उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग द्वारा संचालित योजनायें /Schemes run by Uttarakhand Tourism Department |
योजनायें :-
- दीन दयाल उपाध्याय गृह आवास (होम- स्टे) विकास योजना
- ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर होम- स्टे अनुदान योजना
- अतिथि उत्तराखण्ड गृह आवास (होम-स्टे) पंजीकरण
- वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना
- उत्तराखण्ड पर्यटन नीति, 2023 के अंतगर्त प्रावधानित अनुदान।
योजना का
नाम:- दीन दयाल उपाध्याय गृह आवास (होम-
स्टे) विकास योजना
लाभ:- प्रदेश
के स्थायी/मूल निवासियों को होम-स्टे निर्माण हेतु ऋण लिये जाने पर
पर्वतीय क्षेत्रों में 50 प्रतिशत अधिकतम
रू0 15.00 लाख साथ ही प्रथम पांच वर्षों में ऋण के सापेक्ष देय ब्याज का
अधिकतम रू0 1.50 लाख तथा मैदानी क्षेत्र हेतु 25% अधिकतम रू0 7.5 लाख साथ ही प्रथम पांच वर्षों
हेतु रू0 1.00 लाख अनुदान
धनराशि भुगतान किये जाने की व्यवस्था है। ऋण
लेते समय लाभार्थी का अंशदान 12.50 प्रतिशत होता है। ऋण लेने पर ही
सब्सिडी दी जाती है। नये गृह
आवास के निर्माण के अतिरिक्त पुराने
भवनों की आर्थिक साज-सज्जा, उनका विस्तार/
नवीनीकरण/ सुधार एवं शौचालयों के निर्माण के लिये उक्तानुसार धनराशि/सब्सिडी दी जाती है।
पात्रता/लाभार्थी:- यह लाभ नगर निगम/नगरपालिका क्षेत्र को छोड़कर सम्पूर्ण उत्तराखण्ड राज्य में होमस्टे बनाने पर अनुदान दिया जाता है। आवेदक उत्तराखण्ड का मूल निवासी हो। भवन स्वामी, जो
परिवार सहित भवन में निवास करता हो, अतिथियों के लिये न्यूनतम एक एवं अधिकतम छः कक्षों का निर्माण कर सकता है। होम स्टे बनने पर या पहले से बने गृह आवास की मरम्मत करने के उपरांत पंजीकरण उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अन्तग र्त कराया जाना होगा। पारम्परिक/पहाड़ी शैली में निर्मित/विकसित भवनों को प्राथमिकता दी जायेगी।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदक ऑनलाईन msy.uk.gov.in दीनदयाल उपाध्याय
गृह आवास (होम-स्टे) विकास योजना में आवेदन करेगा। आवेदन करने के दौरान पंजीकरण हेतु आधार कार्ड, आधार
लिंक मोबाइल नंबर अनिवार्य
है। उसके उपरांत जन्मतिथि प्रमाण पत्र, शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र (शैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है।), स्थायी
निवास प्रमाण पत्र,
भूमि/भवन संबध्ां प्रमाण
पत्र, योजना का आंगणन, नगरपालिका
में जमीन न होने संबंधी प्रधान द्वारा लिखित प्रमाण पत्र, अग्निशमन यंत्र खरीदने/अग्निशमन विभाग की एनओसी, प्राधिकृत
विभाग/संस्था द्वारा
नक्शा पास तथा अनु० जाति/अनु०
जन जाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग/भूतपूर्व सैनिक प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)। संलग्न करना होगा। ऑनलाइन आवेदन करने के
बाद आवेदन पत्र संबंधित
जनपद के जिला पर्यटन विकास अधिकारी के पास जायेगा। जि.प.वि.अ. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित
