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कण्वाश्रम उत्तराखंड |Kanvashram Uttarakhand |
कण्वाश्रम को आजकल चौकाघाट कहते हैं. कण्वाश्रम से नन्दगिरि तक फैला परम पुनीत क्षेत्र सम्पूर्ण सांसारिक भोग और मोक्ष कण्वाश्रम, उत्तराखंड में स्थित एक प्रसिद्ध स्थान है जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों महत्व है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:
स्थिति:
- कण्वाश्रम गढ़वाल मंडल के कोटद्वार शहर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यह शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है।
- माना जाता है कि यही वह स्थान है जहाँ प्राचीन काल में महर्षि कण्व का आश्रम हुआ करता था।
कण्वाश्रम का धार्मिक महत्व:
- कण्वाश्रम का उल्लेख महाकवि कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाटक "अभिज्ञान शाकुंतलम" में मिलता है।
- इस नाटक के अनुसार, कण्व ऋषि के आश्रम में ही शकुंतला और राजा दुष्यंत का गंधर्व विवाह हुआ था।
- शकुंतला ने अपने पुत्र भरत को, जो बाद में महाराजा भरत के नाम से विख्यात हुए, यहीं जन्म दिया था।
कण्वाश्रम का ऐतिहासिक महत्व:
- कण्वाश्रम को प्राचीन शिक्षा केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
- माना जाता है कि यहाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्र आते थे।
- कुछ विद्वानों का मानना है कि यह रूहेलखंड का वह भाग था जहाँ आजकल बिजनौर की बस्ती है।
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