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कटारमल सूर्य मंदिर|Katarmal Sun Temple |
अल्मोडा से लगभग 7 किमी दूर स्थित , यह कोणार्क मंदिर, उड़ीसा के बाद भारत में सूर्य भगवान को समर्पित दूसरा सबसे मुख्य मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यह 800 वर्ष से अधिक पुराना है और यह मंदिर अपनी जटिल मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। इस सूर्य मंदिर पर सूर्य की पहली किरण सीधी पड़ती है। कटारमल सूर्य मंदिर परिसर में एक प्रमुख मंदिर है, जो इसके आस-पास 45 छोटे-छोटे सुंदर नक्काशीदार मंदिरों से घिरा है। कटारमल सूर्य मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला, कलात्मक रूप से बनाई गई पत्थर और धातु की मूर्तियों और अद्भुत नक्काशीदार स्तंभों और लकड़ी के दरवाजों के लिए प्रसिद्ध है। कटारमल सूर्य मंदिर अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है चौड़े देवदारों के बीच एक छोटा सा आकर्षक ट्रेक आपको कटारमल सूर्य मंदिर तक ले जाता है।
कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास:
- इसका निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी के बीच करवाया गया था।
- मंदिर का नाम राजा कटारमल के नाम पर ही रखा गया है।
- यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित है।
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कटारमल सूर्य मंदिर|Katarmal Sun Temple |
विशेषताएं:
- यह मंदिर अपनी विशिष्ट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
- मंदिर का गर्भगृह पत्थर के एक ही टुकड़े से बना हुआ है।
- मंदिर के चारों ओर कई मूर्तियाँ और नक्काशीदार पत्थर हैं।
- मंदिर के सामने एक बड़ा तालाब है।
- मंदिर परिसर में भगवान शिव, भगवान गणेश और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं।
महत्व:
- कटारमल सूर्य मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- यह मंदिर उत्तराखंड के पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस मंदिर का दर्शन करने आते हैं।
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कटारमल सूर्य मंदिर|Katarmal Sun Temple |
कैसे पहुंचें:
- कटारमल मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 28 किलोमीटर दूर है।
- आप अल्मोड़ा से बस या टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- मंदिर तक जाने के लिए सड़क अच्छी तरह से बनाई गई है।
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कटारमल सूर्य मंदिर|Katarmal Sun Temple |
यहां कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
- कटारमल सूर्य मंदिर को "भारत का काशी" भी कहा जाता है।
- मंदिर में सूर्य भगवान की मूर्ति काले रंग की है।
- मंदिर परिसर में एक विशाल घंटी है जो 100 किलोग्राम से अधिक वजनी है।
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