समिति की बैठक आयेजित करने हेतु तिथि नियत करेगा तथा उस तिथि को संबंधित आवेदक को इंटरव्यू हेतु
बुलाया जाता है। जिलाधिकारी
के समक्ष इंटरव्यू होता है, समिति द्वारा सही पाये जाने पर प्रस्ताव उस बैंक को भेजा जाता है, जहां
से आवेदक लोन लेना चाहता है। बैंक को प्रस्ताव ऑनलाइन जाता है, फिर बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया
अपनायी जाती है, ऋण स्वीकृत होने की स्थिति में बैंक पर्यटन अधिकारी को अवगत कराता है तथा संबंधित
आवेदक के खाते में ऋण धनराशि उपलब्ध कराता है। आवेदक द्वारा होमस्टे निर्माण/मरम्मत का कार्य
पूर्ण होने के उपरांत आवेदक
पर्यटन अधिकारी को लिखकर देगा कि कार्य हो गया। उसके बाद अपने नये आवास को होमस्टे में पंजीकरण
करायेगा तत्पश्चात जिला पर्यटन
विकास अधिकारी एवं सम्बन्धित बैंक शाखा प्रबन्धक द्वारा संयुक्त निरीक्षण एवं परियोजना पूर्ण होने की पुष्टि के उपरान्त जांच आख्या जमा करने के बाद होमस्टे में
आगन्तुकों के स्टे करवाने का कार्य शुरू करेगा तथा विभाग द्वारा सब्सिडी बैंक के ऋण खाते में दी जाती है।
योजना का
नाम:- ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर होम-
स्टे अनुदान योजना
लाभ:- वर्ष
2020 से आरम्भ इस योजना के अन्तग र्त चिन्हित ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर से
02 किमी0 की परिधि में आने वाले
गांव, इस योजना से लाभान्वित किये जाते हैं। चिन्हित
रूट पर शौचालय युक्त भवन निर्माण हेतु रू0 60,000
/- प्रति कक्ष तथा यदि भवन की मरम्मत की जानी
है तो ऐसी दशा में प्रति कक्ष रू0 25,000/- अधिकतम 06 कक्षों के लिये
अनुदान की व्यवस्था है।
पात्रता/लाभार्थी:- यह लाभ केवल पर्यटन विभाग द्वारा चिन्हित ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर
से 02 किमी0 की परिधि में आने वाले गांवों पर ही लागू होती है तथा यह गांव शहरी क्षेत्रों से अलग हों। इसमें ऋण लेने की बाध्यता नहीं है। आवेदक ट्रैक्शन सेंटर के
पास पड़ने वाले गांव का मूल निवासी हो। आवेदक स्वयं परिवार सहित प्रस्तावित होम-स्टे में निवास करता हो या करेगा। अतिथियों हेतु न्यूनतम एक एवं अधिकतम छः कक्षों की व्यवस्था की गई है। होम-स्टे का
विभाग में पंजीकरण हो अथवा नया बनाने पर पंजीकरण कराना होगा। पारम्परिक पहाड़ी शैली में निर्मित/विकसित भवनों को प्राथमिकता दी जायेगी।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- विभाग द्वारा अधिसूचित
गावों के निवासियों द्वारा आवेदन हेतु निर्धारित प्रारूप जिला पर्यटन विकास अधिकारी कार्यालय अथवा
पर्यटन स्वागत केन्द्र से प्राप्त
किये जाते हैं। आवेदन प्रारूप के साथ जन्मतिथि/आयु प्रमाण-पत्र, शैक्षिक योग्यता प्रमाण-पत्र, अनु0
जाति/ अनु0जन जाति/अन्य पिछड़ा
वर्ग/भूतपूर्व सैनिक प्रमाण पत्र (यदि लागू हो), उत्तराखण्ड के मूल निवासी, उसी
क्षेत्र का होने सम्बन्धी
प्रमाण-पत्र, भूमि/भवन सम्बन्धी प्रमाण पत्र जमा करने होंगे। जिला पर्यटन विकास
अधिकारी कार्यालय अथवा पर्यटन
स्वागत केन्द्र में आवेदन जमा करने के उपरांत, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित होती है, गठित
