति प्रमाण  पत्र EWS (यह प्रमाण पत्र  जिस वित्तीय वर्ष  में जारी किया  गया हैउसी  वित्तीय वर्ष तक  के लिए वैध होता  है।)  वित्तीय वर्ष-  दिनांक 01 अप्रैल से  31 मार्च तक होता  
  12. सामान्य जाति  प्रमाण पत्र
  13. विरासत दर्ज  कराना (मृत्यु होने  की स्थिति में।)
  14. दाखिल खारिज  (क्रय-विक्रय)
  15.  खाता खतौनी में  संशोधन
  16. जमीन का  डिमार्केशन  (सीमांकन) करने  की प्रक्रिया/खेत  की पैमाईश नापजोख हेतु।
  17. खसरा खतौनी  की प्रमाणित  नकल प्राप्त करने  की प्रकिर्या
  18. नकल खसरा एवं  नकल सजरा  (भू-मानचित्र की  प्रति) प्राप्त  करना।
  19.  दैवीय आपदा  आर्थिक सहायता


योजना का नाम:-  स्थाई निवास  प्रमाण पत्र

लाभ:-  उत्तराखण्ड राज्य  का स्थायी निवासी  होने को प्रमाणित करता है तथा राज्य की सेवाओं में  प्रतिभाग करने एवं  आरक्षण/ प्रतिभाग  का लाभ प्राप्त करने  हेतु अनिवार्य तथा  विभिन्न योजनाओं  का लाभ प्राप्त करने  हेतु अनिवार्य/सेना  में भर्ती आदि हेतु।

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के ऐसे  स्थाई निवासी परिवार,  जिनके पास स्थायी  निवास प्रमाण पत्र बनाने  से पूर्व 15 साल निवास  सम्बन्धित जमीनी  दस्तावेज हो, पात्र होंगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- वर्तमान में अपणि सरकार पोट र्ल ीजजचेरूध्ध् मेमतअपबमेण्नाण्हवअण्पदध् पर  ऑनलाईन या कॉमन सर्विस सेंटर/ई-डिस्ट्रिक्ट केन्द्रों के माध्यम से  आवेदन किया जाता है, स्वयं आवेदन करने हेतु तत्समय मोबाइल नंबर  एवं आधार कार्ड संख्या होना अनिवार्य है। उसके उपरांत संबंधित व्यक्ति  का नाम, पता, सहित विवरण मांगा जाता है। जिसमें लॉगइन आईडी एवं  पासवर्ड जनरेट होता है। तब विभिन्न विभागों की सूची दिखायी देती है  उसमें राजस्व विभाग चयन करना होता है तथा स्थायी निवास प्रमाण पत्र  पर, चयन करके आवेदन करते हैं। आवेदन करते समय निम्न दस्तावेज  मांगे जाते हैं :-  

अनिवार्य दस्तावेज- भूमि की रजिस्ट्री/खतौनी/स्वयं या परिवार की  (निवास से सम्बन्धित दस्तावेज जिसमें 15 साल निवास की पुष्टि होती  हो), आधार कार्ड एवं मोबाइल नंबर, शिक्षा संबंधी प्रमाण पत्र, परिवार  रजिस्टर (नगर निकाय क्षेत्र के आवेदकों जहॉ पर परिवार रजिस्टर नहीं  होता है, हेतु आवश्यक नहीं) वैकल्पिक दस्तावेज-हाऊस टैक्स एवं बिजली  बिल या पानी बिल और ईमेल आईडी।

 जैसे ही आवेदक द्वारा ऑनलाइन, आवेदन किया जाता है उसके उपरांत  सीधे ऑनलाईन उप जिलाधिकारी/तहसीलदार के पास जाता है वहां से  राजस्व उप निरीक्षक को जांच कराये जाने हेतु भेजा जाता है जांच सही  पाये जाने के उपरान्त निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत संबंधित उप  जिलाधिकारी द्वारा ऑनलाइन/डिजीटली प्रमाण पत्र 15 दिन के भीतर  निर्गत किया जाता है। जिसका मैसेज मोबाइल फोन में या ईमेल में आ  जाता है।  

 

 योजना का नाम:-  उत्तरजीवी/पारि वारिक सदस्यता  प्रमाण पत्र  

लाभ:- संबंधित सदस्य,  मृतक का  उत्तरजीवी/ आश्रित  है, इसको प्रमाणित करने हेतु, इस प्रमाण  पत्र का उपयोग  किया जाता है। इस  प्रमाण पत्र का  उपयोग जमीन संबंधी प्रकरणों, पेंशन  योजनाओं आदि में  होता है।  

