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कालसी: उत्तराखंड का ऐतिहासिक गौरव||Kalsi: Historical pride of Uttarakhand |
कालसी, उत्तराखंड के देहरादून जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यह यमुना नदी और उसकी सहायक टोंस के संगम पर स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर बनाता है.
कालसी का इतिहास:
- कालसी का इतिहास सम्राट अशोक के शासनकाल (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) से जुड़ा है। उस समय यह मौर्य साम्राज्य की सबसे दूरस्थ सीमा चौकियों में से एक था।
- सम्राट अशोक द्वारा निर्मित चौदह शिलालेखों में से एक यहां स्थित है। यह शिलालेख 'पालि' भाषा , ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है और इसमें अशोक के धम्मपद (धर्म-मार्ग) का उल्लेख है। शिलालेख युद्ध के विनाशकारी परिणामों और अहिंसा के पालन को दर्शाता है।
- कालसी में खुदाई के दौरान कई अन्य अवशेष भी मिले हैं, जिनमें स्तंभ, चट्टान कटाव, और मूर्तियां शामिल हैं। ये अवशेष मौर्य साम्राज्य की कला और वास्तुकला की शैली को प्रदर्शित करते हैं।
कालसी के दर्शनीय स्थल:
- सम्राट अशोक का शिलालेख: यह शिलालेख प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और बौद्ध धर्म के प्रचार का प्रमाण माना जाता है।
- शिव मंदिर: यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर का उल्लेख हिंदू ग्रंथों में भी मिलता है।
- मौर्यकालीन अवशेष: खुदाई में मिले स्तंभ, चट्टान कटाव, और मूर्तियां इतिहास प्रेमियों के लिए अत्यंत रोचक हैं।
पर्यटन स्थल के रूप में कालसी:
- कालसी न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है।
- यमुना और टोंस नदियों का संगम एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।
- यहां पिकनिक मनाने और प्रकृति का आनंद लेने के लिए उपयुक्त वातावरण है।
- इतिहास और पुरातत्व में रुचि रखने वालों के लिए कालसी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
कालसी कैसे पहुंचे?
- कालसी, देहरादून से लगभग 56 किलोमीटर दूर है।
- आप सड़क मार्ग से या टैक्सी किराए करके कालसी तक पहुंच सकते हैं।
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