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ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखण्डद्वारा संचालित योजनायें/Schemes run by Rural Development Department, Uttarakhand

 

 ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखण्डद्वारा संचालित योजनायें/Schemes run by Rural Development Department, Uttarakhand


 योजनायें :- 

 

योजना का नाम:- महात्मा गांधी  राष्ट्रीय ग्रामीण  रोजगार गारंटी  योजना MGNREGA    

लाभ:- ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य, जो  अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हों,  को वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध  कराना। योजना में एक परिवार को 100  दिन का रोजगार प्रदान किया जाता है। कुशल श्रमिक को लोक निर्माण विभाग में  प्रचलितैव्त् के अनुसार मजदूरी दी  जाती है जो वर्तमान में विभिन्न जनपदों में  रु० 450 -600/- प्रतिदिन के बीच है।  अकुशल श्रमिक को 1 अप्रैल 2023 से रु०  230/ - प्रतिदिन मजदूरी दी जा रही है।

 पात्रता/लाभार्थी:- जॉब कार्ड धारक ग्रामीण  परिवार के वयस्क सदस्य

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- जॉब कार्ड हेतु आवेदन एवं प्राप्तिः कोई भी ग्रामीण  परिवार, जो अकुशल श्रम रोजगार करने का इच्छुक हो,  जॉब कार्ड हेतु आवेदन कर सकता है। जा ॅब कार्ड बनाने  हेतु ग्राम पंचायत/विकासखण्ड कार्यालय में निर्धारित प्रारूप पर आवेदन करना होता है। आवेदन पत्र में  पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड/बैंक  पासबुक/वोटर आईडी/ आधार कार्ड नहीं होने पर  राशन कार्ड की फोटोकॉपी लगानी होती है। छानबीन  समिति द्वारा आवेदन सही एवं दस्तावेज पूर्ण पाये जाने  पर 30 दिन के भीतर जॉब कार्ड उपलब्ध कराया जाता  है। एक जॉब कार्ड में परिवार के 6 सदस्य दर्ज हो  सकते हैं। कार्य की मांगः जॉब कार्ड प्राप्त हो जाने के  उपरान्त जॉब कार्ड में दर्ज कोई भी सदस्य निर्धारित  प्रारूप में ग्राम पंचायत/विकासखण्ड कार्यालय में कम से  कम 14 दिन के अंदर कार्य की मांग कर सकता है। यदि मांग किये जाने के 15 दिन तक कार्य उपलब्ध नहीं  कराया जाता है तो आवेदक विकासखण्ड कार्यालय में  जाकर बेरोजगारी भत्ते की मांग कर सकता है।

 

योजना का नाम:- दीनदयाल  अन्त्याेदय-  राष्ट्रीय ग्रामीण  आजीविका मिशन    NRLM

लाभ:- योजना के अंतग र्त ग्रामीण गरीब परिवारों,  विशेष रूप से महिलाओं, की सामाजिक और  आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने हेतु महिलाओं को संगठित कर, स्वयं सहायता  समूहों (एसएचजी) बनाये जाते हैं ताकि वह  आजीविका में सुधार के लिए समूह के  माध्यम से कार्यो को शुरू कर सकें। समूह  बनने के बाद समूह सदस्याें को  प्रशिक्षण,तकनीकी सहायता विभाग द्वारा दी  जाती है। स्वयं सहायता समूह बनाने के उपरांत उसका बैंक खाता खोला जाता है  तथा प्रत्येक समूह की न्यूनतम 1.5 लाख  कैश क्रेडिट लिमिट बैंक द्वारा दी जाती है,  जिससे समूह जब भी कोई कार्य करना  चाहे, उक्त धनराशि कभी भी ऋण के रूप  में ले सकता है। सरकार द्वारा समूह के ऋण लेने पर, ऋण ब्याज की धनराशि पर  सब्सिडी दी जाती है।  