समिति द्वारा संबंधित आवेदक को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है तथा इंटरव्यू में सही पाये जाने पर आवेदकों
का चयन किया जाता है
तत्पश्चात सम्बन्धित आवेदकों द्वारा कार्य पूण र् करने पर जिला द्वारा
गठित तकनीकी समिति द्वारा निरीक्षण/परीक्षण
किये जाने के उपरान्त सही पाये जाने पर जिलाधिकारी द्वारा संस्तुति के पश्चात विभाग द्वारा होम स्टे
बनाने एवं मरम्मत की धनराशि संबंधित व्यक्ति के खाते में भुगतान की जाती है। ग्रामों का चिन्हीकरण-
जिला अधिकारी की अध्यक्षता
में गठित कमेटी (जिसमें जिला पर्यटन विकास अधिकारी सदस्य सचिव होते हैं) गांवाे को स्वतः चिन्हित करते हैं
अथवा यदि कोई गांव टैक्रिंग रास्ते के 02 किमी की परिधि के आसपास विकसित हो रहे हों ताे संबंधित
ग्रामप्रधान/ब्लाक प्रमुख/ विधायक पत्र/प्रस्ताव विभाग को भेजते हैं तथा उसके उपरांत पर्यटन
अधिकारी जांच करता है जांच के दौरान, टै्रकिंग टै्रक्शन रूट के लिए संबंधित गांव पात्र होंगे, को
निर्धारित करने हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाती है। बैठक कार्यवृत्त तथा प्रस्ताव
उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद
को भेजा जाता है। परिषद द्वारा संबंधित ग्रामों की जांच की जाती है, सही पाये जाने पर परिषद संबंधित ग्रामों को
अधिसूचित करता है।
योजना का
नाम:- अतिथि उत्तराखण्ड गृह आवास (होम-स्टे)
पंजीकरण
लाभ:- इसके
अंतग र्त राज्य के ऐसे भवन स्वामी जो अपने भवन
के आवासीय कक्षाें को पर्यटकों हेतु उपलब्ध कराने का इच्छुक हों, को
पर्यटन विभाग के होमस्टे में पंजीकृत
कर, किसी भी अतिथि को रात्रिविश्राम-भाेजन की व्यवस्था, शुल्क
प्राप्त कर, उपलब्ध करायी जाती है।
इसका मुख्य उददेश्य पर्यटकों को आवास-भाेजन की व्यवस्था उपलब्ध कराना
तथा सुदूर क्षेत्रों के ग्रामीण लोगों
को घर पर ही रोजगार उपलब्ध कराना है। पंजीकरण
के उपरांत संबंधित आवास, विभाग की वेबसाइट पर होम
स्टे की सूची में आ जाता है जिससे कोई
भी अतिथि विभागीय वेबसाइट से उक्त जानकारी प्राप्त कर, रात्रि
विश्राम कर सकता है।
पात्रता/लाभार्थी:- शहरी क्षेत्र में विकास प्राधिकरण/स्थानीय निकाय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान द्वारा
इस योजना के अन्तग र्त पंजीकरण हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र निग र्त
किया जाना आवश्यक होगा। आवासीय इकाई पूर्णतः आवासीय परिसर हो तथा भवन स्वामी अपने परिवार सहित उसमें निवास करता हो। अतिथियों
के लिये न्यूनतम एक तथा अधिकतम छः कक्षाें की व्यवस्था की गई हो। आवासीय इकाई में शौचालय अनिवार्य रूप से हो। आवसीय इकाइ र् समुचित रूप से साफ-सुथरी, अग्निशमन सुरक्षा उपकरणों से संरक्षित तथा सुदृढ़ ढंग से निर्मित होनी चाहिये।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- अतिथि उत्तराखण्ड गृह
आवास (होम- स्टे) में पंजीकरण
ऑनलाइन नजजंतांंदकजवनतपेउण्हवअण्पदझ ज्तंकम झ भ्वउमेजंल त्महपेजतंजपवद में करना होता है जिसके लिए आधार संख्या, आधार
लिंक मोबाइल नंबर अनिवार्य है तथा
