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चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

 

चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

उत्तराखंड सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिये ही नहीं जाना जाता, यहां ऐसी कई जगह हैं जो बहुत चमत्कारी हैं। 'अल्मोड़ा' से करीब 9 किलोमीटर दूर 'चितई' में 'गोलू देव' का बहुत प्रसिद्द मन्दिर है। 'गोलू देव' जिन्हें उत्तराखंड में 'न्याय' का देव माना जाता है। 'गोलू देव' को भगवान शिव और कृष्ण का अवतार कहा गया है। कलयुग में अधर्म के विनाश की ज़िम्मेदारी 'गोलू देव' के कन्धों पर है। लोग देश-विदेश से यहां आकर अपनी मन्नत मांगने के लिये चिटठी लिखते हैं तो कुछ स्टाम्प पेपर पर अपने लिये न्याय माँगते हैं। 'मन्नत' पूरी होने के बाद घंटी मन्दिर में चढाते हैं। चितई में टँगे असंख्य घन्टे बताते हैं की 'गोलू देव' सबकी बात सुनते हैं। वैसे तो उत्तराखंड में 'गोलू देव' के कई मन्दिर हैं पर चितई और अभी तक आपने लोगों को मंदिरों में जाकर अपनी मुरादें मांगते देखा होगा, लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में स्थित गोलू देवता के मंदिर में केवल चिट्ठी भेजने से ही मुराद पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए भी प्रशिद्ध हैं। इस कारण इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। नैनीताल जिले के भवाली में स्थित गोलू देवता के मंदिर में चिट्ठियों की भरमार देखने को मिलती है।

चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta


मंदिर के अंदर घोड़े में सवार और धनुष बाण लिए गोलू देवता की प्रतिमा है
मंदिर के अंदर और बाहर सैकड़ों की तादाद में लगे स्टांप और आवेदन पत्र इसकी गवाही देते हैं। गोलू देवता के दरबार में अधिकतर कानूनी मुकदमे, न्याय, व्यवसाय, स्वास्थ्य, मानसिक परेशानी, नौकरी, गलत अभियोग, जमीन जायदाद व मकान निर्माण से जुड़े विषयों पर अर्जियां लगाई जाती हैं। मनौती पूर्ण होने लोग मंदिर में अपनी सामर्थ्य के अनुसार घंटियां चढ़ाते हैं। आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग उनके इस न्याय को स्वीकार करता है।
चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

इस मंदिर में सारे साल कभी भी आकर पूजा की जा सकती है। इस मंदिर की मान्यता ना सिर्फ देश ही नहीं विदेश से भी लोग आकर मन्नत मांगते हैं और कई चमत्कारों को देख कर विदेशी नत - मस्तक हो जातें हैं। इसलिए इस जगह में दूर दूर से पर्यटक और श्रदालु आते है | इस मंदिर में प्रवेश करते ही यहाँ अनगिनत घंटिया नज़र आने लगती है |
कई टनों में मंदिर के हर कोने कोने में देखने वाले इन घंटे घंटियों की संख्या कितनी है , ये आज तक मंदिर के लोग भी नहीं जान पाए | आम लोग के द्वारा इसे घंटियों वाला मंदिर भी पुकारा जाता है | जहाँ कदम रखते ही घंटियों की पंक्तियाँ शुरू हो जाती है |
वास्तव में यह एक चमत्कार से कम नहीं है की एक मनुष्य अपनी सारी समस्याओं का हल एक ही ईश्वर एक ही बार में कर देता है।
चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

गोलू देवता की कहानी

गोलू देवता या भगवान गोलू उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र की प्रसिद्ध पौराणिक देवता हैं। अल्मोड़ा स्थित गोलू देवता का चितई मंदिर बिनसर वन्य जीवन अभयारण्य से चार किमी दूर और अल्मोड़ा से दस किमी दूर है। मूल रूप से गोलू देवता को गौर भैरव (शिव ) के अवतार के रूप में माना जाता है। कहा जाता है कि वह कत्यूरी के राजा झाल राय और कलिद्रा की बहादुर संतान थे।
चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

मंदिर का इतिहास

चितई गोलू देवता का मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा कटारमल ने करवाया था।

मंदिर की विशेषताएं

चितई गोलू देवता का मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मंदिर का मुख पूर्व की ओर है।

मंदिर के गर्भगृह में चितई गोलू देवता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति संगमरमर की बनी है और यह लगभग 3 फीट ऊंची है।

मंदिर के परिसर में कई अन्य मूर्तियां भी स्थापित हैं, जिनमें भगवान शिव, भगवान विष्णु, और देवी दुर्गा की मूर्तियां शामिल हैं।

चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

मंदिर का महत्व

चितई गोलू देवता का मंदिर उत्तराखंड के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर न्याय के देवता चितई गोलू देवता को समर्पित है।

चितई गोलू देवता को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे गरीबों और दबे-कुचले लोगों की मदद करते हैं।

मंदिर में दर्शन का समय

चितई गोलू देवता का मंदिर पूरे साल खुला रहता है। यहां दर्शन करने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का होता है।

चितई गोलू देवता |Chitai Golu Devta

मंदिर तक कैसे पहुंचें

चितई गोलू देवता का मंदिर अल्मोड़ा से 22 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आप बस या टैक्सी ले सकते हैं।

मंदिर के पास ठहरने की व्यवस्था

चितई गोलू देवता के मंदिर के पास कई होटल और धर्मशालाएं हैं। यहां आप अपनी सुविधानुसार ठहरने की व्यवस्था कर सकते हैं।