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गंगोत्री मंदिर |Gangotri Temple|चार धाम |Char Dham

 

गंगोत्री मंदिर |Gangotri Temple|चार धाम |Char Dham


उतरकाशी से गंगोत्री, मनेरी, भटवाड़ी, गंगनानी, सुक्खी और झाला आदि सुन्दर स्थानों से होते हुए लंका नामक स्थान है. उत्तरकाशी से लंकाच्टी 87 किमी की दूरी पर है. लंकाचट्टी से 13 किमी की दूरी पर गंगोत्री का मन्दिर है. गंगोश्री के मन्दिर में गंगा, यमुना, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती एवं अन्नपूर्णाजी की मूर्तियाँ हैं. महाराजा भगीरय की भी मूर्ति यहाँ है. गंगोत्री में गंगा उत्तर की ओर मुड़ती है, जहाँ केदारगंगा का संगम है. लगभग । किमी. नीचे गंगाजी पर्याप्त ऊँचाई से शिवलिंग पर गिरती है और उसी के समीप गौरीकुण्ड है. यहाँ पर अनेक धर्मशालाएँ व रहने की सुन्दर व्यवस्था  है.

 

गंगोत्री मंदिर 1962 की तस्वीर 


गंगोत्री मंदिर का इतिहास:

गंगोत्री मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह मंदिर 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। 19वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

गंगोत्री मंदिर का स्वरूप:

गंगोत्री मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है। मंदिर में देवी गंगा की काले संगमरमर की मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें सूर्य मंदिर, शिव मंदिर और हनुमान मंदिर शामिल हैं।

माँ गंगा मूर्ति गंगोत्री 

गंगोत्री मंदिर का महत्व:

गंगोत्री मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। गंगा नदी को हिंदुओं के लिए एक पवित्र नदी माना जाता है और गंगोत्री मंदिर गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गंगोत्री मंदिर चार धामों में से एक है, जो हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।

गंगोत्री मंदिर कैसे पहुंचें:

गंगोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए, आपको पहले ऋषिकेश या देहरादून जाना होगा। ऋषिकेश और देहरादून से, आप गंगोत्री मंदिर के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। गंगोत्री मंदिर ऋषिकेश से 236 किलोमीटर और देहरादून से 210 किलोमीटर दूर है।