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भीमगोड़ा |Bhimgora |
हरिद्वार के आसपास के धार्मिक स्थलों में भीमगोडा. कुण्ड भी है. इसे पाण्डव काल का वताया जाता है, यह कृपक भीम के घोड़े की टाप से बना हुआ कहा जाता है,
भीमगोड़ा नाम से हरिद्वार में दो चीज़ें प्रसिद्ध हैं:
1. भीमगोड़ा कुंड: यह कुंड हर की पौड़ी के पास स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों में सबसे शक्तिशाली, भीम ने यहाँ अपनी घुटनों से ज़मीन पर प्रहार किया था, जिससे यह कुंड बन गया था। कहा जाता है कि पांडवों की पत्नी द्रौपदी को यहाँ प्यास लगी थी, तो भीम ने अपनी घुटनों से ज़मीन से पानी निकाला था।
2. भीमगोड़ा बैराज (भीमगोडा बांध, भीमगोडा जलाशय, भीमगोडा हेडवर्क्स): यह बैराज भी हर की पौड़ी के पास ही स्थित है और गंगा नदी पर बना एक डिवाइज़न बांध है। इसे मूल रूप से ऊपरी गंगा नहर के हेडवर्क के रूप में बनाया गया था। पहला बैराज 1854 तक बनकर तैयार हुआ था।
भीमगोड़ा कुंड:
- स्थान: हर की पौड़ी के पास
- धार्मिक महत्व: भीम द्वारा बनाया गया माना जाता है
- पौराणिक कथा: द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए भीम ने ज़मीन से पानी निकाला था
- आकर्षण:
- पवित्र कुंड
- शिव मंदिर
- हनुमान मंदिर
भीमगोड़ा बैराज:
- स्थान: हर की पौड़ी के पास
- उद्देश्य: ऊपरी गंगा नहर को पानी प्रदान करना
- भीमगोड़ा बैराज निर्माण:
- पहला बैराज: 1854
- दूसरा बैराज: 1964
- तीसरा बैराज: 1983
- आकर्षण:
- गंगा नदी का मनोरम दृश्य
- बैराज के आसपास का हरा-भरा क्षेत्र
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