पंजीकरण के दौरान आवेदन पत्र
पर उल्लिखित शपथ-पत्र,
पैनकार्ड, स्वीकृत मानचित्र की छायाप्रति
(नक्शा), होम-स्टे की फोटो (होम-स्टे का नाम सहित, कमरों की साज-सज्जा, शौचालय, किचन
की फाेटाे), भू-स्वामित्व की प्रति (खाता,
खतौनी/रजिस्ट्री अभिलेख), पेइंग
गेस्ट हाऊस का पुराना
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (पुरानी इकाई की दशा में), पंजीकरण शुल्क- 500 रू० NEFT/ऑनलाइन/ऑफलाइन, जिला
प्रशासन द्वारा जारी
चरित्र प्रमाण पत्र,
फायर NOC/Fire Extinguisher bill (जिला पर्यटन विकास अधिकारी के स्तर पर निर्धारित) संलग्न करना होगा। उसके उपरांत
विभागीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता है तथा पंजीकरण संख्या आवेदक को उपलब्ध करायी
जाती है, पंजीकरण के पश्चात अतिथियों को आवास में शुल्क लेकर रात्रिविश्राम करा सकता
है।ं
योजना का
नाम:- वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन
स्वरोजगार योजना
लाभ:- इस
योजना के अंतग र्त वाहन मद (साधारण बस, टैक्सी, मैक्स, इलेक्ट्रिक
बस) तथा गैर वाहन मद (होटल/पेंइग गेस्ट
योजना, मोटरगैराज/वर्कशाप निर्माण, फास्ट फूड सैन्टर्स
की स्थापना, साधना कुटीर योग ध्यान केन्द्रों की स्थापना, साहसिक
क्रियाकलाप, पी0सी0आे0 सुविधायुक्त आधुनिक
पर्यटन सूचना केन्द्रों की स्थापना, टैन्टेज आवासीय
सुविधाओं का विकास, स्थानीय प्रतीकात्मक वस्तुओं
के विक्रय केन्द्रों की स्थापना, बेकरी को स्थापित किया
जाना, लॉन्ड्री की स्थापना, पर्यटन हेतु टेरेन बाइक्स, स्टार
गेंजिग एवं बर्ड वाचिंग हेतु उपकरणों का क्रय, हर्बल
टूरिज्म, क्याकिंग/नाव का क्रय एवं संचालन, कैरावैन/मोटर
होम टूरिज्म, एंगलिंग उपकरणों
का क्रय, स्मरणीय वस्तु (मैमोरबिलिया) युक्त संग्रहालय
का निर्माण एवंमैमोराबिलिया/ स्मारिका केन्द्र
की स्थापना, फ्लाेटिंग होटल का निर्माण, ट्रेकिंग उपकरणों
सूट, जैकेट इत्यादि को किराये पर उपलब्ध कराये जाने हेतु केन्द्रों
की स्थापना, उपरोक्त योजनाओं के
अतिरिक्त क्षेत्र विशेष के आकर्षणों एवं विशेषताओं के अनुरूप कोई अभिनव परियोजना
भी किसी आवेदक द्वारा
प्रस्तुत की जा सकती है।) हेतु निम्नवत अनुदान/सब्सिडी
दी जाती है :- (क)
गैर वाहन मदः- पर्वतीय क्षेत्रों में 33 प्रतिशत अधिकतम रू0 33.00 लाख तथा
मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत
अधिकतम 25.00 लाख अनुदान के रूप में स्वीकृत
किया जाता है। (ख) वाहन मदः- पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत अधिकतम रू0 10.00
लाख दिये जाने का प्राविधान
किया गया है, परन्तु पुश बैक-30 एवं 42 सीटर-2’2
बस/इलेक्ट्रिक बस एवं पुश बैक 26-28 सीटर
एवं 42 सीटर 2’2) इलैक्टि्रक बस/वातानुकूलित
बस हेतु 50 प्रतिशत किन्तु अधिकतम
रू0 20.00 लाख की राजकीय सहायता दिये जाने
का प्राविधान किया गया है। यह व्यवस्था केवल बस/इलैक्ट्रिक बस जो कि
निर्धारित मापदण्ड पूरा करते
हैं पर अनुमन्य होगी तथा बस/इलैक्ट्रिक बसों की संख्या किसी भी वित्तीय
वर्ष में अधिकतम 50 होगी। योजना
