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बागेश्वर|Bageshwar

 

बागेश्वर|Bageshwar

गोमती और सरयू के संगम पर वसा हुआ वागेश्वरसमुद्रतल से 975 मीटर की ऊँचाई पर अल्मोड़ा से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वैजनाय से बागेश्वर की दूरी 20 किलोमीटर है. बागेश्वर में वागनाथ शिव का प्राचीन मन्दिर है. वागनाथ शिव के प्रिय स्थान होने के कारण ही इस स्थान का नाम 'बागेश्वर' पड़ा है. वागेश्वर मन्दिर मूर्ति विशाल है. लोगों को आश्चर्य होता है कि इतनी वड़ी मूर्ति यहाँ कैसे लाई गई होगी ? वागेश्वर के पास भैरवनाथ का मन्दिर भीआकर्षक है.  वागेश्वर की धार्मिक महत्ता है. पुराणों में इस स्थान की पवित्रता काशी के समान मानी गई है. उत्तरायण के दिन यहाँ एक बहुत वड़ा भेला लगता है. मकर संक्रान्ति के इस पर्व पर यहाँ पर हजारों श्रद्धालु गोमती और सरयू के संगम पर स्नान करते हैं. शिव के प्रिय स्थान वागेश्वर का सांस्कृतिक महत्व भी है. कुमायूँ की सच्ची सांस्कृतिक झलक अल्मोड़ा के बाद वागेश्वर में ही देखने को मिलती है. वागेश्वर के लिए दिल्ली, मुरादाबाद, वरेली, पियौरागढ़, नैनीताल, अल्मोड़ा, कर्णप्रयाग, काठगोदाम और हल्द्वानी से नियमित वस सेवाएँं उपलब्ध हैं. वागेश्वर में डिग्री कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थाएँ हैं, यह कुमाऊँ अंचल का उभरता हुआ नगर है. यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता मन मोह लेती है, अल्मोड़ा, नैनीताल और रानीखेत जाने वाले पर्यटक बागेश्वर अवश्य पहुँचते हैं,

बागेश्वर का इतिहास

बागेश्वर का इतिहास 9वीं शताब्दी का है। माना जाता है कि इस शहर की स्थापना राजा कत्यूरी ने की थी। कत्यूरी राजवंश 7वीं से 11वीं शताब्दी तक कुमाऊं क्षेत्र में शासन करता था।

बागेश्वर का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां बाघ का रूप धारण कर एक राक्षस का वध किया था। इस घटना के बाद से इस स्थान को बागेश्वर कहा जाने लगा।

बागेश्वर कई प्राचीन मंदिरों का घर है, जिनमें बागनाथ मंदिर, चंडीगढ़ मंदिर, और नीलकंठेश्वर मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों का निर्माण कत्यूरी राजवंश के दौरान किया गया था।

बागेश्वर 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के अधीन आ गया। इसके बाद, यह 16वीं शताब्दी में मुगलों के शासन में आ गया। 18वीं शताब्दी में, बागेश्वर गोरखाओं के अधीन आ गया।

1815 में, गोरखाओं को अंग्रेजों ने हरा दिया और बागेश्वर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, बागेश्वर भारत का हिस्सा बन गया।

बागेश्वर का इतिहास विभिन्न राजवंशों और शासकों के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। यह शहर अपनी प्राचीन संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है।

यहाँ बागेश्वर के इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है:

  • 9वीं शताब्दी: बागेश्वर शहर की स्थापना राजा कत्यूरी ने की।
  • 13वीं शताब्दी: बागेश्वर दिल्ली सल्तनत के अधीन आ गया।
  • 16वीं शताब्दी: बागेश्वर मुगलों के शासन में आ गया।
  • 18वीं शताब्दी: बागेश्वर गोरखाओं के अधीन आ गया।
  • 1815: गोरखाओं को अंग्रेजों ने हरा दिया और बागेश्वर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।
  • 1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, बागेश्वर भारत का हिस्सा बन गया।