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के ऐसे  स्थाई निवासी, जो मृतक  के आश्रित हों।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया ‘‘स्थायी निवास प्रमाण पत्र’’ के अनुसार  होगी परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- आवेदक का एवं समस्त परिवार के सदस्यों का आधार कार्ड, आवेदक का  मोबाईल नंबर, मृतक आश्रित होने संबंधी शपथ पत्र, मृतक व्यक्ति का  मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड एवं वोटर आईडी।  आवेदन प्राप्त होने के उपरान्त 10 दिन के भीतर उपजिलाधिकारी द्वारा  ऑनलाइन/डिजिटली उत्तरजीवी प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।  

  

योजना का नाम:- पर्वतीय क्षेत्र  प्रमाण पत्र

लाभ:- रोजगार/विभिन्न  राजकीय सेवाओं  /सेना में भर्ती आदि  हेतु

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के स्थाई निवासी

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया ‘‘स्थायी निवास प्रमाण पत्र’’ के अनुसार होगी परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- अनिवार्य दस्तावेज-पहाड़ी क्षेत्र की सूची (ग्राम प्रधान द्वारा प्रमाणित),  निवास से संबंधित दस्तावेज (जिससे पर्वतीय क्षेत्र में निवास होने की पुष्टि  होती हो)/स्थायी निवास प्रमाण पत्र, भूमि रजिस्ट्री/खतौनी की प्रति,  आधार कार्ड, शिक्षा संबंधित दस्तावेज। वैकल्पिक दस्तावेज -बिजली बिल  या पानी बिल, राशन कार्ड/परिवार रजिस्टर (पारिवारिक संबंधों के  मिलान हेतु) आवेदन के उपरान्त 15 दिन के भीतर उपजिलाधिकारी द्वारा पर्वतीय क्षेत्र  प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।


योजना का नाम:-  चरित्र प्रमाण पत्र  (ठेकेदारी/  सामान्य हेतु)

लाभ:- ठेकेदारी व्यवसाय  एवं होमस्टे खोलने/  नौकरी/अन्य  व्यवसाय हेतु।

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के स्थाई  निवासी

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया ‘‘स्थायी निवास प्रमाण पत्र’’ के अनुसार  होगी परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- आधार कार्ड, वोटर आईडी,  स्थायी निवास प्रमाण पत्र। आवेदन के उपरान्त 10 दिन के भीतर चरित्र  प्रमाण-पत्र (ठेकेदारी/ सामान्य हेतु) जारी किया जाता है।

 

योजना का नाम:-  हैसियत प्रमाण  पत्र

लाभ:- ठेकेदारी व्यवसाय व  व्यवसायिक लाईसेंस  हेतृु (आवेदन के  आधार पर)

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य में  भूमि/अचल सम्पत्ति के  आधार पर

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया उपरोक्त क्रमांक-1 ‘‘स्थायी निवास  प्रमाण पत्र’’ के अनुसार होगी परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :-भूमि  रजिस्ट्री/खतौनी (नवीनतम), नगर निगम/च्ॅक् का मूल्यांकन, पहचान पत्र/आधार कार्ड तथा मोबाइल नंबर, निवास का प्रमाण यथा बिजली  बिल/हाउस टैक्स रसीद/पानी बिल/ वोटर आईडी आदि। आवेदन प्राप्त होने के 10 दिन के भीतर उपजिलाधिकारी द्वारा हैसियत प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।

 

 योजना का नाम:- स्वतंत्रता संग्राम  सेनानी आश्रित  प्रमाण पत्र

लाभ:- विभिन्न शासकीय  सेवाओं में आरक्षण  एवं व्यावसायिक  गतिविधियों में  आरक्षण हेतु संबंधित  प्रमाण पत्र आवश्यक  है।  

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य के  स्वतंत्रता सग्राम सेनानी  के आश्रितों के लिए

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया उपरोक्त क्रमांक-1 ‘‘स्थायी निवास  प्रमाण पत्र’’ के अनुसार होगी परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन पट्टा, आवेदक का आधार कार्ड तथा  पहचान पत्र, निवास का प्रमाण, स्वतंत्रता सेनानी कार्ड। आवेदन प्राप्त होने के 10 दिन के भीतर उपजिलाधिकारी द्वारा स्वतंत्रता  संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।

 

 योजना का नाम:- स्वतन्त्रता संग्राम  सैनानी का  उत्तरा धिकारी  होने, संबंधी  परिचय पत्र  

  लाभ:- उत्तराखण्ड राज्य के  स्वतन्त्रता संग्राम  सेनानी के प्रथम पीढी की पुत्रवधू को  कुटुम्ब पेंशन दिये  जाने हेतु व  स्वतन्त्रता संग्राम  सेनानी के आश्रिताें  की श्रेणी के अंतर्गत पुत्र और पुत्री  (विवाहित तथा  अविवाहित) और पौत्र  (पुत्र का पुत्र) और  अविवाहित पोत्री  (पुत्र की पुत्री) को  स्वतन्त्रता संग्राम  सैनानी उत्तराधिकारी  होने का परिचय  पत्र।