में अनुदान का लाभ लिए जाने हेतु कुल लागत का 12-5% Margin Money (आवेदक का अंशदान) होना आवश्यक
है।
योजना का
नाम:- उत्तराखण्ड पर्यटन नीति, 2023
के अंतगर्त प्रावधानित
अनुदान।
लाभ:- उत्तराखण्ड
पर्यटन नीति, 2023 के अन्तर्गत निवेशकों को
निम्नवत् अनुदान अनुमन्य है :- पूंजीगत अनुदान (ब्ंचपजंसैनइेपकल) प्रदेश में पर्यटन
क्षेत्र में पूंजीगत निवेश कर
स्थापित की जाने वाली पर्यटन परियोजनाओं
हेतु निम्नवत् पूंजीगत अनुदान अनुमन्य होंगे
:-
❖ आवासीय परियोजनाओं में अधिकतम पूंजीगत अनुदान श्रेणी अ- 25 प्रतिशत तक श्रेणी ब- 35 प्रतिशत तक श्रेणी स- 50 प्रतिशत तक अनुदान
निम्न विवरण के अनुसार दिया जायेगा।
A अनुसार
अधिकतम पूंजीगत अनुदान, वाणिज्यिक उत्पादन
(ब्वउमतबपंस व्चमतंजपवद क्ंजम) की तिथि से 10
समान वार्षिक किश्तों में अर्थात पूंजीगत अनुदान
का 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष,
अथवा
B इकाई द्वारा पिछले 12 महीनों के लिए भुगतान किया गया नेट राज्य वस्तु
एवं सेवाकर (ैळैज्) का 75%
अतिरिक्त प्रोत्साहन,
में से जो भी कम हो, अनुदान देय होगा। आवासीय परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन
- विपणन और प्रचार के लिए प्रोत्साहन-(अधिकतम पूंजीगत अनुदान के 01 प्रतिशत की सीमा तक)
- प्रशिक्षण और कौशल के लिए प्रोत्साहन-(अधिकतम पूंजीगत अनुदान के 0.5 प्रतिशत की सीमा तक)
- ब्याज अनुदान -(अधिकतम पूंजीगत अनुदान के 01 प्रतिशत की सीमा तक)
- अपशिष्ट उपचार के लिए प्रोत्साहन (अधिकतम पूंजीगत अनुदान के 0.25 प्रतिशत की सीमा तक)
- राज्य द्वारा विकसित ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी/प्लेटफॉर्म के माध्यम से बुकिंग (अधिकतम पूंजीगत अनुदान के 0.25 प्रतिशत की सीमा तक)
❖ पर्यटन उत्पादों और सेवाओं के विकास के लिए पूंजीगत अनुदान- पूंजीगत
परिसम्पति का अधिकतम
100 प्रतिशत तक
अनुदान निम्न विवरण के अनुसार दिया जायेगा।
A पूंजीगत अनुदान, वाणिज्यिक
उत्पादन (ब्वउमतबपंस व्चमतंजपवद
क्ंजम) की तिथि से 05 समान वार्षिक किस्तों
में अर्थात पूंजीगत अनुदान का 20 प्रतिशत प्रतिवर्ष,
अथवा
B. इकाई द्वारा पिछले 12 महीनों
के लिए भुगतान किया
गया नेट राज्य वस्तु एवं सेवाकर (SGST) का 75%
अतिरिक्त प्रोत्साहन,
में से जो भी कम हो, अनुदान देय होगा।
पर्यटन उत्पादों और सेवाओं
के विकास के लिए अतिरिक्त
वार्षिक प्रोत्साहन
I. विपणन और प्रचार के लिए
प्रोत्साहन (अधिकतम पूंजीगत
अनुदान के 02 प्रतिशत की सीमा तक)
II. प्रशिक्षण और कौशल के लिए प्रोत्साहन- (अधिकतम पूंजीगत अनुदान के
02 प्रतिशत की सीमा
तक)
III. ब्याज अनुदान - (अधिकतम पूंजीगत अनुदान के 02 प्रतिशत की सीमा तक)
IV. राज्य द्वारा विकसित ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसी/प्लेटफॉर्म के माध्यम
से बुकिंग (अधिकतम पूंजीगत
अनुदान के 01 प्रतिशत की सीमा तक)
टर्न ओवर (ज्नतदवअमत) लिंक्ड प्रोत्साहन- पूर्व से संचालित व पूंजीगत अनुदान न
प्राप्त करने वाली स्तरीय
पर्यटन परियोजनाओं हेतु टर्नओवर अनुदान का प्राविधान
है, जिसके अन्तग र्त निम्नलिखित अनुदान अनुमन्य हैंः-ं
A.