पात्रता/लाभार्थी:-   ’’सामाजिक, आर्थिक एवं जाति  जनगणना -2011 सर्वे ’’ (SECC.2011) एवं  सहभागिता के आधार पर  गरीबों का चयन किया जाता  है तथा समूह बनाते समय  उनको प्राथमिकता दी जाती  है। मुख्य रूप से गरीब  महिलाओ, दलित और  आदिवासी समुदाय को  प्राथमिकता दी जाती है। प्रत्येक ग्राम मे एक से अधिक  समूह बना सकते है। सदस्याें  की उम्र 18-65 वर्ष के बीच  हो । लक्षित वर्ग की महिलाए  (पर्वतीय क्षेत्र की दशा में    5-10 तथा मैदानी क्षेत्र की  स्थिति में 10-15 महिलाए)

  आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  समूह बनाने की प्रक्रिया- ग्राम में सी0आर0पी0  ;ब्वउउनदपजल त्मेवनतबम च्मतेवद के माध्यम से ग्राम स्तर  पर जाकर पात्र महिलाओं/परिवारों को समूह से जुडने  हेतु मोटिवेट किया जाता है तथा समूह में काम करने  हेतु इच्छुक होने तथा बैठकों में समय देने के लिए तैयार  होने पर उनका समूह गठित किया जाता है। समूह हेतु  पहाड़ी इलाकों मे कम से कम 5 महिलाआे और मैदानी  इलाकों के लिए कम से कम 10 महिलाआे का होना  अनिवार्य है इसमे उनके आधार कार्ड, पहचान-पत्र ,समूह  की महिला का नाम ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर  मे दर्ज होना चाहिए। उसके बाद समूह की बैठक आयोजित करने पर एक अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष बनाया जाता  है। समूह गठित होने पर विभाग द्वारा भारत सरकार के  एनआरएलएम पोर्टल पर जानकारी अपलोड की जाती  है। इसके बाद, समूह सदस्यों को, जिस क्षेत्र में कार्य  करना चाहते हैं, उसका प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही समूह के सदस्यों द्वारा एक निर्धारित धनराशि भी  समूह के खाते में जमा की जाती है। समूह की सप्ताहिक  बैठक का दिन एवं समय भी निर्धारित किया जाता है।  प्रत्येक समूह में छोटी-छोटी गतिविधियों के संचालन हेतु  रिवाल्विंग फण्ड एवं सामुदायिक निवेश निधि दिया जाता है। समूह को वित्तीय सेवाओं के लिए बैंक या वित्तीय  संस्था से जोड़ा जाता है। समूह का खाता खाेलने, बैंक  से जोडने के दौरान विभागीय कार्मिक सहयोग करते हैं।

 

 योजना का नाम:- दीनदयाल  उपाध्याय ग्रामीण  कौशल्य  योजना  DDUGKY

लाभ:-  ग्रामीण गरीब युवाओं को विभिन्न  व्यवसायिक ट्रेडों जैसे जवनतपेउ -  tourism & hospitality, retail, logistics, banking, electronics इत्यादि में  निःशुल्क प्रशिक्षण, प्रशिक्षण के दौरान  आवासीय एवं भोजन व्यवस्था, यूनिफार्म एवं  किताबें उपलब्ध करायी जाती हैं तथा  प्रशिक्षण के उपरांत रोजगार उपलब्ध  कराया जाता है।