 पात्रता/लाभार्थी:-  राज्य की सीमा में  स्थायी रूप से निवास  करने वाले स्वतन्त्रता संग्राम सैनानियों के  उत्तराधिकारियों को  उत्तराधिकारी परिचय  पत्र प्राप्त करने हेतु  संबंधित सेनानी के  स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी  होने का प्रमाण पत्र देना  होता है।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   राज्य के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी के उत्तराधिकारी द्वारा आवेदन समुचित  साक्ष्य सहित प्रस्तुत करने पर परिचय पत्र जिलाधिकारी कार्यालय से  निर्धारित प्रपत्र पर ऑफलाइन जारी किये जाते हैं। यह परिचय पत्र जिलाधिकारी अथवा उनके द्वारा नामित प्रभारी अधिकारी द्वारा निर्गत किये  जाते हैं। सत्यापन के संबंध में 2 पेंशन प्राप्त, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के प्रमाण  पत्र को आधार मानकर परिचय पत्र जारी किया जाता है।  

  

योजना का नाम:- आय प्रमाण पत्र (आय प्रमाण-पत्र  जारी होने की  तिथि से 01 वर्ष  तक के लिए वैध  होता है।)

लाभ:-  समाज कल्याण एवं  अन्य विभागों की  विभिन्न पेंशन,  छात्रवृत्ति, आर्थिक  सहायता,  स्वरोजगारपरक  योजनाओं,  शैक्षणिक संस्थाओं/ विद्यालयों में फीस में  छूट का लाभ प्राप्त  करने हेतु।

 पात्रता/लाभार्थी:-  उत्तराखण्ड के स्थाई  निवासी

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- वर्तमान में अपणि सरकार पोर्टल https://eservices.uk.gov.in/  पर  ऑनलाईन या कॉमन सर्विस सेंटर/ई-डिस्ट्रिक्ट केन्द्रों के माध्यम से  आवेदन किया जाता है, स्वयं आवेदन करने हेतु तत्समय मोबाइल नंबर  एवं आधार कार्ड संख्या होना अनिवार्य है। उसके उपरांत संबंधित व्यक्ति  का नाम,पता, सहित विवरण मांगा जाता है। जिसमें लागइन आईडी एवं  पासवर्ड जनरेट होता है। तब विभिन्न विभागों की सूची दिखायी देती है  उसमें राजस्व विभाग चयन करना होता है तथा आय प्रमाण पत्र पर चयन  करके आवेदन करते हैं। आवेदन करते समय निम्न दस्तावेज आवश्यक हैं :-  अनिवार्य दस्तावेज-स्थायी निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पहचान पत्र,  राशन कार्ड, परिवार रजिस्टर की नकल (नगर निकाय क्षेत्रों में आवश्यक  नहीं), निजी/पारिवारिक सदस्यों के विवरण/आय आदि के संबंध में  स्व-घोषणा पत्र (जिसका प्रारूप अपणिसरकार पोट र्ल से डाउनलोड कर  या किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर या तहसील स्तर से प्राप्त कर सकते हैं) वैकल्पिक दस्तावेज-वेतन पर्ची (सेवायोजित होने की दशा में), ई-श्रमिक  कार्ड/मनरेगा कार्ड (असंगठित क्षेत्र के मजदूर होने की दशा में आय की  गणना मनरेगा के अंतर्गत न्यूनतम मजदूरी दर के आधार पर 100 दिन  की वार्षिक मजदूरी आगणित की जायेगी अर्थात किसी असंगठित क्षेत्र के  मजदूर द्वारा वर्ष भर 100 दिन कार्य किया गया जिनकी मजदूरी का  निर्धारण मनरेगा दरों यथा वर्तमान में प्रतिदिवस रू0 182 हो तो उसकी  वार्षिक आय 100x182.00 = 18200  आगणित की जायेगी), कृषि संबंधी आय  प्रमाण (कृषक होने की दशा में उसके पास उपलब्ध कृषि भूमि (है0में) ग् प्रति है0 औसत उत्पादन-औसत लागत त्रवास्तविक आय के आधार पर  आय का आगणन किया जायेगा इसके अतिरिक्ति यदि सेवायोजित है तो  वहां से प्राप्त वार्षिक आय को सम्मिलित करते हुए आय का आगणन  किया जायेगा। पेंशन लेने वाला व्यक्ति (सामाजिक सुरक्षा योजनाओं यथा वृद्धा, विधवा,  विकलांग एवं अन्य प्रकार के पेंशन से प्राप्त वार्षिक आय के आधार पर  आगणन किया जायेगा तथा परित्यक्ता की दशा में उसको प्राप्त होने वाले भरण-पोषण भत्ता के आधार पर एवं ऐसा न होने पर उसकी आय का आगणन अकुशल मजदूर की आय के अनुसार किया जायेगा। ), निजी  व्यवसाय (व्यवसाय होने की दशा में व्यापार कर विभाग में दाखिल  विवरणी आईटीआर, डाक्टर, वकील, आकि र्टेक्ट, चाटेर्ड एकाउंटेंट, मध्यम  एवं बडे व्यवसाय न होने की दशा में यदि आयकरदाता नहीं है तो, ऐसी  स्थिति में स्वघोषणा प्रमाण पत्र में दर्शायी गयी आय के आधार पर सक्षम  स्तर से कुल वार्षिक आय का आगणन किया जाता है। आवेदनकर्ता द्वारा  अन्य स्त्रोतों की आय भी स्वघोषणा पत्र में उल्लिखित करनी होगी। जैसे  ही आवेदक द्वारा ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। आवेदन पत्र सीधे  ऑनलाईन तहसीलदार के पास जाता है जो सीधे राजस्व उप निरीक्षक  को जांच कराये जाने हेतु भेजा जाता है जांच सही पाये जाने के उपरान्त निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत संबंधित तहसीलदार द्वारा  ऑनलाइन/डिजीटली प्रमाण पत्र 15 दिन के भीतर निर्गत किया जाता  है। जिसका मैसेज मोबाइल फोन में या ईमेल में आ जाता है। आय  प्रमाण पत्र में अंकित आय से असंतुष्ठ होने पर आवेदक प्रथम अपील  उपजिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।  