प्रीमियम आवासीय इकाई-पात्र
टर्न ओवर का 1 प्रतिशत अधिकतम
B.
विदेशी पर्यटकों के प्रवास
पर प्रोत्साहन -पात्र टर्न
ओवर का 1 प्रतिशत अधिकतम
C.
एम0आई0सी0ई0, कला, सामाजिक
और सांस्कृतिक कार्यक्रमों
मेलों और त्यौहारों का संगठन
-पात्र कारोबार का 1 प्रतिशत अधिकतम
हेली-परिवहन के लिए प्रोत्साहन-सहस्त्रधारा,
जौलीग्राण्ट तथा पंतनगर हैलीपैड से आवास के निकट हैलीपैड
तक हेलीकॉप्टर परिवहन के लिए इकाई को प्रति व्यक्ति
500 रूपये प्रति फेरा (च्मत स्मह) अनुदान विद्युत शुल्क ;म्समबजतपबपजल
क्नजलद्ध की प्रतिपूर्ति- नई पात्र पर्यटन इकाईयों को
नीति अवधि तक विद्युत शुल्क में 100 प्रतिशत
प्रतिपूर्ति। स्टाम्प
ड्यूटी की प्रतिपूर्ति- नई पात्र पर्यटन इकाईयों को
लागू स्टाम्प शुल्क की प्रतिपूर्ति 05 समान किस्तों में।
➢ पर्यटन नीति 2023 के अन्तग र्त अनुदान का लाभ प्राप्त करने हेतु नई परियोजना/विस्तारीकरण
हेतु न्यूनतम निवेश अलग- अलग विधाओं हेतु
पृथक- पृथक है, जो कि 01.00 करोड़ से 5.00 करोड़ तक है, साथ ही निवेशक को न्यूनतम अवस्थापना सुविधाएं, विशिष्ट शर्तो एव गाईडलाईन मे
निर्धारित अन्य नियमों का अनुपालन करना आवश्यक
होगा। विस्तृत विवरण ऑपरेशनल गाईडलाइन मे
उपलब्ध है।
पात्रता/लाभार्थी:- पर्यटन नीति के उल्लिखित विभिन्न एन0आई0सी0 कोड़ के अन्तग र्त चिन्ह्ति पर्यटन परियोजनाओं, उत्पादों एवं सेवाओं हेतु निर्धारित न्यूनतम निवेश एवं अवस्थापना विकास कार्य। कोई भी वैद्य इकाई/निवेशक जो नियमानुसार पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने का इच्छुक हो तथा पर्यटन नीति 2023 तथा पर्यटन नीति की ऑपरेशनल गाईड लाईन के अनुरूप नियत पात्रता धारित करता हो, नीति में प्राविधानित अनुदान प्राप्त कर सकता है। परियोजना क्रियान्वयन हेतु भूमि की आवश्यकता की स्थिति मे निवेशक के पास भूमि उपलब्ध हो, अथवा भूमि क्रय/लीज कर परियोजना क्रियान्वित की जा सकती है।
Follow Us