पात्रता/लाभार्थी:-   ग्रामीण युवा जिसकी आयु 15  से 35 वर्ष हो। महिला,कमज़ोर  जनजातीय समूह,  पी0डब्ल्यू0डी0 और अन्य  विशेष समूहों के लिये 45 वर्ष  तक की आयुसीमा निर्धारित  है। बी0पी0एल0 कार्डधारक  परिवार अथवा पी.आई.पी. के माध्यम से चिन्हित  परिवार। मनरेगा मजदूर  परिवारों के एेसे युवा जिन्हांेने  विगत वित्तीय वर्ष में कम से  कम 15 दिन काम किया  हो। अन्त्योदय अन्न योजना के  कार्डधारक परिवार। एन.आर. एल.एम. स्वंय सहायता समूह  के परिवार। एस.सी.सी.सी. -2011 के तहत चिन्हित ।नजव  पदबसनकमक परिवार। लाभार्थियों  के चयन हेतु आरक्षण  निर्धारित किया गया है।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन हेतु इच्छुक लाभार्थी  www.kaushal panjee.nic.in candidate registration में जाकर candidates  registration  पंजीकरण कर सकता  है। पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज़ आधार कार्ड,  मोबाइल नंबर, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, आयु/जन्म  प्रमाण पत्र, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र, बी0पी0एल0  प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र/दिव्यांगता प्रमाण पत्र (यदि  हो तो) की आवश्यकता होती है तथा उसके उपरांत को  प्रवेश परीक्षा पास नहीं करनी होती है।  विभाग के पास ऑनलाइन सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो  जाती है तथा विभाग अपने स्तर से संबंधित आवेदक को  प्रशिक्षण कहां पर आयोजित कराया जा रहा है, की  सूचना उपलब्ध कराते हैं। आवेदकों को निःशुल्क  प्रशिक्षण राज्य मंे अथवां राज्य के बाहर भी दिया जा  सकता है। प्रशिक्षण की अवधि 3 माह से 09 माह तक  हो सकती है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत, जिस  संस्था द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है, उसकी जिम्मेदारी  होती है कि वह संबंधित व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध  करायेगा।

 

 

योजना का नाम:- प्रधानमंत्री आवास  योजना- ग्रामीण  PMAY-G  

लाभ:- चयनित पात्र लाभार्थियों को आवास बनाने  हेतु 1 लाख 30 हजार रूपये की आर्थिक  सहायता प्रदान की जाती है। लाभाथी र्  कन्वर्जेंस के तहत शौचालय निर्माण  हेतु रू0 12,000/- की धनराशि मनरेगा/ स्वजल से एवं 95 मानव दिवस का श्रम  रोजगार मनरेगा से प्राप्त कर सकता है।  राज्य सरकार द्वारा आवास पूर्ण होने पर किचन बर्तन खरीद हेतु मा0  मुख्यमंत्री घाेषणा के अन्तग र्त धनराशि रू0  6,000/- की अतिरिक्त सहायता प्रदान की  जाती है।

 पात्रता/लाभार्थी:-   ’’सामाजिक, आर्थिक एवं  जाति जनगणना -2011  सवेर्’’(ैम्ब्ब्.2011) एवं  आवास प्लस स्थाई प्रतीक्षा  सूची से आवास हेतु पात्र  लाभार्थी का चयन।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-   योजना अन्तग र्त पृथक से आवेदन किए जाने का कोई  प्रावधान नहीं है। समय-समय पर ग्रामीण विकास  मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आवास हेतु ’’सामाजिक,  आर्थिक एवं जाति जनगणना -2011 सर्वे’’ के आधार पर  पात्र लाभार्थियों का चयन किया गया। एस0ई0सी0सी0  2011 सर्वे में छूटे हुए ऐसे परिवार जो पीएमएवाई-जी  आवास की पात्रता धारित करते थे ऐसे परिवारों हेतु भारत  सरकार द्वारा जुलाई 2017 से 30 जून 2018 तक आवास    प्लस सर्वे मोबाईल एप्प के माध्यम से कराया गया।  आवास प्लस सर्वे सूची के आधार पर स्थाई प्रतीक्षा सूची  तैयार की गई जिसके आधार पर वर्ष 2020-21 से भारत  सरकार द्वारा लक्ष्य आवंटन किया जा रहा है। वर्तमान में  पात्र लाेगों को धनराशि सीधे उनके खाते में आवंटित की  जा रही है।

 