 

योजना का नाम:-  1 अनुसूचित  जाति प्रमाण पत्र

2. अनुसूचित  जनजाति प्रमाण  पत्र

3.अन्य पिछड़ा  वर्ग प्रमाण पत्र  

राज्य की सेवाओं  हेतु। (अन्य पिछड़ा वर्ग  प्रमाण-पत्र 03  वर्ष के लिए वैध  होता है। )

 लाभ:- विभिन्न राजकीय  सेवाओं,  जनकल्याणकारी  योजनाओं एवं  छात्रवृत्ति की  योजनाओं में आरक्षण  का लाभ प्राप्त करने  हेतु संबंधित प्रमाण  पत्र, जाति प्रमाणित  करने हेतु अनिवार्य  है।

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के  अनुसूचित  जाति/अनुसूचित जन  जाति अधिसूचित  जाति वर्ग के व्यक्ति उत्तराखण्ड राज्य में ओबी.सी. के रूप में अधिसूचित जाति/ वर्ग  के व्यक्ति। उत्तराखण्ड में, 1985  से निवासरत/निवास  कर रहे हों, ऐसे व्यक्ति  ही पात्र होंगे।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया ‘‘आय प्रमाण पत्र’’ के अनुसार होगी  परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- परिवार के सदस्यों/आवेदक की भूमि रजिस्ट्री/खतौनी की प्रति (1985  से निवासरत/निवास कर रहे से संबंधित दस्तावेज), आधार कार्ड, परिवार  रजिस्टर की नकल (नगर निकाय क्षेत्र जहॉ पर परिवार रजिस्ट्रर नहीं  होता है,के आवेदकों हेतु आवश्यक नहीं) वैकल्पिक दस्तावेज -बिजली  बिल या पानी बिल, हाउस टैक्स, राशन कार्ड । आवेदन के उपरान्त 15 दिन के भीतर तहसीलदार द्वारा  ऑनलाइन/डिजिटली संबंधित जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।

 

 

योजना का नाम:- अन्य पिछड़ा  वर्ग प्रमाण पत्र  भारत सरकार की  सेवाओं हेतु (यह क्रीमी लेयर  की श्रेणी में न  आने तक, वैध  होता है।)

 लाभ:- भारत सरकार की  सेवाओं में आरक्षण  का लाभ प्राप्त करने  हेतु

पात्रता/लाभार्थी:- भारत सरकार के द्वारा  उत्तराखण्ड राज्य की  अनुसूची में ओ.बी.सी. के  रूप में अधिसूचित जाति/वर्ग के व्यक्ति। उत्तराखण्ड में, 1985 से  निवासरत/निवास कर  रहे हों, एेसे व्यक्ति ही  पात्र होंगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया ‘‘आय प्रमाण पत्र’’ के अनुसार होगी  परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :-परिवार के सदस्यों/आवेदक की भूमि  रजिस्ट्री/खतौनी की प्रति (1985 से निवासरत/निवास कर रहे से  संबंधित दस्तावेज), आधार कार्ड, परिवार रजिस्टर की नकल (नगर  निकाय क्षेत्र जहॉ पर परिवार रजिस्ट्रर नहीं होता है,के आवेदकों हेतु  आवश्यक नहीं), आय का शपथ-पत्र। वैकल्पिक दस्तावेज-बिजली बिल  या पानी बिल, हाउस टैक्स, राशन कार्ड। आवेदन के उपरान्त 15 दिन के  अंदर संबंधित तहसीलदार द्वारा ऑनलाइन/डिजिटली अन्य पिछड़ा वर्ग  प्रमाण-पत्र भारत सरकार की सेवाओं हेतु जारी किया जाता है।

