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उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद् हल्दी, पंतनगर (कृषि विभाग, उत्तराखण्ड) /Uttarakhand Biotechnology Council Haldi, Pantnagar (Agriculture Department, Uttarakhand)

 

उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद् हल्दी, पंतनगर (कृषि विभाग, उत्तराखण्ड)  /Uttarakhand Biotechnology Council Haldi, Pantnagar (Agriculture Department, Uttarakhand)

 योजनायें :- 


योजना का नाम:- कौशल विकास  कार्यक्रमः- 

  1. पादप उत्तक  संर्वधन द्वारा पौध  उत्पादन विधि एवं  कृषिकरण पर  प्रशिक्षण कार्यक्रम 
  2. हाइड्राेपोनिक एवं  मृदारहित कृषिकरण  पर प्रशिक्षण  कार्यक्रम। 
  3. पेयजल एवं मृदा  गुणवत्ता जांॅच पर  प्रशिक्षण कार्यक्रम। 
  4. आण्विक  जीवविज्ञान और  आनुवंशिक  अभियांत्रिकी तकनीकी  पर  प्रशिक्षण  कार्यक्रम।
  5. हिमालय  वनस्पतियों से प्राप्त  प्राकृतिक उत्पाद से  औषधि निर्माण पर  प्रशिक्षण।

 लाभ:- जैव प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण क्षेत्र  में कौशल विकास के अन्तग र्त  स्वरोजगार को बढावा देने हेतु  प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन  किया जाता है। इन प्रशिक्षण  कार्यक्रमों की अवधि स्नातक  /स्नातकोत्तर छात्रों के लिए  30/45 से लेकर 90 दिन  और स्नातकोत्तर स्तर के छात्रों  के लिए 180 दिन (शोध प्रबंध  कार्यक्रम- डिजरटेशन) है।  प्रशिक्षण अवधि के दौरान, चयनित  छात्र, परिषद की आधुनिक  अनुसंधान प्रयोगशालाओं में अपने  शोध व प्रशिक्षण कार्य पूर्ण करते  हैं। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं  को प्लांट टिशू कल्चर, आणविक  जीव विज्ञान और जेनेटिक  इंजीनियरिंग, पर्यावरणीय जैव  प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला,  हाइड्राेपोनिक्स और मृदा रहित  कृषिकरण के क्षेत्र में प्रशिक्षण  दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त  करने के उपरांत संबंधित लाभार्थी  अपना व्यवसाय/स्वरोजगार/ कृषि कार्य बेहतर तरीके से कर  सकते हैं।

पात्रता/लाभार्थी:- जैव प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान,  आण्विक और आनुवंशिक जीव विज्ञान,  पर्यावरण जीव विज्ञान, बीटेक  बायोटेक्नाेलाेजी इत्यादि विषय से  स्नातक/ परास्नातक स्तर के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं किसान लाभ  प्राप्त कर सकते हैं।

 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  (शोध प्रबंध कार्यक्रम-डिजरटेशन) प्रत्येक वर्ष माह  जनवरी से जून तक संचालित होता है जबकि  30/45 से लेकर 90 दिन का प्रशिक्षण  छात्र/छात्राएं, शोधार्थी अपने अनुकूल समय व  सुविधानुसार वर्ष में कभी भी कर सकते हैं - 35/45  से 90 दिन के प्रशिक्षण के लिए आवेदन अभ्यर्थी  परिषद की वेबसाइटूूण्नबइण्ंबण्पद से आवेदन पत्र  व अन्य दिशा-निर्देश डाउनलोड कर व विधिवत भरे  हुए आवेदन पत्र (हार्ड कॉपी या साफ्ट कापी) को  सक्षम प्राधिकारी/प्रिंसिपल/एचओडी के संस्तुति  उपरांत परिषद के पते पर भेज सकते हैं। मेरिट के  आधार पर चयन उपरांत सम्बंधित क्षेत्र/प्रयोगशाला  में छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है,  जबकि छह माह के प्रशिक्षण (शोध प्रबंध  कार्यक्रम-डिजरटेशन) के लिए परिषद अपने वेबसाइट   पर नाेटिफिकेशन जारी करती है और आवेदन प्राप्त  होने के उपरान्त मेरिट के आधार पर अधिकतम  छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण के लिए चयन किया  जाता है। पूर्ण रूप से भरे हुए आवेदन के साथ  आधार कार्ड, हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट, स्नातक,  परास्नातक व अन्य सभी समतुल्य डिग्रियों के  प्रमाण-पत्र, अंक-पत्र, स्थाई निवास व जाति-प्रमाण  (यदि उपयुक्त हो तो) दस्तावेजों की छाया-प्रति की  आवश्यकता होती है।

 

 

 योजना का नाम:- जैव प्रोद्योगिकी में  उद्यमिता विकास हेतु  प्रशिक्षण कार्यक्रम।

लाभ:- प्रदेश के युवाओं को  जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उद्यमिता  विकास एवं स्टार्टअप प्रारम्भ करने  हेतु प्रशिक्षण एवं तकनीकी  जानकारी देना एवं  आवश्यकतानुरूप मार्गदर्शन प्रदान  करना।

पात्रता/लाभार्थी:- जैव प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म जीव विज्ञान,  आण्विक और आनुवंशिक जीव विज्ञान,  पर्यावरण जीव विज्ञान आदि विषय से  स्नातक/परास्नातक एवं पी0एच0डी0 स्तर के विद्यार्थी एवं शोधाथी र् इसका  लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- परिषद् द्वारा उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम  आयोजित किये जाते है। आयोजन से पूर्व इसकी  सूचना बेवसाइट के साथ समाचार पत्र में प्रकाशित  की जाती है। महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों व  संबंन्धित संस्थानों को ई-मेल अथवा सोशल मीडिया  प्लेटफार्म इत्यादि के माध्यम से अवगत  कराया जाता है। आवेदन पत्र गूगल फॉर्म के माध्यम  से प्राप्त किये जाते हैं।

 

योजना का नाम:- कृषक-वैज्ञानिक  संगाेष्ठी

लाभ:- परिषद् कृषक-वैज्ञानिक संगाेष्ठियों  के माध्यम से प्रदेश के किसानों  को विषय-विशेषज्ञों द्वारा  तकनीकी मार्गदर्शन देकर जैव प्रौद्योगिकी आधारित कृषिकरण एवं  पशुपालन में आ रही समस्याओं  को निराकरण करती है। साथ ही  हाईड्रोपोनिक, मृदा रहित खेती एवं  कीवीफल के कृषिकरण, मत्स्य  पालन, मधुमक्खी पालन, सब्जी  उत्पादन, फूल उत्पादन इत्यादि की तकनीकी जानकारी प्रदान  करके उनको स्वरोजगार के साथ  उनके आर्थिकी को बढ़ाने के लिए  सतत् रूप से प्रयासरत् है।

पात्रता/लाभार्थी:- युवा, किसान, स्वयं सहायता समूह एवं  पशुपालक।

आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  परिषद् द्वारा समय-समय पर ऐसे संगोष्ठियों का  आयोजन किया जाता है। प्रतिभाग हेतु विभिन्न क्षेत्रों  के किसानों, युवाओं एवं कृषि से जुड़े छात्र-छात्राओं  को प्रकाशित विवरणिका, लिफ्लेट एवं अन्य सोशल  मीडिया के माध्यमों से अवगत कराकर इच्छुक  अभ्यर्थियों का पंजीकरण कराया जाता है, तदोपरान्त  प्रशिक्षण/ संगोष्ठी सम्पादित की जाती है।