 योजना का नाम:-  रूरल बिज़नेस  इन्क्यूबेटर्स  RBI

लाभ:-  ग्राम्य विकास विभाग की एक अभिनव  पहल है। ऐसे उद्यमियों को तकनीकी,  व्यवसायिक, कानूनी सलाह, विपणन  सहयोग आदि हेतु इन्क्यूबेटर के माध्यम से  परामर्श प्रदान किया जाता है।  

पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड के ऐसे निवासी  जो, किसी भी व्यवसाय को  करने हेतु इच्छुक हों तथा 18  वर्ष से अधिक आयुसीमा के हो  योजना हेतु पात्र हैं। राज्य में  गठित स्वयं सहायता समूहों के  सदस्य, जो व्यापार करना  चाहते हों। एेसे व्यक्ति जो  पहले से चल रहे व्यवसाय को  बढाना चाहते हों। तकनीकी  एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण लेना  चाहते हों। बिजनेस प्लान  तैयार करने में सहायता चाहते  हों। जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं  के लिए माग र्दर्शन चाहते हों।  बाजार तक प्रोडक्ट एवं  सर्विसेज की बेहतर पहुंच  चाहते हों।  

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- यदि राज्य का कोई भी व्यक्ति, किसी प्रकार का  व्यवसाय करना चाहता है परंतु उसको व्यवसाय करने  की कोई जानकारी नहीं है जैसे-बैंक ऋण कहां से  लेगा, सरकार से क्या सहायता मिलेगी, माकेर्टिंग कैसे  करेगा। वह जिला मुख्यालय में रूरल बिजनेस  इन्क्यूबेटस र् कार्यालय में जाकर व्यवसाय से संबंधित  जानकारी/सहयोग तथा इन्क्यूबेटर्स की अन्य सेवाओं  का लाभ प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार की जानकारी  प्राप्त करने हेतु विभागीय वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध्नातककण्नाण्हवअण्पद पर ऑनलाइन पर  आवेदन भी कर सकता है या ईमेल तइपनजजंतांंदक/हउंपसण्बवउ या फाेन नंबर  7060463021 पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त  विभाग द्वारा रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटर्स के बारे में जनता  को अवगत कराये जाने हेतु समय समय पर विज्ञापन भी  प्रकाशित किये जाते है। रूरल बिजनेस इन्क्यूबेटस र् के  पास फोन प्राप्त होने/आवेदन मिलने के उपरांत  इन्क्यूबेटस र् कार्यालय द्वारा आवेदक से संम्पक र् किया  जाता है। आवेदक द्वारा कार्यालय में आवेदक के  उपस्थित होने पर उससे व्यवसाय/प्रशिक्षण तथा अन्य  सहायता संबंधी विषय पर पत्रावली तैयार की जाती है तत्पश्चात जिला स्तरीय स्क्रीनिंग समिति द्वारा आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग कर संबंधित क्रिया कलाप से सम्बन्धित  को हाट् र्स के अन्तग र्त आर0बी0आई0 द्वारा इन  इन्क्यूबेटीज को सहयोग प्रदान किया जाता है । रूरल बिज़नेस इन्क्यूबेस र् योजना का मुख्य उद्देश्य  उत्तराखण्ड राज्य में उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र को  विकसित करना एवं बढ़ावा देना, स्वरोजगार को  प्रोत्साहित करना, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करते  हुये राज्य से युवाओं के पलायन को कम करना तथा  रिवस र् माइग्रेशन को बढ़ावा देना है। राज्य के जनपद  अल्मोड़ा के हवालबाग (कुमाऊॅ मण्डल के जनपदों हेतु)  जनपद पौड़ी के कोटद्वार (गढ़वाल मण्डल के जनपदाें  हेतु) में आर0बी0आई0-हब की स्थापना की गयी है। शेष  अन्य 11 जनपदाें में आर0बी0आई0-स्पाेक (वर्तमान में  यह कार्यालय, जनपद के मुख्यालय में स्थापित  कार्यालयों के साथ चल रहे हैं।) की स्थापना की गयी  है। इस कार्यालय में यह सेवायें निःशुल्क उपलब्ध करायी  जाती हैंः- स्वरोजगार हेतु सहयोग, विशेषज्ञ परामर्श,  बिज़नेस प्लानिंग सहयोग, मार्केटिंग सहयोग, व्यापार  प्रशिक्षण, व्यापार पंजीकरण, बिज़नेस निवेश सहयोग,  बिज़नेस हेतु कानूनी अनुपालन