 

 योजना का नाम:-  आर्थिक रूप से  कमजोर वर्गो हेतु  आय और  सम्पत्ति प्रमाण  पत्र EWS (यह प्रमाण पत्र  जिस वित्तीय वर्ष  में जारी किया  गया है, उसी  वित्तीय वर्ष तक  के लिए वैध होता  है।)  वित्तीय वर्ष-  दिनांक 01 अप्रैल से  31 मार्च तक होता  

लाभ:- राज्य के सामान्य  जाति के नागरिकों  को राजकीय सेवाओं,  शैक्षणिक संस्थाओं में  10 प्रतिशत आरक्षण  का लाभ प्राप्त करने  हेतु, संबंधित प्रमाण  पत्र अनिवार्य है।  

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के स्थाई  निवासी जोकि सामान्य  जाति/ सामान्य जाति  प्रमाण पत्र धारक हों। ऐसे आर्थिक रूप से  कमजोर वर्गों के व्यक्ति  जिनके परिवारों की सभी  स्त्रोतों से कुल वार्षिक आय रू0 8.00 लाख से  कम हो, आरक्षण के इस  प्रयोजन के लिए आर्थिक  रूप से कमजोर वर्गो में  चिन्हित हैं। परिवार की  आय में सभी स्त्रोतों से  अर्थात वेतन, कृषि,  व्यवसाय, पेशा आदि से  है प्राप्त आय सम्मिलित  होगी। उक्त आय  लाभार्थी द्वारा आवेदन के  वर्ष से पूर्व वित्तीय वर्ष  के लिए आय होगी :  परंतु यह कि जिनके  पास निम्न सम्पत्ति में से  कोई भी सम्पत्ति है,  आर्थिक रूप से कमजोर  वर्गो के लिए आरक्षण के  पात्र नहीं होंगे - कृषि  भूमि 5 एकड या उससे  अधिक, आवासीय भवन  1000 वर्ग फुट या  उससे अधिक, निर्मित  क्षेत्रफल, अधिसूचित  नगरपालिकाओं में 100  वर्ग गज या उससे  अधिक के आवासीय  भूखण्ड, अधिसूचित  नगरपालिकाओं के  अलावा अन्य क्षेत्रों में  200 वर्ग गज या उससे  अधिक आवासीय भूखण्ड  वाले पात्र नहीं होंगे।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- वर्तमान में अपणि सरकार पोर्टल ीजजचेरूध्ध् मेमतअपबमेण्नाण्हवअण्पदध् पर  ऑनलाईन या कॉमन सर्विस सेंटर/ई-डिस्ट्रिक्ट केन्द्रों के माध्यम से  आवेदन किया जाता है, स्वयं आवेदन करने हेतु तत्समय मोबाइल नंबर  एवं आधार कार्ड संख्या होना अनिवार्य है। उसके उपरांत संबंधित व्यक्ति  का नाम,पता, सहित विवरण मांगा जाता है। जिसमें लागइन आईडी एवं  पासवर्ड जनरेट होता है। तब विभिन्न विभागों की सूची दिखायी देती है  उसमें राजस्व विभाग चयन करना होता है तथा आर्थिक रूप से कमजोर  वर्ग प्रमाण पत्र पर चयन करके आवेदन करते हैं। आवेदन करते समय  निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- आवेदक का आधार कार्ड, स्थायी निवास  प्रमाण पत्र, सामान्य जाति प्रमाण पत्र, वोटर आईडी, पहचान पत्र, आयकर  रिट र्न/आय प्रमाण पत्र, खाता खतौनी की प्रति, परिवार रजिस्टर की  नकल(नगर निकाय क्षेत्रों को छोडकर), स्वघोषणा पत्र।  जैसे ही आवेदक द्वारा ऑनलाइन किया जाता है उसके उपरांत सीधे  ऑनलाईन तहसीलदार के पास जाता है, वहां से राजस्व उप निरीक्षक को  जांच कराये जाने हेतु भेजा जाता है तथा राजस्व उपनिरीक्षक द्वारा  संबंधित क्षेत्र के कनिष्ठ अभियंता को आवास, आदि की जांच हेतु भेजते  हैं, पटवारी एवं कनिष्ठ अभियंता की जांच सही पाये जाने के उपरान्त  निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत संबंधित तहसीलदार द्वारा  ऑनलाइन/डिजीटली प्रमाण पत्र, आवेदन पत्र प्राप्त होने के 15 दिन के  भीतर ऑनलाइन/डिजीटली प्रमाण पत्र, निर्गत किया जाता है। जिसका  मैसेज मोबाइल फोन में या ईमेल में आ जाता है।  

 

 

योजना का नाम:-  सामान्य जाति  प्रमाण पत्र

लाभ:- सेना में भर्ती आदि  हेतु एवं आर्थिक रूप  से कमजोर वर्ग का  प्रमाण पत्र बनाने  हेतु।

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के स्थाइ र्  निवासी जो कि सामान्य  वर्ग के अंतर्गत आते हों। उत्तराखण्ड में, 1985 से  निवासरत/निवास कर  रहे हों, एेसे व्यक्ति ही पात्र होंगे।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- समस्त आवेदन एवं चयन प्रक्रिया ‘‘आय प्रमाण पत्र’’ के अनुसार होगी  परंतु निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं :- परिवार के सदस्यों/आवेदक की भूमि रजिस्ट्ररी/खतौनी की प्रति (1985  से निवासरत/निवास कर रहे से संबंधित दस्तावेज), आधार कार्ड,  परिवार रजिस्टर की नकल (नगर निकाय क्षेत्र हेतु आवश्यक नहीं),  राशन कार्ड।  आवेदन प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर तहसीलदार द्वारा  ऑनलाइन/डिजीटली सामान्य जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है।

  

योजना का नाम:- विरासत दर्ज  कराना (मृत्यु होने  की स्थिति में।)

लाभ:- जमीनी दस्तावेजों में,  पारिवारिक हक के  लिए विरासत दर्ज कराना।  

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड का स्थायी  निवासी हो। मृतक व्यक्ति का  आश्रित/परिवार का  सदस्य हो।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदक द्वारा विरासतन दर्ज करने का प्रार्थना पत्र संबंधित क्षेत्र के  पटवारी/कानूनगो को मृत्यु प्रमाण-पत्र, मृतक का एवं परिवार के  सदस्यों के आधार कार्ड, परिवार रजिस्टर की प्रमाणित नकल के साथ  देना होता है। उसके उपरांत संबंधित पटवारी प्रपत्र प/क - 11 भरकर  जांच की रिपोट र् लगाकर कानूनगो द्वारा स्वीकृत करने के बाद 7 दिन के  अंदर खतौनी में विरासत दज र् करना होता है।  

  

योजना का नाम:-  दाखिल खारिज  (क्रय-विक्रय)

 लाभ:- जमीन खरीदने के  उपरांत दाखिल  खारिज करना  अनिवार्य होता है, जो राजस्व अभिलेखों के  अनुसार जमीन पर  अपना हक स्थापित  करवाता है।

पात्रता/लाभार्थी:- ऐसे समस्त व्यक्ति जो  राज्य के भीतर जमीन  क्रय-विक्रय करते हों  यथा खरीदना, बेचना,  गिफ्ट देना, दान देना  आदि। करते हो, वह  दाखिल खारिज कर  सकते हैं।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- वर्तमान में भूमि क्रय-विक्रय के उपरांत रजिस्ट्री के आधार पर दाखिल  खारिज की कार्यवाही, आर.सी.एम.एस. पोटर्ल  https://rcms.uk.gov.in/  के माध्यम से की जा रही है तथापि  आवेदक द्वारा आफलाइन दाखिल खारिज करने का प्रार्थना पत्र  तहसीलदार के नाम पर दिया जाता है। उसके साथ रजिस्ट्री की कॉपी,  आधार कार्ड की कॉपी जमा करनी होगी। उसके बाद तहसीलदार द्वारा  35 दिन का नोटिस जारी किया जाता है, जिसमें आपत्ति आमंत्रित की  जाती है और फिर सुनवाई की जाती है। आपत्ति प्राप्त होने पर आपत्ति  का निस्तारण किया जाता है, किसी प्रकार की आपत्ति प्राप्त न होने की  स्थिति में दाखिल खारिज हो जाता है। दाखिल खारिज दर्ज के उपरान्त  भूलेख पोट र्ल में नाम देख सकते हैं।

 

योजना का नाम:-  खाता खतौनी में  संशोधन

लाभ:- खाता खतौनी में  नाम, परिवार के  सदस्यों का नाम, या  अन्य विवरण त्रुटिवश  गलत होने पर सही  किया जाना अनिवार्य  होता है, ताकि जमीन  संबंधित अधिकारों में  आपत्ति न हो।

पात्रता/लाभार्थी:- ऐसे समस्त व्यक्ति  जिनकी जमीन  उत्तराखण्ड में हो तथा  खसरा खतौनी में उनका  नाम दाखिल हो, परंतु  नाम या अन्य विवरण में  कोई त्रुटि हो।  