 

 योजना का नाम:- बी0पी0एल0  सूची में नाम  जोडने एवं  संशोधन करने  एवं हटाने की  प्रक्रिया    

 लाभ:- बी0पी0एल0 सूची में नाम जोडने एवं संशोधन करने एवं हटाने की प्रक्रिया-

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- शासनादेश सं0 76/ग्रा.वि.वि/2002 दिन ांक 02 मई, 2003  द्वारा बी0पी0एल0 सर्वेक्षण 2002 हेतु विस्तृत दिशा-निदेर्श जारी किये गये, जिसमें गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों की गणना हेतु 13  सूचका ॅक निर्धारित थे, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक पंचवर्षीय योजना के प्रारम्भ में ग्रामीण क्षेत्रों मंे गरीबी की रेखा के नीचे जीवन  यापन कर रहे परिवारों का बी0पी0एल0 सर्वे कराकर ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं में उनको लाभान्वित करने हेतु पात्र परिवारों के  निर्धारण की कार्यवाही करना था। बी0पी0एल0 सर्वेक्षण 2002 निर्धारित समय सारिणी के अनुसार माह मई 2003 से माह सितम्बर 2003  तक सम्पन्न किया गया और शासन द्वारा अनुमोदित सूची विकास खण्ड मुख्यालय में उपलब्ध होते हैं।  मा0 उच्चतम न्यायालय में दायर रिट पिटीशन 196 आफ 2001 दिनांक 17.2.2006 में दिये गये निर्णय श्च्तवअपेपवदेूपसस इम उंकम जव ंससवू दमू दंउमे जव इमंककमकंदक पदमसपहपइसम दंउमे कमसमजमक तिवउ जीम ठच्स् सपेज 2002 वदं बवदजपदनवने इेंपे कनतपदह जीम  चमतपवक जींज जीम सपेजूपसस इमंचचसपबंइसमश् एवं शासन के पत्र सं0 190/दिनांक 02 मार्च, 2007 में अपात्र व्यक्तियों को सूची से  हटाया जायेगा तथा नये पात्र व्यक्तियों को सूची में सम्मिलित किया जायेगा, के एवं आयुक्त, ग्राम्य विकास, उत्तराखण्ड पौड़ी के पत्र  सं0 4667/दि0 10.03.2008 द्वारा वित्तीय वर्ष 2008-09 में समय सारणी निर्धारित कर तहसील स्तर पर आपत्तियॉ प्राप्त की गयी,  जिसमें उनका निराकरण कर अपात्र व्यक्तियों को सूची से हटाकर नये पात्र व्यक्तियों को सूची में सम्मिलित किया गया था। जिनका  प्रकाशन भी कर दिया गया। ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सामाजिक आर्थिक एवं जातिगत जनगणना 2011 प्रारम्भ की  गयी, जिसके आधार पर वर्तमान में ग्राम्य विकास विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। बीपीएल में  नाम जोडने एवं हटाने की प्रक्रिया 2008-09 के बाद नहीं की गयी है।  बी0पी0एल0 प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया-खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय द्वारा बी0पी0एल0 सर्वेक्षण-2002 सूची में सम्मिलित  ग्रामीण पात्र परिवारों को बी0पी0एल0 परिचय पत्र जारी किये गये। वर्तमान में ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सामाजिक  आर्थिक एवं जातिगत जनगणना 2011 प्रारम्भ की गयी, जिसके आधार पर ग्राम्य विकास विभाग में संचालित विभिन्न योजनाओं का  क्रियान्वयन किया जा रहा है।