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदक द्वारा खाता खतौनी में कोई भी त्रुटि होने पर (यथा नाम, विवरण  आदि में) प्रार्थना पत्र तहसीलदार के नाम दिया जाता है। उसके साथ  खाता खतौनी की कॉपी, जिसमें संशोधन करना है, आधार कार्ड की कॉपी  एवं जो विवरण त्रुटिवश गलत हुआ है उसका अभिलेखीय साक्ष्य/प्रमाण  पत्र जमा करने हांगे। अभिलेखीय साक्ष्य/प्रमाण पत्र जमा करने के  उपरांत संबंधित तहसीलदार द्वारा आवेदन पत्र की जांच की जाती है।  जांच सही पाये जाने पर असिस्टेंट कलेक्टर/परगनाधिकारी द्वारा  संशोधन किया जाता है। उपरोक्त कार्यवाही उ0प्र0 भूराजस्व अधिनियम,  1901 की धारा -39 के अंतर्गत वार्षिक रजिस्टर में किसी भूल या लोप  के सुधार हेतु प्रार्थना पत्र तहसीलदार को देने या संज्ञान होने पर,  तहसीलदार जांचोपरांत आवश्यक प्रतीत हो और तब मामले को असिस्टेंट  कलेक्टर के पास निदि र्ष्टि कर देगा, जो धारा - 40 के उपबंधों के  अनुसार विवाद का निर्णय करके, उसका निस्तारण करते हैं।  

 

 योजना का नाम:- जमीन का  डिमार्केशन  (सीमांकन) करने  की प्रक्रिया/खेत  की पैमाईश,  नापजोख हेतु।

लाभ:- संबंधित व्यक्ति की वास्तविक जमीन  कहां पर है, स्पष्ट हो  जाती है।  पर्वतीय क्षेत्रों में गोल  खाता अधिक होने के  कारण यह आवश्यक  हो जाता है। साथ  ही जमीन क्षेत्र को  सरकार द्वारा लेने  की स्थिति में  मुआवजा मिलना  आसान होता है,  किसान क्रेडिट कार्ड  या जमीन लोन लेने  में आसानी होती है  तथा कई जमीनी  विवादों से बचा जाता  है।

 पात्रता/लाभार्थी:- जमीन का डिमार्केशन  करने के लिए राज्य क्षेत्र  के भीतर जमीन होनी  अनिवार्य है।   सीमांकन करने के लिए  निर्धारित शुल्क आवेदक  अथवा विवाद के  पक्षकारों से जैसा भी  न्यायालय निश्चित करे,  (सरकारी कर्मचारी द्वारा  कार्य में लगाये गये  समय के अनुसार उ0प्र0  राजस्व अधिनियम की  धारा -41 में निर्धारित  दरों/प्राविधानों के  अनुसार) शुल्क जमा  करना अनिवार्य है।  

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदक द्वारा सीमांकन करने का प्रार्थना पत्र  उपजिलाधिकारी/तहसीलदार को देना पडता है प्रार्थना-पत्र के साथ  जिस जमीन का सीमांकन कर रहे हों, उसका खसरा नकल, सजरा नकल एवं खाता खतौनी संलग्न करनी होती है। उसके बाद उपजिलाधिकारी द्वारा जमीन के सीमांकन करने हेतु संबंधित क्षेत्र के पटवारी/कानूनगो/तहसीलदार की टीम गठित कर आदेश दिया जाता  है। आदेश जारी करने के उपरांत संबंधित आवेदक को निर्धारित शुल्क  जमा करना होता है। शुल्क जमा करने के बाद टीम द्वारा जमीन के  सीमांकन की तिथि निर्धारित की जाती है तथा उस तिथि को संबंधित  आवेदक भी उपस्थित होना अनिवार्य है। उस तिथि में टीम के सभी  सदस्य एवं आवेदक जमीन के समस्त दस्तावेजों के साथ जमीन का  सीमांकन करवाते हैं। सीमांकन की जांच होने के पश्चात सीमांकन का  प्रमाण पत्र तहसीलदार कार्यालय से जारी किया जाता है, जिसे आवेदक  एक माह के भीतर प्राप्त कर सकता है।

 


योजना का नाम:-  खसरा खतौनी  की प्रमाणित  नकल प्राप्त करने  की प्रकिर्या

लाभ:- इसका उपयोग कई  प्रमाण पत्रों को  बनाने, कई योजनाओं  का लाभ लेने  तथा उत्तराखण्ड का निवासी होने, को  प्रमाणित करने हेतु  किया जाता है।  

पात्रता/लाभार्थी:- ऐसे समस्त व्यक्ति  जिनकी जमीन  उत्तराखण्ड में हो तथा  खसरा खतौनी में उनका  नाम दाखिल हो।

  आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- खसरा खतौनी की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए आवेदक को संबधित  क्षेत्र के तहसील जाना पडता है तथा सामान्य प्रार्थना पत्र एवं निर्धारित  शुल्क देकर उक्त नकल प्राप्त की जाती है।  

  

योजना का नाम:-  नकल खसरा एवं  नकल सजरा  (भू-मानचित्र की  प्रति) प्राप्त  करना।

लाभ:- जमीन का प्रमाण,  प्राप्त करना।  

पात्रता/लाभार्थी:- जमीन आवेदक/परिवार  के सदस्यों के नाम होनी  आवश्यक है।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदक द्वारा संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी/तहसीलदार को प्रार्थना  पत्र लिखकर एवं उसमें जिस खसरा/सजरा की आवश्यकता हो, उसका  विवरण उल्लेख कर तथा आधार कार्ड की प्रति लगाकर, निर्धारित शुल्क  देकर प्राप्त किया जाता है। रिकार्ड अत्यधिक पुराना होने की स्थिति में  संबंधित जनपद/क्षेत्र के रिकार्ड कार्यालय, जो जिलाधिकारी कार्यालय में  स्थित होते हैं, के प्रभारी अधिकारी (अभिलेखागार) के नाम पर प्रार्थना पत्र  लिखकर एवं निर्धारित शुल्क जमा कर प्राप्त किया जाता है।

 

योजना का नाम:-  दैवीय आपदा  आर्थिक सहायता

लाभ:-  देवीय आपदा में कोई  भी नुकसान होने पर  रू0 10 हजार तक तहसीलदार, रू0 50  हजार तक  उपजिलाधिकारी एवं  रू0 50 हजार से  अधिक जिलाधिकारी  द्वारा भुगतान किया  जाता है।

पात्रता/लाभार्थी:- राज्य का आपदा पीडित  व्यक्ति/परिवार।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आपदा आने की स्थिति में राजस्व प्रशासन प्रशासन द्वारा स्वतः संज्ञान  लिये जाने पर अथवा पीड़ित व्यक्ति/आपदा प्रभावित क्षेत्र के  व्यक्ति/जनप्रतिनिधित्व द्वारा संबंधित क्षेत्र के राजस्व अधिकारियों यथा  पटवारी/ कानूनगो/तहसीलदार, आपदा विभाग के अधिकारियों यथा जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी को सूचित करेंगे। उसके उपरांत  उपजिलाधिकारी/तहसीलदार के द्वारा क्षेत्रीय राजस्व उपनिरीक्षक एवं  सम्बन्धित विभागों द्वारा स्थलीय जांच कराये जाने के उपरांत क्षति का  आंकलन कर, संबंधित आपदा पीडित व्यक्ति/परिवार को नियमानुसार  अनुमन्य कराये जाने हेतु कार्यवाही की जाती है। पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के  चिन्हीकरण के लिए प्रत्येक जिलाधिकारी के स्तर पर 3 सदस्यीय समिति  का गठन जिसमें खण्ड विकास अधिकारी अथवा उनके प्रतिनिधि एवं 01  अवर अभियंता को नामित किया जायेगा। समिति द्वारा जो भी भवन पूण र्  क्षतिग्रस्त तथा मानव निवास हेतु असुरक्षित घोषित किये जायेंगे ऐसे सभी  भवनों की अनुमन्य राहत राशि नियमानुसार स्वीकृति उपरांत संबंधित  व्यक्ति/परिवार को अनुमन्य की जायेगी।  तहसीलदार स्तर से दैवीय आपदा आर्थिक सहायता रू0 10 हजार के अंतर्गत होने की दशा में प्रस्ताव तहसीलदार स्तर पर स्वीकृत, 10 हजार से अधिक किंतु 50 हजार के अंतर्गत होने से उपजिलाधिकारी द्वारा  स्वीकृत व रू0 50 हजार से अधिक होने पर, जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत  किया जाता है। वर्तमान में दैवीय आपदा आर्थिक सहायता वितरण की प्रक्रिया ऑफलाइन है। यद्यपि कार्यालय स्तर पर स्वीकृत की कार्यवाही  हेतु यह प्रक्रिया अपणिसरकार पेट र्ल के माध्यम से ऑनलाइन की गयी  है। जिलाधिकारी स्तर से स्वीकृति प्रदान होने पर धनराशि उपजिलाधिकारी के माध्यम से तहसीलदार को एवं तहसीलदार संबंधित  पटवारी को भेजते हैं तथा राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी/लेखपाल)  संबंधित क्षेत्र के आपदा पीडित व्यक्ति/परिवार को उक्त धनराशि मुहैया  करवाता है। उपजिलाधिकारी/तहसीलदार स्तर से भी स्वीकृति प्राप्त होने  पर संबंधित क्षेत्र के राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी/लेखपाल) के माध्यम से  दैवीय आपदा पीडित व्यक्ति/परिवार को उक्त धनराशि मुहैया करवायी  जाती है।